बैसाखी त्यौहार पर निबंध (Baisakhi Festival Essay In Hindi)

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बैसाखी त्यौहार पर निबंध (Baisakhi Festival Essay In Hindi)


प्रस्तावना

बैसाखी एक अनोखा त्यौहार है जो फसलों की कटाई के ख़ुशी के तौर पर मनाया जाता है। यह सिख समुदाय का लोकप्रिय त्यौहार है। यह हर वर्ष 14 अप्रैल के आस पास पड़ता है। इस समय में कई समुदाय के लोग अपना नव वर्ष मनाते है। यह उत्सव पूरे देश में हर्ष -उल्लास के साथ मनाया जाता है।

बैसाखी उत्सव मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा राज्यों में मनाया जाता है। यह दरअसल कृषि उत्सव है, जो इन राज्यों में बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग नए पोशाक पहनते है और घरो पर कई तरह के पकवान बनाये जाते है।

बैसाखी के मौके पर कई जगह बड़ा मेला लगता है। लोग बहुत ख़ुशी से अपने परिवार के संग यहाँ जाते है। अधिकतर मेले नदी के किनारे आयोजित किये जाते है। यहाँ काफी लोगो का जमावड़ा लगता है।

बैसाखी के दिन को सिख समुदाय के लोग नए साल की तरह मनाते है। बैसाखी के उत्सव के दिन हर शहर में बड़ा मेला लगता है। मेलो में चाट, मिठाई, फल, अलग अलग तरह के व्यंजनों के ठेले लगते है। लोग यहाँ आकर सभी चीज़ो का आनंद उठाते है। लोग ऐसे मेलो में कई चीज़ो की खरीदारी करते है।

इस दिन कई हिन्दू समुदाय के लोग नए साल का आरम्भ करते है। पावन नदियों के जल में स्नान करते है और श्रद्धा से पूजा करते है। इस दिन सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारा और हिन्दू लोग मंदिर जाते है। लोग इस दिन ईश्वर की पूजा करते है और धार्मिक ग्रंथो का पाठ करते है। खालसा पंथ की स्थापना वर्ष 1699 में हुई थी।

सिखो का मुख्य त्यौहार : बैसाखी

इस उत्सव को एक प्रमुख त्यौहार की तरह गुरु अमरदास द्वारा शामिल किया गया था। तब से लेकर आज तक सम्पूर्ण सिख समुदाय के लोग इसे उत्साह से मनाते है। गुरु गोबिंद सिंह ने भी खालसा पंथ की नींव सन 1699 में रखी थी। यही वजह है सिख समुदाय के लोग इस दिन को विशेष तरीके से मनाते है।

इस दिन पंजाब और हरियाणा के सभी गुरुद्वारों को भव्य तरीके से सजाया जाता है। बहुत बड़े पैमाने पर इस दिन पूजा होती है। इस दिन गुरुद्वारों में भक्ति गीत और कीर्तन होते है। सम्पूर्ण राज्य में लोग झूमते, गाते हुए नज़र आते है। सभी अपने परिवार और दोस्तों के साथ यह उत्सव मनाते है।

स्वर्ण मंदिर में उत्सव

बैसाखी का उत्सव स्वर्ण मंदिर में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। स्वर्ण मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाते है। देश के कोने कोने से सिख समुदाय के लोग यहां भाग लेने के लिए आते है। स्वर्ण मंदिर एक पावन जगह है। यहाँ के भव्य उत्सव में भाग लेने के लिए श्रद्धालु यहाँ आते है।सिख समुदाय के लोग बड़े ही आनंद के साथ यह त्यौहार मनाते है।

अन्य राज्यों में बैसाखी त्यौहार के विभिन्न नाम

यह दिन नए वर्ष के आगमन के ख़ुशी पर मनाया जाता है। लोग इस दिन सबको नए वर्ष की मुबारक बात देते है। बैसाखी के वक़्त फसल पूरी हो जाती है। इस काटने का उत्सव को सभी कृषक बैसाखी के रूप में मनाते है। देश के सभी विभिन्न राज्यों में इसी समय अलग अलग त्यौहार लोग मनाते है।

जैसे पश्चिम बंगाल में पोइला बोइशाख यानी नव वर्ष मनाते है। आसाम में रोंगाली बिहू का उत्सव मनाते है। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में उगाडी उत्सव, उत्तराखंड में बिखु, तमिल नाडु में पुथंडू और केरल में विशु उत्सव को लोग बड़े आनंद के संग मनाते है।

कुछ त्यौहार इन में से बैसाखी के दिन लोग मनाते है। कुछ उत्सव बैसाखी के एक या दो दिन के पश्चात लोग मनाते है। इस दिन बड़े- बड़े जुलूस निकलते है। लोग दोस्तों के साथ पठाखे जलाते है और लोगो के साथ कई तरह के व्यंजनों का लुफ्त उठाते है।

सिख लोगो के लिए बैसाखी उत्सव की एहमियत

अन्य धर्मो और उत्सवों की तरह, सिख समुदाय के लिए यह नए साल की ख़ुशी मनाने का दिन है। पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में रबी फसल उगती है। फसलों को काटने के इस उत्सव के दिन सभी कृषक ईश्वर को शुक्रिया करते है। वह ईश्वर से प्रार्थना करते है कि अगले साल फसलों की पैदावार और अधिक बेहतर हो।

सिख समुदाय के लिए यह विशेष दिन है, क्यों कि इस दिन नौवे सिख गुरु के पद छोड़ने के पश्चात, सिख आदेश का आरम्भ हुआ था। दसवे गुरु का अभिशेषक किया गया था और खालसा पंथ की स्थापना हुयी थी।

लोग एकजुट होकर बैसाखी का उत्सव मनाते है। हिन्दू समुदाय के बहुत सारे लोग अपने विशेष पर्वो को इस दिन मनाते है। गुरुद्वारों की सुन्दर सजावट मन मोह लेती है। गुरुद्वारों को फूलों और लाइटों से सजाया जाता है।

सिख समुदाय के लोग इस त्यौहार का विशेष सम्मान करते है। इसी दिन गुरु तेग बहादुर के उत्पीड़न के पश्चात मौत हो गयी थी। इसकी वजह थी उन्होंने औरंगज़ेब के गलत आदेश को मना कर दिया था। वह आदेश था इस्लाम धर्म को कबूलना, जिसे उन्होंने मना किया था।

बैसाखी का जश्न

इस दिन लोग गंगा, कावेरी और झेलम इत्यादि नदियों में लोग स्नान करते है। यहाँ की पवित्र नदी में लोग डूबकी लगाते है। यह दिन सभी धर्म और समुदायों के लिए नव वर्ष का नया दिन होता है। इस उत्सव के दिन लोग धार्मिक पवित्र गाने गाते है।

इस दिन लोग प्रार्थना करते है और मिठाई वितरित करते है। लोग इस त्यौहार का मनोरंजन जुलूस के माध्यम से करते है। ज़्यादातर लोग अमृतसर जाते है, ताकि स्वर्ण मंदिर के दर्शन कर सके।

गुरुद्वारों में लोगो का सुबह शाम जमावड़ा लगा रहता है। लोग अच्छे पकवान खाने के शौक़ीन होते है। इस उत्सव में लोग झूला झूलते थे। बैसाखी के मेले पर विभिन्न तरीके के दुकाने लगाई जाती है। बच्चो से लेकर बड़े घूमते झूले पर बैठते है। सभी झूलो पर बैठकर आनंदित होते है।

बैसाखी के उत्सव पर नृत्य

बैसाखी के उत्सव पर मैले में लोक नृत्य आयोजित किये जाते है। अनगिनत लोग घेरा बनाकर खड़े होते है। नजदीक के गाँव के लोग यहाँ आते है और बैसाखी के गीत गाते है। ढोल – नगाड़े बजते है। कुछ लोग अपने हाथो में डंडे लेकर नृत्य करते है। डंडो को हवा में उछालकर पकड़ लेते है।

सभी लोग जो इस नृत्य को देखते है, वे भी प्रसन्नता से नाचने लगते है। जश्न के माहौल में सभी ख़ुशी से डूब जाते है। सभी लोग एक दूसरे को मुबारक बात देते है। बैसाखी के दिन कई व्यस्क लोग धार्मिक प्रचार का कार्य करते है।

लोग ईश्वर के आगे भजन गाते है। कई स्थानों पर धार्मिक प्रवचन होते है। कई लोग अपने सारे सांसारिक मोहमाया को छोड़कर ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाते है।

दुनिया भर में जश्न

सिखो के इस उत्सव को पाकिस्तान में रहने वाले सिख समुदाय के लोग मनाते है। यहाँ गुरु नानक देव का एक धार्मिक स्थल है, जहां सिख समुदाय के लोग आते है। सन 1970 दशक के आखिर तक पाकिस्तान में लोग बैसाखी का पर्व उमंग के साथ मनाते थे। लेकिन इस दशक के बाद यह उत्सव मनाना बंद हो गया। लेकिन कुछ इलाको में अभी भी बैसाखी के मेले लगते है।

कनाडा जैसे देशो में सिख समुदाय के लोग अधिक रहते है। वहां बैसाखी का उत्सव विशाल पैमाने पर आयोजित किया जाता है। कनाडा के समस्त शहर के लाखो लोग ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में एकत्रित होते है। कनाडा में प्रत्येक वर्ष बैसाखी में भाग लेने की संख्या में वृद्धि हो रही है। इस दिन कनाडा शहर में सिख समुदाय के लोग बैसाखी पर्व मनाते है।

यूनाइटेड स्टेट्स में रहने वाले सिख समुदाय के लोग बैसाखी के दिन को विशेष तौर पर मनाते है। मैनहट्टन में सिख लोग ज़रूरतमंदो को खाना खिलाते है। कई लोग इस दिन अच्छे और भले कार्य करते है। बैसाखी के कीर्तन लॉस एंजेलेस में होता है। यूनाइटेड किंगडम में भी सिख समुदाय के लोग उतने ही आनंद के संग यह उत्सव मनाते है।

यूनाइटेड किंगडम के अलग अलग जगहों से लोग साउथहाल में कीर्तन में भाग लेने के लिए आते है। शहरों में कीर्तन सबसे पहले गुरुद्वारों से आरम्भ हो जाते है। हैंड्सवर्थ पार्क में बैसाखी मेले का आयोजन होता है।

निष्कर्ष

बैसाखी सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशो में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार में लोग अपनी दुश्मनी भुलाकर खुशियां मनाते है। इस उत्सव को विदेशो में भी लोग उतने ही रौनक के साथ मनाते है।

बैसाखी के इतने भव्य समारोह को देखकर लोग आकर्षित हो जाते है। हर राज्य में विभिन्न नामो से इस दिन नए साल का उत्सव मनाया जाता है। हर त्यौहार का अपना स्वरुप होता है, बैसाखी त्यौहार का अभी अपना अनोखा अंदाज़ है। यह त्यौहार हर त्यौहार की तरह डेढ़ सारी खुशियां लाता है।


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तो यह था बैसाखी त्यौहार पर निबंध, आशा करता हूं कि बैसाखी त्यौहार पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Baisakhi Festival) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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