शिक्षा पर निबंध (Essay On Education In Hindi)

आज हम शिक्षा पर निबंध (Essay On Education In Hindi) लिखेंगे। शिक्षा पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

शिक्षा पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Education In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


शिक्षा पर निबंध (Essay On Education In Hindi)


प्रस्तावना

शिक्षा प्राप्त करना सभी मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है। शिक्षा एक अमूल्य ज्ञान है। शिक्षा का प्रभाव मनुष्य के व्यक्तित्व पर पड़ता है, जो उसे एक सभ्य, जिम्मेदार और शिक्षित नागरिक बनाता है। शिक्षा सबसे ताकतवार अस्त्र है, जिसके सहारे मनुष्य दुनिया में परिवर्तन ला सकता है।

शिक्षा प्राप्त करना सभी का हक़ है। शिक्षित व्यक्ति समाज में मौजूद कुप्रथाओ को मिटा सकता है। एक शिक्षित व्यक्ति घर और कार्यालय को व्यवस्थित तरीके से संभालता है। शिक्षित व्यक्ति के साये में सभी व्यक्ति को ज्ञान प्राप्त होता है।

ज्ञान से बढ़कर कोई ताकत नहीं होती है। इसलिए माता -पिता भी शुरुआत से बच्चो को घर और विद्यालय में शिक्षित करते है। वह अच्छी तरह से जानते है कि एक सभ्य समाज के निर्माण के लिए बच्चो का शिक्षित होना ज़रूरी है। शिक्षा से लोगो के जीवन शैली में सुधार आता है।

शिक्षा शब्द की उत्पत्ति

शिक्षा शब्द संस्कृत के शिक्ष धातु से लिया गया है। इसका तात्पर्य है – सीखना और सीखाना। शिक्षा को अंग्रेजी भाषा में एजुकेशन कहा जाता है।

महापुरुषों द्वारा शिक्षा की परिभाषा

भगवत गीता में कहा गया है कि शिक्षा वह है, जो मनुष्य को उनके बंधनो से आज़ादी दिलाती है और जीवन के हर मोड़ पर विस्तार करती है। गाँधी जी के मुताबिक शिक्षा मनुष्य का सम्पूर्ण विकास करता है। शिक्षा बच्चो की आध्यात्मिक, बौद्धिक और शारीरिक रूप से विकास करती है।

टैगोर जी ने कहा था, शिक्षा सिर्फ लोग अपने स्वार्थ सिद्धि को पूरा करने के लिए करते है। वह नौकरी पाने कि लालसा में शिक्षा प्राप्त करते है। बचपन से ही परीक्षा पास करने के लिए बच्चे रटने की पद्धति को अपनाते है। राष्ट्रीय शिक्षा आयोग 1964 के मुताबिक देश के आर्थिक, सामाजिक प्रगति का शक्तिशाली साधन शिक्षा है।

बच्चो की आरंभिक शिक्षा

बच्चो की शुरूआती शिक्षा उसके घर पर होती है। माता -पिता शुरू से ही बच्चो को अनुशासन और समय पर कार्य करना सीखाते है। बच्चो को बचपन से हर प्रकार की शिक्षा देते है। बच्चो को पारिवारिक रिश्तों के बारे में समझाया जाता है।

बच्चो में देशभक्ति के गुण और नैतिकता के गुणों का विकास किया जाता है। बच्चो को जन्म से बड़ो का सम्मान और शिष्टाचार के साथ बात करना सिखाया जाता है। बाकी की शिक्षा बच्चे विद्यालय जाकर प्राप्त करते है।

उच्च शिक्षा और नौकरी

विद्यार्थी विद्यालय की शिक्षा प्राप्त करने के बाद अन्य शिक्षा संस्थान, जैसे कॉलेज और विश्वविद्यालय में जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करते है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद व्यक्ति को एक औपचारिक डिग्री मिलती है। औपचारिक डिग्री मिलने पर व्यक्ति नौकरी के लिए प्रस्ताव रखता है।

उचित शिक्षा और डिग्री प्राप्त करने के बाद व्यक्ति डॉक्टर, वकील, शिक्षक इत्यादि बन सकते है। अच्छी और सटीक शिक्षा सिर्फ कॉलेज जाने से नहीं होती है, बल्कि उनके महान और सही सोच से भी होती है।

आजकल लोग डिग्री प्राप्त करने के पश्चात अपने आपको सम्पूर्ण रूप से शिक्षित मानते है, मगर शिक्षा हर क्षेत्र से प्राप्त की जाती है। जिन्दगी के हर मोड़ पर व्यक्ति शिक्षा प्राप्त करता है। हर विषय से संबंधित ज्ञान शिक्षा कहलाता है, जैसे विज्ञान, गणित, संस्कृत, संगीत, नृत्य, योग, चित्रकला इत्यादि।

रोजगार का अवसर

शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात व्यक्ति नौकरी कर सकता है। नौकरी करने के बाद वह रोजगार करता है। रोजगार करने के बाद वह अपने दैनिक ज़रूरतों को पूरा कर सकता है। रोजगार करके पुरुष और महिलाएं अपने पाँव पर खुद खड़े होते है।

स्वाभिमान और आत्मसम्मान के साथ व्यक्ति जीवन यापन करता है। समाज हमेशा शिक्षित और आत्मनिर्भर इंसान की कदर और सम्मान करता है।

शिक्षा पर सभी का मौलिक अधिकार

सभी शिक्षा ग्रहण करके अपने सपनो को साकार कर सके यह सरकार की कोशिश है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 A के मुताबिक, छह वर्ष से चौदह वर्ष के आयु तक के बच्चो को निशुल्क शिक्षा देने का नियम है।

लड़का हो या लड़की सभी को पढ़ने के लिए बराबर मौके मिल रहा है। दुनिया में सौ से भी अधिक देशो में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार अनिवार्य कर दिया गया है। जिन्दगी में कई समस्याओं की वजह से जिन लोगो को शिक्षा नही मिल पायी, सरकार उन्हें बुनियादी शिक्षा प्राप्त करवाने की कोशिश कर रही है।

अभी गाँव में भी लोग शिक्षित हो रहे है। जो बच्चे पढ़ने में अच्छे है उनको उच्च शिक्षा के लिए सरकार और शिक्षा संस्थानों द्वारा छात्रवृति दी जा रही है।

शिक्षा और मनुष्य का विकास

शिक्षा हमे यह सिखाती है कि जीवन स्तर को हम कैसे बेहतर बना सकते है। उचित शिक्षा सही -गलत में फर्क करना और सही फैसले करना व्यक्ति को सिखाती है। शिक्षा से व्यक्ति का सामाजिक, आर्थिक और व्यक्तिगत तौर पर विकास होता है।

शिक्षा बच्चो से लेकर बड़े सभी को जिम्मेदार और कर्तव्यनिष्ठ इंसान बनाती है। शिक्षा एक सर्टिफिकेट से बढ़कर होता है। जीवन की उन्नति सही, सठिक और उचित शिक्षा पर निर्भर करती है।

जीवन को सफल बनाने के पीछे शिक्षा का महत्व

शिक्षा हमे शिक्षक अथवा शिक्षिका प्रदान करते है। जीवन में किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए शिक्षा बहुत ज़रूरी होती है। जिन्दगी में शिक्षा लोगो के दृष्टिकोण में बदलाव लाती है और आधुनिक युग के साथ चलना सिखाती है।

शिक्षा से मनुष्य का ज्ञान बढ़ता है और उसमे तर्कशक्ति का विकास होता है। शिक्षा प्राप्त करने से मनुष्य विपरीत परिस्थितियों में सकारात्मक सोच रखता है और मुश्किल परिस्थिति से बाहर निकलता है।

समस्याओं का समाधान शिक्षित व्यक्ति करना जानता है। मुश्किल परिस्थितियों में अपना सब्र नहीं खोता है। शिक्षित व्यक्ति हर चुनौती का सामना डटकर करता है।

शिक्षा के विभिन्न रूप

  • औपचारिक शिक्षा
  • अनौपचारिक शिक्षा
  • निरौपचारिक शिक्षा

औपचारिक शिक्षा

यह शिक्षा, शिक्षा संस्थानों जैसे विद्यालय, विश्वविद्यालय और कॉलेज द्वारा दि जाती है। इसमें व्यवस्थित और शिक्षण विधियों के साथ शिक्षक शिक्षा प्रदान करते है। ऐसे शिक्षा में शिक्षक योजनाबद्ध तरीके से पढ़ाते है। इसमें धन का निवेश किया जाता है।

अनौपचारिक शिक्षा

इस प्रकार की शिक्षा का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं होता है। यह एक तरह की अनियमित शिक्षा है। इसमें योजनाबद्ध तरीके से पढ़ाया नहीं जाता है। इसमें बच्चे खेलते हुए आस- पड़ोस से भी कई बातें सीखते है। अनौपचारिक शिक्षा के प्रमुख माध्यम है परिवार, समाज, रेडियो, टेलीविज़न। बच्चो की प्रथम शिक्षा अनौपचारिक शिक्षा के माध्यम से होती है।

निरौपचारिक शिक्षा

उपेक्षित और मजबूर लोगों के शिक्षा की दृष्टि से यह शिक्षा प्रणाली बनायी गयी है। यह शिक्षा सरल और लचीली होती है। किसी भी उम्र के लोग जीवन में इसका लाभ उठा सकते हैं। इस शिक्षा के अंतर्गत पौढ़ शिक्षा, दूरस्थ और खुले शिक्षा यानी ओपन एजुकेशन आते है। जो व्यक्ति जिस प्रकार की शिक्षा चाहता है, उसी प्रकार समय, प्रणाली और स्थान निर्धारित किये जाते है।

निष्कर्ष

शिक्षा पर सभी का अधिकार है। आज देश में हालत पहले से अधिक बेहतर हुयी है। अधिकांश लोग आज शिक्षित है और आत्मसम्मान के साथ जी रहे है। गरीब हो या अमीर, सभी शिक्षित हो रहे है।

इस आधुनिक युग में सभी को शिक्षा की अहमियत का पता है। देश की पूंजी आज शिक्षित लोग है। जब सभी लोग शिक्षित होंगे, तो निश्चित तौर पर देश प्रगति करेगा और आगे भी करता रहेगा।


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