स्वतंत्रता दिवस पर निबंध (Independence Day Essay In Hindi)

आज के इस लेख में हम स्वतंत्रता दिवस पर निबंध (Essay On Independence Day In Hindi) लिखेंगे। स्वतंत्रता दिवस पर लिखा यह निबंध बच्चो और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

स्वतंत्रता दिवस पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Independence Day In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


स्वतंत्रता दिवस पर निबंध (Independence Day Essay In Hindi)


प्रस्तावना

भारत के इतिहास में 15 अगस्त का दिन बेहद खास है, क्योंकि इसी दिन भारतीय लोकतंत्र की शुरुआत और भारतीयों को अंग्रेजों के गुलामी से मुक्ति मिली थी। भारतवर्ष लगभग 200 वर्षों से अंग्रेजों के अत्याचार और गुलामी को सह रहा था।

15 अगस्त 1947 को भारत देश पूर्ण रूप से आजाद हुआ था। इस वजह से भारतीयों के लिए यह बेहद खास दिन है और इस खास दिन को भारतीय बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाते है। आज भी स्वतंत्रता सेनानियों को आजादी के लिए उनके द्वारा किए गए संघर्षों के लिए याद किया जाता है। उनकी याद में आज भी हम सब की आंखें नम हो जाती है।

स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री का संबोधन

जब से भारत आजाद हुआ है, तब से हर प्रधानमंत्री अपने देश के नागरिकों को संबोधित करते है। यह संबोधन का कार्य बड़े ही हर्षोल्लास से किया जाता है। इसे एक पर्व के रूप में लोग मनाते हैं।

इस बात का ध्यान भी रखा जाता है कि स्वतंत्रता दिवस के माध्यम से शहीद हुए जवानों को भी याद किया जाये, प्रधानमंत्री हर साल दिल्ली के लाल किले की प्राचीर से भारत की जनता को संबोधित करते हैं। प्रधानमंत्री अपने संबोधन में साल भर में किए गए कार्यों का उल्लेख करते हैं।

यह सारा कार्यक्रम प्रधानमंत्री के अगुवाई में किया जाता है। प्रधानमंत्री और उनके मंत्री गण मंत्रालय में ध्वजारोहण करते हैं। सबसे पहले दिल्ली के लाल किले के प्राचीर से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा भारतीय नागरिकों को संबोधित किया गया था।

उनका कार्यकाल लगभग 16 वर्ष का था। उसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अब तक 6 बार संबोधित कर चुके हैं।

स्वतंत्रता दिवस पर होने वाले कार्यक्रम

स्वतंत्रता दिवस पर होने वाली चहल-पहल पूरे देश में रहती है। इसका सबसे ज्यादा असर दिल्ली जो भारत की राजधानी है वहां रहता है। संसद भवन से लेकर लालकिले तक और राष्ट्रपति भवन तक समस्त जगह ध्वजारोहण किया जाता है।

राष्ट्रपति अपने राष्ट्र भवन में होने वाले कार्यक्रम के प्रमुख रहते हैं, उस दिन राष्ट्रपति दिल्ली के लाल किले में नहीं जाते हैं। वहां के समस्त कार्यक्रम का नेतृत्व केवल प्रधानमंत्री ही करते हैं।

यदि हम स्कूल, कॉलेज की बात करें तो यहां पर रंगारंग कार्यक्रम भी किए जाते हैं। जिसमें संगीत डांस नाटक आदि के द्वारा लोग अपनी भावनाएं एवं देश के प्रति प्रेम जाहिर करते हैं। स्वतंत्रता दिवस पर हर शहर गांव में देश प्रेम के गाने सुनाई देते हैं।

वक्त के हिसाब से स्वतंत्रता दिवस मनाने के तरीको में भी बहुत बदलाव आया है। इस दिन रैलियों के माध्यम से स्कूली बच्चे शहर में लोगों को स्वतंत्रता दिवस के प्रति जागरूक करते हैं, बच्चे इसमें बढ़-चढ़कर भाग भी लेते हैं।

स्वतंत्र दिवस पर शहीद जवानों की याद

इस दिन जितने भी शहरों या गांव में जवान अपने देश की रक्षा के लिए गए और वह शहीद हो गए, उन्हें इस दिन जरूर याद किया जाता है। उन सभी जवानों के लिए एक अलग ही लम्हा बनाने की कोशिश की जाती है।

सबसे पहले देश के प्रधानमंत्री लगभग 7:00 बजे दिल्ली गेट पर जाते हैं। उनकी अगुवाई के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री, थल सेना प्रमुख, जल सेना प्रमुख, वायु सेना प्रमुख तथा राज्य केंद्रीय रक्षा मंत्री अगवानी के लिए रहते हैं। इंडिया गेट में एक उल्टी राइफल के ऊपर हेलमेट रखा हुआ है। जिसे शहीद जवानों की याद में पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा बनाया गया था।

इस इंडिया गेट में शहीद जवानों के नाम लिखे हुए हैं, इसीलिए स्वतंत्रता दिवस पर सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र इंडिया गेट होता है। यहां पर प्रधानमंत्री शहीद जवानों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं और इस तरह से देश के कोने कोने में शहीद जवानों को याद किया जाता है।

भारतीय स्वतंत्रता दिवस का सारगर्भित इतिहास

अंग्रेजो के भारत में आने की वजह

आज से 400 वर्ष पहले अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी के जरिए भारत में व्यापार करने के उद्देश्य आए थे। उस दौरान पाकिस्तान और बांग्लादेश भारत का हिस्सा थे। अंग्रेजो ने यहां अपने व्यापार को बढ़ाने के साथ-साथ लोगों की गरीबी, मजबूरी और उनकी कमजोरियों को भांप के उनका फायदा उठाना शुरू कर दिया।

भारतीयों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए उन्होंने भारतीयों को गुलामी की बेड़ी में बांध दिया। अंग्रेज उस समय गरीब और मजबूर लोगों को कर्ज देकर उन्हें कर्ज में डूबा देते थे। कर्ज ना मिलने पर उन्हें अपना गुलाम बना कर उनसे मनमाना काम कराते थे और तरह तरह के अत्याचार उनपर करते थे।

इन अंग्रेजो ने एक-एक करके राज्य के राजाओं को भी अपने अधीन करने की रणनीति के तहत बंदी बना लिया और इस तरह से इन्होंने पूरे भारत पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया। यह भारतीयों के ऊपर कई तरह के अत्याचार करते थे। जिनमें उनसे मनमाने तौर पर लगान वसूलना, उनके खेतों और अनाजों पर कब्जा जमा लेना शामिल था।

इसके अलावा भी लोगो को परेशान करने के लिए कई हथकंडे यह अंग्रेज अपनाते थे। वही अत्याचार का विरोध करने वालों को वो गोलियों से भून दिया करते थे। इसका जीता जागता उदाहरण जलियांवाला कांड है।

अंग्रेजो की हुकूमत से खिलाफत

अंग्रेजों का भारतीयों के प्रति गलत रवैया और उनके अत्याचार को देखते हुए, भारत के लोग उनके खिलाफ विद्रोह करने लगे। बदले की आग में प्रत्येक भारतीय जलने लगा। अंग्रेजों के अत्याचार पूर्ण रवैये से तंग आकर सन 1857 में मंगल पांडे ने अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह कर दिया।

मंगल पांडे के इस विद्रोह के चलते उन्हें मार दिया गया। इससे भारतीय लोगों में अंग्रेजों के प्रति और गुस्सा बढ़ गया और इसके विरोध में आए दिन नए-नए आंदोलन आयोजित किए जाने लगे।

आजादी की मांग उठने लगी

अंग्रेजों के अन्याय को देखते हुए लोग आजादी की मांग करने लगे। इसके खिलाफ कई देशी आंदोलन किए गए। अंग्रेजी सरकार के खिलाफ आए दिन झड़प की घटनाएं बढ़ने लगी। आजादी की मांग सबसे पहले क्रांतिकारी मंगल पांडे ने 1857 में की थी। यहीं से आजादी का बीज पड़ा था।

इसके चलते मंगल पांडे की जान भी चली गई। इसके बाद से ही अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाप आजादी की मांग की आवाजें बुलंद होती गई और अंग्रेजों का विरोध देश के कोने-कोने से लोग करने लगे।

स्वतंत्रता सेनानियों में किसका कितना रहा महत्व

भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी दिलाने के लिए कई स्वतंत्र सेनानियों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसी कड़ी में महात्मा गांधी का नाम सबसे ऊपर दर्ज है। भारत पर अंग्रेजों ने करीब 200 साल तक शासन किया। ब्रिटिश हुकूमत को खत्म करने के लिए गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का हथियार उठाया। उन्होंने बिना रक्त बहाए अंग्रेजो को भारत छोड़ने को मजबूर कर दिया।

अंग्रेजो के खिलाफ गाँधी जी ने कई आंदोलन छेड़े। गांधी जी के नेतृत्व में देश के करोड़ों लोगो ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था। लोग महात्मा गांधी को प्यार से बापू कहते थे। अंग्रेजों को भारत से निष्कासित करने के लिए स्वतंत्रता संग्राम पूरे हिंदुस्तान में छेड़ा गया।

लोगो ने अपने अपने तरीके से कुछ ना कुछ योगदान दिया। किंतु इनमें कुछ ऐसे लोग भी शामिल थे, जिन्होंने अपने नेतृत्व, रणनीति और कौशल का परिचय देते हुए भारत को आजादी दिलाई।

आजादी की इस लड़ाई में मुख्य तौर पर नेतृत्व करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, बाल गंगाधर तिलक, भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस जैसे महापुरुष शामिल है। इन्होंने अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था।

महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा नामक हथियारों के बल पर लड़ाई लड़ी, वहीं कुछ ने अपनी शूरवीरता के बल पर अंग्रेजों को धूल चटा दी। इस श्रेणी के क्रांतिकारियों में मंगल पांडे, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु जैसे शूरवीर क्रांतिकारी शामिल है।

सभी क्रांतिकारियों ने मिलकर अंग्रेजों की हुकूमत से भारत को मुक्ति दिला दी और भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया। अंग्रेज भारत छोड़ने के लिए घुटने टेकने लगे। इतिहास के पन्नो में यह खास दिन स्वतंत्रता दिवस के रूप में दर्ज है।

निष्कर्ष

15 अगस्त भारत के इतिहास में राष्ट्रीय दिवस के रूप में दर्ज है। इस दिन भारत को अंग्रेजों की हुकूमत से मुक्ति मिली थी। सभी सरकारी संस्थानों, स्कूलों, बाजारों में स्वतंत्रता दिवस के दिन रौनक देखते ही बनती है। इस दिन प्रत्येक भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को याद करके नम श्रद्धाअंजलि अर्पित करता है। सरकारी कार्यालय और विद्यालयों में मिठाइयां वितरित की जाती है।


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आशा करता हूं मेरे द्वारा दी गई जानकारी से आप संतुष्ट होंगे। इस लेख का उद्देश्य भारत को स्वतंत्रता कैसे मिली तथा किन विदेशियों ने भारत पर शासन किया इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देना है।

तो यह था स्वतंत्रता दिवस पर निबंध, आशा करता हूं कि स्वतंत्रता दिवस पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Independence Day) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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