जहा चाह वहा राह पर हिंदी निबंध (Jaha Chaha Waha Raha Essay In Hindi)

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जहा चाह वहा राह पर हिंदी निबंध (Jaha Chaha Waha Raha Essay In Hindi)


अगर व्यक्ति अपनी इच्छा शक्ति से कुछ करना चाहे तो वह व्यक्ति अपनी राह खुद बना लेता है। अगर व्यक्ति अपने मन में ठान ले, कि उसे यह मंज़िल पाना है चाहे कुछ भी हो जाए, तो वह अपना रास्ता खुद तय कर लेता है।

ऐसे व्यक्ति को कोई भी मुसीबत रोक नहीं सकती है। चाह का अर्थ है, कुछ पाने की इच्छा और कुछ कर दिखाने का जूनून। सफलता पाने के लिए इस जज़्बे का होना बेहद आवश्यक है। यह अंग्रेजी कहावत से लिया गया है।

कुछ व्यक्ति ऐसे होते है, जिन्हे जिंदगी में बहुत कुछ चाहिए मगर वे आलसी होते है। ज़िन्दगी में कुछ करना नहीं चाहते है। ऐसे लोग सिर्फ अपने सपनो की दुनिया में खोये रहते है। ऐसे लोग सारी ज़िन्दगी असफल होते रहते है और अपने भाग्य को कोसते है।

सफलता पाने के लिए अच्छे कर्म करने होंगे तभी रास्ता सफल होगा। व्यक्ति को अपने कर्म के प्रति पूरी तरह से समर्पित रहना चाहिए। बिना कठिनाईयों के कोई भी रास्ता मिलना बेहद मुश्किल है। चुनौतियों का सामना करने की चाहत मनुष्य को सही मार्ग दिखलाती है।

मनुष्य की चाहत में इतनी शक्ति होनी चाहिए, कि वह परिस्थितियों का मुँह तोड़ जवाब दे सके। मुश्किलों से लड़ जाने की हिम्मत मनुष्य को अपने मकसद में कामयाब बनाती है। गांधी जी ने देश को आज़ाद कराने के लिए दृढ़ संकल्प लिया था। गाँधी जी ने डांडी मार्च और भारत छोड़ो जैसे आंदोलन किये थे।

कई कोशिशों के पश्चात देश को स्वतंत्र कराने में वे कामयाब रहे। यह जहां चाह वहां राह की इस कहावत को गाँधी जी ने सही माईनो में प्रमाणित किया है। मनुष्य की इच्छा शक्ति, सही मार्ग को अपने आप ढूंढ लेती है।

लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अगर व्यक्ति में संकल्प लेने की कोई चाह नहीं है, तो वह परिश्रम नहीं कर पाता है और जीवन में उसका सफल होना नामुमकिन होता है। जहाँ मनुष्य की चाह होती है, वहां सफल होने का रास्ता अपने आप बन जाता है।

अगर व्यक्ति एक बार सोच ले कि उसे यह कार्य करना है, तो निश्चित तौर पर उस कार्य को करने में समर्थ होता है। कार्य के आड़ में जितनी भी अड़चन आये, उसे पार करने की हिम्मत ज़रूर रखता है।

व्यक्ति का हौसला, उसका मनोबल, उसकी हिम्मत उसके रास्ते को आसान बना देती है। जहां चाहत है, वहीं इच्छा है और अगर इच्छा है तो उपाय भी है। जो लोग अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की इच्छा शक्ति नहीं रखते है, अक्सर अपनी असफलता के लिए नसीब को दोष देते है। जिसकी इच्छा शक्ति दृढ़ होती है, वह अपने भाग्य को भी बदल देते है।

अगर कोई भी व्यक्ति असफल हो रहा है। इसका अर्थ है उसकी इच्छा शक्ति और मेहनत सही दिशा में नहीं जा रही है। उसके परिश्रम में कहीं ना कहीं कमी है। ऐसे में व्यक्ति को नसीब को नहीं बल्कि अपने गलतियों को दोष देना चाहिए।

सिर्फ सफलता प्राप्त करने के लिए इच्छा रखना सब कुछ नहीं होता है, बल्कि इसका सही दिशा में इस्तेमाल करना भी बेहद ज़रूरी होता है। अगर व्यक्ति किसी भी चीज़ को पाना चाहता है तो उसके लिए पर्याप्त योजनाएं बनाता है। किसी भी कार्य को पूरा करने का इरादा मज़बूत होना चाहिए, तभी व्यक्ति को सफलता पाने में सहायता मिलती है।

यदि आपके पास कुछ करने की इच्छा शक्ति है, तो आपको ऐसा करने से कुछ भी नहीं रोक सकता है। जिसकी इच्छा शक्ति प्रबल होती है, वह निश्चिंत होकर नहीं बैठता है। एक दरवाजा बंद होने पर दूसरा उम्मीद का दरवाज़ा आखिर खोल ही लेता है।

भोले भाले कालिदास को उसकी पत्नी ने घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। उनकी इच्छा शक्ति मज़बूत थी और कालिदास ने यह निश्चय किया कि वह अपने आपको साबित करेंगे।उन्होंने संस्कृत और साहित्य का अध्ययन किया और कई सारी काव्य रचनाएं खुद लिखी। इस प्रकार अपनी सही राह चुनकर उन्होंने अपनी पत्नी को गलत साबित किया।

दृढ़ संकल्प के बैगर व्यक्ति छोटे छोटे परेशानियों से हार मान लेते है। मुश्किलों से घबरा जाते है। यह सिर्फ इच्छा शक्ति और आत्मविश्वास की कमी के कारण होता है। बचपन से एक कहानी बड़ी मशहूर थी। कछुआ और खरगोश के दौड़ की कहानी।

कछुआ हमेशा धीरे चलता है, सबको पता था वह दौड़ नहीं जीत सकता है। लेकिन फिर भी उसने हार नहीं मानी और अपनी इच्छा शक्ति के कारण मंज़िल को प्राप्त करने में कामयाब रहा।

अगर आपने कोई सपना देखा है और उसे पाने के लिए आप किसी प्रकार की कोशिश या मेहनत नहीं कर रहे है, तो आपके ज़िन्दगी में निश्चित तौर पर आपको निराशा हाथ लगेगी।अगर आप निरंतर बिना हार माने लक्ष्य प्राप्त के लिए कार्य कर रहे है, तो मंज़िल आपके कदमो में होगी।

अगर आपकी चाह मज़बूत है और आपका ध्यान अपनी चाहत पर केंद्रित है, तो निस्संदेह आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाएंगे। व्यक्ति को हर चीज़ और कार्य की गहराई को जानने की ज़रूरत है और इसके लिए लगातार अभ्यास और कोशिशों की आवश्यकता है।

जैसे कुछ विद्यार्थी परीक्षा में पास करने के लिए सिर्फ उसके पहले वाले दिन पढ़ाई करते है। विद्यार्थी को अगर अपने स्कूल और राज्य में प्रथम आना है, तो उसके लिए उसे पूरा वर्ष पढ़ाई करने की ज़रूरत है।

अगर व्यक्ति जीवन में ऐसा कुछ कार्य करने का आग्रह रखता है, जिसे पहले कभी किसी ने ना किया हो, तब उसे पाने के लिए उसमे वह जूनून होना चाहिए। जहां चाह है वहा मनुष्य को रास्ते अपने आप दिखने लगेंगे। अगर कोई व्यक्ति पहाड़ चढ़ना चाहता है परन्तु चढ़ाई बहुत मुश्किल है, ऐसे में अगर उसने सोच लिया है कि वह शिखर पर चढ़ पायेगा तो उसे कोई भी कठिनाई रोक नहीं पायेगी।

थॉमस एडिसन ने बल्ब का आविष्कार कर पूरे दुनिया को सोचने पर मज़बूर कर दिया था। सब ने सोचा था ऐसा कुछ हो नहीं सकता, मगर एडिसन ने अपनी इच्छा शक्ति बुलंद रखी और समस्त दुनिया को प्रकाश तोहफे के रूप में दिया।

अब्राहम लिंकन तक़रीबन पंद्रह दफा चुनाव हार चुके थे और उन्हें व्यापार में काफी नुकसान झेलना पड़ा था। जिन्दगी में इतने उतार -चढ़ाव और असफलता के पश्चात भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। अपने दृढ़ संकल्प के संग लगातार प्रयत्न करके अब्राहम लिंकन ने मंज़िल को प्राप्त किया।

अगर हम किसी भी मंज़िल को दिल से पाना चाहे और उसके लिए परिश्रम करे, तो हम मंज़िल हासिल कर लेते है। कई बार ऐसा देखा गया है कि व्यक्ति परिश्रम करने के बाद भी कामयाब नहीं हो पाता है। वह व्यक्ति कामयाब इसलिए नहीं हो पाता है, क्यों कि वह शिद्दत और दिल से उसे पाना नहीं चाहता है।

अगर उसने दिल से चाहा होता, तो मुश्किलों से भरे रास्तो को पार करने में उसे भय नहीं लगता। मुश्किलों के समक्ष अगर वह झुकता नहीं तो उसे सौ फीसदी सफलता मिलती। उद्यम सिंह एक सच्चे देशभक्त और क्रांतिकारी थे। जलियांवाला बाग़ के भयानक नरसंहार ने ना केवल देश को बल्कि उद्यम सिंह को झकझोर कर रख दिया।

उनकी यह प्रबल इच्छा थी कि नरसंहार के लिए जिम्मेदार जनरल डायर को वह गोली मार दे। इसी कोशिश में वह इंग्लैंड पहुंचे और अपने दृढ संकल्प के कारण, भरी महफ़िल में एक योद्धा की तरह जनरल डायर को गोली मारकर देशवासियों के मौत का बदला लिया।

गोस्वामी तुलसी दास अपने पत्नी से बड़ा प्रेम करते थे और उनके प्रेम में पागल हो चुके थे। उनकी पत्नी ने उन्हें इस बात के लिए कोसा और भगवान् की भक्ति में मन लगाने को कहा। पत्नी की बात जैसे उनके दिल में घर कर गयी| उन्होंने मोहमाया से मन हटा लिया और प्रभु की भक्ति में लीन हो गए।

अपनी इच्छा शक्ति के कारण उन्होंने भक्तिकाव्य और रामचरित मानस जैसे महाकाव्य लिखे। एपीजे अब्दुल कलाम जो हमारे भारत के राष्ट्रपति रह चुके है और एक महान वैज्ञानिक थे। उन्होंने अपना बचपन गरीबी में बिताया और जिन्दगी में काफी संघर्ष किये। वे अखबार बेचने का काम भी करते थे।

ज़िन्दगी में कुछ करने की चाहत ने उनके सपनो को जैसे पंख दे दिये। उन्होंने ज़िन्दगी में अनगिनत मुश्किलों का सामना किया और अपनी दृढ इच्छा शक्ति से सफलता प्राप्त की।उनके प्रेरणादायक और सफल जीवन से लोगो को बहुत कुछ करने का हौसला मिलता है।

निष्कर्ष

व्यक्ति की मानसिक क्षमता को इच्छा शक्ति के रूप में वर्णन किया जाता है। व्यक्ति अगर दृढ निश्चयी है तो वह बड़े से बड़े पहाड़ को भी हिला सकता है। व्यक्ति अगर कोई भी कार्य पूरा करने का निर्णय कर लेता है, तो वह ज़िन्दगी में जो चाहे वह बन सकता है।

इच्छा शक्ति दृढ होने के कारण नेपोलियन बड़े और विशाल यूरोपीय देशो को जीतने की क्षमता रखता था। क्यूंकि असंभव जैसी कोई चीज़ उनके सोच में मौजूद नहीं थी। सम्राट अशोका जिन्होंने मौर्या साम्राज्य को बनाये रखने में कामयाबी हासिल की थी। कलिंग युद्ध की क्रूरता से वे आहात हुए थे।

प्रबल इच्छा शक्ति की वजह से उन्होंने अहिंसा का मार्ग अपनाया था। इच्छा शक्ति से नामुमकिन कार्य भी मुमकिन हो जाते है। जो व्यक्ति किसी भी चीज़ को पाने की चाह रखता है, वह कठिन परिस्थितियों का गुलाम नहीं बनता है। उसकी चाहत में सच्चाई होती है और वही व्यक्ति कुछ कर गुजरने की चाहत रखता है।


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तो यह था जहा चाह वहा राह पर निबंध, आशा करता हूं कि जहा चाह वहा राह पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Jaha Chaha Waha Raha) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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