मातृ दिवस पर निबंध (Mother’s Day Essay In Hindi)

आज हम मातृ दिवस पर निबंध (Essay On Mother’s Day In Hindi) लिखेंगे। मातृ दिवस पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

मातृ दिवस पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Mother’s Day In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


मातृ दिवस पर निबंध (Mother’s Day Essay In Hindi)


प्रस्तावना

मां का अस्तिव हम सभी के जीवन में बहुत अधिक होता है। एक बच्चे के लिए मां ही पहली शिक्षक होती है। क्योंकि जन्म से लेकर जीवन के अधिकांश समय तक, छोटी से लेकर बड़ी सभी समस्यायों का समाधान लेने के लिए बच्चा मां का मागदर्शन पाता हैं। यही वजह है कि मां को विशेष दर्जा दिया गया है। मां के महत्त्व को समझने और मां को आदर देने के लिए वर्ष में एक दिन ऐसा आता है जिसे हम मातृ दिवस के रूप में जानते है और मनाते है।

बच्चे के सम्पूर्ण विकास के पीछे मां का ही हाथ होता है। बच्चो के लिए मां अपने जीवन का बलिदान दे देती है। मां के कई रूप होते है, जोकि समय के साथ बदलते रहते है। कभी वह बच्चे की देखभाल के लिए उसकी मां की भूमिका अदा करती है, तो कभी दोस्त बन जाती है और जीवन भर एक सच्ची शिक्षक होती है। मां अपने बच्चे को खुश रखने के लिए हर संभव प्रयास करती है।

हमारे जीवन में मां की इतनी बड़ी भूमिका होने के नाते हमारा दायित्व बनता है कि हम अपनी मां का हर समय सम्मान करे। जितना हो सके उनका ख्याल रखे। उनको खास महसूस कराने के लिए और दुनिया भर की सभी माताओं के सम्मान में, उन्हें उनके मातृत्व और समाज में दिए योगदान के लिए आभार जताने, हम हर वर्ष मातृ दिवस मनाते है। हर वर्ष मई के दूसरे रविवार को मातृ दिवस मनाया जाता है, ताकि सभी को हमारे जीवन में मां की भूमिका के महत्व का पता चल सके।

इस दिन को बहुत से बच्चे अपनी मां को उनकी रुचि के मुताबिक उपहार देकर मनाते है। इसके अलावा अपने हाथो से लजीज व्यंजन को बना कर मां को प्यार से खिलाते है। बच्चे की उन्नति के लिए मां को ही जिम्मेदार माना जाता है, क्योंकि वह उन्हें शिक्षित करने के लिए काफी कुरबानी देती है। एक माँ अपनी जरूरतों को काटकर बच्चो की शिक्षा में कोई अड़चन नहीं आने देती।

मां की पूरी दुनिया अपने बच्चे के इर्द गिर्द घूमती रहती है। वैसे तो वह हर समय अपने बच्चो के ऊपर स्नेह लुटाती रहती है, लेकिन बच्चे के द्वारा गलती किए जाने पर वह डाट लगाने में नही चूकती है। बच्चो को चाहिए की वह अपनी मां की कुर्बानियों को कभी न भूले। मां को हमेशा प्यार और स्नेह दे। हमे जीवन में कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहिए जिससे उनके मन को किसी भी प्रकार की ठेस पहुंचे।

मां के ऊपर कई जिम्मेदारियां होती है। इसके बाद भी वह अपने बच्चे के प्रति छोटी बड़ी सभी जिम्मेदारियों को पूरा करती रहती है। इसलिए अगर जीवन में हमे कभी मौका मिले तो कुछ ऐसा करे जिससे उनको अहसास हो सके की वो कितनी खास है।

हमारे जीवन में आगे बढ़ने के लिए मां हमारी देखभाल तीनो पहर करती है, चाहे सुबह हो, शाम हो या दोपहर। इसी तरह हमे मातृ दिवस को सिर्फ एक दिन नही मनाना चाहिए, बल्कि साल भर माँ को खास होने का अहसास दिलाना चाहिए।

मातृ दिवस हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। वैसे तो मातृ दिवस विश्व की सभी माताओं के अस्तित्व का अहसास दिलाने के लिए होता है। मां के बगैर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। एक मां का पूरा जीवन बच्चो के भविष्य के प्रति समर्पित होता है।

बच्चो की परवरिश करने में मां की भूमिका

इस दुनिया में निस्वार्थ से परे अगर कोई रिश्ता है, तो वह है मां और बच्चे का रिश्ता। मां को अपने बच्चे के प्रति अपार स्नेह होता है। मां अपने बच्चो के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह होती है। बच्चो को देखकर ही वह अपना पूरा जीवन बिता देती है। एक मां सुबह से लेकर शाम तक का पूरा कार्य करती रहती है। एक मां पूरे सप्ताह बिना छुट्टी लिए कार्य करती रहते है।

मातृ दिवस मनाना क्यों शुरू हुआ?

मातृ दिवस मनाया क्यों जाने लगा इसके बारे में बहुत सी मान्यताए है। कुछ पुराने विद्वानों ने दावा किया कि मातृ पूजा की प्रथा ग्रीस से शुरू हुई थी और स्य्बेले ग्रीक देवताओं की मां थीं, जिनके सम्मान में यह दिन मनाया जाता है।

तो दूसरी और कहा गया है की आधिकारिक मातृ दिवस की छुट्टी 1900 के दशक में एन रीव्स जार्विस की बेटी अन्ना जार्विस के प्रयासों के परिणामस्वरूप हुई। अन्ना जार्विस के मां की 1905 की मृत्यु के बाद, उन्होंने मदर्स डे की कल्पना समस्त माताओं द्वारा अपने बच्चों के लिए किए गए बलिदानों के सम्मान के रूप में की। ग्राफटन वेस्ट वर्जिनिया की एना जॉर्विस द्वारा समस्त माताओं के गौरवमयी मातृत्व को सम्मान देने के लिए मातृ दिवस मनाना आरंभ किया गया था।

मातृ दिवस का उत्सव

यह दिन मां के ऊपर समर्पित होता है। इस दिन को हर वर्ष मई के दूसरे रविवार को मनाए जाने का चलन है। इंटरनेट के जमाने में सोशल मीडिया पर मातृ दिवस की सैकड़ो पोस्ट आपको मिल जायेगी। शहर से लेकर गांव के लोगो को भी मातृ दिवस के विषय में जानकारी है। इस दिन लोग अपने मां को मैसेज लिखकर भेजते है और उनको खास उपहार भी भेंट करते है।

मातृ दिवस पर दिए जाने वाले उपहार

मातृ दिवस पर अपनी भावनाओं को मां तक पहुंचाने के लिए कुछ लोग अपने माँ को उपहार देते है, तो कुछ लोग अपने माँ को बहार खाना खिलाने ले जाते है। कुछ लोग शब्दो के द्वारा बोलकर अपने माँ को अपनी भावनाए व्यक्त करते है। तो वही कुछ लोग माँ को कार्ड दे कर अपनी भावनाए व्यक्त करते है।

सभी का अपने माँ के प्रति प्रेम और सन्मान जताने का अलग तरीका है। कुछ लोग मातृ दिन के दिन अपने माँ की घर के कामो में समय निकाल कर मदद करते है। तरीका चाहे कोई भी क्यों ना हो, जरुरी है की हम अपने माँ का हमेशा सन्मान करे और उन्हें हमेशा खुश रखने का प्रयास करते रहे।

मातृ दिवस को रविवार के दिन मनाए जाने की वजह

इसकी शुरुआत अमेरिकी प्रेसिडेंट वुड्रो विल्सन ने 9 मई 1914 को एक कानून पारित करके की। जिसके अनुसार उन्होंने यह आदेश दिया था की हर वर्ष मई के दूसरे रविवार को मदर डे को मनाया जाएगा। इसके बाद से ही अमेरिका, भारत के अलावा और भी कई देशों ने मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे यानी की मातृ दिवस मनाना शुरू कर दिया।

निष्कर्ष

बच्चो के संपूर्ण विकास के लिए मां का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। मां की इतनी बड़ी भूमिका को देखते हुए हमे अपनी मां को सम्मान देना चाहिए। उनको इस बात का अहसास दिलाना चाहिए कि उनका स्थान पूरी दुनिया में सबसे ऊंचा है। मां के ऋण को हम कभी नही चुका सकते, लेकिन छोटे छोटे प्रयासो से उनको कुछ समय के लिए ही सही, हम खुश जरूर रख सकते है।


इन्हे भी पढ़े :-

तो यह था मातृ दिवस पर निबंध (Mother’s Day Essay In Hindi), आशा करता हूं कि मातृ दिवस पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Mother’s Day) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

Sharing is caring!