ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (Noise Pollution Essay In Hindi)

आज हम ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (Essay On Noise Pollution In Hindi) लिखेंगे। ध्वनि प्रदूषण पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

ध्वनि प्रदूषण पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Noise Pollution In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।

ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (Noise Pollution Essay In Hindi)


प्रस्तावना

इस आधुनिक समय में जहां हम मानसिक और शारीरिक रूप से काफी हद तक परेशान नजर आते हैं, तो वही हमारे इर्द-गिर्द पर्यावरण में ध्वनि प्रदूषण को भी देखा जा सकता है। जो वातावरण को प्रदूषित कर रहा है और कहीं ना कहीं हमारे मानसिक और शारीरिक बीमारियों की जड़ बन रहा है।

ध्वनि प्रदूषण क्या है?

ध्वनि प्रदूषण एक ऐसा प्रदूषण है, जो आज के समय में अपना विकराल रूप धारण कर रहा है। जहां पर हमारे सामाजिक वातावरण को प्रदूषित होते देखा जा सकता है। ध्वनि प्रदूषण हमारे द्वारा ही उत्पन्न किए गए शोर के माध्यम से होता है और हम उसका सही तरीके से आकलन नहीं कर पाते है। 

सीधे शब्दों में कहे तो ध्वनि प्रदूषण किसी भी प्रकार के अनुपयोगी ध्वनियों को कहा जाता हैं, जिससे मानव और जीव-जन्तुओं को परेशानी होती है। उदाहरण के तौर पर हम वाहनों की आवाज को अनुपयोगी ध्वनिया कह सकते है।

ध्वनि की तीव्रता मापने की इकाई

ध्वनि की तीव्रता मापने की इकाई डेसीबल होती है। सामान्य रूप से हम 10 से 14 डेसीबल तक की आवाज सुन सकते हैं। लेकिन अगर वही आवांज 100 से ज्यादा डेसीबल की हो जाती हैं, तो ऐसी स्थिति में बहरेपन के शिकार हम आसानी से हो जाते है।

ध्वनि प्रदूषण के मुख्य स्रोत

ध्वनि प्रदूषण के दो प्रमुख स्त्रोत होते हैं, जो निचे बताये गए है। 

1) प्राकृतिक स्त्रोत

ध्वनि प्रदूषण का यह एक ऐसा स्त्रोत है, जिसके माध्यम से प्राकृतिक रूप से ही ध्वनि प्रदूषण होता है और जो प्रकृति के नियमों के अंतर्गत ही होता है। जिसके अंतर्गत बिजली के चमकने पर होने वाली ध्वनि, ज्वालामुखी विस्फोट, समुद्री लहरों का बनना यह सब ध्वनि प्रदूषण के अंतर्गत ही आते है। 

2) मानवीय स्त्रोत

ध्वनि प्रदूषण का दूसरा मुख्य स्त्रोत मानवीय स्त्रोत होता हैं। जिनकी वजह से ही ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। मानवीय स्त्रोत के अंतर्गत कारखानों से निकलने वाली आवाज, मोटर गाड़ी से निकलने वाली आवाज शामिल है। इसके अलावा भी कुछ ऐसी मनुष्य के द्वारा की गई क्रियाएं होती हैं, जिसके माध्यम से ध्वनि प्रदूषण को बल मिलता है और आसानी से ध्वनि प्रदूषण बढ़ जाता है।

ध्वनि प्रदूषण से होने वाले नुकसान

1) जब ध्वनि प्रदूषण होता है, तो उसके माध्यम से मनुष्य के अंदर कई प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं। जिनमें मुख्य रुप से सिर दर्द, बदन दर्द, बहरापन, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, नींद में गड़बड़ी और तनाव शामिल है।

2) कभी-कभी बढ़ते हुए ध्वनि प्रदूषण की वजह से लोगों में बहरेपन आ जाता है, जिसका खामियाजा लोगो को लंबे समय तक भुगतना पड़ता है।

3) अगर लगातार ध्वनि प्रदूषण होता रहे, तो ऐसी स्थिति में वन्यजीवों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ता है और उन पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।

4) कई बार युवाओं के द्वारा जोर-जोर से म्यूजिक सिस्टम बजाने और शोरगुल करने की वजह से भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है और इसका काफी हद तक नुकसान उन्हें ही होता है। जहा आज युवाओ में ध्वनि प्रदूषण के कारण तनाव से संबंधित बीमारियाँ, वाणी में व्यवधान और उत्पादकता में कमी देखि जाती है।

5) ध्वनि प्रदूषण से ना सिर्फ बूढ़े, जवान लोग और पशु पक्षीयो को नुकसान होता है, बल्कि इससे छोटे बच्चो को भी काफी ज्यादा नुकसान हो जाता है। 

6) ध्वनि प्रदूषण से याददाश्त पर भी बुरा असर होता है। इससे हमारी याददाश्त कमजोर होने का खतरा भी बना रहता है।

ध्वनि प्रदूषण को कम करने के मुख्य उपाय

1) अगर आप ध्वनि प्रदूषण को कम करना चाहते हैं। तो इसके लिए सबसे पहले आपको नियमित रूप से चल रहे ऐसे लाउडस्पीकर को बंद करना होगा, जो आवश्यकता से ज्यादा ध्वनि कर रहे है और लोगों को इसके बारे में आपको समझाना भी होगा।

2) कई बार देखा जाता है कि लोग गाड़ी चलाते समय बेवजह हॉर्न बजाते हैं, ऐसे में हम सबको जिम्मेदारी के साथ ध्वनि प्रदूषण की समस्या को समझते हुए इसे टालना होगा।

3) कुछ कारखाने ऐसे होते हैं जहां पर ऐसी मशीनों का उपयोग किया जाता है, जो बहुत आवाज करती है और इसकी वजह कई बार मशीनों की नियमित जाँच और सही से रखरखाव ना करना होता है। ऐसे में मशीनों की नियमित जाँच करके उनका उपयोग करते हुए ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

4) कारखानों को शहरों से कुछ दूर स्थापित किया जाए, तो शहरों और गांवों को ध्वनि प्रदूषण से बचाकर सुरक्षित रखा जा सकता है।

5) ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए, घर में भी हमें ज्यादा जोर से बातें नहीं करनी चाहिए और नाही हमें म्यूजिक सिस्टम या टेलीविज़न बहुत ज्यादा आवाज में चलाने चाहिए।

भारत में लगातार बढ़ रहा ध्वनि प्रदूषण

जैसे जैसे समय अपनी गति से आगे की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे हमने महसूस किया है कि हमारे चारों ओर ध्वनि प्रदूषण का भी दायरा बढ़ता जा रहा है। पिछले एक दशक में भारत में लगातार ध्वनि प्रदूषण की समस्या बढ़ती ही जा रही है। जिसकी वजह से शारीरिक और मानसिक परेशानियां हमें देखने मिल रही है और कई प्रकार के रोगों से भी हमारा सामना हो रहा है।

भारत में लगातार बढ़ रहे ध्वनि प्रदूषण की वजह से देश में बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं में भी बहरेपन, ब्रेन स्ट्रोक, कानों में दर्द, सिर दर्द जैसी समस्या आम नजर आ रही है। जिसकी वजह से सामान्य जनजीवन काफी हद तक प्रभावित हो रहा है।

ध्वनि प्रदूषण का कारक है पटाखे

जैसा कि हम सभी को पता है कि ध्वनि प्रदूषण का एक बड़ा कारक पटाखे को माना जाता हैं। जैसे ही त्यौहार हमारे सामने होते हैं, वैसे ही हम देखते हैं कि लगातार पटाखे जलाए जाते हैं। जिनकी वजह से ध्वनि प्रदूषण देखा जा सकता है। आज पटाखों के रूप में बड़े-बड़े बम भी हम देखते हैं, जिनसे काफी जोरों की आवाज होती है।

ऐसे पटाखों की आवाज से आसपास का इलाका बिल्कुल दहल जाता है। ऐसी स्थिति में ध्वनि प्रदूषण काफी हद तक परेशान कर देने वाला होता है, क्योंकि उस ध्वनि की वजह से दूसरे लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है और जिस वजह से कई बार लोगो के जीवन में दिक्कतें बढ़ जाती हैं।

ध्वनि प्रदूषण रोकथाम हेतु सरकार की मुहिम

लगातार बढ़ते हुए ध्वनि प्रदूषण को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकार ने भी रोकथाम हेतु कुछ मुहिम की घोषणा की है, जिसके तहत ज्यादा से ज्यादा ध्वनि प्रदूषण को रोका जा सके। इसके तहत रात के समय में तेजी से म्यूजिक बजाने या पटाखे फोड़ने के लिए रात 10:00 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है। ताकि ज्यादा से ज्यादा ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सके और होने वाली परेशानी को भी रोका जा सके।

इसके अलावा भी जगह-जगह लोगों को जागरूक करने हेतु सरकार की मुहिम चलाई जाती है। जिसके तहत किसी भी प्रकार के प्रदूषण से लड़ने के लिए एतियाद बरतने की बात की जाती है और साथ ही साथ इससे होने वाले दुष्परिणामो से भी लोगों को अवगत कराया जाता है, ताकि प्रदूषण के कारणों को कम किया जा सके।

उपसंहार

ऐसे में आज हमने जाना कि ध्वनि प्रदूषण हमारे लिए हानिकारक है, जिसका असर हमारे ऊपर लम्बे समय के लिए होता है। ध्वनि प्रदूषण को कम करना हमारे लिए बहुत ही आवश्यक हो गया है, ताकि आने वाली पीढ़ी को भी इस प्रदूषण से बचाया जा सके और भविष्य को सुरक्षित रखा जा सके।


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तो यह था ध्वनि प्रदूषण पर निबंध, आशा करता हूं कि ध्वनि प्रदूषण पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Noise Pollution) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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