आज हम ओणम त्यौहार पर निबंध (Essay On Onam Festival In Hindi) लिखेंगे। ओणम त्यौहार पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।
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ओणम त्यौहार पर निबंध (Onam Festival Essay In Hindi)
प्रस्तावना
हमारे भारत की संस्कृति में कई सारे मुख्य त्योहारों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है, जो कहीं ना कहीं भारतीय संस्कृति की धरोहर से जुड़े हुए हैं। त्योहारों के माध्यम से हमारी परंपरा, शालीनता और व्यवहार के बारे में भी पता चलता है, जो देश और विदेश में हमारे देश की ख्याति का मुख्य कारण बनते हैं। भारत देश में चले आ रहे मुख्य त्योहारों में ओणम भी एक प्रमुख त्यौहार माना जाता है, जो दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला त्यौहार है।
ओणम क्या है?
ओणम मुख्य रूप से केरल का त्यौहार है, जिसे दक्षिण भारतीय लोग बहुत उत्साह के साथ मनाते है। यह केरल में रहने वाले हर समुदाय के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला रंग बिरंगा त्यौहार है। जो श्रवणम नाम के संस्कृत शब्द से मिलकर बना है। इस दिन मुख्य रूप से विष्णु भगवान की पूजा की जाती है और साथ ही साथ बड़े धूमधाम से त्यौहार को लोगों के बीच में मना कर खुशियां मनाई जाती हैं।
पुराणों में ओणम का मुख्य महत्व
जब भी पुराणों से ओणम के बारे में जानकारी ली जाती है, तो यही माना जाता है कि इस त्यौहार को राजा महाबली की याद में मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार जब भगवान विष्णु के वामन अवतार ने राजा महाबली को पाताल में भेजा था, उस समय राजा महाबली के उदारता के वजह से इस त्यौहार मनाने की शुरुआत की गई। ऐसे में पुराणों में हमेशा ओणम का विशेष महत्व समझा जाता है।
ओणम का विशेष महत्व
ओणम एक ऐसा त्यौहार है, जिसका विशेष महत्व माना जाता है। यह त्यौहार मुख्य रूप से सितंबर के महीने में आता है, जब फसलों की कटाई का समय होता है। इस समय को खुशियां मनाई जाती है और विशेष तरीके से तैयार हुआ जाता है।
सामान्य रूप से देखा जाता है कि इस दिन औरतें इस दिन को विशेष महत्व देते हुए सफेद साड़ी पहनती हैं, अलग-अलग पकवान बनाती है और घर की शोभा बढ़ाती हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर ओणम का विशेष महत्व समझा जाए, तो वह सुख समृद्धि की भावना से जुडा है। जो ओणम का त्योहार मनाने का एक सही तरीका है।
ओणम के त्यौहार को मनाने का तरीका
ओणम के त्यौहार को मनाने का कुछ विशेष तरीका है, जिसके मद्देनजर घर में रोशनी की जाती है और साथ ही साथ लोगों का अपने घर में स्वागत किया जाता है। ओणम के त्यौहार को मनाने का कुछ विशेष तरीका देखा जाता है, जिसके अंतर्गत इस त्यौहार को 10 दिनों तक मनाया जाता है और पूरे 10 दिनों तक घरों में खुशियां बांटी जाती हैं।
ओणम के शुरुआती दिनों में ऐसा माना जाता है कि राजा बलि अपनी प्रजा के साथ खुशियां बांटने पाताल लोक में आते हैं। ऐसे में बढ़-चढ़कर लोग नृत्य में हिस्सा लेते हैं और अपने घर को सजाते सवारते हैं, ताकि राजा बलि उनके घर में भी आकर खुशियां बांट सकें।
इसके बाद आगे आने वाले 2 दिन घर को फूलों से सजाया जाता है और विभिन्न प्रकार के कालीन तैयार किए जाते हैं, जिसे चिथिरा कहा जाता है। इसके बाद वाले दिन को विशाकम कहा जाता है और इस दिन विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं होती हैं। इन प्रतियोगिताओं में केरल के लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है और निश्चित रूप से ही भगवान को खुश करने के लिए कई कोशिशें करते हैं।
इसके बाद आने वाले दिन में नौका दौड़ होती है, जिसे “अनिजहम” कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से नौका दौड़ की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इसके बाद वाले दिन में विशेष प्रकार की पूजा की जाती है, जिसे “मालूम” कहते हैं।
जहां पर भगवान विष्णु और राजा बलि की मूर्ति को स्थापित करके उनकी पूजा की जाती है और पूजा किए जाने वाले इस दिन को “पूरादम” कहते हैं।
ओणम में पारंपरिक वेशभूषा
ओणम के दिन महिलाएं सफेद साड़ी पहनती हैं और खुद को बहुत अच्छे से तैयार रखती हैं। इस दिन महिलाएं हमेशा सफेद फूलों के गजरे लगाती हैं और पुरुष पारंपरिक रूप से धोती कुर्ता पहनते हैं। इसी के साथ पुरुष चंदन का टीका भी लगाते हैं। इस दिन सभी मंदिरो में विशेष प्रकार की पूजा अर्चना की जाती है और पारंपरिक वेशभूषा के साथ नृत्य का आयोजन किया जाता है।
ओणम त्योहार के विशेष पकवान
दक्षिण भारत में जब भी किसी त्योहार को मनाया जाता है, तो विशेष प्रकार का पकवान इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें मुख्य रुप से 26 पकवानों को परोसा जाता है। जिनमे सब्जियां, केले के चिप्स, केले की मिठाई, अचार शामिल होते हैं। इन सभी पकवानों को निश्चित रूप से ही केले के पत्तों पर खिलाया जाता है, ताकि पूर्वजों का भी आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
पूरे देश में मनाए जाने की प्रथा
जैसे-जैसे लोगों की सोच का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे उनके अंदर चल रही भावनाओं को अभिव्यक्त करने का जरिया आसानी से खोजा जा रहा है। जहां यह त्यौहार केरल का मुख्य त्यौहार है, वही अब इसे पूरे देश में मनाए जाने की कवायद शुरू की जा रही है। ताकि इस त्यौहार की गहराई को समझाते हुए युवा वर्ग के बीच में भी जागृति पैदा की जा सके।
उपसंहार
इस प्रकार से हमने जाना कि ओणम का त्योहार पारंपरिक त्योहार के रूप में जाना जाता है। जो 10 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है। जिसके माध्यम से लोग एक दूसरे के साथ मिलकर एकता और भाईचारे के साथ रहते हैं और एक दूसरे का विश्वास बनाए रखते हैं। इसके अलावा ओणम का त्योहार मन में संयम, धैर्य और प्यार की भावना को भी जागृत करता है, ताकि लोगों के बीच में प्यार, विश्वास बना रहे और इस त्योहार को सभी हंसी खुशी से मना सकें।
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तो यह था ओणम त्यौहार पर निबंध, आशा करता हूं कि ओणम त्यौहार पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Onam Festival) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।