सरोजिनी नायडू पर निबंध (Sarojini Naidu Essay In Hindi)

आज हम सरोजिनी नायडू पर निबंध (Essay On Sarojini Naidu In Hindi) लिखेंगे। सरोजिनी नायडू पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

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सरोजिनी नायडू पर निबंध (Sarojini Naidu Essay In Hindi)


प्रस्तावना

सरोजिनी नायडू का नाम भारत के इतिहास में बड़ी ही शिद्दत से लिया जाता है। इन्होंने साहित्य और काव्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस वीरांगना ने स्वतंत्रता संग्राम के लिए हर नागरिक के अंदर अपने भाषण और कविताओं के जरिए देशभक्ति की भावना कूट-कूट के भर दी। सरोजिनी जी का पूरा नाम सरोजिनी गोविंद नायडू था।

सरोजिनी की पारिवारिक पृष्ठभूमि

सरोजिनी जी का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद के बंगाली परिवार हुआ था। इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय पेशे से वैज्ञानिक और डॉक्टर थे। इनकी मां वरद सुंदरी देवी एक लेखिका होने के नाते बंगाली में कविताएं लिखा करती थी।

सरोजिनी की शिक्षा और विवाहिक जीवन

सरोजिनी ने 12 वर्ष की छोटी सी उम्र में मैट्रिक की पढ़ाई पूरी कर ली थी। मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में इन्होंने प्रथम स्थान अर्जित किया। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए इन्हें इंग्लैंड जाना पड़ा। सबसे पहले इन्होंने लंदन के किंग्स कॉलेज से पढ़ाई की।

कॉलेज की पढ़ाई के दौरान इनकी मुलाकात डॉ. गोविंद राजुलु नायडू से हुई थी। कॉलेज के दौरान वे एक दूसरे को बहुत अच्छे से जानने लगे थे। इन्होंने 19 की उम्र में अपनी पढ़ाई पूरी कर की थी।

पढ़ाई के बाद सरोजिनी ने अपनी पसंद के मुताबिक 1897 में इंटर कास्ट विवाह कर लिया था। उस जमाने में लोग इंटर कास्ट विवाह के सख्त खिलाफ थे। इसके बावजूद उन्होंने किसी कि चिंता करे बगैर विवाह कर लिया। हालांकि उनके पिता ने अपनी बेटी के रिश्ते को मंजूर कर लिया। वहीं इनका वैवाहिक जीवन सुखद रहा। इनके 4 बच्चे भी हुए।

सरोजिनी नायडू के भाई बहन

सरोजिनी के 8 भाई बहन थे। उनमें से सरोजिनी नायडू सबसे बड़ी थी। इनके बड़े भाई एक क्रांतिकारी के रूप में जाने जाते थे, जिन्होंने बर्लिन कमेटी बनाने में मूल योगदान दिया था। उन्हें 1937 में एक अंग्रेज ने मार डाला था। सरोजिनी के एक और भाई हरिद्रनाथ कवि होने के साथ साथ एक अभिनेता भी थे।

प्रतिभावान छात्रा

सरोजिनी जी बचपन से हीं बहुत होशियार और प्रतिभावान छात्रा थी। उन्हें कई भाषाओं का अच्छा ज्ञान था। भाषाओं में उन्हें उर्दू, तेलगु, अंग्रेजी, बंगाली की अच्छी खासी जानकारी थी। लंदन की सभा में उन्होंने अंग्रेजी में बोलकर सभी को आश्चर्य में डाल दिया था।

आजादी की लड़ाई में सक्रियता

आजादी की लड़ाई में इन्होंने रवीन्द्रनाथ टैगोर, गोपाल कृष्ण गोखले और महात्मा गांधी से मुलाकात की। राष्ट्र पिता महात्मा गांधी को मिलने के बाद देश के प्रति इनकी विचारधारा में काफी परिवर्तन हुआ। यही वजह है कि इन्होंने सविनय अवज्ञा आन्दोलन और भारत छोड़ो जैसे क्रांतिकारी आंदोलनों में अहम भूमिका निभाई।

1925 में जब कानपुर का अधिवेशन हुआ, तो उस दौरान सरोजिनी नायडू कांग्रेस की अध्यक्षता करने वाली पहली भारतीय महिला थी। उत्तर प्रदेश की पहली राज्यपाल सरोजिनी नायडू ही थी।

कविताओं के जरिए देशभक्ति की भावना लोगो में जगाई

भारत की कोकिला के नाम से जानी जाने वाली सरोजिनी नायडू ने आजादी की लड़ाई के दौरान अपने कविताओं और भाषण के जरिए लोगों को जागृत करने का सार्थक प्रयास किया। सरोजिनी नायडू का नाम आज इतिहास के पन्नों में दर्ज है। इनके जन्मदिन को महिला दिवस के तौर पर बड़े ही उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है।

सरोजिनी द्वारा लिखित पहली कविता संग्रह

इनकी पहली कविता संग्रह ‘द थ्रेशहोल्ड’ 1905 में प्रकाशित की गई, जोकि आज भी लोग बड़े उत्साह से पढ़ते है।

साहित्य के क्षेत्र में सरोजिनी का योगदान

सरोजिनी नायडू की छवि एक महान कवियित्री के रुप में थी। सरोजिनी जी ने साहित्य के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। सरोजिनी जी को बचपन से ही कविता लिखने का शौक था। कवित्री होने के अलावा सरोजिनी जी एक कुशल गायिका भी थी।

सरोजिनी नायडू एक महान व्यक्तिव की कवित्री के रूप जानी जाती है। इनके पहले कविता संग्रह को लोगो ने काफी सराहा और इनके के द्वारा लिखे गए काव्य को पसंद किया। जिनमें ‘द बर्ड ऑफ टाइम’ (1912), द फायर ऑफ लंदन’ (1912) और ‘द ब्रोकेन विंग’ (1917) काव्य रचना काफी लोकप्रिय हुए थे।

इनके द्वारा लिखी गई बहुत सी कविताएं और गीतों के कारण सरोजिनी जी को भारत की कोकिला की उपाधि से नवाजा गया। इनकी कविताओं में भारतीय संस्कृति की अद्भुत झलक देखने को मिलती है। इनके कविताओं में भारत की प्राकृतिक सुंदरता के अलावा, सामाजिक मुद्दों को भी बेहद खूबसूरती से काव्य रचना में प्रस्तुत किया है।

सरोजिनी नायडू की मृत्यु

सरोजिनी नायडू की मृत्यु लखनऊ में अपने ही कार्यालय में 2 मार्च को 1949 में दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई थी। इस दौरान उनकी आयु 70 वर्ष थी। सरोजिनी नायडू को खो देने से देश को बहुत बड़ी क्षति हुई थी।

निष्कर्ष

सरोजिनी नायडू ना केवल एक भारतीय आदर्श महिला थी, बल्कि सच्ची देशभक्त भी थी। भारत के गौरव को बढ़ाने के लिए इन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय समर्पित कर दिया था। भारत में जहां भारतीय महिलाए पिछड़ेपन का शिकार थी, ऐसे में सरोजिनी नायडू की उपलब्धियों को देखते हुए भारत की महिलाएं सरोजिनी नायडू से प्रेरित हुई।


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तो यह था सरोजिनी नायडू पर निबंध (Sarojini Naidu Essay In Hindi), आशा करता हूं कि सरोजिनी नायडू पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Sarojini Naidu) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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