पानी बचाओ पर निबंध (Save Water Essay In Hindi)

आज के इस लेख में हम पानी बचाओ पर निबंध (Essay On Save Water In Hindi) लिखेंगे। पानी का सदुपयोग पर लिखा यह निबंध बच्चो और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

पानी बचाओ पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Save Water In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


पानी बचाओ पर निबंध (Save Water Essay In Hindi)


प्रस्तावना

प्रकृति ने हमे वह सब चीज दी है जिनकी हमें आवश्यकता है। भोजन के लिए फल, अनाज, हरी भरी सब्जियां, हर तरह के फल फूल, पीने के लिए जल, नदी, तालाब, कुँआ, दिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अपनी प्यास बुझा सके। इन सभी चीज़ो का प्रयोग हम हमारे दैनिक दिनचर्या में करते है।

प्रकृति ने हमे बो सब दिया जिसके आवश्यकता की पूर्ति बहुत आसानी से हो सके। यही प्रकृति का सबसे आसान और सरल कार्य है। प्रकृति के वजह से पीने के जल की व्यवस्था भी बहुत आसानी से हो जाती है। सही में प्रकृति के कारण हमारा जीवन बहुत ही आसान है और इन सब मे जीवन के लिए सबसे जरूरी है पानी।

पानी के बिना कही कार्य करने की हम कल्पना भी नहीं कर सकते है। पानी हमारे दिनचर्या का महवपूर्ण साधन है, इसके बिना जीवन सम्भव ही नही है।

जलवायु

भारतवर्ष का जलवायु मोसम के द्वारा परिवर्तित होता रहता है और यह जल तीन अवस्था मे रहता है। जिसमे से पहली है ठोस अवस्था, दूसरी अवस्था है द्रव अवस्था और तीसरी अवस्था है गैस अवस्था।

ठोस जल

जो बर्फ ठंडे इलाको में गिरती है, उस बर्फ को ठोस अवस्था मे ठोस जल कहते है।

द्रव जल

जो जल द्रव व तरल अवस्था मे रहता है, जिसका प्रयोग हम सभी करते है उस जल को द्रव जल अवस्था कहते है।

गैस जल

जब पृथ्वी ग्रीष्म ऋतु में तपती है बहुत अधिक गर्मी पड़ती है, तो जल के भाप से ऊपर बादल बन जाता है। और वह बादल मानसून आने पर बारिस के रूप में बरस जाता है। ये वही गैस होती हैं, जो गर्मी में भाप के रूप में बादल बन जाता है और इसे ही गैस जल कहते है।

यह जल नदी, तलाबों, धरती, कुए, नहर और समुद्र में जाता है और कुएं, हैंडपंप आदि के द्वारा बहार निकाला जाता है। जो हमारी प्यास बुझाने के साथ ही हमारे दिनचर्या में बहुत काम आता है।

जल का अभाव

जल की बड़ती हुई माँग, अति उपयोग तथा प्रदूषण के कारण घटती आपूर्ति के आधार पर जल का मिलना सबसे बड़ी चुनोती बन चुका है। जल एक चक्रीय संसाधन है जो पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।

पृथ्वी का लगभग 71 प्रतिशत धरातल पानी से आच्छादित है। परंतु उपयोग में आने में आने वाला अलवणीय जल केवल लगभग 3 प्रतिशत ही है। वास्तव में अलवणीय जल का एक बहुत छोटा भाग ही मानव उपयोग के लिए उपलब्ध है।

अलवणीय जल की उपलब्धता स्थान और समय के अनुसार भिन्न-भिन्न है। इस दुर्लभ संसाधन के आवंटन और नियंत्रण पर तनाव और लड़ाई-झगड़े,सम्प्रदायों, प्रदेशो और राज्यो के बिच विवाद का विषय बन गया है। विकास को सुनिश्चित करने के लिए जल का मूल्यांकन, कार्यक्षम उपयोग और सरंक्षण आवश्यक हो गया है।

भारत के जल संसाधन

भारत में विश्व के धरातलीय क्षेत्र का लगभग 2.45 प्रतिशत जल संसाधनों का 4 प्रतिशत, जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत भाग पाया जाता है। देश मे एक वर्ष में वर्णन से प्राप्त कुल जल की मात्रा लगभग 4,000 घन की.मि.है।

धरातलीय जल और पुनः पूर्तियोग भोम जल से 1,869 घन की.मि जल उपलब्ध है। इनमें से केवल 60 प्रतिशत जल का लाभदायक उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार देश में कुल उपयोगी जल संसाधन 1,122 घन कि.मि है।

धरातलीय (पृथ्वी) जल संसाधन

धरती के जल के चार मुख्य स्त्रोत है। जो की कुछ इस प्रकार है :-

(१) नदिया

(२) झीले

(३) तलैया

(४) तलाब

देश मे कुल नदियों तथा उन सहायक नदिया जिनकी लम्बाई 1.6 की.मि. से अधिक है उनको मिलाकर 10,360 नदियां है। भारत मे सभी नदी, बेसिनों में औसत वार्षिक प्रवाह 1,869 घन की.मि होने का अनुमान किया गया है।

फिर भी स्थलाकृतिक, जलीय और अन्य दबावों के कारण प्राप्त धरातलीय जल का केवल लगभग 690 घन की.मि (32%) ही उपयोग किया जा सकता है। नदी में जल प्रवाह इसके जल ग्रहण क्षेत्र के आकार अथवा नदी, बेसिन और इस जल ग्रहण क्षेत्र में हुई वर्षा पर निर्भर करता है।

भारत मे कुछ नदिया जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु के जल ग्रहण क्षेत्र बहुत बड़े है। गंगा, ब्रह्मपुत्र और बराक नदियोँ के जलग्रहण क्षेत्र में वर्षा अपेक्षाकृत अधिक होती है। ये नदिया यधपि देश के कुल क्षेत्र के लगभग एक तिहाई भाग पर पाई जाती है।

जिनमे कुल धरातलीय जल संसाधनों का 60 प्रतिशत जल पाया जाता है। दक्षिण भारतीय नदिया जैसे गोदावरी, कृष्णा और कावेरी में वार्षिक जल प्रवाह का अधिकतर भाग काम मे लाया जाता है। लेकिन ऐसा ब्रह्मपुत्र और गंगा बेसिनों में अभी भी सम्भव नही हो सका है।

जल की मांग और इसके उपयोग

पारंपरिक रूप से भारत एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है और इसकी जनसंख्या का लगभग दो -तिहाई भाग कृषि पर निर्भर है। इसलिए पंचवर्षीय योजनाओं में कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए सिचाई के विकास को एक अति उच्च प्राथमिकता प्रदान की गई है।

बहू उद्देश्य नदी घाटी परियोजनाए जैसे भाखड़ा नांगल, हीराकुंड, दामोदर घाटी, नागार्जुन सागर, इंदिरा गांधी नहर परियोजना आदि शुरू की गयी है। वास्तव में भारत के वर्तमान में जल की मांग, सिचाई की आवश्यकता के लिए अधिक है।

धरातलीय जल जो सबसे अधिक उपयोग कृषि में होता है। इसमें धरातलीय जल का 89% और भोम जल का 92% उपयोग किया जाता है। जबकि ओधोगिक क्षेत्र में भूमि जल का केवल 2% और भोम जल का 5% भाग ही उपयोग में लाया जाता है।

घरेलू उपयोग में धरातलीय जल का उपयोग भौम जल की तुलना में अधिक होता है। फिर भी भविष्य में विकास के साथ-साथ देश मे ओधोगिक और घरेलू उपयोग में जल का स्तर बढ़ने की संभावना अधिक है।

जल के गुणों का हास

जल को हम तभी बचा कर रख सहते है जब हम इसके गुणों को बरकरार रख सके। जल की गुणवत्ता से तात्पर्य जल की शुद्धता अथवा अनावश्यक बाहरी पदार्थो से रहित जल से है। जल ब्रह्मा पदार्थो जैसे सूक्ष्म जीवों, रासायनिक पदार्थों, ओधोगिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थो से प्रदूषित होता है।

इस प्रकार के पदार्थ जल के गुणों में कमी लाते है और इसे मानव उपयोग के योग्य नही रहने देते। जब विषैले पदार्थ झीलों, सरिताओं, नदियो, समुद्रों और अन्य जलाशयों में प्रवेश करते है तो वे जल में घुल जाते है अथवा जल में निलंबित हो जाते है। इससे जल प्रदूषण बढ़ता है और जल के गुणों में कमी आने में जलिये तंत्र प्रभवित होते है।

जल सरक्षण और प्रबंधन

हमारे देश भारत को यदि जल की बचत करना है, तो सबसे पहले इसके संरक्षण के बारे में सोचना होंगा। इसके लिए प्रभावशाली नीतियां और कानून बनाने होंगे। जल सरक्षण के लिए प्रभावशाली उपाये अपनाने होंगे।

जल की बचत, तकनीकी और बिधियों के विकास के अतिरिक्त, प्रदूषण से बचाव के पर्यास भी करने होंगे। जल-संभर विकास, वर्षा जल संग्रहन, जल के पुनः चक्रण और पुनः उपयोग और लम्बे समय तक जल की आपूर्ति के लिए जल के सयुंक्त उपयोग को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

पानी जीवन का आधार है और ये बात हम सब जानते ही है। इसका संरक्षण यानी कि बचत करना अतिआवश्यक है। पानी की उपलब्धता घट रही है और महामारी बड़ रही है। इसलिए जल के संकट का समाधान आज की जरूरत है।

इसकी बचत करना प्रत्येक मनुष्य के लिए आवश्यक है और यही हमारी हमारे राष्ट के लिए, देश के लिए जिम्मेदारी है। पानी के स्रोतों को सुरक्षित रखकर हम पानी की बचत कर सकते है। इसके लिए हमे हमारी भोगवादी प्रवर्ति पर अंकुश लगाना होंगा और जहां तक सम्भव हो सके पानी को बचाना होंगा।

पानी के बचत के कुछ उपाए

(1) पानी को अधिकता से ज्यादा प्रयोग करने पर अंकुश लगाना होंगा।

(2) खाना बनाने में लगने वाले पानी का कम से कम उपयोग करना होगा।

(3) वेबजह सब्जियों को ज्यादा धोने आदि में पानी की बर्बादी पर रोक लगानी होगी।

(4) गाड़ी आदि को हफ्ते में एक बार ही धोए, या हो सके तो केवल महीने में एक बार ही धोए।

(5) नहाने आदि में बाल्टी का प्रयोग करे सावर आदि का प्रयोग करके पानी का नुकसान ना करे।

(6) जितना पानी पीना हो उतना ही प्रयोग करे।

(7) अलग-अलग कपड़े धोने के जगह सभी के कपड़े साथ मे ही धोए, ताकि पानी कम खर्च हो।

(8) पानी है तो कल है, इसका सदैव ध्यान रखे।

(9) कूलर आदि में भी पानी का कम ही प्रयोग करे।

(10) वेवजह पानी का प्रयोग फालतू बहाने में ना करे।

इस प्रकार पानी है तो कल है। वरना हम इंसानो का पानी के बिना जीना मुश्किल हो जायेगा, इसलिए छोटी छोटी सावधानियां बरते और पानी बचाये। जल बचाव के लिए भारत सरकार ने कई परियोजना बनाई है।जिसका नाम है भूजल बचाओ।

भूजल बचाओ

सरकार द्वारा देश भर में भूजल के बारे में अधिक जानकारी जुटाने और उसे बचाने के लिए नेशनल एक्वीफर मैनेजमेंट परियोजना चलाई जा रही है। यब हेलिबोनर जियोफिजिकल सर्वे सिस्टम पर आधारित है। इस तकनीकी वाला भारत सातवां देश है।

पहले चरण में आंध्रप्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना शामिल है। यहां भूजल की स्थिति काफी खराब है। बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु के छह स्थानों में मैपिंग हो चुकी है। 2017-2022 के बीच इसके तहत 14 लाख वर्ग किमी क्षेत्रफल में मैपिंग किये जाने का लक्ष्य है।

उपसंहार

हमे हमारे जीवन के निर्वाह के लिए पानी आवश्यक है। एक बार हम खाना खाएं बिना 2 से 3 दिन तक रह सकते है, परंतु पानी बिना हम जीवित भी नही रह सहते। जल है तो कल है और जीवन मे जरूरी केवल जल है।

इस बात का हमे हमेशा ध्यान रखना होंगा नहीँ तो जिस तरह हमे सोना खरीदने में पैसा अधिक देना पड़ता है, उसी तरह पानी की कीमत हो जाएंगी और उसमें भी वो लोग मारे जाएंगे जो पानी को उपलब्ध नहीं करा पाएंगे।

इसलिए उसका सरंक्षण और पानी की बचत ही एक मात्र उपाय है। इसलिए पानी बचाये और भविष्य में आने वाली परेशानियों का निपटारा करने के लिए तैयार रहे। वरना हमने अगर ऐसा नहीं करा तो प्रकृति भी हमे पानी देने से मना कर देगी। इसलिए पानी बचाये और अपने और अपनो का जीवन भी बचाये। जल है तो कल है…..वरना आप सब को तो पता ही है?


इन्हे भी पढ़े :- 

तो यह था पानी बचाओ पर निबंध, आशा करता हूं कि पानी बचाओ पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Save Water) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

Sharing is caring!