शिष्टाचार पर निबंध (Good Manners Essay In Hindi)

आज हम शिष्टाचार पर निबंध (Essay On Good Manners In Hindi) लिखेंगे। शिष्टाचार पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

शिष्टाचार पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Shishtachar In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


शिष्टाचार पर निबंध (Good Manners Essay In Hindi)


प्रस्तावना

शिष्टाचार का गुण सभी गुणों में सबसे ऊपर गिना जाता है। हर व्यक्ति को शिष्टाचार का अर्थ मालूम होना चाहिए। लेकिन केवल अर्थ जान लेने से कुछ नहीं होता, हमें अपने जीवन में भी शिष्टाचार अपनाना चाहिए।

हमे एक शिष्ट आचरण वाला व्यक्ति बनना चाहिए। शिष्ट या सभ्य पुरुषों का आचरण ही शिष्टाचार कहलाता है। कई लोग समझते हैं कि सम्मान करना ही शिष्टाचार होता है। लेकिन यह सत्य नहीं है।

शिष्टाचार का अर्थ सम्मान से कहीं अधिक होता है। दूसरों के प्रति अच्छा व्यवहार रखना, घर पर आने वाले लोग तथा घर पर रहने वाले लोगों से अच्छा व्यवहार रखना, तथा उनका सम्मान करना, बिना स्वार्थ के भाव से एक दूसरे का आदर करना ही शिष्टाचार कहलाता है।

शिष्टाचार से व्यक्ति का जीवन महान बनता है। शिष्टाचार में ध्यान देने योग्य बात तो यह है कि शिष्टाचार से केवल जीवन ही नहीं बल्कि व्यक्ति भी महान बनता है। शिष्टाचार के माध्यम से ही हम तमस से ज्योति की ओर जाते हैं।

हम अपने दुखों से सुख की ओर जाते हैं। हम घृणा से प्रेम की ओर जाते हैं और हम नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर जाते हैं। शिष्टाचार का बीज बच्चों में बचपन से बोना चाहिए, ताकि जब वह बड़े हो तो एक आदर्श व्यक्ति का हृदय लेकर बड़े हो।

बच्चे के विकास के साथ-साथ शिष्टाचार का क्षेत्र भी बढ़ता चला जाता है और इसलिए जब वह बड़ा होकर देश का नागरिक बनता है, तो देश के लिए बहुत फलदाई साबित होता है।

शिष्टाचार वाले व्यक्ति शिष्टाचार के भाव से अपने शत्रुओं को भी मित्र बना लेते हैं। वहीं दूसरी ओर इसके विपरीत अशिष्ट आचरण वाले व्यक्ति अपने कार्य से अपने मित्रों को भी अपना शत्रु बना लेते हैं। जो लोग शिष्टाचार जानते हैं, वह हमेशा उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होते चले जाते हैं। वही जो लोग शिष्टाचार का पालन नहीं करते वह अपनी दुर्गति का मार्ग चुनते हैं।

बच्चों में शिष्टाचार

अगर हम चाहते हैं कि हम एक शिष्टाचार वाले समाज के बीच रहे, तो इसकी शुरुआत हमें बच्चों से ही करनी चाहिए। बच्चों के पहले गुरु उनके माता-पिता ही होते हैं। इसलिए शिष्टाचार सिखाने की सबसे पहली शुरुआत माता-पिता को करनी चाहिए।

बच्चों में शिष्टाचार का बीज बचपन से ही बोया जाता है। तब जाकर बड़े होकर वह एक शिष्ट व्यक्ति बनते हैं। हमें बच्चों के आचरण को पवित्र बनाने की कोशिश करनी चाहिए। माता पिता के बाद दूसरा स्थान आता है अध्यापकों व गुरुओं का, गुरु को अपने शिष्यों को शिष्टाचार की कला सिखानी चाहिए।

विद्यालय में बच्चों को शिष्टाचार का महत्व सिखाना चाहिए। बच्चे अपना ज्यादातर समय विद्यालय में बिताते हैं। इसलिए शिष्टाचार की शुरुआत विद्यालय में करनी चाहिए। विद्यालय में यह सिखाना चाहिए कि बड़ों का और अपने अध्यापकों का आदर किस प्रकार किया जाता है।

निस्वार्थ भाव से हमें बड़ों का आदर करना सिखाना चाहिए और कभी भी अशिष्ट भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। विद्यालय में हमसे छोटे बच्चे भी पढ़ते हैं। इसलिए हमें उनके लिए एक उदाहरण बनना चाहिए और कभी भी छोटे बच्चों के सामने आशिष्टता का व्यवहार नहीं करना चाहिए।

शिष्टाचार का महत्व

शिष्टाचार हमारे दैनिक जीवन में काफी महत्व रखता है यदि हमारे जीवन में शिष्टाचार ना हो, तो हमारा जीवन का कोई मोल नहीं होता। अच्छा शिष्टाचार ही हमें एक अलग पहचान दिलाता है। अच्छे तरीके से दोस्तों या किसी भी रिश्तेदारों के साथ बातचीत करना हमारे शिष्टाचार को दर्शाता है और साथ ही एक सार्वजनिक मंच पर अपनी छाप छोड़ जाता है।

यह हमे दिनभर सकारात्मक रहने में काफी सहायता करता है। इसी वजह से माता-पिता को अपने बच्चों को उनकी आदतों में अच्छे शिष्टाचार को शामिल करना चाहिए। अच्छा शिष्टाचार हमेशा लोगों के साथ एक नई बातचीत का अवसर देता है, उनके साथ जान पहचान व ताल्लुक बनाने में सहायता करता है।

जीवन के अंतिम सफलता में शिष्टाचार काफी महत्व रखता है। यदि कोई आप से बुरी तरह से बात करता है, तो फिर आप उससे उसी तरह से कभी भी बात ना करें। उसे बदलने का मौका देने के लिए आप हमेशा सकारात्मक तौर पर अच्छे शिष्टाचार के साथ बात करें, ताकि वह भी अपने आप में कुछ बदलाव कर सके।

आज बदलते दौर के साथ लोग भी बदलते जा रहे हैं। लोग एक दूसरों के प्रति क्रूर व्यवहार रखने लगे हैं, दूसरों के सम्मान का उल्लंघन करना आज बहुत ही आम बात हो गई है। सार्वजनिक पुस्तकालय, साइबर कैफे, खाद दुकान आदि में रोली और अपमानजनक व्यवहार करना लोगों के लिए काफी आम बात हो गई है।

आज लोग काफी खुदगर्ज और मतलबी होने लग गए हैं। लेकिन एक अच्छा शिष्टाचार कभी भी इन लोगों को ऐसा बनने की नसीहत बिल्कुल नहीं देता। लोगों को दूसरों की असुविधा का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।

बुजुर्गों, महिलाओं, बीमार और विकलांगों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए और बस या ट्रेन में यात्रा करते समय ऐसे लोगों को सीट का दान करना चाहिए। बूढ़े व्यक्ति को सड़क पार करने में मदद करनी चाहिए। किसी भी विकलांग व्यक्ति के साथ गलत व्यवहार नहीं करनी चाहिए।

छींकने के दौरान हमेशा मुंह को रुमाल से झकना जरूरी है। लोगों के साथ अच्छा और विनम्र व्यवहार रखना चाहिए, क्योंकि अच्छा व्यवहार ही आपके मूल्यों को बढ़ाता है और आपको एक अनमोल इंसान बनाता है। अच्छा शिष्टाचार आपको समाज में एक अच्छा इंसान बनने में मदद करता है।

निष्कर्ष

अच्छा शिष्टाचार ही समाज में एक अच्छा व्यक्ति बनने में मदद करता है। यह निश्चित रूप से हमें लोकप्रियता और जीवन सफल बनाने में काफी मदद करता है। किसी को भी दुर्व्यवहार करने वाला व्यक्ति पसंद नहीं होता।

लोगों के साथ विनम्रता से बातचीत करना, उनके साथ एक अच्छा रिश्ता बनाना ही एक अच्छे व्यक्ति की पहचान होती है और एक अच्छा व्यक्ति केवल अच्छे शिष्टाचार के बदौलत ही बन सकता है।

अच्छा शिष्टाचार समाज में रहने वाले लोगों के लिए एक दवा के रूप में कार्य करता है। विनम्र और कोमल स्वभाव वाले लोग हमेशा बड़ी संख्या में लोकप्रिय और सम्मानित होते हैं। जाहिर है ऐसे लोग दूसरों पर आकर्षित और चुंबकीय प्रभाव डालते हैं। इसी प्रकार हमें अपने जीवन में हमेशा अच्छा एवं विनम्र स्वभाव रखना चाहिए, ताकि लोग आपको पसंद करें।


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तो यह था शिष्टाचार पर निबंध, आशा करता हूं कि शिष्टाचार पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Good Manners) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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