वॉलीबॉल पर निबंध (Volleyball Essay In Hindi)

आज हम वॉलीबॉल पर निबंध (Essay On Volleyball In Hindi) लिखेंगे। वॉलीबॉल पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

वॉलीबॉल पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Volleyball In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


वॉलीबॉल पर निबंध (My Favourite Game Volleyball Essay In Hindi)


प्रस्तावना

खेल खेलना किसे पसंद नहीं होता। हम बचपन से लेकर बड़े होने तक कोई ना कोई खेल जरूर खेलते है। ये खेल हम स्कूल से लेकर कॉलेज तक खेलते है। इन्ही खेलो में से एक खेल वॉलीबॉल है, जो कई लोगो का प्रिय खेल है।

वॉलीबॉल खेल को उन्नीसवीं शताब्दी का अमेरिकन खेल माना जाता है। परंतु ये भी सत्य है कि खेल चाहे कहि के भी हो, खेल खेलने में जो मज़ा है वो किसी ओर काम मे तो हो ही नहीं सकता। उसी प्रकार वॉलीबॉल खेल की बात ही अलग है। इसे खेलने से शारीरिक और मानसिक दोनों ही प्रकार की तंदुरुस्ती प्राप्त होती है।

वॉलीबॉल खेल को कैसे खेलते है?

हर तरह का खेल चाहे वो क्रिकेट हो, फूटबॉल हो या कब्बडी या फिर खो – खो, सभी प्रकार के खेल में नियम होते है तरीका होता है और उन नियमो का पालन करना प्रत्येक खिलाडी का पहला कर्तव्य होता है। ऐसे ही नियम वॉलीबॉल खेल के भी है, जो की इस प्रकार है।

वॉलीबॉल खेल के नियम

  • वॉलीबॉल के मैच में एक बारी में एक टीम की और से छह खिलाडी खेलते है।
  • उसके बाद टॉस के लिए सिक्का उछाला जाता है।
  • पहले कोनसी टीम खेलेगी उसका फैसला किया जाता है।
  • एक टीम के विपरीत टीम को केवल तीन पास में गेंद को वापस विरोधी की और देना होता है।
  • वॉलीबॉल को सबसे पहले उठाने वाला खिलाडी उसे पिच करता है। जिसके पास वो खड़ा होता है, उसे बंप सेट कहा जाता है।
  • वॉलीबॉल को छूने वाला दूसरा खिलाड़ी सेटर कहा जाता है। जो बॉल को नेट के पास वाले खिलाड़ी तक पहुचाने की कोशिश करता है।
  • वॉलीबॉल को छूने वाला आखरी खिलाड़ी स्पाइक कहलाता है।
  • फाउल खेल और सर्विस बदलने का अंतिम निर्णय अंपायर के हाथ मे होता है।

वॉलीबॉल खेल का मैदान

वॉलीबॉल खेल के मैदान की लंबाई 18 मीटर ओर चौड़ाई 9 मीटर होती है। लम्बाई में मैदान को दो बराबर भाग में बांट दिया जाता है। उसके बाद 5 सेमी चौड़ाई की रेखा से इस मैदान की सीमारेखा बना दि जाती है।

मैदान में किसी भी प्रकार की रुकावट को रोकने के लिए मैदान के चारों ओर तीन मीटर तक और ऊँचाई को 7 मीटर तक होना जरूरी होता है। जो बीच का भाग होता है वहा पर मध्य रेखा के समांतर दोनों तरफ, उससे तीन मीटर की दूरी पर आक्रमक रेखा खिंच दी जाती है।

मैदान के पीछे की रेखा के साथ और बगल की रेखा से दोनों तरफ और खेल के मेदान के तीन मीटर की दूरी पर, मैदान के बहार पीछे की ओर एक रेखा खींच दी जाती है। इसे सर्विस एरिया कहते है।

वॉलीबॉल के खेल का मैदान ही सर्विस एरिया होता है। जिसे बिल्कुल व्यवस्थित और एक दम सही नाप तोल के हिसाब से उसकी दूरियां निश्चित की जाती है। ऐसा पूरे मैदान के साथ ही करते है। ताकि खेलने वाले खिलाड़ी को कोई भी परेशानी ना हो और वो उस मैदान के अंदर रहकर खेल के नियम का भली भांति पालन करें।

वॉलीबॉल खेल की प्रमुख प्रतियोगिता

  • फेडरेशन कप
  • एशिया कप
  • विश्व कप
  • शिवाजी गोल्ड कप
  • ग्रांड चेम्पियन कप
  • इंडिया स्वर्ण कप
  • पूर्णिमा ट्रॉफी

वॉलीबॉल खेल के अन्य नाम

वॉलीबॉल के खेल को अन्य नामो से भी जाना जाता है। जैसे वोली, डीगपास, ओवर लपिंग, बूस्टर, हुक सर्व और अन्य कई नाम भी है।

वॉलीबॉल का भारतीय इतिहास

वॉलीबॉल खेल ने भारत में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया। जिसने बड़े नामो से लैस एशियन खेल में सफलता प्राप्त करि है। भारतीय वॉलीबॉल टीम ने एशियन खेल में तीन मेडल हासिल कर अपने नाम का लोहा मनवाया था।

तब इस खेल को भारत मे बहुत अधिक सराहा गया और देखते ही देखते इस खेल से जुड़ी सभी चीज़ो ने अपने देश भारत मे इज्जत कमाने की एक मिसाल हासिल कर ली। वॉलीबॉल खेल को भारत के कई राज्यो में खेला जाने लगा और अपनी पहचान बनाये रखते हुए आज इस खेल को हमारे भारत देश मे 70 साल से अधिक हो गए है।

ये बात अलग है कि इस खेल ने कभी भी ओलंपिक खेल में अपना कोई स्थान नही बनाया। लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर वॉलीबॉल के खेल की अपनी एक अलग ही पहचान है। तो वो दिन दूर नहीँ जब ओलंपिक में भी वॉलीबॉल अपना प्रथम स्थान बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।

ये खेल किसी महिला या पुरुष पर आधारित नहीं है। जिसने सफलता को छुआ वही महत्वपूर्ण है। वॉलीबॉल खेल को हमारे देश भारत मे शौकिया तौर पर खेला जाता था। परंतु स्वतंत्रता से पहले सन 1936 में इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने पहली इंटरस्टेट चेम्पियनशिप कराई।

इसके बाद 1951 में इस खेल का ढांचा तैयार किया गया और इसे नाम दिया गया वॉलीबॉल। इसके अगले साल मतलब 1952 में सीनियर नेशनल चेम्पियनशिप की पहली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

इसके बाद कई युवाओं ने इस खेल में रुचि दिखाई और भारत को नया कौशल देखने को मिला। इस तरह बनी भारतीय वॉलीबॉल टीम, जिसने अपना वर्चस्व ऊपर रखने के लिए भरपूर मेहनत करि। ये बात भी सत्य है कि मेहनत को सफलता मिलती जरूर है, बस थोड़ा इंतजार करना जरुरी होता है।

वॉलीबॉल खेल का अविष्कार

वॉलीबॉल खेल का अविष्कार 1895 में विलियम जी मॉर्गन ने किया था। जो कि मैसाचुसेट्स के यंग मेंस क्रिस्चियन एसोसिएशन (YMCA) के भौतिक निदेशक है। यह उन व्यापारियों के लिए एक इनडोर खेल के रूप में डिजाइन किया गया था, जिन्होंने वॉलीबॉल के नए खेल को बहुत जोरदार पाया।

मॉर्गन ने इस खेल को मिंटनेट कहा, जब तक मेसाचुसेट्स में स्प्रिंगफील्ड कॉलेज के एक प्रोफेसर ने खेल की प्रकृति पर ध्यान दिया और वॉलीबॉल का नाम प्रस्तावित किया। मूल नियम मॉर्गन द्वारा लिखे गए थे और उत्तरी अमेरिका के युवा पुरुषों के ईसाई संघों (1897) के एथलेटिक लीग की आधिकारिक हैंडबुक के पहले संस्करण में छपे थे।

खेल जल्द ही स्कूलों, खेल के मैदानों, सशस्त्र बलों और संयुक्त राज्य अमेरिका में, अन्य संगठनों में दोनों लिंगों के लिए व्यापक अपील साबित हुआ और बाद में इसे अन्य देशों में पेश किया गया।

1916 में YMCA और नेशनल कॉलेजिएट एथलेटिक एसोसिएशन (NCAA) द्वारा संयुक्त रूप से नियम जारी किए गए थे। संयुक्त राज्य अमेरिका में पहला राष्ट्रव्यापी टूर्नामेंट नेशनल वाईएमसीए शारीरिक शिक्षा समिति द्वारा 1922 में न्यूयॉर्क शहर में आयोजित किया गया था।

युनाइटेड स्टेट्स वॉलीबॉल एसोसिएशन (USVBA) का गठन 1928 में किया गया था और उसे संयुक्त राज्य अमेरिका बनाने वाली शासकीय निकाय के रूप में मान्यता दी गई थी।1928 से USVBA अब यूएसए वॉलीबॉल (USAV) के रूप में जाना जाता है।

1944 और 1945 के दौरान, वार्षिक राष्ट्रीय पुरुषों और वरिष्ठ पुरुषों (आयु 35 वर्ष या उससे अधिक) की वॉलीबॉल चेम्पियनशिप का आयोजन किया गया।

वॉलीबॉल खेल की गलतियां जो खेल हरा सकती है

वॉलीबॉल खेल को खेलते समय होने वाली गलतियों से खिलाड़ी को बचना चाहिए। वरना इन गलतियों की वजह से खेल को हार सकते है। वो गलतियां कुछ इस प्रकार है।

वॉलीबॉल खेल को खेलते वक्त बॉल को कमर के नीचे के किसी भी भाग में टच नहीँ होने देना चाहिए, वरना खेल से आउट कर दिया जाता है। गेंद को हाथों में कुछ क्षण रुकने से बचाना चाहिए, क्योंकि इसे होल्डिंग कहा जाता है।

एक बार से अधिक गेंद को मारने से ड्रेबलिंग होने का भय रहता है। तीन से अधिक बार गेंद को एक ही दल द्वारा मारा जाना गलती कहि जाती है। दो व्यक्तियों का एक साथ गेंद को मारना ओर उससे दो आवाज होना डबल फाउल कहलाता है।

सर्विस बॉल का नेट से छू जाना और बॉल का जाल सिमा के बहार से आना भी गलती है, इससे आप खेल को हार की तरफ ले जाते है। ब्लाक करते समय जाल का किसी अंग को छू जाना या दूसरी टीम के खिलाड़ी का कोई अंग छू जाना भी गलती है।

मध्य रेखा पार कर दूसरे खिलाड़ी के क्षेत्र में चले जाना या फिर गेंद का कमर के नीचे किसी भाग को छू जाना, या एक से अधिक बार एक ही खिलाड़ी द्वारा गेंद को मारा जाना इन गलतियों पर ध्यान देना जरूरी है। नहीँ तो खेल को हारना पूरी तरह से सम्भव है।

रोटेशन करते वक्त पीछे की पँक्तिवाले अग्रिम क्षेत्र से आक्रमण नहीँ कर सकते है। गलत ढंग से रोटेशन करना या पीछे की पंक्ति का जाल पर आकर ब्लाक करना, गेंद का सीमारेखा से बाहर गिरना गलतिया है।

यदि बॉल जाल के नीचे के किनारे से चला जाता है, तो वह गलत समझा जाता है। एक मिनट से अधिक देर तक खेल को रोक कर रखना भी खेल की महत्वपूर्ण गलती में आता है। आपको पॉइंट तभी मिलते हैं जब आपकी सर्विस बॉल बनती है।

सर्विस क्षेत्र से सर्विस का न करना या फिर सर्विस करते समय पिछली सीमारेखा को छूना, पार करना या ठीक ढंग से सर्विस का न लगना ये सब इस खेल में गलतियां मानी जाती है।

उपसंहार

इस प्रकार सभी खेल हमारे स्वास्थ्य के लिए अतिउत्तम होते है। ये हमारे स्वास्थ्य को तंदुरुस्त ओर स्फूर्ति प्रदान करते है। वॉलीबॉल जैसा खेल ना केवल पुरुष खेलते है, बल्कि महिलाये भी इस खेल में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती है।

वॉलीबॉल जैसे खेल को कोन नहीँ खेलना चाहेगा, इसलिए आजकल तो स्कूल, कॉलेजों में बड़ी स्पर्धा के रूप में इस खेल को बहुत बड़ी उपलब्धिया मिलने लगी है। जिसमे लड़के लडकिया सभी हिस्सा लेते है और अपने कॉलेज और स्कूल का नाम रोशन करते है। वो दिन दूर नहीं जब इस खेल को बहुत बड़ी उपलब्धि प्राप्त होंगी और हमारे देश का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।


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तो यह था वॉलीबॉल पर निबंध (Volleyball Essay In Hindi), आशा करता हूं कि वॉलीबॉल पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Volleyball) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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