आज हम यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता पर निबंध (Essay On Yadi Main Antariksh Yatri Hota In Hindi) लिखेंगे। यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।
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यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता पर निबंध (Yadi Main Antariksh Yatri Hota Essay In Hindi)
प्रस्तावना
हमने सुनीता विलियम्स और कल्पना चावला के बारे में खूब सुना है। कल्पना चावला ने अंतरिक्ष यात्री बनकर अपने क्षेत्र में बेहतरीन कार्य किये और देश का नाम ऊँचा किया। दुर्भाग्यवश कल्पना चावला हमारे बीच अब नहीं है।
कुछ साल पहले उनका अंतरिक्ष यान कुछ कारणों की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हो गया। कभी कभी मैं भी सोचता हूँ, की काश मैं इन सभी के तरह अंतरिक्ष यात्री होता तो कितना मज़ा आता।
अंतरिक्ष का नाम लेते ही मेरे अंदर एक रोमांच की लहर दौर जाती है। मेरे पैर जमीन पर नहीं टिकते और मैं कल्पना की दुनिया में चला जाता हूँ। अंतरिक्ष यात्री कुछ ही लोग बन पाते है, जो मेहनत करते है।
बचपन से मैं सबको अंतरिक्ष यात्री बनने के सपने के बारे में बताता था। अगर मैं अंतरिक्ष यात्री बन गया, तो देश मुझे अंतरिक्ष यात्री के रूप में गिनेगा। यह मेरे लिए अत्यंत गर्व की बात होगी।
हवा में तैरना
यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता तो हमेशा हवा में तैरता और सितारों के बीच एक अलग अनुभूति होती है। इंसान के कई सपने होते है। जीवन में हर कोई कुछ ना कुछ करना चाहता है।
अपने सपनो को पूरा करने के लिए सभी परिश्रम करते है। मेरा भी यह सपना है कि मैं एक अंतरिक्ष यात्री बनूँ। चाँद सितारों के बीच मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता। जब भी मुझे बचपन में लोग पूछते थे कि तुम बड़े होकर क्या बनना चाहते हो? तो मैं झट से जवाब देता अंतरिक्ष यात्री।
मैं अंतरिक्ष यात्रि जैसे कल्पना चावला, सुनीता विल्लियम्स इत्यादि लोगो के अंतरिक्ष यात्री बनने के सफर को पढ़ता और उनसे हमेशा प्रेरित होता था।
अंतरिक्ष और पृथ्वी का वातावरण
पृथ्वी का वातावरण अंतरिक्ष से बिलकुल भिन्न होता है। अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसा ना पर्यावरण होता है, ना जल, ना भोजन, ना पेड़ पौधे। जो भी अंतरिक्ष यात्री होता है वह इस बात को अच्छे से समझ लेता है और उसके अनुसार अपने आपको ढाल लेता है।
मैं कल्पना चावला से बेहद प्रभावित हूँ, क्यों कि उन्होंने सभी भारतीय को अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए प्रेरित किया है।
अंतरिक्ष के बारे में जानने की उत्सुकता
जब भी मैं अंतरिक्ष के बारे में सोचता या पढ़ता हूँ, तो मेरा मन अंतरिक्ष के बारे में जानने में उत्सुक हो जाता है। यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता तो सबसे पहले मैं देखता कि अंतरिक्ष से पृथ्वी और सारे ग्रह कैसे दिखते है। यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता तो तारो को देखकर मैं अपनी ख़ुशी ब्यान नहीं कर पाता।
अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए प्रशिक्षण
अंतरिक्ष यात्री बनना इतना आसान नहीं होता है। इसके लिए कड़े प्रशिक्षण की ज़रूरत होती है। अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दूसरे लोगो के मुकाबले अच्छा होना चाहिए।
अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए परिश्रम करना पड़ता है। प्रशिक्षण में अपने आपको औरो से बेहतर साबित करना पड़ता है। जब कोई अंतरिक्ष यात्री बन जाता है, तो वह अपनी कोई मनपसंद चीज़, जैसे कि तस्वीर इत्यादि लेकर जाता है। जिससे वह अपने परिवार को याद कर सके।
अंतरिक्ष यात्री और उनकी मेहनत
अंतरिक्ष यात्री बहुत परिश्रमी होते है। उनको संयम के साथ प्रशिक्षण लेना पड़ता है। अंतरिक्ष यात्री को ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में रहना पड़ता है। यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता, तो मुझे भी यह सारी चीज़ें करनी पड़ती।
यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता तो मुझे सांस की तकलीफ को भूलना पड़ता। मुझे वह सभी चीज़ें सीखनी पड़ती। अगर मैं अंतरिक्ष यात्री होता, तो मुझे बड़े लोग जैसे प्रधानमंत्री, राष्रपति इत्यादि से मिलने का अवसर मिलता। इससे मुझे हौसला मिलता और मैं अंतरिक्ष यात्री के रूप में और अधिक बेहतर कार्य करता।
अंतरिक्ष एक ऐसा स्थान है, जहां मनुष्य निवास नहीं करते है। उन्हें अंतरिक्ष में जाने के लिए अंतरिक्ष यात्री बनना पड़ता है और कठिन से कठिन रास्तो यानी प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है। उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से मज़बूत होना पड़ता है।
अंतरिक्ष और मेरी काल्पनिक अद्भुत दुनिया
कभी कभी मैं कल्पना करता हूँ कि मैं यदि एक अंतरिक्ष यात्री होता तो बड़े बड़े वैज्ञानिको जैसे कपड़े पहनता, अंतरिक्ष के विषय में नए अनुसंधान करता और बेहतरीन अंतरिक्ष यात्री बनता। रात दिन पढ़ाई करता और परिश्रम करता। मैं चन्द्रमा की सुंदरता को अपने अंदर कैद कर लेता। मैं सभी ग्रहो के विषय में मन लगाकर पढ़ता।
अंतरिक्ष के रहस्यों को सबके सामने लाना
यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता, तो अंतरिक्ष के रहस्यों का पता लगाता। मैं अंतरिक्ष के सारे पहलुओं के बारे में अध्ययन करता और अपने देश को गर्व महसूस कराता। मैं नए नए चीज़ों की खोज करता।
चन्द्रमा की सैर
यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता, तो चन्द्रमा की सैर करता। चन्द्रमा पर जाते ही मैं उसकी तस्वीरें निकलता। वातावरण और मिटटी का परिक्षण करता। मैं यह भी देखता कि चन्द्रमा से पृथ्वी भी क्या उतनी सुन्दर लग रही है, जितना पृथ्वी से चन्द्रमा सुन्दर लगता है।
वहाँ गुरुत्वाकर्षण बिलकुल नहीं होता है। पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण की वजह से सभी चीज़ें जमीन पर टिकी हुयी रहती है। यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता तो गुरुत्वाकर्षण ना होने की वजह से यहां से वहां तैरता। अंतरिक्ष यात्री को गुरुत्वाकर्षण में अपने आपको कैसे संभालना है, इसका प्रशिक्षण दिया जाता है।
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण का नहीं होना
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता है। पृथ्वी पर हम अपने और अपने सामग्रियों का संतुलन बनाये रख सकते है। लेकिन अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण ना होने की वजह से मनुष्य अपना संतुलन नहीं बना सकता है।
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण ना होने की वजह से मनुष्य स्थिर नहीं रह पाता है। अंतरिक्ष यात्री को अपना संतुलन बनाये रखने के लिए अच्छा प्रशिक्षण मिलता है।
ऑक्सीजन का ना होना
अंतरिक्ष में ऑक्सीजन बिलकुल नहीं होता है। अंतरिक्ष यात्रियों को ऑक्सीजन सिलिंडर का उपयोग करना पड़ता है। इसके लिए वे पहले से ही प्रशिक्षित होते है। यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता तो मुझे भी ऑक्सीजन सिलिंडर के माध्यम से सांस लेना पड़ता|
निष्कर्ष
अंतरिक्ष जितना सुन्दर, अद्भुत और भव्य है, उतना ही जटिल और रहस्यमय भी है। पृथ्वी पर मनुष्य की उन्नति और खुशियों के लिए सुख सुविधाएं मौजूद है और यह सभी चीज़ें अंतरिक्ष में नहीं है। अंतरिक्ष यात्री बनकर मैं एक अनोखा सफर तय करना चाहता हूँ, जिसके मैं सपने देखता हूँ।
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