बाल दिवस पर निबंध (Children’s Day Essay In Hindi)

आज के इस लेख में हम बाल दिवस पर निबंध (Essay On Children’s Day In Hindi) लिखेंगे। बाल दिवस पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

बाल दिवस पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Children’s Day In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


बाल दिवस पर निबंध (Children’s Day Essay In Hindi)


प्रस्तावना

14 नवम्बर का दिन बाल- दिवस के नाम से जाना जाता है। इसी दिन हमारे चाचा नेहरु जी का जन्म हुआ था। “चाचा नेहरू” अर्थात जवाहर लाल नेहरू, सभी बच्चो को अपना बच्चा समझा करते थे। इसके बदले में बच्चें भी उन्हें बड़े लाड प्यार से चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे।

इसलिए इस दिन सभी बच्चे मिल जुल कर बड़े ही उल्लास के साथ 14 नवम्बर को बाल दिवस के रूप में मनाया करते हैं। यह दिन आज भी सभी को बहुत ही हर्शोल्लास से चाचा नेहरू का जन्मदिवस मनाने वाला दिन सिद्ध होता है।

हमारे देश में प्रतेक तिथि ओर समय किसी महत्वूर्ण दिन के साथ जुड़ कर उसे ओर महत्वूर्ण बना देता है। जैसे कोई त्यौहार, कोई व्रत या कोई ऎतिहसिक घटना से जुड़ा कोई पर्व या त्यौहार जिनकी तारीख और दिन बदला नहीं जा सकता, उसी प्रकार चाचा नेहरू जी के जन्मदिवस के दिन को भी नहीं बदला जा सकता है।

ओर इसलिए 14 नवम्बर बाल दिवस, चाचा नेहरू जी के नाम से जगविख्य्यात है। जहा चाचा नेहरू जी का नाम आता है, तो वहां बच्चो का नाम भी अवश्य आता है।

बाल दिवस का अर्थ

बाल दिवस का अर्थ है बच्चों का दिन। हमारे देश मे 14 नवम्बर को प्रतिवर्ष ‘बाल दिवस’ के रूप मनाया जाता है। इस दिन को ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाने का मुख्य कारण यही है।कि हमारे देश के सर्वप्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को बच्चे अतिशय प्रिय लगते थे। साथ ही बच्चे भी उन्हें बड़े प्यार से ‘चाचा नेहरू’ कहा करते थे।

उन के अपार प्रेम, स्नेह ओर लगाव का ही यह सुपरिणाम हुआ कि सभी बच्चे उनके जन्म दिन 14 नवम्बर को ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाने लगे। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने भी अपने जन्मदिन को बच्चो के असीम लगाव को अपने प्रति देखकर ‘बाल-दिवस’ के रूप में स्वीकार कर लिया।

बाल दिवस का महत्व

बाल दिवस की खुशियों को स्कूल, कॉलेज, संस्थान और सभी जगह मनाते हुए हम चाचा नेहरू की दृष्टि से देखें, तो वह इस त्योहार से क्या संदेश देना चाहते थे वह हमें नहीं भूलना चाहिए।

उनके अनुसार बाल दिवस का लक्ष्य बच्चों को सुरक्षा और प्रेम पूर्ण वातावरण उपलब्ध कराना है। जिसके जरिए वह प्रगति करें और प्रगति में अपना योगदान दें और देश का नाम रोशन करें। यह दिन हम सभी के लिए एक अनुस्मारक की भांति काम करता है।

जो कि बच्चों के कल्याण के प्रति अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है। चाचा नेहरू के मूल्य उनके उदाहरणों को अपनाना सिखाता है। इस कारण से बाल दिवस मनाया जाता है। बच्चे अपनी खुशियों को खुलकर सभी के साथ मनाते हैं।

सबसे महत्वपूर्ण कारण यही था कि कई लंबे संघर्ष और देश के लिए ना जाने कितने विरो ने अपनी जान गवा दी थी। उनके बलिदान ओर संघर्ष के बाद कई लंबे इंतजार ओर तकलीफो को सहकर हमारे देश भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।

और उसी स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को बनाया गया था। इसलिए एक तो स्वतंत्रता के उपरांत और पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के द्वारा बच्चों का प्यार बाल दिवस को मनाने की पहली उपज है।

आज तक पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस को बाल दिवस ओर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि देने के तौर पर मनाया जाता है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा बाल दिवस पर योगदान

14 नवंबर के दिन सभी एकत्र होकर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किया करते हैं। यह बाल दिवस पंडित जवाहरलाल नेहरू के जीवन काल से ही मनाया जा रहा है। उस समय बच्चों के विभिन्न कार्यक्रम में पंडित जवाहरलाल नेहरु जी स्वयं भाग लिया करते थे और उनके साथ विभिन्न प्रकार की शुभकामनाएं व्यक्त किया करते थे।

ऐसा कहना उपयुक्त नहीं होगा कि पंडित जवाहरलाल नेहरु जी स्वयं इस बाल दिवस के प्रेरक और संचालक बनकर इसे प्रगतिशील बनाने में अटूट योगदान और सहयोग किया करते थे।

बाल दिवस को पंडित नेहरु जी ने अपने जन्म दिवस से अधिक महत्व देते हुए, इसे अपना ही जन्मदिन नहीं मानते थे अपितु इसे सभी बच्चों का जन्मदिन स्वीकार कर लिया करते थे।तभी से 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में बहुत ही सम्मान और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

बाल दिवस को मनाने की कुछ खास बाते

(1) 14 नवंबर को मनाने वाला दिन है बाल दिवस।

(2) बिना भेदभाव के मनाने वाला दिन है बाल दिवस।

(3) बाल दिवस त्यौहार में छोटो-बडो का कोई भेदभाव नहीं होता है, इस दिन को बच्चो के साथ उनके अभभावक भी बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।

(4) पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिन का दूसरा नाम बाल दिवस है।

(5) पंडित जवाहर लाल नेहरू को बच्चो से बहुत लगाव था। इसलिए उन्होंने अपने जन्म दिवस को बाल दिवस का नाम दिया।

(6) 1959 से पहले बाल दिवस के त्यौहार को अक्टूबर के महीने में मनाया जाता था। स्युंक्त राष्ठ संघ की महासभा द्वारा लिए गए निर्णय के हिसाब से, यह सबसे पहले 1954 में मनाया गया। वास्तव में इस दिन को बच्चो के बीच जानकारी के आदान प्रदान ओर आपसी समझदारी विकसित करने के साथ – साथ बच्चो के कल्याण से जुड़ी लाभार्थी योजनाओं के उद्देश्य से शुरू किया गया था।

(7) 1959 में जिस दिन संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने बच्चो के अधिकारों के घोषणापत्र को मान्यता दी थी। उसी दिन के उपलक्ष में 20 नवम्बर को बाल दिवस के रूप में चुना गया। इस दिन 1989 में बच्चो के अधिकारों के समझौते पर हसताक्षर किए गए, जिसे 191 देशों द्वारा पारित किया गया।

(८) सर्वप्रथम बाल दिवस जिनेवा के इंटरनेशनल यूनियन फॉर चाइल्ड वेलफेयर के सहयोग से विश्व भर में अक्टूबर 1953 को मनाया गया था। विश्व भर में बाल दिवस का विचार दिवंगत श्री वी.के. कृष्नन मेनन का था। जिसे संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा 1954 में अपनाया गया।

बाल दिवस पर जगह-जगह विभिन्न कार्यक्रम

14 नवंबर के उपलक्ष में जगह-जगह विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते हैं। प्राय सभी संस्थान इस दिन अवकाश करके बाल दिवस के इस भव्य त्योहार मे अपनी भूमिका निभाते हैं। बाल विकास का शुभ त्यौहार और उत्सव मनाने के लिए विभिन्न स्थानों पर बने बाल भवनों और संस्थानों की सजावट और तैयारियां देखते ही बनती है।

इस दिन विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। बाल क्रीड़ाये, प्रतियोगिताएं और प्रदर्शनी सहित कई बाल कार्यक्रम (बच्चों द्वारा बनाए गए)  प्रदर्शनीया भी आयोजित व प्रदर्शित किए जाते हैं।

इसमें भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं के उत्साहवर्धन के लिए विभिन्न प्रकार के पारितोषिक प्रदान किए जाते है। इन प्रतियोगिताओं में भाग लेकर यह छात्र-छात्राएं अन्य छात्र-छात्राओं को भी उत्साहित और प्रेरित करते है।

राजधानी दिल्ली में बाल दिवस

वैसे तो बाल दिवस का प्रभाव और उत्सव का भारत के सभी स्थानों पर पूरी चेतना और जागृति के साथ होता है। लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में तो इसकी झलक बहुत अधिक दिखाई पड़ती है। यहा के स्कूलों के प्राय सभी बच्चे एकत्रित होकर नेशनल स्टेडियम में जाते हैं।

वहां पर पहुंचकर व्यायाम और अभ्यास करते हैं। इस अवसर पर किये जा रहे व्यायाम और अभ्यास के द्वारा यह बच्चे सभी के मनो को जीत लेते हैं। इस अवसर पर देश के प्रधानमंत्री वहां आते हैं और अपने व्याख्यानो के द्वारा सभी बच्चों को पंडित जवाहरलाल नेहरू की नीतियों और सिद्धांतों पर चलने की प्रेरणा भी देते हैं।

जब पूरा कार्यक्रम समाप्त हो जाता है, तो अंत में सभी बच्चों को मिठाइयां और पंडित नेहरू का सबसे प्यारा फूल गुलाब का फूल वितरित किया जाता है। इसे पाकर सभी बच्चे “चाचा नेहरु जिंदाबाद” का नारा लगाते हुए बाल दिवस मनाते है।

पूरी ताकत के साथ लगाकर अंत में अपने – अपने घरों को लौटते हैं। दिल्ली के नेशनल स्टेडियम के तरह यह बाल दिवस दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर भी बड़े उत्साह के साथ विशेषकर बच्चों के द्वारा मनाया जाता है।

स्कूल और महाविद्यालयों में बाल दिवस

छोटे बड़े सभी स्कूलों मे बाल दिवस मनाया जाता है। बाल दिवस हमारे देश में सब जगह बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। साथ ही इस दिन को स्कूल कालेजों में तो मनाते ही है, परंतु स्कूलों में बच्चो का उत्साह देखते ही बनता है।

बच्चो के इस तरह के उत्साह को देखकर बड़े लोग भी इनको योगदान देने में जरा भी नहीं हिचकिचाते हैं ओर उनकी इन खुशियों में शामिल होते है। ऐसे बच्चे बाल दिवस का पूरा पूरा आनंद उठाते हैं।

सभी ओर एक अद्भुत और आकर्षक छटा फैल जाती है। विश्वविद्यालय और महाविद्यालय में यह कार्यक्रम कई दिन पहले से ही आरंभ हो जाता है। सभी छात्र मिलकर इसे बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। बाल दिवस का उत्साह कॉलेज और महाविद्यालय में देखते ही बनता है।

वैसे तो बाल दिवस वर्ष में एक बार ही आता है, लेकिन यह हर साल अपनी एक अलग ही छवि को हमारे मन मस्तिष्क में छोड़ कर चला जाता है। हर साल ऐसा लगता है मानो यह पहली बार मनाया जा रहा है।

उसके कुछ प्रमुख कारण यह है कि हर साल इस आयोजन में वृद्धि होती है। इसे हर साल गत वर्ष की अपेक्षा व्यापक स्तर पर मनाया जाता है। यह भी है कि यह बाल समुदाय का ही उत्सव है, इसलिए इसमें घर, परिवार, समाज और राष्ट्र के सभी वर्गों को भाग लेकर इसके लिए सहयोग देना अत्यंत आवश्यक हो जाता है।

यह इसलिए कि बच्चों की भावना सभी बड़े प्यार से समझते हैं। सभी उनके स्वभाव प्रवृत्तियों को समझने के लिए उनके प्रति विवश हो जाते हैं। इसके साथ यह भी कि पंडित नेहरू जी का बच्चों के प्रति प्यार की भावना वास्तव में अत्यधिक प्रेरणादायक थी, जिसका प्रभाव आज भी बना हुआ है।

उपसंहार

हमें बाल दिवस को पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्म दिवस के रूप में मनाकर संतुष्ट नहीं होना चाहिए। अपितु इसको अधिक से अधिक प्रेरक ओर प्रतीकात्मक रूप में भी मनाना चाहिए। जिससे बच्चों का हर प्रकार से सांस्कृतिक और बौद्धिक मानस उन्नत और विकसित हो सके। ऐसा होने से ही हमारा राष्ट्र संयुक्त और सवल होगा।


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तो यह था बाल दिवस पर निबंध, आशा करता हूं कि बाल दिवस पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Children’s Day) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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