हेलेन केलर पर निबंध (Helen Keller Essay In Hindi)

आज के इस लेख में हम हेलेन केलर पर निबंध (Essay On Helen Keller In Hindi) लिखेंगे। हेलेन केलर पर लिखा यह निबंध बच्चो और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

हेलेन केलर पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Helen Keller In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


हेलेन केलर पर निबंध (Helen Keller Essay In Hindi)


प्रस्तावना

हमे अपने छोटे छोटे दिक्कतों को अपने काम में रूकावट नहीं बनने देना चाहिए, क्योकि इससे हमें बाद में पछताने के अलावा कुछ नहीं मिलता हैं। हम छोटी – छोटी टास्क का बहाना बना लेते हैं जो हमारी बहुत बड़ी कमजोरी होती हैं।

हेलेन केलर एक प्रमुख लेखिका, शिक्षिका और एक प्रसिद्ध राजनितिक कार्यकर्ता तथा दुनियाँ की सबसे पहली दृष्टिहीन कला से स्नातक करने वाली महिला थी। हेलेन केलर का जन्म अमेरिका के अलाबामा में 27 जून 1880 में हुआ था। हेलेन केलर के पिता का नाम आर्थर केलर था, जो आर्मी के सदस्य थे और माता का नाम केट अडम्स था।

हेलेन केलर का जीवन

हेलेन केलर ने अमेरिका के एक परिवार में स्वस्थ जन्म लीया था और उसकी जिंदगी सभी बच्चो के तरह बहुत अच्छी चल रही थी। लेकिन 19 महीने की उम्र में हेलेन को एक ऐसी बीमारी हुई जिसका कोई डॉक्टर पता ही नहीं लगा पाया।

उस बीमारी की बजह से हेलेन केलर ने अपनी सुनने की शक्ति और आँख की रौशनी खो दी, जिससे हेलेन के माता – पिता को बहुत परेशानिया उठानी पड़ी। उसके बाद हेलेन के माता -पिता ने इसके लिए एक शिक्षक को ढूंढना शुरू कर दिया। जो हेलेन को आस पास की चीजे को जानना और पहचानना सीखा सके।

बहुत कोशिश करने के बाद हेलेन को 7 साल की उम्र में शिक्षक के रूप में ऐनी सुवेलिन मिली। उनके सामने हेलेन के माता – पिता ने सभी परेशानिया बताई और फिर ऐनी सुवेलिन ने उसके माता – पिता को दिलासा दिलाया और हेलेन को सीखना शुरू कर दिया।

लेकिन हेलेन को सीखाना इतना आसान नहीं था, क्योकि की किसी भी इंसान को कुछ सीखने और बताने के लिए हमारे पास दो ही तरीके होते हैं। जिसमे पहला बोल कर सीखना या फिर दूसरा लिख कर सीखना होता है।

मगर ये दोनों तरीको से हेलेन नहीं सिख सकती थी। बोलने पे वो सुन नहीं पाति और लिखने पे वो देख नहीं पाति। ऐसे ही अनेक प्रकार की चुनौतीया आयी, लेकिन सब का सामना करते हुए ऐनी सुवेलिन ने हेलेन के साथ दोस्ती की।

उसने उसे अपने हाथ पे उसका हाथ रख कर हेलेन को अपने आस पास की वस्तुओ के बारे में जानकारी दी। इसी तरह कुछ दिन सीखने पर एक दिन हेलेन बोलने लगी। कहा जाता हैं हेलेन का पहला शब्द वाटर (water) था।

ये शब्द सुनते ही ऐनी सुवेलिन ख़ुशी से उछल पड़ी और उसे महसूस हुआ की वह सफल हो रहे हैं और धीरे धीरे हेलेन अच्छे से बोलने लगी और फिर उसे दृष्टिहीन वाले स्कूल में दाखिला करवाया गया। उसके बाद हेलेन केलर ने 14 वर्ष के उम्र में कला क्षेत्र से उसके स्नातक की पढाई पूरी की।

स्नातक की पढाई पूरा करते ही हेलेन दृष्टिहीन स्कूल की शिक्षक बन गई और हेलेन ने कुछ किताबे लिखना भी सुरु कर दीया। कुछ दिन बाद वो प्रशिद्ध लेखिका और सामाजिक प्रवक्ता बनी। हेलेन स्त्रियों के अधिकार के लिए लड़ी और महिलाओ के मत के लिए भी आवाज उठाई।

हेलेन केलर ने सन 1902 में एक किताब प्रकाशित की थी जिसका नाम उसने मेरे जीवन की कहानी रखा था। अब उस किताब का 50 से अधिक भाषा में अनुवाद किया गया हैं। हेलेन ने न सिर्फ अपनी भाषा सीखी बल्कि उसने बहुत से अलग – अलग प्रकार की भाषा सीखी और उसका उपयोग किया।

हेलेन ने अपने सफलता का श्रेह अपने शिक्षक और दोस्त ऐनी सुवेलिन को देया। हेलेन ने अपने कई सारे भाषण में ये कहा हैं की मेरे चारो तरफ के अँधेरे को उजाला करने वाली ऐनी सुवेलिन है और उन्हें मैं दिल से धन्यवाद देती हूँ। हेलेन विकांग वर्ग के लोगो को बहुत प्रेरित करती थी।

हेलेन के बारे में जान कर सभी को ये एहसास जरूर हो जाता हैं की इसकी समस्या के सामने मेरी समस्या तो कुछ भी नहीं हैं।

हेलेन केलर के बारे में मुख्य बाते

  • हेलेन केलर का जन्म अमेरिका जैसे देश में 27 जून 1880 में हुआ था।
  • 1882 में हेलेन अपने 19 साल की उम्र में बीमार हुई थी। जिस बीमारी ने हेलर की दुनिया ही बदल दी, जिससे उसकी आँख से देखने की और कान से सुनने की क्षमता खत्म हो गई थी।
  • हेलेन के माता का नाम केट अडम्स और पिता का नाम आर्थर केलर था। इन्हे बहुत सारी परिस्थितियों की सामना करना पड़ा।
  • 1887 में जब हेलेन 7 वर्ष की हुई तो उसे उसकी शिक्षक मिली जिनका नाम ऐनी सुवेलिन था, ऐनी सुवेलिन ने हेलन की जिंदगी ही बदल दी।
  • ऐनी सुवेलिन ने अपनी पूरी मेहनत और कोशिश करके हेलेन केलर को बोलना सीखा दिया था और इससे हेलेन और ऐनी सुवेलिन बहुत खुश हुई।
  • इसमें एक बहुत ही अद्भुत गुण ऐनी सुवेलिन ने शामिल किया, जिससे हेलेन किसी का होठ स्पर्श कर के उसकी बातो को समझने लगी थी।
  • 1904 में इसने कला के क्षेत्र से स्नातक की पढाई पूरी की और विश्व की पहली दृष्टिहीन स्नातक करने वाली महिला बनी।
  • हेलेन ने दुनिया भर के महिलाओ के मत के लिए अपना आवाज उठाया था और वो नारी शक्ति को बढ़ावा देने की हमेसा बात करती थी।
  • हेलेन ने अपनी पूरी जिंदगी अपने जैसे विक्लांग की सहायता करने में लगा दी।
  • 1 जून 1968 को हेलेन केलर की मिर्त्यु हो गई।

हेलेन केलर इतनी प्रशिद्ध क्यों है?

हेलेन आज के दिन में बहुत बड़ा नाम हैं। बहुत से लोग इस कहानी से अपना जीने का रास्ता चुनते हैं। हेलन की जीवनी काफी लोगो को प्रेरित करती हैं, क्योकि आप या हम ये सोच सकते हैं की बिना देखे और बिना सुने इतने काम करने में उसे कितनी कठनाईया आई होगी। लेकिन उसने कभी हिम्मत नहीं हारी।

कहा जाता हैं की हेलेन एक बुलंद इरादे वाली लड़की थी, जो कोई भी चीज थान ले तो उसे पूरा कर के ही छोड़ती थी।

हेलेन ने एक किताब में अपनी जीवनी लिखी है, जिस किताब का नाम मेरे जीवन की कहानी हैं। आज भी उस किताब को पढ़ना बहुत लोग पसंद करते हैं। यह किताब इतनी प्रसिद्ध हुई की उस किताब का 50 से भी ज्यादा भाषाओ में अनुवाद किया गया।

हेलेन केलर का कार्य 

हेलेन ने ऐसी बड़ी और पमुश्किल रीस्थितियों को सामना करते हुए दुनिया के लिए बहुत कुछ लिया। हेलेन केलर ने सबसे बड़ा काम विक्लांग वर्ग के लोगो को प्रेरित करने का किया। उसने बताया की हमें भी इस पृथ्वी पर जीने का बराबर हक़ हैं। हेलेन केलर एक प्रशिद्ध लेखिका, राजनेता और पब्लिक स्पीकर थी और ऐसा करके वह लोगो के लिए एक मिसाल बन गयी।

हेलन ने महिलाओ को अपने हक़ के लिए लड़ना सिखाया, जिसमे उसने महिलाओ के मत के लिए आवाज उठाई और महिलाओँ को उनके ताकत का एहसास दिलाया। हेलेन ने अपनी लगभग कमाई विकलांगो की मदद करने में लगा दी थी, जिससे उन्हें बहुत सारे चीजे की सुबिधा मिलती थी।

हेलेन विकलांगो को जानकारी दिलाने की हमेशा कोशिश करती थी, वो चाहती थी की सभी के पास शिक्षा हो सब पढ़ लिख सके।

हेलेन केलर को इतना सफल किसने बनाया?

सबसे पहले हेलेन ने अपनी परिस्थियों का सामना करने के लिए खुद में इरादा बुलंद किया। हेलेन के कामयाबी का श्रेय उसकी शिक्षक और दोस्त ऐनी सुवेलिन को मिलता है, क्योकि हेलेन को पढ़ना इतना भी आसान नहीं था।

हेलेन ने इस बाद को अपने कई भाषणो में बताया भी हैं और ये हम सभी जानते हैं की बिना देखे और बिना सुने किसी को कुछ सीखाना और बताना कितना मुश्किल हैं। लेकिन इन दोनों ने इसे कर के दिखाया। यह एक अपने आप में गर्व की बात हैं और हेलेन केलर के तरह ही किसी को भी हर हाल में हार नहीं मानना चाहिए।

हेलेन केलर के कहानी से सिख 

हेलेन और ऐनी सुवेलिन ने दुनिया को और हम सभी को ये सिखाया की कोई भी काम आसान नहीं होता, लेकिन अगर जज्बा बुलंद हो और खुद पर भरोसा हो तो हर काम किया जा सकता हैं।

साथ ही उस काम में लगन के साथ लगातार लगे रहना जरुरी है, क्युकी एक दिन उस मेहनत का अच्छा परिणाम मिठे फल के तरह जरूर मिलता है।

उपसंहार

हेलेन केलर की ये कहानी हमें ये सिखाती हैं की जिंदगी में कोई भी काम असंभव नहीं हैं। जब हम किसी चीज के पीछे लगातार लग जाये तो वो एक दिन जरूर होती है। हेलेन केलर ने हमें ये सिखाया की हमें अपने आपसे लड़ने से पीछे नहीं हटना चाहिए। अगर हम लड़ते रहे तो हम एक दिन उस लड़ाई मे जरूर जीतेंगे।

हेलेन केलर के जीवन से हमें ये समझ में आता हैं की हेलेन केलर इतनी बड़ी समस्याओ के साथ एक प्रशिद्ध लेखिका, शिक्षक और राज्यनेता बन सकती हैं, तो हम अपने जीवन में वो मक़ाम हासिल क्यों नहीं कर सकते जो हम करना चाहते है।

हेलेन केलर ने बिना देखे और बिना सुने दुनिया में इतिहास रच दिया हैं, इसलिए कोई भी इंसान अगर ठान ले तो अपना इतिहास बना सकता हैं। हम सबको अपने जीवन में एक बात हमेशा याद् रखनी चाहिए की हमे किसी को कमजोर नहीं समझना चाहिए क्योकि सब में कुछ न कुछ विशेष करने की क्षमता होती हैं।


तो यह था हेलेन केलर पर निबंध, आशा करता हूं कि हेलेन केलर पर हिंदी में लिखा छोटा निबंध (Very Short Essay On Helen Keller In Hindi) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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