ईमानदारी सर्वश्रेष्ठ नीति है पर निबंध (Honesty Is The Best Policy Essay In Hindi)

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ईमानदारी सर्वश्रेष्ठ नीति है पर निबंध (Honesty Is The Best Policy Essay In Hindi)


प्रस्तावना

जीवन में ईमानदारी रखना अत्यंत आवश्यक है, क्युकी ईमानदार एकं सर्वोत्तम निति है। ईमानदार व्यक्ति जहां सुकून की नींद ले सकता है वही बेईमान व्यक्ति ये सोच भी नहीं सकता। ईमानदारी शब्द ही ईमान शब्द से आता है, जिसका तात्यपर्य ये है की जिसका ईमान गया उसका सब कुछ गया। इसलिए ईमानदारी के साथ जीवन जीना प्रत्येक मनुष्य का प्रथम कर्तव्य है।

हमारे जीवन में चाहे कितने ही उतार चढ़ाव क्यों ना आये, या दुखो का पहाड़ ही सामने क्यों ना आ जाये, लेकिन ईमान की चादर ओढे रखना चाहिए। ये कभी भी हमे हमारे मार्ग से डगमगाने नहीं देता। कहा जाता है ना की ईमानदारी की सुखी रोटी भी बेईमानी के 56 भोग से कहि अधिक स्वादिष्ट और ख़ुशी देने वाली होती है।

ईमानदारी का अर्थ

ईमानदारी का वास्तविक अर्थ है ई + मान + दारी। अपने आप के साथ जो वफादार रहे, अपनी आत्मा का मान जिसने अपने जीवन में रख लिया, सही मायने में उसी ने ईमानदारी का दामन अपने हाथो से नहीं छोड़ा है। ईमानदारी इंसान के सर्वष्रेष्ठ गुणों में से एक है।

ईमानदारी अपने आप में बरते

कुछ व्यक्तिओ की ये खूबी कहे या सोच, की वो अपने से ज्यादा दुसरो की खूबी कम और बुराई ज्यादा देखते है। और वो ऐसा तब करता है, जब वो जीवन में सफलता का मुंह कम देखता है। इसी लिए व्यक्ति को पहले अपने आप से अपने मन से ईमनादार होना पड़ेगा। ईमानदारी के निति को अपनाना होगा।

कोई क्या करता है, कैसे करता है ये सब छोड़ कर हर किसी को मेहनत करनी चाहिए। जब कोई मन से, लगन से और पूरी ईमानदारी से कोई कार्य करता है तो उसे सफलता मिलने में देर नहीं लगती।

कभी – कभी सफलता या सुपरिणाम में कुछ बिलम्व भी हो सकता है, लेकिन हार मानने का कोई सवाल ही नहीं उठता। अतएव धर्य और ईमानदारी का संबल होना चाहिए और इसे हमे स्वयं बना कर रखना होगा। ईमानदारी इंसान को कभी झुकने नहीं देती, पर हां इसके रास्ते कठिन जरूर हो सकते है परन्तु असंभव नहीं हो सकते।

ईमानदारी सर्वोत्तम निति

जीवन में चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, चाहे फूलो भरी या कांटो से भरी। पर हर परिस्थिति में सच्चे बने रहे, क्युकी जीवन में ईमानदार होना जरूरी है। ईमानदार व्यक्ति पर कोई भी आँख मुंद कर विशवास कर लेता है, वही बेईमान को देखकर लोग उससे दूर ही रहना पसंद करते है। इसलिए ईमानदारी ही सर्वोत्तम और उचित निति है।

इस नीति का पालन हमे ईमानदारी के साथ करना चाहिए, क्युकी ईमानदार होना इंसानियत की निशानी है। जो कभी भी हमारे मन से खत्म नहीं होनी चाहिए। क्युकी तभी तो इंसानियत भी इस धरती पर ज़िंदा रहेंगी।

ईमानदारी का क्षेत्र

ईमानदारी का कोई निश्चित क्षेत्र नहीं होता है। ईमानदारी तो इंसान में जन्मजात होती है। परन्तु परिस्थिति और मजबूरी भी कभी -कभी व्यक्ति से वो करवा देती है जो उसे ना चाहते हुए भी करना पड़ता है।

क्युकी बच्चा जब छोटा होता है तो उसे नहीं पता रहता कि आगे उसके जीवन में क्या होने वाला है। ये केवल एक बच्चे को ही नहीं बल्कि सभी को पता होता की वो भविष्य नहीं देख सकता, क्युकी हम केवल एक साधारण इंसान है, ना की भगवान।

इसलिए ईमानदारी और बेईमानी सभी हमे परिस्थिति के अनुसार ढाल देती है। कुछ इसे सही नजरिये से लेते है तो कुछ इसे गलत, या यु कहे लालच के कारण लेते है। ये लालच की भावना उसे गलत कार्य करने से भी नहीं रोकती।

आजकल प्रत्येक क्षेत्र में ईमानदारी तो जैसे कम ही होती जा रही है। जंहा देखो वहा बेईमानी ही अधिक देखने को मिलती है। ईमानदारी की कोई सीमा नहीं होती, इसका क्षेत्र व्यापक और विशाल है।

मांन लीजिये की आप स्कूल में पढ़ते हो और स्कूल से होमवर्क मिला या स्कूल में ही क्लास टेस्ट चल रहा है। तो कही बार आप नकल करके टीचर को होमवर्क दिखा देते है, तो आप बेईमानी करते है।

छोटे से छोटी चोरी ईमानदारी नहीं बल्कि बेईमानी कहलाती है। इसलिए बड़ी हो या छोटी अगर कोई बेईमानी करता है, तो उसे ईमानदार व्यक्ति नहीं कह सकते है। इसलिए सबसे पहले ईमानदारी को अपने आप से और दिल से प्रत्येक व्यक्ति को अपनाना चाहिए, तभी तो वो ईमानदार कहलायेगा।

एक घर का मालिक एक ईमानदार नौकर चाहता है। सरकार प्रत्येक जगह पर ईमानदार कर्मचारी चाहती है। व्यापारी ईमानदार साथी चाहता है। कोई भी व्यक्ति एक ईमानदार दोस्त चाहता है।

पाठक एक ईमानदार लेखक चाहता है और एक लेखक भी एक ईमानदार पाठक चाहता है, ताकि वो अच्छी पुस्तक पड़े और ज्ञान अर्जित करे। छात्र एक ईमानदार शिक्षक चाह्ता है, परन्तु होता क्या है इसके विपरीत।

घुस के रूपये से पलने वाले कर्मचारी, जनता को भटकाने वाले नेता, मांगकर या चुराकर साहित्य रचने वाले लेखक, परीक्षा की पुस्तक को दूसरे को दिखाने वाले परीक्षक, कीमत से भी अधिक दामों से समान बेचने वाले दुकानदार, डोनेशन और अधिक फ़ीस लेने वाले स्कूल, कॉलेज, अनाजों में जहर मिलाकर बेचने वाले किसान, आज प्रत्येक स्थान पर बेईमानी ही पनप रही है और ईमानदारी घटती जा रही है।

और इस बेईमानी को जन्म देने वाला खुद इंसान है। परन्तु ये बात भी सत्य है की जनता को गुमराह करने वाला व्यक्ति क्या सुख और शान्ति से रह सकता है। इसका जबाव होगा कदापि नहीं। उनको उनकी आत्मा झकझोरेगी, धिक्क्कारेंगी और लानत देंगी और बोलेंगी तूने ईमानदारी को क्यों नहीं अपनाया।

अतः इसीलिए हमे जीवन में सदा ईमानदारी से कार्य करना चाहिए। जिस प्रकार एक बेईमान व्यक्ति मलमल के बिस्तर पर भी सुकून की नींद नहीं ले पाता, वही एक ईमानदार व्यक्ति कड़ी मेहनत करके भी सुखी रोटी खाकर चैन की नींद लेता है। यही फर्क है एक ईमानदार और बेईमान व्यक्ति में।

उपसंहार

ईमानदार मनुष्य अपनी शक्ति और सामर्थ्य के समुचित उपयोग के द्वारा ईमानदारी करता है और ऐसा व्यक्ति हमेशा ईमानदारी को ही चुनता है। इस प्रकार का कार्य परहित की भावना से होता है। तभी तो इससे सामूहिक कल्याण की रूप रेखा झलकती और दमकती है।

ईमानदार मनुष्य सहानुभूति को उड़ेलता हुआ प्रगतिगामी होता है। ईमानदार व्यक्ति अपने कार्यो से दिन दुखियो,घायलों, अपंगो, अनाथो की सेवा करने से भी पीछे नहीं हटता। यदि वो धनी है और ईमानदार है तो वो विद्यालय, धर्मशालाए आदि में मद्त करके अपनी ईमानदारी की एक अमिठ छाप छोड़ता है। इसलिए तो कहा गया है की ईमानदारी एक सर्वश्रेष्ट निति है।

संक्षेप में हम कह सकते है की ईमानदारी एक सच्चा प्रेम है। जिसे हमे दिल से अपनाना चाहिए। बेईमानी की चादर को हटा कर प्रत्येक व्यक्ति को ईमानदारी की चादर ओड कर रखना चाहिए। आखिर सुकून की नींद भी तो ईमानदारी की चादर में ही आती है।


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