इंदिरा गाँधी पर निबंध (Indira Gandhi Essay In Hindi)

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इंदिरा गाँधी पर निबंध (Indira Gandhi Essay In Hindi)


प्रस्तावना

श्रीमती इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को उत्तर प्रदेश में हुआ था। नेहरू परिवार में इंदिरा गाँधी जी का जन्म हुआ था। वह जवाहरलाल नेहरू की एकमात्र बेटी थी। उनके व्यक्तित्व की तारीफ़ सभी करते है। अपनी राजनीतिक प्रतिभाओ के लिए राजनीति जगत में इंदिरा जी ने अपनी अलग पहचान बनाई है।

इंदिरा गांधी ने विभिन्न स्थानों में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा इलाहाबाद में ही प्राप्त की। इसके अलावा, उन्होंने ऑक्सफोर्ड और शांति निकेतन में विभिन्न विषयों का भी अध्ययन किया।

उनकी शादी सन 1942 में फिरोज गांधी के नाम से एक पारसी युवक से हुई थी। उनके पति की सन 1960 में दिल का दौरा पड़ने की वजह से मृत्यु हो गई थी। उनके दो बेटे हुए, जिनके  नाम राजीव और संजय गाँधी थे।

इंदिरा गाँधी जी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी की बेटी थी। उन्होंने शांतिनिकेतन जो रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा बनाया गया था, वहां उन्होंने अपनी शिक्षा प्राप्त की थी।उन्होंने उच्च शिक्षा इंग्लैंड में जाकर पूरी की थी।

वह बचपन से ही एक सच्ची देशभक्त थी और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए उत्सुक थी। उन्होंने अपने पिताजी से राजनितिक तौर पर भी शिक्षा प्राप्त की थी। प्रधानमंत्री के तौर पर सफलता प्राप्त करने के लिए उन्हें लालबहादुर शास्त्री जी से बहुत कुछ सीखने को मिला। फिर दुर्भाग्यवश लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु हो गयी और इंदिरा गाँधी जी देश की प्रधानमंत्री बनी।

इंदिरा गाँधी जी का जन्म और परिवार

उनका जन्म धनी परिवार में हुआ था। उनका जन्म साल 1917, नवम्बर को उत्तर प्रदेश के एक संपन्न और शिक्षित परिवार में जन्म हुआ था। उनका सम्पूर्ण नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी था, मगर घर पर उन्हें सब प्यार से इंदु कहकर पुकारते थे।

इंदिरा गांधी जी के दादाजी का नाम मोतीलाल नेहरू था। जवाहरलाल और मोतीलाल नेहरू का तालुक वकालत से था और उन्होंने देश को स्वतंत्र करवाने में काफी सहयोग दिया था।  इंदिरा गांधी जी के माँ का नाम कमला नेहरू था।

इंदिरा गाँधी का नामकरण उनके दादाजी द्वारा

इंदिरा जी का नाम उनके दादाजी ने रखा था। इसका अर्थ है पुत्री के रूप में लक्ष्मी और दुर्गा माता उनके घर पर आयी है। यही वजह है उनका नाम इंदिरा रखा गया।

परिवार के साथ कम वक़्त

इंदिरा गाँधी जी का आकर्षक व्यक्तित्व उन्हें उनके माता -पिता से प्राप्त हुआ था। इंदिरा गाँधी जी को दुर्भाग्यवश पारिवारिक जीवन की अनुभति नहीं हुयी थी। उनकी माँ की जल्द मृत्यु हो गयी थी, जब वह केवल अठारह वर्ष की थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्रता संग्राम को लेकर मसरूफ रहते थे, इसलिए परिवार के साथ उन्हें वक़्त काफी कम मिला था।

शिक्षा की अहमियत

जवाहरलाल नेहरू शिक्षा की अहमियत को बेहतर तरीके से समझते थे। इंदिरा गांधी की आरंभिक शिक्षा नेहरू जी ने घर पर करवाई थी। उसके पश्चात उन्हें विद्यालय भेजा गया। फिर इंदिरा जी को शांतिनिकेतन के विश्व भारती विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला। उसके पश्चात वर्ष 1937 में उन्हें ऑक्सफ़ोर्ड जैसे बड़े विश्वविद्यालय में पढ़ने का मौका मिला।

इंदिरा गाँधी जी को बचपन से ही किताबे और विभिन्न पत्रिकाएं पढ़ने का बड़ा शौक था। उन्होंने कई जगह जाकर शिक्षा प्राप्त की थी और पुस्तकों से लगाव होने के कारण उनका सामान्य ज्ञान अच्छा था।

उन्हें दुनिया के विभिन्न अनुभवों की अनुभूति थी। वह बहुत अच्छी विद्यार्थी नहीं थी, मगर अंग्रेजी भाषा की तरफ उनका रुझान अधिक था। इसका कारण था नेहरू जी की शिक्षा और उनका हमेशा अंग्रेजी में इंदिरा जी से बात करना। नेहरू जी अपने पुत्री इंदिरा गाँधी जी को अंग्रेजी में पत्र लिखते थे।

फिरोज गाँधी से इंदिरा गाँधी का विवाह

इंदिरा गाँधी जी का विवाह फ़िरोज़ गाँधी जी से हुआ था। इंदिरा गाँधी जी की फ़िरोज़ से ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने के वक़्त मुलाक़ात हुयी थी। उसके बाद इंदिरा जी ने फ़िरोज़ गाँधी से विवाह के बारे में सोचा और अपने पिता नेहरू जी को यह बात बतायी।

नेहरू जी इस रिश्ते के लिए बिलकुल राज़ी नहीं थे। उन्होंने इंदिरा गाँधी जी को समझाने की कोशिश की थी, मगर इसका कोई फायदा नहीं हुआ और आखिर में इंदिरा जी ने फ़िरोज़ गाँधी जी से विवाह कर लिया और उनके दो पुत्र हुए। उन्होंने नेहरू जी के फैसले के खिलाफ जाकर शादी की थी।

राजनीतिक सोच वाले परिवार

इंदिरा गाँधी का जन्म राजनीतिक सोच और राजनैतिक विचारधारा रखने वाले परिवार में हुआ था। इंदिरा गाँधी वर्ष 1941 को भारत अपने वतन वापस लौट आयी और उनका सिर्फ एक लक्ष्य था भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होना।

जब भारत 1947 आजाद हुआ, तब भारत का विभाजन भी हुआ था। वहां लाखो शरणार्थियों की चिकित्सा इत्यादि की सहायता उन्होंने की थी। उन्होंने बेसहारा लोगो की मदद की। इससे पार्टी में उनके प्रति विश्वास और अधिक बढ़ गया। राजनीतिक पार्टी में उनकी अहमियत बढ़ने लगी।

कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष

इंदिरा गाँधी जी महज 42 वर्ष की थी, जब वह पार्टी की अध्यक्ष बनी। अचानक वर्ष 1964 को पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की मृत्यु हो गयी। श्रीमती इंदिरा गाँधी जी ने चुनाव जीता और प्रसारण और सूचना मंत्री बनी। इसी बीच कांग्रेस पार्टी के कुछ सदस्यों ने राजनीतिक परिवारवाद का आरोप भी नेहरू परिवार पर लगाया।

राष्ट्रिय कांग्रेस की सदस्य से देश की प्रधानमंत्री

शरुआत से ही इंदिरा गांधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्य रही हैं। इसके अलावा, 1959 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पार्टी अध्यक्ष के रूप में चुना गया। लाल बहादुर शास्त्री जी की असामयिक मृत्यु के बाद, 1966 में इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री बनीं।

इंदिरा गाँधी भारत की तीसरी महिला प्रधानमंत्री चुनी गयी। इंदिरा गाँधी जी ने सत्रह वर्षों तक प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्य किया।

लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बनी

श्रीमती इंदिरा गाँधी लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बनी। इंदिरा गाँधी वर्ष 1967 के चुनाव में कम बहुमत वोटो से जीती और वर्ष 1977 में वह भारी वोटो से जीती थी। फिर से वर्ष 1980 में वह भारत की फिर से प्रधानमंत्री चुनी गयी और 1984 तक प्रधानमंत्री रही।

देश को बुलंदी तक पहुँचाया

जब वह भारत की प्रधान मंत्री थीं, तब उन्होंने देश को काफी अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचाया। भारत ने साल 1971 में इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में पाकिस्तान को युद्ध में हराया। इसके अलावा सन 1970 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण भी किया गया।

इन दो साहसिक कदमों ने उन्हें भारत के प्रधानमंत्री के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने देश की रक्षा में प्रधानमंत्री के तौर पर अपने कर्त्तव्य को निभाया।

इंदिरा गाँधी जी के शासनकाल में मुश्किलें

इंदिरा गाँधी जी को अपने शासनकाल में काफी परेशानियां झेलनी पड़ी। उन्हें सबके तीखे टिप्पणियों का शिकार होना पड़ा। उन्होंने संयम के साथ निर्णय लिया। उनके शासनकाल में पकिस्तान को हराया गया और बांग्लादेश को आजादी दिलवाई।

मज़बूत और बेहतरीन नेतृत्व

उनमे नेतृत्व करने की बेहतरीन काबलियत थी। वह किसी भी कार्य को बखूभी निभाती थी। उनके कार्यकाल का एक बड़ा फैसला अभी बाकी था, जब 1975 में विपक्षी दलों ने जस्टिस  सिन्हा के ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ विद्रोह किया था।

देश के विपक्ष के प्रभाव को कम करने के लिए इंदिरा गाँधी जी ने आपातकालीन स्थिति की घोषणा की थी। यह उनके लिए 1977 में हार का कारण बना। जनवरी 1980 में वह फिर से  मिडटर्म पोल में वापस आ गयी थी।

प्रधानमंत्री के रूप में इतिहास रचा

वह साहसी, दृढ निश्चयी, निडर और दूरदर्शिता रखने वाली महिला थीं। साथ ही, गरीबों की समृद्धि लाने के लिए उनका 20 सूत्रीय कार्यक्रम एक साहसिक कदम था। वह एकमात्र ऐसी महिला थीं, जिन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में इतिहास रचा और सभी के दिलों में अपनी जगह बनाई।

खालिस्तान की मांग

खालिस्तान की मांग बढ़ रही थी और इसने उन्हें काफी बेचैन कर दिया था। इसके वजह से स्वर्ण मंदिर पर हमला हुआ था। इस तरह इंदिरा गाँधी जी ने सेना को मंदिर को आतंकवादियों से मुक्त करने का आदेश दिया था। अचानक 31 अक्टूबर 1984 को, उनके दो सुरक्षा गार्डों यानी अंगरक्षकों ने उनके घर पर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी।

निष्कर्ष

इंदिरा गांधी जी ने अपने शासनकाल में भारत की अवस्था को सुचारु रूप से ठीक करने का प्रयास किया। वे देश को सठिक और व्यवस्थित तौर पर चलाना चाहती थी। वे देश की आर्थिक नीति में सकारात्मक परिवर्तन लाना चाहती थी।

उन्होंने पीढ़ियों से चले आ रहे राजाओ का प्रिवीपर्स को खत्म किया। इंदिरा गांधी जी ने अपने बेहतरीन प्रतिभाओ के दम पर प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारियां को व्यवस्थित रूप से निभाने की कोशिश की। आज भी उन्हें उनके गुणों, आकर्षक और बेजोड़ व्यक्तित्व के कारण याद किया जाता है।


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तो यह था इंदिरा गाँधी पर निबंध (Indira Gandhi Essay In Hindi), आशा करता हूं कि इंदिरा गाँधी पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Indira Gandhi) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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