दूरदर्शन पर निबंध (Doordarshan Essay In Hindi)

आज हम दूरदर्शन पर निबंध (Essay On Doordarshan In Hindi) लिखेंगे। दूरदर्शन पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

दूरदर्शन पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Doordarshan In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


दूरदर्शन पर निबंध (Doordarshan Essay In Hindi)


प्रस्तावना

आज का युग विज्ञानं का युग है। इस युग में विज्ञान ने काफ़ी उन्नति कर ली है। आए दिन नए- नए अविष्कार होते रहते हैं। इन्हीं अविष्कारों में एक महत्वपूर्ण अविष्कार दूरदर्शन का है। मनुष्य अपने दिन भर की शारीरिक और मानसिक थकान को दूर करने के लिए दूरदर्शन का सहारा लेता है। इससे उसका बौद्धिक और चारित्रिक विकास भी होता है।

दिन भर काम करने के बाद हमे बोरियत महसूस होने लगती है। उस बोरियत को कम करने के लिए मनोरंजन का सहारा हम लेते है। दूरदर्शन को सभी लोग चाव से देखते है। इसमें प्रसारित किए जाने वाले सभी प्रोग्राम हर आयु वर्ग के लिए काफी उपयोगी साबित होते है।

दूरदर्शन के जरिए किसानो कों खेती करने के लिए किस बीज का इस्तेमाल करना चाहिए, इन सब के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है। वहीं छात्रों के लिए उनकी शिक्षा से जुड़ी  जानकारी प्राप्त होती है। दुनिया के किस कोने में कौन सी घटना कब घटित हुई, इन सब की जानकारी हमें दूरदर्शन से ही प्राप्त होती है।

दूरदर्शन का अर्थ और विस्तार

टेलीविजन को हिंदी में दूरदर्शन के नाम से जाना जाता हैं। टेलीविजन शब्द दो शब्दों से जुड़कर बना है। टेली और विजन, जिसका सामान्य अर्थ होता है दूर घटित किसी घटना के दृश्यों को आंखों के सामने उपस्थित कराना। दूरदर्शन रेडियो की तकनीक का ही विकसित रूप होता है।

टेलीविजन का सबसे पहले प्रयोग 1925 में ब्रिटेन के वैज्ञानिक जे. एल. बेयर्ड ने किया था। इसका आविष्कार करने का श्रेय जे. एल. बेयर्ड को ही जाता है। उन्होंने इसका आविष्कार 1926 में किया था।

वहीं भारत में इसका प्रसारण 1959 में किया गया था। टेलीविजन मनोरंजन के आविष्कारों में सबसे महत्वपूर्ण अविष्कार है। समाज के सभी वर्ग के लोगों को टेलीविजन ने काफी प्रभावित किया है।

आज के समय में टेलीविजन लगभग हर परिवार का हिस्सा बन चुका है। टेलीविजन मनोरंजन का सबसे सस्ता और सहजता से मिलने वाला साधन बन चुका है। पूरी दुनिया के समाचार  आप दूरदर्शन की सहायता से प्राप्त कर सकते हैं।

आप दूरदर्शन के जरिये घर बैठे दुनिया भर के कोने कोने की जानकारी लगातार प्राप्त कर सकते है। वही समय के साथ साथ दूरदर्शन में भी काफी परिवर्तन आया है। आज के समय में लोग अपने घरों में केबल या डिश के जरिए दूरदर्शन के चैनल के माध्यम से अपना मनोरंजन कर रहे हैं।

दूरदर्शन में अत्याधुनिक परिवर्तन

दूरदर्शन ने आज की युवा पीढ़ी को सबसे अधिक प्रभावित किया है। पहले के समय में केवल श्वेत श्याम दूरदर्शन लोगों के घर में हुआ करते थे और उन्हें शाम से लेकर देर रात तक मनोरंजन के लिए एक ही चैनल उपलब्ध होते थे।

लेकिन समय के साथ इसमें परिवर्तन होता गया। आज के समय में रंगीन टेलीविजन चैनल के साथ आने लगे हैं। दर्शकों के मनोरंजन के लिए 500 से भी अधिक चैनल आने लगे है, जिनमें दिन रात नए-नए प्रोग्राम प्रसारित होते रहते हैं।

दूरदर्शन के सिद्धांत और रेडियो में समानता

दूरदर्शन का सिद्धांत रेडियो के सिद्धांत से काफी मिलता-जुलता है। रेडियो के प्रसारण में आमतौर पर वार्ता और गायक स्टूडियो में ही अपना गायन या वार्ता को प्रस्तुत करता है। इसकी आवाज से हवा में जो तरंगे उठती है, वह माइक्रोफोन बिजली की तरंगों में परिवर्तित हो जाती है।

इन्हीं तरंगों को भूमिगत तारों में ट्रांसमीटर तक पहुंचाया जाता है, जो उन तरंगों को रेडियो की तरंगों में बदल कर रख देता है। वही तरंगे टेलीविजन आपके घरों में पकड़ लेता है।

दूरदर्शन पर हम केवल वही देख पाते हैं, जो दूरदर्शन कैमरा चित्रित करता रहता है। वही रेडियो उन चित्रों को रेडियो की तरंगों से दूर की जगह पर भेज रहा होता है। दूरदर्शन के लिए एक खास स्टूडियो निर्माण होता है, जहां पर गायक और नृतक दोनों ही अपना प्रोग्राम पेश कर रहे होते हैं।

दूरदर्शन का मनोरंजन से संबंध

दूरदर्शन मनोरंजन के लिए एक लोकप्रिय साधन के रूप में जाना जाता है। दूरदर्शन पर कई प्रकार के प्रभावी कार्यक्रम प्रसारित होते रहते हैं। इससे लोगों को काफी जानकारी मिलती  है। दूरदर्शन को देखने और सुनने से मनोरंजन के साथ-साथ लोगों के ज्ञान में वृद्धि होती है।

शिक्षा प्रचार के साधन के रूप में

दूरदर्शन के जरिए शिक्षा का प्रसार और प्रचार होता है। यह बच्चो के लिए वास्तविकता में सार्थक रूप से शिक्षक भी है। इसके द्वारा बच्चो को अपने पाठ्यक्रम संबंधी ज्ञान, विद्वान व विशेषज्ञ शिक्षकों के माध्यम से दिया जाता है। वही प्रौढ़ शिक्षा पर भी तरह-तरह के कार्यक्रम दूरदर्शन पर प्रसारित किए जाते हैं।

सामाजिक चेतना बढ़ाने में कारगर

समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के पीछे हमेशा से दूरदर्शन का हाथ रहा है। सामाजिक और शैक्षणिक के अलावा स्वास्थ्य जीवन शैली जीने की नसीहते भी हमें दूरदर्शन के जरिए ही मिलती है। समाज में फैली विभिन्न प्रकार की कुरीतियां को हटाने के लिए दूरदर्शन पर तरह-तरह के प्रोग्राम प्रसारित होते हैं, जिससे लोगों में जागरूकता आती है।

दूरदर्शन का बच्चो पर पड़ने वाला कुप्रभाव

दूरदर्शन से लोगों को जहां अनेकों लाभ पहुंचते हैं, वही इससे कुछ हानियां भी होती है। दूरदर्शन का उपयोग यदि हम सहि तरीकों और नीतियों के तहत राष्ट्रीय हितों के लिए नहीं करते हैं, तो वह समय दूर नहीं जब हमारा देश अपनी प्राचीन सभ्यता को भूलकर पश्चिमी सभ्यता को अपना लेगा।

दूरदर्शन ने बच्चों की पढ़ाई पर भी बुरा असर डाला है। बच्चों को अधिक से अधिक अपने मनोरंजन के लिए दूरदर्शन ही चाहिए होता है। पढ़ाई न करके अपना अधिकांश समय बच्चे दूरदर्शन को देखने में ही लगाते हैं।

आज के समय में दूरदर्शन में पहले की तुलना में अधिकतर फिल्में प्रसारित होती है। इन फिल्मों को देखने से बच्चों पर बुरा असर पड़ता है और छोटी सी उम्र में ही धूम्रपान और शराब जैसी बुरी आदते बच्चो को लग जाती हैं। फिल्मों में अहिंसक रूप से मारने पीटने को देखने से बच्चों के मन में अहिंसा करने की प्रवृत्ति का जन्म होता है।

निष्कर्ष

दूरदर्शन की उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता। देश विदेश के बारे में जानकारी हमें दूरदर्शन के द्वारा ही प्राप्त होती है। किसी भी चीज के अच्छे और बूरे दोनों ही पहलू होते है।  यदि दूरदर्शन का लोग सही तरीके से इस्तेमाल करते है, तो इससे उनका सर्वागीण विकास होता है। भारत के नव निर्माण में दूरदर्शन की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है।


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तो यह था दूरदर्शन पर निबंध (Doordarshan Essay In Hindi), आशा करता हूं कि दूरदर्शन पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Doordarshan) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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