आपदा प्रबंधन पर निबंध (Disaster Management Essay In Hindi)

आज हम आपदा प्रबंधन पर निबंध (Essay On Disaster Management In Hindi) लिखेंगे। आपदा प्रबंधन पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

आपदा प्रबंधन पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Disaster Management In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


आपदा प्रबंधन पर निबंध (Disaster Management Essay In Hindi)


प्रस्तावना

मनुष्य ने औद्योगीकरण के कारण पर्यावरण को क्षति पहुंचाई है। मनुष्य ने तीव्र गति से उन्नति की लेकिन प्रकृति का संतुलन उसकी वजह से बिगड़ता जा रहा है। हर साल पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदाएं आती है।

भूकंप, सुनामी, तूफ़ान, सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाएं पृथ्वी पर कहर डाल देती है। बाढ़, भूकंप, सुनामी की वजह से जान माल का भारी नुक़सान होता है। प्राकृतिक आपदाएं अक्सर पृथ्वी पर घटित होती रहती है।

इन सबसे बचने के लिए भारत सरकार द्वारा ज़रूरी उपाय किये जाते है। भारत सरकार द्वारा विशेष फोर्सेज का निर्माण किया जाता है। यह फोर्सेज आपदाओं में फंसे लोगो की सहायता करती है। इसे आपदा प्रबंधन कहते है।

प्राकृतिक आपदाएं

प्राकृतिक आपदाओं की वजह से पूल टूट जाते है और कई लोगों के घर उजर जाते है। कई लोग अपनी जान गवा देते है। मनुष्य ने तरक्की कर ली मगर प्रदूषण की मात्रा पृथ्वी पर बढ़ती चली जा रही है।

बड़े बड़े शहरों में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती चली जा रही है। कई बार सचेत करने के बावजूद भी कई लोग प्रदूषण की परेशानी को गंभीरता से नहीं ले रहे है। प्रदूषण ने ही प्राकृतिक आपदाओं को न्यौता दिया है। प्राकृतिक विपदाओं के कारण जीव जंतुओं को भी नुक़सान पहुँचता है।

भयावह नुकसान

प्राकृतिक आपदाओं की वजह से समस्त प्राणियों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। प्राकृतिक आपदाओं का बुरा असर मासूम जीव जंतुओं पर भी पड़ता है। प्रकृति में पेड़, पौधे, फूल इत्यादि चीज़ें ना केवल प्रकृति की शोभा बढ़ाते है, बल्कि प्राकृतिक संतुलन को बनाये रखने में सहायता करते है।

मनुष्य ने हर क्षेत्र में प्रगति की और कई क्षेत्र में अच्छे बदलाव भी लाये। परन्तु प्रलय का डर उसे सताता है। प्रलय एक पल में सब कुछ समाप्त करके चला जाता है। प्राकृतिक आपदाओं की वजह से हर वर्ष कई लोगो का घर उजर जाता है।

प्राकृतिक आपदाओं का कारण

प्राकृतिक आपदाओं की वजह मनुष्य खुद है। जिस प्रकार वायुमंडल में हानिकारक गैस सम्मिलित हो रही है, पृथ्वी का तापमान बढ़ता चला जा रहा है। इसे ग्लोबल वार्मिंग अर्थात भूमंडलीय ऊष्मीकरण कहा जा सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग के लिए जो गैस जिम्मेदार है, उनके नाम है कार्बन, हीलियम, मीथेन इत्यादि। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से मौसमो में परिवर्तन भी देखा गया है। ग्लेशियर के बर्फ तापमान वृद्धि की वजह से पिघल रहे है। इससे जल स्तर बढ़ रहा है।

जल स्तर बढ़ने के वजह से बाढ़ जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही है। प्रकृति के समक्ष कोई भी इंसान कुछ नहीं कर सकता है। मनुष्य ने स्वयं जंगलो को काटा, ताकि वह बड़े मकान बना सके। यहां तक की नदियों और वायु को प्रदूषित तक कर दिया। इसका खामियाजा तो मनुष्य को भुगतना ही पड़ेगा।

अपने लाभ के लिए मनुष्य प्रकृति को हानि पहुंचा रहा है। मनुष्य खुद प्रकृति को दूषित करता है। सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह इन सब गतिविधियों पर अंकुश लगाए, जिससे प्रदूषण फैल रहा है।

भूकंप की घटनाएं

भूकंप ने कई देशो, राज्यों, गाँवों में तबाही मचाई है। भूकंप की वजह से घर, दफ्तर, सड़क सभी तबाह हो जाते है। कई लोग अपनी जान गवा देते है। भूकंप की वजह से कई शहर धूल में मिल जाते है।

बड़ी दर्दनाक घटनाएं जन्म लेती है, जिसे सालो साल भुलाया नहीं जा सकता है। इसलिए आपदा प्रबंधन बहुत आवश्यक है। कभी कभी अचानक जंगलो में आग लग जाती है, जिसकी वजह से ना केवल पेड़ पौधे नष्ट हो जाते है, बल्कि कई जीव जंतु भी मारे जाते है। प्राकृतिक आपदाओं को रोकने का प्रयास सरकार कर रही है।

कुछ अनियंत्रित घटनाएं

कुछ प्राकृतिक आपदाओं पर मनुष्य का ज़ोर नहीं चलता है। अभी तक ऐसा कोई यन्त्र नहीं है, जो आने वाले प्राकृतिक विपदाओं के बारे में बता सके। कुछ प्राकृतिक विपदाएं  अचनाक घट जाती है, जैसे ज्वालामुखी विस्फोट, भूकंप का आना इत्यादि।

ऐसे आपदाओं को आकस्मिक आपदाएं कहा जाता है। कुछ अनियंत्रित घटनाएं जिसके बारे में पता लगा सकते है, जिससे नुकसान ना हो। ऐसे घटनाओ का पता मौसम विभाग लगा सकता है, जैसे अकाल और कृषि से जुड़ी कुछ समस्याएं।

आपदाओं से भारी हानि

प्राकृतिक आपदाओं की वजह से आर्थिक नुकसान देशो और राज्यों को झेलना पड़ता है। जब सब कुछ नष्ट हो जाता है, तो लोगो को उस स्थिति से उभरने में वक़्त लगता है। आपदाओं के वजह से सड़को का नुकसान, पूल का टूटना, घर गिर जाना जैसे बड़े नुकसान होते है और मनुष्यो की जिन्दगी भी समाप्त हो जाती है।

आपदा प्रबंधन

आपदाओं को रोकने के लिए कई कोशिशे की जा रही है और नए उपाय भी सरकार द्वारा किये जा रहे है। इसे आपदा प्रबंधन कहते है। साल २००५ में सरकार द्वारा अधिनियम जारी किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य था, प्राकृतिक आपदाओं से हो रहे विनाश से लोगो को बचाना।

आपदाओं को रोकने के लिए सरकार ने कुछ फोर्सेज का गठन किया। NCC, NDRF जैसे फोर्सेज प्राकृतिक आपदाओं में लोगो की सहायता करते है। लोगो को प्राकृतिक आपदाओं के विषय में जानकारी होनी चाहिए। लोगो को आपदाओं के विषय में अवगत कराने के लिए आपदा प्रबंधन के विषय में जानना ज़रूरी है। सरकार को आपदाओं पर नियंत्रण करने के लिए ज़रूरी नियम बनाने चाहिए।

निष्कर्ष

आपदा प्रबंधन बहुत ही ज़रूरी है। प्रकृति और पर्यावरण को सहज कर रखना ज़रूरी है। प्रकृति को प्रदूषित नहीं करना चाहिए। ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए, जिससे प्राकृतिक संतुलन पर असर पड़े।

सरकार अपनी तरफ से प्रयास कर रही है और हमे भी इस मामले में सरकार को योगदान देना चाहिए। आपदा प्रबंधन ज़रूरी है। सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। उम्मीद है आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार होगा।


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तो यह था आपदा प्रबंधन पर निबंध (Disaster Management Essay In Hindi), आशा करता हूं कि आपदा प्रबंधन पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Disaster Management) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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