गोस्वामी तुलसीदास पर निबंध (Goswami Tulsidas Essay In Hindi)

आज हम गोस्वामी तुलसीदास पर निबंध (Essay On Goswami Tulsidas In Hindi) लिखेंगे। गोस्वामी तुलसीदास पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

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गोस्वामी तुलसीदास पर निबंध (Goswami Tulsidas Essay In Hindi)


प्रस्तावना

हिंदी साहित्य के महान कवियों में से एक है गोस्वामी तुलसीदास जी। वह अपने लोकप्रिय कविताओं और मंत्रमुग्ध कर देने वाले दोहो के लिए जाने जाते है। सबसे बहुचर्चित रामचरित मानस के लिए वह जाने जाते है।

उनका जन्म मध्यप्रदेश के राजपुर में हुआ था। कहा जाता है कि वे जन्म के बाद ही राम का नाम ले रहे थे। इसकी वजह से उनका नाम रामबोला रख दिया गया। तुलसीदास जी के पिताजी का नाम आत्माराम दुबे था। उनकी माता जी का नाम हुलसी था। तुलसीदास जी कुशाग्र बुद्धि के थे। उन्हें सारी बातें जबानी याद हो जाती थी, जिसे भी वह एक बार सुन लेते थे।

माँ की कोख

सृष्टि गवाह है कि बच्चा माँ के पेट में नौ महीना रहता है। मगर तुलसीदास जी अपने माँ के कोख में दस महीने तक रहे। जब उनका जन्म हुआ, तो उनके दांत पहले से ही मौजूद थे। वह राम राम कह रहे थे। यह बड़ी ही विचित्र और अदभुत बात थी।

माता का गुजर जाना

तुलसीदास जी के जन्म के पश्चात उनकी माँ चल बसी। तुलसीदास जी के पिताजी उनकी पत्नी के मृत्यु के पश्चात अपने बेटे को लेकर काफी चिंतित रहते थे। उनके पिता ने तुलसीदास जी को देखभाल करने के लिए एक दासी के हाथों सौंप दिया और चले गए। उनके पिता ने तत्पश्चात संन्यास ले लिया।

कम उम्र से तुलसीदास जी का जीवन कठिन

महज तुलसीदास जी जब पांच वर्ष के थे, तब उनकी देखभाल करने वाली दासी भी चल बसी। कहा जाता है उन्हें बचपन में भीख मांग कर गुजारा करना पड़ता था।

तुलसीदास जी बचपन से अकेले हो गए थे। फिर नरहरि दास उनसे मिले और वह उनके गुरु शिक्षक बन गए थे। उनके गुरु जी उन्हें उत्तर प्रदेश ले आये। उनके गुरूजी ने उनका नाम बदल कर तुलसीदास रखा।

तुलसीदास जी का विवाह

तुलसीदास जी का विवाह 29 के उम्र में हुआ था। उनका विवाह राजापुर के पास यमुना के पार हुआ था। उनका विवाह रत्नावली से हुआ, मगर गौना नहीं हुआ था।

पत्नी के लिए बैचेन

तुलसीदास जी का जब गौना नहीं हुआ, तो वह काशी जाकर वेदो के अध्ययन में व्यस्त हो गए। उन्होंने वेदो को गहनता से पढ़ा। कुछ समय बाद वह अपने पत्नी के चिंता में बैचेन हो उठे। उन्होंने अपने गुरूजी से राजापुर जाने के बारे में पूछा। जैसे ही गुरूजी ने आज्ञा दी, तो वह राजापुर वापस आ गए।

तुलसीदास जी साधू बन गए

जब वे यमुना नदी को पार करके अपने पत्नी के पास गए, तो समाज और शर्म से डरकर उनकी पत्नी ने उन्हें वापस जाने को कहा। पहले वह अपनी पत्नी की बात को नहीं सुन रहे थे। उनकी पत्नी ने परेशान होकर उन्हें जाने के लिए कहा। तुलसीदास जी अपने पत्नी को छोड़कर गाँव वापस आ गए। गाँव में वे साधू बन गए।

रामचरित मानस

तुलसीदास जी ने सन १५८२ में रामचरित मानस लिखना आरम्भ किया था। दो वर्ष पश्चात रामचरित मानस पूरा हुआ। रामचरित मानस आज भी हमारे देश में प्रसिद्ध है। जब धार्मिक ग्रंथो की बात आती है, तो रामचरित मानस को सबसे पहले गिना जाता है।

हनुमान जी के दर्शन

बहुत लोग ऐसा बताते है कि तुलसीदास जी को हनुमान जी के दर्शन हुए थे। हनुमान जी ने उन्हें रामचरित मानस से जुड़ी ज़रूरी बातें बतायी थी। तुलसीदास जी चित्रकूट के रामघाट पर स्थित आश्रम में रहने लगे। वहाँ पर कुछ लोग एक पर्वत की परिक्रमा करते थे, ताकि प्रभु श्रीराम के दर्शन प्राप्त हो सके।

कहा जाता है कि तुलसीदास जी को भगवान श्रीराम के दर्शन प्राप्त हुए थे। इससे बड़ा सौभाग्य उनके लिए और कुछ नहीं हो सकता था।

तुलसीदास जी ने काफी ग्रन्थ लिखे

तुलसीदास जी ने अपने पूरे जीवन काल में अनेक ग्रन्थ लिखे। उनका आखरी कृति विनय पत्रिका थी। उनके ग्रन्थ प्रेरणादायक रहे और आज भी शोधकर्ता उनके ग्रंथो पर रिसर्च करते है।

साहित्यकार और समाज सुधारक

हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध और महान संत के रूप में तुलसीदास जी को माना जाता है। वह एक अच्छे साहित्यकार होने के साथ समाज सुधारक भी थे। उस समय में समाज में कई कुरीतियां और बुराईयां फैली हुयी थी। उस समय एक ऐसे इंसान की ज़रूरत थी, जो इन कुरीतियों को मिटाये।

उस समय समाज में व्याप्त बुराईयों को मिटाने के लिए तुलसीदास जी जैसे महान साहित्यकार की ज़रूरत थी। उन्होंने इस क्षेत्र में प्रशंसनीय कार्य किया।

तुलसीदास जी की मृत्यु

वाराणसी में सन १६२३ में असीघाट में तुलसीदास जी की मृत्यु हो गई। मृत्यु से पूर्व वह राम नाम का जाप कर रहे थे।

समाज के दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना

तुलसीदास जी ने ऐसी रचनाएं लिखी, जिसने धार्मिक आडम्बरो पर अंकुश लगाया। उन्होंने हिन्दू धर्म में मौजूद पाखंडो को दूर किया। उन्होंने अहिंसा, परोपकार जैसे गुणों पर ज़ोर दिया और अपने रचनाओं के माध्यम से समाज को अच्छा पैगाम दिया।

हिन्दू धर्म के उद्धारक के रूप में उन्होंने अच्छा कार्य किया। तुलसीदास जी ने मूर्तिपूजा का समर्थन किया और लोगो को इस पर विश्वास करना सिखाया। तुलसीदास जी ने समाज में व्याप्त धार्मिक कट्टरता वाले विचारो का विरोध किया और समाज में धैर्य, सहनशक्ति और उदारता जैसे गुणों पर ज़ोर दिया।

सभी धर्मो का सम्मान

तुलसीदास जी सभी धर्मो का सम्मान तथा आदर करते थे। उन्होंने किसी भी धर्म को लेकर कभी भी गुस्सा प्रकट नहीं किया। उन्होंने हिन्दू और मुसलमानो को एक करने का प्रयत्न किया। वह सही माईनो में हिन्दू धर्म के सच्चे रक्षक थे। उनके रचनाओं में साम्प्रदायिकता की झलक दिखाई नहीं देती है।

समाज का उद्धार करने का प्रयत्न

तुलसीदास जी ने ऐसी प्रेरणादायक रचनाएं लिखी, जिससे समाज का उद्धार हुआ। रामचरित मानस ने हमारी संस्कृति को एक नया रूप दिया। रामचरित मानस में लिखे सकारात्मक विचार ने सामाजिक बुराई और सोच का नाश किया।

उन्होंने अच्छे परिवार और अच्छे समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभायी थी। तुलसीदास जी ने पूरे समाज को मर्यादा पुरुषोत्तम के आदर्श सिखाये।

हर परिवार में एक अच्छे भाई और पति के क्या कर्त्तव्य होते है, वह सिखाये। तुलसीदास जी ने रामचरित मानस में सीता माता को अच्छी पत्नी, कौशल्या को आदर्श माँ और श्रीराम के भाई भरत को आदर्श भाई कहा।

निष्कर्ष

भारतीय संस्कृति और आदर्श मूल्यों को बनाने में तुलसीदास जी ने काफी प्रयास किया।  वह देश की संस्कृति के रक्षक थे, जिन्होंने बुराइयों का खंडन किया और अच्छे गुणों को महत्व दिया।

तुलसीदास जी ने सच्चे मन से भगवान श्रीराम की भक्ति में अपना जीवन बिताया और समाज में सहिष्णुता और मानवता जैसे गुणों पर हमेशा बल दिया। सभी देशवासियों को धर्म और संस्कृति के तहत एक साथ जोड़ने की तुलसीदास जी ने चेष्टा की।

तुलसीदास जी ने लोगो को देश की संस्कृति पर विश्वास दिलाया। उन्होंने हर रूप में अपना कर्त्तव्य निभाया। वह एक महान इंसान होने के साथ एक महान कवि, भक्त और समाज सुधारक भी थे। यही वजह है की हम आज भी उन्हें याद करते है।


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तो यह था गोस्वामी तुलसीदास पर निबंध (Goswami Tulsidas Essay In Hindi), आशा करता हूं कि गोस्वामी तुलसीदास जी पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Goswami Tulsidas) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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