महाशिवरात्रि पर निबंध (Maha Shivratri Essay In Hindi)

आज हम महाशिवरात्रि पर निबंध (Essay On Maha Shivratri In Hindi) लिखेंगे। महाशिवरात्रि पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

महाशिवरात्रि पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Maha Shivratri In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


महाशिवरात्रि पर निबंध (Maha Shivratri Essay In Hindi)


प्रस्तावना

देवो के देव महादेव, त्रिनेत्र जिनके क्रोध के आगे कोई नहीं टिक सकता, ऐसे है महादेव शिव शंकर। हमारे देश भारत मे कई त्योहार बहुत ही उत्साह के साथ मनाये जाते है। जैसे दीपावली, जन्माष्टमी, गणेश उत्सव, नवरात्रि ओर महाशिवरात्रि। 

महाशिवरात्रि का त्योहार हमारे देश मे बहुत महत्व है। इस दिन की पूजा अर्चना सुबह से लेकर शाम तक चलती है। परंतु शिवरात्रि की पूजा रात में ही महोत्सव की तरह की जाती हैं।शिव+रात्री अर्थात शिव जी की रात, जिस दिन शिव जी का जन्म हुआ था।

शिवरात्रि शब्द के साथ महा शब्द जोड़ने पर ये उसको ओर अधिक श्रेष्ट बना देता है। महा शब्द का मतलब किसी भी शब्द में अन्य शब्द को जोड़कर उसकी उपयोगिता को बढ़ाना कहलाता है। क्या आपको पता है की शिवरात्रि ओर महाशिवरात्रि में क्या अंतर है? अगर नहीं, तो पहले ये जानते है।

कब मनायी जाती है महाशिवरात्रि

हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को, हर सोमवार को, प्रदोष व्रत के दिन कहते है। फाल्गुन महीने की कृष्ण चतुर्दशी पर पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। जिसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

इस दिन शिव जी की पूजा का अत्यधिक महत्व है। माना जाता है कि कुँवारी कन्या अगर इस दीन शिव जी की पूजा अर्चना करती है, तो उन्हें शिव जी जैसा एक अच्छा और आदर्श वादी जीवन साथी की प्राप्ति होती है। परंतु इस दिन भगवान शिव की पूजा का महत्व सभी के लिए उत्सवर्धक होता है। हर जगह हर हर महादेव की गर्जना सुनाई देती है।

कैसे की जाती है पूजा

शिव रात्रि वाले दिन शिव जी की पूजन विधि इस तरह से है।

सुबह प्रातःकाल उठ कर स्नान किया जाता है और कई लोग तो इस दिन स्नान आदि के लिए गंगा जी मे डुबकी भी लगाने के लिए जाते है। परंतु आमतौर पर स्नान करते वक्त अपने पानी मे बहुत से लोग इस दिन काले तिल डाल कर स्नान करते है।

इस दिन पूरा दिन व्रत रखा जाता है, परंतु फलहार आदि किया जाता है। जैसा कि हमे पता है की यह दिन शिव जी का दीन है, तो स्नान आदि करके शिव जी और पार्वती जी की पूजा की जाती है।

शिव जी की पूजा का प्रारंभ शिव जी का अभिषेक करके किया जाता है। फिर दूध, जल, चंदन, घी, दही, शहद, फूल, फल और बेलपत्र का तो विशेष महत्व रहता है। इस दिन शिव जी की उपासना में यदि चारो पहर की पूजा करते है, तो पहले पहर में पानी, दूसरे पहर में घी, तीसरे पहर में दही और चौथे पहर में शहद का प्रयोग करना उचित माना जाता है।

शिव जी की पूजा में शिवलिंग पर जल, फूल, बेलपत्र, धतूरा, बेर, पान का पत्ता चढ़ाने का विशेष महत्व है। ॐ नमःशिवाय का 108 बार जाप किया जाता है और अगरबत्ती, धूपबत्ती आदि की सुगंध से मंदिर और घर को महकाया जाता है।

शिव जी आरती की जाती है। इसके साथ ही शिव जी के 108 नाम का जाप किया जाता है। पूजा करने की विधि तो सभी को पता है, परंतु जरूरी नहीं कि सभी के पास सभी चीजें उपलब्ध हो। परंतु ये भी सत्य है कि भगवान इंसान की पूजा और श्रद्धा देखते है, भले ही उसके पास चढ़ाने को कुछ भी ना हो।

इसलिए ये भी सही है कि अपनी श्रद्धा ओर विश्वास का महत्व पूजा पाठ में ज्यादा होता है, ना कि दिखावा ।

शिवरात्रि का नाम शिवरात्रि कैसे पड़ा

शिवपुराण के अनुसार शिव जी धरती के जितने भी जीव जंतु है, उनके स्वामी है। और शिव जी की इक्छा अनुसार ही इंसान ओर जीव जंतु अपना कार्य करते है। जैसा भगवान हमसे चाहते है और जैसा वो हमसे करवाते है, हम आम इंसान वैसे ही करते है।

शिव पुराण के अनुसार शिव जी वर्ष के 6 मास कैलाश पर्वत पर रहकर तपस्या में लीन रहते है और उनके साथ ही सभी कीड़े मकोड़े भी अपने – अपने बिलो में बंद हो जाते है। 6 मास बाद शिव जी कैलाश पर्वत को छोड़कर धरती पर श्मशान घाट पर निवास करते है और शिव जी का धरती पर आने का समय प्रायः फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है।

ये दिन इसलिए शिवरात्रि के नाम से जाना जाता हैं, क्योकि शिव जी धरती पर अवतरण होते है।

महाशिवरात्रि की व्रत कथा

शिव पुराणनुसार प्राचीनकाल में एक शिकारी था। जिसका नाम चित्रभानु था। जो कि पक्षियों ओर जनवरो को मारकर अपना जीवन यापन करता था। वह एक साहूकार का ऋणी हो गया था और उस वक़्त ऋण सही समय पर चुकाने में असमर्थ था।

जिससे क्रोधित होकर साहूकार ने उसे बंदी बना लिया। सयोंग से उस दिन शिवरात्रि का दिन था। साहूकार ने अपने घर पर उस दिन पूजा रखी थी। शिकारी पूजा सम्बन्धी सभी बातों को ध्यानमग्न होकर सुनने लगा और चतुर्दर्शी वाले दिन उसने शिवरात्रि की व्रत कथा भी सुनी।

शाम को साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के विषय पर बात करि ओर शिकारी अगले दिन ही ऋण चुकाने की बात कहकर चला गया। ओर फिर वो अपनी दिनचर्या के अनुसार शिकार पर चला गया।

लेकिन दिन भर साहूकार के यहां बन्दी रहने के कारण वो बहुत थक चुका था और भूख से बहुत व्याकुल भी था। वो शिकार खोजते हुए जंगल के बहुत दूर निकल गया था। जब अंधेरा हो गया तो उसने सोचा इस वक्त रात बहुत हो गयी है और वापिस लौटना बहुत मुश्किल है। तो उसने सोचा की रात यही जंगल मे ही बितानी पड़ेगी।

वह वन के एक तालाब के किनारे एक बेल के पेड़ प चढ़ कर रात बिताने लगा ओर सुबह का इंतजार कर रहा था। उसी बेलपत्र के पेड़ के नीचे ही एक शिवलिंग भी था, जो कि पत्तियों से ढका हुआ था।

शिकारी इस बात से अनजान था। पड़ाव बनाते समय जो टहनियां उसने तोड़ी, वो संयोग से शिवलिंग पर गिरती चली गयी। इस प्रकार से शिकारी के दिन भर भूखे प्यासे रहने से उसका व्रत हो गया और शिवलिंग पर बिल्वपत्र भी चढ़ गए।

एक पहर रात्रि की जब बीत गयी, तब वहां पर तलाब पर एक गर्भवती हिरणी पानी पीने आई। शिकारी ने जैसे ही धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्यो ही तीर खिंची की हिरणी बोली, हे शिकारी में गर्भवती हु, शीघ्र ही पर्चस्व करुँगी। में बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत हो जाऊंगी, तब तुम मुझे मार लेना।

शिकारी ने उसे छोड़ने के लिए जैसे ही अपने तीर को ढीला किया कि कुछ बेलपत्री टूटकर शिवलिंग पर चढ़ गए और उसकी पहले पहर की पूजा सम्पन्न हो गयी। कुछ ही देर बाद एक ओर हिरणी वहां आई।

शिकारी की खुशी का ठिकाना ना रहा ओर उसने जैसे ही उसे मारने के लिए धनुषबाण चढ़ाया, तब हिरनी ने उससे बड़े ही विनम्रतापूर्वक कहा कि में अभी ही ऋतु से निवृत हुई हु और कामातुर विरहिणी हूँ। अपने प्रिय की खोज में भटक रही हूं। में अपने पति से मिलकर सीघ्र ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी।

शिकारी का दिमाग खराब हो गया और उसने इस बार भी जैसे ही बाण को जैसे ही धनुष में रखने की कोशिश करि, वैसे ही कुछ बेलपत्र फिर शिकारी के हाथो से टूटकर शिवलिंग पर चढ़ गए और उसकी दूसरे पहर की भी पूजा सम्पूर्ण हो गयी।

तभी एक ओर हिरणी अपने बच्चे के साथ उधर से निकली। शिकारी के लिए ये अच्छा मौका था। उसने इसका फायदा भी उठाया और उसने जैसे ही उन्हें मारने के लिए वाण उठाया, हिरण बोल उठी हे शिकारी में मेरे इन बच्चों को इनके पिता के पास छोड़ आयु उसके बाद तुम मुझे मार देना।

शिकारी को उसकी बात सुनकर उसपे दया आ गयी और उसने हिरण को जाने दिया। शिकार के अभाव और भूख प्यास से व्याकुल शिकारी बेलपत्र को तोड़ तोड़ कर शिवलिंग पर चढ़ाता गया। पर वो इस बात से अनजान था। तभी एक हिरण वँहा आया। शिकारी ने सोच लिया कि वो इसका शिकार जरूर करेंगा।

तब शिकारी बाण चलाने ही वाला था कि हिरण बोल उठा, यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाले तीन मर्गीय को ओर उसके बच्चों को मार डाला तो मुझे भी मार दो, मुझे एक क्षण के लिए भी नहीं छोड़ना, क्योंकि में उन हिरणियों का पति हु ओर उनके बिना नहीँ जी सकता।

हिरन बोला अगर तुमने उन्हें जीवनदान दिया है, तो कुछ क्षण के लिए मुझे भी जीवनदान देदो में उनसे मिलकर आके तुम्हारे समीप शीघ्र ही उपस्थित हो जाऊंगा। उपवास, रात्रि जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से अनजाने में ही शिवरात्रि की पूजा उस शिकारी से सम्पूर्ण हो गयी।

उसे अनजाने में हुई पूजा का फल भी मिला और उसका कठोर ह्रदय तत्काल निर्मल हो गया। थोड़ी देर बाद जब हिरण का परिवार सत्य कहेनुसार वहां उपस्थित हो गया, तो शिकारी ने उन्हें छोड़कर जीवनदान दे दिया।

अनजाने में शिवरात्रि के व्रत का पालन करने पर शिकारी को मोक्ष प्राप्त हुआ और जब मृतु के देवता उसकी आत्मा को लेने आये, तो शिवगणों ने उन्हें वापस भेज दिया तथा शिकारी को शिवलोक ले गए।

शिव जी की कृपा से अगले जन्म में राजा चित्रभानु अपने पिछले जन्म को याद रख पाए और शिवरात्रि के महत्व को जानकर उसका पालन इस जन्म में भी करने लगे। उन्होंने शिव जी की उपासना में ही अपना जीवन बिता दिया।

उपसंहार

जिस प्रकार शिव जी ने जाने अनजाने में चित्रभानु की पूजा को स्वीकार कर लिया। उसी प्रकार शिव जी हमारी भी पूजा को स्वीकार करते है। क्युकी वैसे भी शिव शंकर भगवान को जल्दी प्रसन्न होने वाले भोलेनाथ के भी नाम से जाना जाता है। जो शिवरात्रि के दीन सभी पर अपनी कृपादृष्टि करते है।


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तो यह था महाशिवरात्रि पर निबंध (Maha Shivratri Essay In Hindi), आशा करता हूं कि महाशिवरात्रि पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Maha Shivratri) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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