यदि मैं शिक्षक होता पर निबंध (If I Were A Teacher Essay In Hindi)

आज हम यदि मैं शिक्षक होता तो पर निबंध (Essay On If I Were A Teacher In Hindi) लिखेंगे। यदि मैं शिक्षक होता पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

यदि मैं शिक्षक होता विषय पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On If I Was A Teacher In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


यदि मैं शिक्षक होता पर निबंध (If I Were A Teacher Essay In Hindi)


प्रस्तावना

शिक्षक बच्चो को पढ़ाते है और उनके आने वाले भविष्य को उज्जवल बनाते है। शिक्षक की सबसे अहम जिम्मेदारी है विद्यार्थियों को शिक्षित करना और उन्हें सम्पूर्ण रूप से तैयार करना। शिक्षा का महत्व हर युग में बढ़ता चला जा रहा है। हर व्यक्ति का शिक्षित होना अनिवार्य है।

शिक्षा प्राप्त करना सभी का मौलिक अधिकार है। शिक्षक विद्यार्थियों को काबिल बनाते है, ताकि वह ज़िन्दगी में कुछ कर सके और अपने और अपने परिवार का नाम रोशन कर सके। ज़िन्दगी में एक अच्छा और सफल नागरिक बनने के लिए शिक्षक का मार्ग दर्शन प्राप्त करना विद्यार्थियों के लिए  ज़रूरी होता है।

कभी कभी मैं सोचता हूँ यदि मैं शिक्षक होता तो क्या करता। यदि मैं शिक्षक होता तो विद्यार्थियों के प्रति अपने कर्त्तव्य को पूरे निष्ठा के साथ निभाता। यदि मैं अध्यापक होता तो हमेशा मैं अपने विषय संबंधित पुस्तकों के साथ जीवन मूल्यों और नविन तथ्यों को भी पढ़ाता, ताकि मैं विद्यार्थियों के समक्ष नए विचारो को प्रस्तुत कर सकूँ। यदि मैं अध्यापक होता तो यह मेरे लिए अत्यंत गर्व की बात होती।

पैसे के बारें अधिक ना सोचता

यदि मैं शिक्षक होता तो विद्यार्थियों को अच्छे तरह से पढ़ाने के बारें में सोचता। मैं उन्हें नए तरीको के साथ पढ़ाने की चेष्टा करता। आजकल विद्यालय और कॉलेज में पढ़ा रहे अध्यापक पैसे कमाने पर अधिक ध्यान देते है। रोजगार करना आवश्यक है।

लेकिन कुछ अध्यापक कक्षा में अधिक नहीं पढ़ाते है और बच्चो पर दबाव डालते है कि वह उनके पास ट्यूशन के लिए आये। यह गलत है। विद्यार्थी अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है।  यदि मैं अध्यापक होता तो पूरे पाठ को अच्छे से समझाता ताकि विद्यार्थी को ट्यूशन लेने की ज़रूरत ना पड़े।

सभी शिक्षकों को कक्षा में ही अपने विषयो की व्याख्या करनी चाहिए, ताकि विद्यार्थियों को बाहर कोचिंग के लिए ना जाने पड़े।

विद्यार्थी को कभी निराश नहीं होने देता

यदि मैं शिक्षक होता तो विद्यार्थियों को अच्छे से पाठ को समझाता। हर वाक्य की अच्छे से व्याख्या करता और विद्यार्थियों का हौसला बढ़ाता। हमेशा उन्हें प्रोत्साहित करता कि वह अच्छे से पढ़ाई करे और परीक्षा में अच्छे अंक लाये।

कभी कभी कम अंक लाने से विद्यार्थी निराश हो जाते है। ऐसे मौको पर मैं उन्हें निराश नहीं होने देता और पुनः कोशिश करने के लिए कहता। जिन विद्यार्थियों को कम अंक आते है और जिन्हे विषय संबंधित डाउट अर्थात शंका होती है, तो मैं उन्हें अलग से पढ़ाता। ऐसे विद्यार्थियों पर भी शिक्षक को अधिक ध्यान देना चाहिए ताकि वह पीछे ना रहे।

गरीब विद्यार्थियों को शिक्षा

यदि मैं अध्यापक होता तो विद्यालय में पढ़ाने के पश्चात मैं गरीब, ज़रूरतमंद बच्चो को निशुल्क शिक्षा प्रदान करता। अक्सर गरीब परिवारों के पास पैसे नहीं होते है, इसलिए मैं अध्यापक बनकर उन्हें पढ़ाता। भले ही मुझे पैसे ना मिलते, लेकिन मैं उन बच्चो को उचित शिक्षा प्रदान करता।

विद्यार्थियों को सही मार्ग दिखाता

यदि मैं शिक्षक होता, तो विद्यार्थियों को कभी गलत राह चुनने नहीं देता। विद्यार्थी अगर कोई गलत फैसला करते या गलत राह पर चलते तो मैं उन्हें सही राह दिखाता। उन्हें कभी भटकने नहीं देता। अगर वह किसी प्रतियोगिता में हार जाते तो उसे सबक समझकर आगे विजय प्राप्त करने के लिए उन्हें उत्साहित करता।

शिक्षक एक सच्चा पथ प्रदर्शक

शिक्षक एक सच्चा मार्ग दर्शक होता है। वह एक मोमबत्ती के जैसे विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षा रूपी रोशनी भर देता है। अक्सर शिक्षक गुस्सा होकर बच्चो को समझाने के लिए मारते -पीटते है। मारने पीटने से बच्चो पर कुछ ख़ास असर नहीं होता है।

कभी कभी कुछ बच्चे जिद्दी बन जाते है। यदि मैं शिक्षक होता तो संयम रखकर बच्चो को समझाता और जीवन से संबंधित कुछ उदाहरण पेश करता, ताकि उन्हें अच्छे से हर पहलु समझ सके। मैं उनका सच्चा मित्र बनकर उन्हें सही रास्ता दिखाता। मैं उन्हें भटकने नहीं देता। यदि मैं शिक्षक होता तो विद्यार्थी को ईमानदारी की राह पर सैदेव चलने के लिए कहता।

व्यवहारिक ज्ञान पर ज़ोर

कुछ शिक्षक बच्चो को किताबी ज्ञान तक ही सीमित रखते है। यदि मैं शिक्षक होता तो सिर्फ विद्यार्थियों को विषय पुस्तक के पाठ को समझाने के साथ प्रैक्टिकल अर्थात व्यवहारिक ज्ञान भी प्रदान करता। पुस्तकों के ज्ञान को असल जीवन से जोड़कर समझाता ताकि उन्हें समझने में आसानी हो।

देश के प्रति दायित्व

यदि मैं शिक्षक होता तो अपने विद्यार्थियों को देशभक्तो की कहानी चुनाता। उनके बलिदान और देश प्रेम से जुड़े सारी घटनाओ को विद्याथियों को विस्तार से बताता। इससे विद्याथियों को एक सच्चे देशभक्त होने का महत्व पता चलता है और वह भी एक सफल और जिम्मेदार नागरिक के साथ एक सच्चे देशभक्त बनते है ।

विद्यार्थियों को ट्यूशन लेने की आवश्यकता ना होती

यदि मैं अध्यापक होता तो विद्यार्थियों को इतना विस्तार से समझाता कि उन्हें ट्यूशन लेने की आवश्यकता ना होती। मेरे पढ़ाये हुए नोट्स पढ़कर वह परीक्षाओं में अच्छे अंक ले आते। अगर कक्षा में शिक्षक अच्छे से विस्तार से पढ़ाये तो विद्यार्थियों को ट्यूशन लेने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी।

परीक्षा की तैयारी

यदि मैं शिक्षक होता तो विद्यार्थियों को कक्षा में ही परीक्षा की तैयारी करवाता। इससे विद्यार्थियों का आत्मविश्वास बढ़ता है और उनमे एक जिम्मेदारी पनपती है और वह परीक्षा में बेहतर करते है।

यदि विद्यार्थियों को कोई चीज़ समझ ना आये, तो मैं उन्हें समझाने की बार बार कोशिश करता। पाठ में मौजूद विभिन्न शंकाओ को दूर करता। पिछले वर्ष के प्रश्नपत्रों को हल कराने में उनकी मदद करता।

शिक्षक का महत्व कम होना

शिक्षा का महत्व तो बढ़ रहा है। मगर पहले जैसे गुरु या शिक्षक को जैसे मान -सम्मान मिलता था, वैसा आज का माहौल नहीं है। इसका दोष समाज में पनप रहे आदर्श रहित मनुष्य है।  कुछ दोष कुछ शिक्षकों का भी है, जिन्होंने शिक्षा को एक व्यापार बनाकर रख दिया है।

गली महौल्ले में कोचिंग सेंटर खुल गए है और शिक्षा को बेचा जा रहा है। शिक्षा को इस तरह व्यवसाय बना देने से भी शिक्षक अपनी अहमियत खो रहे है। यदि मैं शिक्षक होता तो पैसो को कम और विद्या को लोगो तक पहुंचाने में ज़्यादा रूचि रखता।

शिक्षण प्रणाली

शिक्षा पद्धति सिर्फ पुस्तकों के ज्ञान तक सीमित नहीं रहना चाहिए। यदि मैं शिक्षक होता तो शिक्षा प्रणाली में बदलाव करता। मैं दीवारों के अंदर शिक्षा प्रदान करने के साथ विद्यार्थियों को बाहर के वास्तविक ज्ञान से रूबरू करवाता।

सिर्फ विद्यार्थी अपने पाठ को रट कर परीक्षा पास करे यह सही नहीं है। विद्यार्थियों में बुनियादी ज्ञान होना ज़रूरी है। यह तभी मुमकिन है जब वह किताबो से निकलकर उस तह तक जाएंगे। विद्यार्थियों को वास्तविक ज्ञान से परिचित करवाना शिक्षक का कर्त्तव्य है। यदि मैं शिक्षक होता तो बंधे और पुराने शिक्षा पद्धति में परिवर्तन लाने की चेष्टा करता।

विद्यार्थियों को समाज में मौजूद अन्धविश्वाशो से दूर रखता

यदि मैं शिक्षक होता तो मैं विद्यार्थियों को समाज में मौजूद अंधविश्वास जैसे दहेज़ प्रथा, धर्म जाति पर विवाद जैसे गलत सोच से दूर रखता। उन्हें अन्याय के विरुद्ध अपना विचार रखने के लिए कहता और सही मार्ग दिखाता।

मैं विद्यार्थियों को अच्छी सोच रखने की सलाह देता। विद्याथियों को नम्रता, संयम, सम्मान करना और सबसे ज़रूरी चीज़ सही गलत, अच्छे बुरे में फर्क करना सिखाता।

परीक्षाएं लेता

शिक्षक होने के नाते यह मेरा फ़र्ज़ होता कि विद्यार्थी कितना सीख रहे है और उसकी मैं जांच करता। जांच करने के लिए मैं जो भी सीखाता उसकी परीक्षा लेता। समय समय पर बच्चो की परीक्षा लेना ज़रूरी होता है। परीक्षाएं दर्शाती है विद्यार्थी कितने तैयार है और वह विषय संबंधित तथ्यों को कितना समझ और सीख पाए है।

विद्यार्थी को सम्पूर्ण रूप से तैयार

यदि मैं शिक्षक होता तो विद्यार्थियों को समूर्ण रूप से तैयार करता। ठीक वैसे ही जैसे कुम्हार गीली मिटटी से बर्तन बनाने के लिए उसे अपने हाथों से एक आकार प्रदान करता है। उसी तरह मैं भी बच्चो को शिक्षा द्वारा नए सांचे में परिवर्तित करता।

विद्यार्थियों को अज्ञान के अन्धकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले आता। एक व्यवस्थित शिक्षा प्रणाली का निर्माण करता, जिससे वह एक सफल ओर योग्य नागरिक बन सके। सच्ची शिक्षा वही है जो विद्यार्थियों को अपने जिम्मेदारियों का अहसास दिलवाये।

किताबो की शिक्षा के साथ जीवन के नए माईने भी सिखलाये। यदि मैं अध्यापक होता तो खुले आसमान के नीचे उन्हें जीवन का नया पाठ सिखलाता। आजकल विद्यार्थी किताबो को पढ़कर ही परीक्षाएं पास करते है। यदि मैं शिक्षक होता तो उन्हें गहन अध्ययन करवाता। ज्ञान सिर्फ किताबो तक ही सीमित नहीं होती है।

निष्कर्ष

यदि मैं शिक्षक होता, तो विद्यार्थियों को सम्पूर्ण व्यक्तित्व वाला इंसान बनाने का प्रयत्न करता। उन्हें समझता और उनके अच्छाईयों का समर्थन करता और गलत चीज़ो पर टोकता। मैं ट्यूशन और गाइड इत्यादि को समाप्त कर, व्यवहारिक शिक्षा को अधिक प्राथमिकता देता। यदि मैं शिक्षक होता तो विद्यार्थियों के आने वाले भविष्य को संवारता और उन्हें एक काबिल इंसान बनाता।


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तो यह था, अगर मैं शिक्षक होता तो पर निबंध, आशा करता हूं कि यदि मैं शिक्षक होता पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On If I Am A Teacher) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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