घरेलू हिंसा पर निबंध (Gharelu Hinsa Essay In Hindi)

आज हम घरेलू हिंसा पर निबंध (Essay On Gharelu Hinsa In Hindi) लिखेंगे। घरेलू हिंसा पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

घरेलू हिंसा पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Gharelu Hinsa In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


घरेलू हिंसा पर निबंध (Gharelu Hinsa Essay In Hindi)


प्रस्तावना

घरेलू हिंसा अर्थात ऐसी कोई भी हिंसा जो किसी महिला या कीसी बच्चों के साथ होती है। जिनकी आयू 18 वर्ष से कम हो वह घरेलू हिंसा के दायरे में आते है। घरेलू हिंसा में किसी को स्वास्थ, सुरक्षा ओर मानसिक रूप से जो तकलीफ होती है, वो हैं घरेलू हिंसा।

अर्थात इस प्रकार की हिंसा जो कि नाम से ही प्रतीत जो रही हैं। घर की चार दिवारी के अंदर जो लड़ाई झगड़े होते है, वो है घरेलू हिंसा। इस प्रकार की घरेलू हिंसा ज्यादातर घर की महिलाएं, माँ, बेटियां ओर बच्चों के साथ प्यापक स्तर से होती है।

ये हिंसा ना केवल पुरुषों द्वारा होती है बल्कि महिला के द्वारा भी होती है। कहने का तत्प्रय बस इतना है कि कमजोर पर किया गया कोई भी प्रहार चाहे वो बोल कर या शारीरिक नुकसान पहुंचाकर हो, वो स्त्री द्वारा हो या पुरुष द्वारा, वो घरेलू हिंसा की श्रेणी में आता है।

घरेलू हिंसा की परिभाषा

घरेलू हिंसा की परिभाषा बहुत से समाज सुधारकों, राज्य महिला आयोग ओर पुलिस विभाग ने अपने -अपने अनुसार दि है।

राज्य महिला आयोग के अनुसार घरेलू हिंसा की परिभाषा

कोई भी महिला यदि परिवार के पुरुष द्वारा की गई मारपीट अथवा अन्य प्रताड़ना से पीड़ित है, तो वह घरेलू हिंसा की शिकार कहलाएंगी। घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005 मे घरेलू हिंसा के विरुद्ध संरक्षण ओर सहायता का अधिकार प्रदान करता है।

आधारशिला एन. जी.ओ. के अनुसार घरेलू हिंसा की परिभाषा

परिवार में महिला तथा उसके अलावा किसी भी व्यक्ति के साथ मारपीट, धमकी देना तथा उत्पीड़न घरेलू हिंसा की श्रेणी में आते है। इसके अलावा मौखिक ओर भावनात्मक हिंसा तथा आर्थिक हिंसा भी घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत अपराध की श्रेणी में आते है।

पुलिस विभाग के अनुसार घरेलू हिंसा की परिभाषा

महिला, व्रद्ध अथवा बच्चों के साथ होने वाली किसी भी तरह की हिंसा अपराध की श्रेणी में आती है। महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा के अधिकांश मामलों में दहेज प्रताड़ना तथा अकारण मारपीट प्रमुख है।

घरेलू हिंसा के कारण

घरेलू हिंसा के कई कारण हो सकते है। परंतु हमारे देश की ये मानसिकता है कि जो पित्रसत्ता होती है, पुरुष समाज जो होता है, वही हमारे समाज की महिला को हमेशा से ही एक कमजोर दर्जे के रूप में रखता है।

इसलिए लड़की को कमजोर तथा लड़के को साहसी माना जाता है। लड़की के स्वतंत्रता के व्यक्तित्व को जीवन के आरम्भ अवस्था में ही कुचल दिया जाता है। इसलिए लड़किया हमेशा से ही अपने को कमजोर और लड़को को मजबूत समझती है और इसलिए घरो में अपनी आवाज को उप्पर नहीं उठा पाती है।

अतः वह घरेलू हिंसा की शिकार होती है ओर हमारे देश की महिलाओं की ये मानसिकता ही हो जाती है कि वो पुरुष वर्ग की बराबरी कभी नहीं कर सकती। यही कारण है कि वो घरेलू हिंसा का शिकार होती है। इस हिसाब से तो घरेलू हिंसा का अंत करने से पहले हमारे देश की महिलाओं का जो वर्ग है, उनकी सोच को बदलना जरूरी है।

(1) बहुत से लोगो को लड़की जो दहेज लेकर आती है, उससे संतुष्टि ना होना घरेलू हिंसा के महत्वपूर्ण कारणों में से एक है।

(2) खाना स्वादिष्ट ना होना या खाना बनाना ना आना ये भी एक घरेलु हिंसा का कारण है।

(3) विवाह के बाद नए रिश्ते में जुड़ ना पाना।

(4) ससुराल वालो की देखभाल ना करना।

(5) बांझपन के कारण ससुराल वालो का महिलाओ के साथ अत्याचार करना।

(6) अत्यधिक शराब का सेवन घरेलू हिंसा का कारण।

(7) पुरुषो का पत्नियों के कार्य में मदत ना करना।

(8) बच्चो के साथ घरेलू हिंसा के कारणों में माता – पिता की सलाह और आदेशों की अवहेलना, पढ़ाई में खराब प्रदर्शन या पड़ोस के बच्चो के साथ बराबरी पर नहीं होना शामिल है।

(9) माता -पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बात – बात पर बहस करना घरेलू हिंसा का कारण हो सकता है।

(10) ग्रामीण क्षेत्रो में बच्चो को स्कूल ना जाने देना, जबरजस्ती उनसे खेत के काम करवाना, पारिवरिक परम्पराओ का पालन न करने के लिए उत्पीड़न, उन्हें घर पर रहने के लिए मजबूर करना घरेलू हिंसा है।

(11) आजकल के माहौल में लोग अपने वृद्ध माता -पिता को घर में नहीं देख सकते। उनके खर्चो पर बहस करते है। माता -पिता को भावनात्मक और यहां तक की शारीरिक पीड़ा भी देते है। उनसे एक प्रकार से छुटकारा पाना चाहते है और घरेलू हिंसा करते है।

(12) एक बहुत ही सामान्य घरेलू हिंसा का कारण सम्पत्ति हथियाने के लिए माता -पिता या अपने घर के बड़े लोगो को जिनके नाम से सम्पत्ति हो उन्हें आये दिन परेशान करना है।

(13) एक समान्य सा घरेलू हिंसा का कारण दुसरो की देखादेखि और एशोआराम का जीवन जीने की चाह हो सकता है।

(14) घरेलू हिंसा में बेरोजगारी, गरीबी भी आती है, जिसका एक कारण घर ना चला पाना है।

भारत मे घरेलू हिंसा के कानून इस प्रकार है

भारत मे घरेलू हिंसा दुर्भाग्य से भारतीय समाज की एक वास्तविकता है। घरेलू हिंसा हमारे चारों तरफ व्याप्त एक सामाजिक बुराई है। यही वह समय है की जब हम इसे अनदेखा करना बंद कर दे और इससे निपटने के लिए खुद को तैयार करना शुरू कर दे।

घरेलू हिंसा के पीछे कई कारण हो सकते है। भारत मे तीन ऐसे महत्वपूर्ण कानून है, जो घरेलू हिंसा से निपटने के लिए बनाए गए है।

  1. भारतीय दंड सहिंता की धारा 498A (The section 498A of the Indian penal Code)
  2. दहेज निषेद अधिनियम 1961 (The Dowry Prohibition Act, 1961)
  3. घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 से महिलाओं का संरक्षण (The Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005)

घरेलू हिंसा के प्रभाव

ये बात हम सभी जानते है कि किसी भी प्रकार की हिंसा अगर होती है, तो व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक दुष्प्रभाव अत्यधिक होता है। इसके प्रभाव इस प्रकार है।

(1) यदि कोई व्यक्ति घरेलू हिंसा का शिकार होता है, तो उसके मन से बहार निकलना अत्यधिक कठिन होता है। क्योंकि उसके मन मे एक नकारात्मक सोच जो होती है, उससे उसे निकलना कठिन हो जाता है।

(2) घरेलू हिंसा के शिकार व्यक्ति पर इस बात का अत्यधिक असर होता है कि हम जिस व्यक्ति पर विश्वास करते है, वही हमारे साथ हिंसा करता है। इससे उसका रिश्तों पर से विश्वास उठ जाता है और वो आत्महत्या जैसे अपराध तक कर बैठता है। क्योंकि वो अपने आप को जीवन मे अकेला महसूस करने लगता है।

(3) घरेलू हिंसा का शिकार व्यक्ति कई बार अपना मानसिक संतुलन तक खो बैठता है।

(4) घरेलू हिंसा का सबसे अधिक व्यापक प्रभाव बच्चों पर पड़ता है। सिटी स्कैन से पता चलता है कि जिन बच्चों ने अपना जीवन इस घरेलू हिंसा को देखते देखते गुजारा है, उसके मस्तिष्क पर कापर्स कोलॉसम ओर हिमपॉकेम्पस नामक भाग सिकुड़ जाता है। जिससे उनकी सीखने, संज्ञानात्मक क्षमता, भावनात्मक ओर समझने की क्षमता कम हो जाती है।

(5) इस प्रकार के घरेलू हिंसा से शिकार बालक- बालिकाएं के मस्तिष्क पर इस कदर प्रभाव पड़ता है कि लड़के गुस्सेल हो जाते है, वह सही तरीके से बात नहीं करते ओर किसी का भी सम्मान नहीं करते। इसके विपरित इस घरेलू हिंसा की शिकार हुई लडकिया दब्बू, डरपोक ओर आत्मविश्वास से कमजोर प्रतीत होती है।

घरेलू हिंसा अधिनियम 2005

(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण का अधिनियम, 2005 है।

(2) यह जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे देश मे लागू होता है।

(3) इस कानून में निहित सभी प्रावधानों का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए यह समझना जरूरी है कि पीड़ित कौन होता है। यदि आप एक महिला है और रिश्तेदारों में कोई व्यक्ति आपके प्रति दुर्व्यवहार करता है, तो आप इस अधिनियम के तहत पीड़ित है।

(4) चूंकि इस कानून का उद्देश्य महिलाओं को रिश्तेदारों के दुर्व्यवहार से सरंक्षित करना है। इसलिए यह समझना भी जरूरी है कि घरेलू रिष्टवदारी या सबन्ध क्या है। घरेलू रिश्तेदारी का आशय किन्ही दो व्यक्तियों के बीच के उन सम्बन्धो से है, जिससे वे या तो साझी गृहस्थी में एक साथ रहते है या पहले कभी रह चुके होते है।

घरेलू हिंसा की शिकार हुई महिला को मद्त का प्रावधान

घरेलू हिंसा की शिकार हुई कोई भी महिला अदालत में जज के समक्ष स्वयं या वकील से सेवा प्रदान करने वाली संस्था या संरक्षण अधिकारी की मद्दत से अपनी सुरक्षा के लिए बचावकारी आदेश ले सकती है।

पीड़ित महिला के अलावा उस महिला का कोई भी पड़ोसी, परिवार का सदस्य, संस्थाएं या फिर खुद महिला की सहमति से अपने क्षेत्र के न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में शिकायत दर्ज कराकर बचावकारी आदेश हासिल कर सकती है।

इस कानून का अगर कोई भी उल्लघन होता है, तो ऐसी स्थिति में उल्लंघन करने वाले को जेल की सजा के साथ-साथ जुर्माना भी हो सकता है।

60 दिन में घरेलू हिंसा के कानून का फैसला

लोगो मे ये आम धारणा है की कानून में कोई भी अपराध जब अदालत में होता है, तो उसको बहुत ही धीरे- धीरे आगे बढ़ाया जाता है। कुछ केस में सालों लग जाते और महीनों केस लटके रहते है।

परंतु अब कई नए कानून बन गए है। जिसके तहत कोई भी मामला हो उसे जल्द से जल्द निपटाया जाए और इसके लिए एक समय सीमा भी तय कर दी गयी है। अब मामले का फ़ैसला मैजिस्ट्रेट को साठ दिन के भीतर करना होंगा। ये कानून घरेलू हिंसा में भी लागू होता है।

उपसंहार

ये बात हम सभी जानते है कि किसी भी प्रकार की हिंसा सही नही होती। वो घर जहाँ अपने लोगो के साथ हर व्यक्ति हर परिस्थिति में सुकून की जिंदगी जीना चाहता है, वह लालच वश होकर आज अपने बड़ो के साथ घरेलू हिंसा में लिप्त रहता है।

जीवन मे यदि सुकून ओर आराम और शांति से जीना चाहते है, तो सबसे पहले लालच, गुस्सा, अकड़ ओर घमंड जैसी गलत बातो को अपने से दूर करें। क्योकि कुछ समय मे अच्छे पल गुजर जाते है और फिर हम बाद में पछताते है। इसलिए जीवन मे अपनो को हंसाइये ओर खुद भी हसंते रहिए, ताकि घरेलू हिंसा जैसे कानून की कोई जरूरत ही ना पड़े और इसका अंत हो जाये।


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तो यह था घरेलू हिंसा पर निबंध (Gharelu Hinsa Essay In Hindi), आशा करता हूं कि घरेलू हिंसा पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Gharelu Hinsa) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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