इसरो पर निबंध (ISRO Essay In Hindi)

आज हम इसरो पर निबंध (Essay On ISRO In Hindi) लिखेंगे। इसरो पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

इसरो पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On ISRO In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


इसरो पर निबंध (ISRO Essay In Hindi)


प्रस्तावना

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) हमेशा से विश्व स्तर पर अपना बेहतरीन प्रदर्शन दिखाता आया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने हमेशा भारत को गौरवान्वित किया है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन कभी भी भारत की ताकत दिखाने में पीछे नहीं रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization) का गठन 15 अगस्त 196० को डॉ. विक्रम साराभाई के नेतृत्व में किया गया था।

तब से लेकर अब तक भारत ने अंतरिक्ष की नई ऊंचाइयों को छुआ है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) दुनिया के सबसे सफल अंतरिक्ष संगठनों में से एक है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने कई ऐसे कार्य किए हैं, जिन पर भारत को गर्व है।

ISRO ने विभिन्न देशों के जगदीश उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में भेजा है। ISRO ने दुनियाभर में खूब नाम कमाया है। ISRO पूरी दुनिया भर में प्रसिद्ध है और चंद्रयान और मंगलयान के कारण इसरो ने अपनी इच्छा पूरी दुनिया में छोड़ी है।

ISRO की सफलता हमेशा यह बताती आई है कि भारतीय वैज्ञानिक सफलता की ओर कितने अग्रसर हैं। भारत को उसके वैज्ञानिकों पर पूर्णतः विश्वास और गर्व है। ISRO ने भारत का शक्ति प्रदर्शन करने में हमेशा साथ दिया है और कई बड़े मिशन को अंजाम दिया है और साथ ही साथ सफलता भी पाई है।

ISRO की शुरुआत

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian space research organization) ने 15 अगस्त 1960 डॉ. विक्रम साराभाई के नेतृत्व में भारत ने अंतरिक्ष में जाने का फैसला किया। डॉ विक्रम साराभाई ने इस की महत्वता को समझा और इसे आगे बढ़ाने के लिए कई प्रयत्न किए।

ISRO ने राष्ट्र को अंतरिक्ष आधारित सेवाएं देने के लिए कई मिशन पर कार्य प्रारंभ किया। इसरो ने स्वदेशी तौर पर प्राप्त करने के लिए प्रौद्योगिकी प्रस्तुत की। प्रौद्योगिक क्षमता के अतिरिक्त इसरो ने पूरे भारतवर्ष में विज्ञान एवं विज्ञान की शिक्षा में भी अपना पूर्ण रूप से योगदान दिया।

शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि ISRO की शुरुआत बहुत ही छोटे पैमाने पर हुई थी। 1963 मैं भारत के पहले रॉकेट के पुर्जो को साइकिल पर ले जाया गया था। इससे पता चलता है कि भारत के वैज्ञानिकों ने कितनी मेहनत से और दृढ़ निश्चय कर इसरो को आगे बढ़ाया।

हमें अपने आप को भाग्यशाली मारना चाहिए कि हमारा देश हर क्षेत्र में उन्नति कर रहा है। फिर चाहे वह अंतरिक्ष का क्षेत्र हो या फिर कोई दूसरा क्षेत्र। हमें गर्व होना चाहिए कि हमारे पास इस रोज ऐसा संगठन है जिसमें बेहतरीन वैज्ञानिक मौजूद है।

हम काफी खुशनसीब हैं कि इसरो के माध्यम से भारत के लोगों को अंतरिक्ष में झांकने का मौका मिलता है। ISRO के कारण ही हमें अंतरिक्ष में हो रही गतिविधियों के बारे में पता चलता है। हमें हमेशा ISRO व उसके वैज्ञानिकों का सम्मान करना चाहिए और उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।

इसरो की विश्व स्तरीय बेहतरीन कामयाबीया

अगर हम शुरू की कामयाबी की बात करें, तो इसरो ने भारत के लोगों को कभी भी नाराज नहीं किया है। इसरो के वैज्ञानिकों ने धर्म नष्ट होकर अपना धर्म निभाया है और हर मिशन को सफल बनाने की पूरी कोशिश की है।

इतना ही नहीं वह कई मिशन में सफल भी हुए हैं। इसरो कम खर्चे में अंतरिक्ष पर पहुंचने में सबसे ज्यादा सफल हुआ है। बड़े-बड़े देश जैसे अमेरिका, चीन, जापान, रूस आदि के संगठन अंतरिक्ष तक का सफर तय तो करते हैं, लेकिन यह काफी खर्चीला हो जाता है। लेकिन हमें इस बात पर गर्व है कि इसरो काफी कम पैसों में काफी बड़े-बड़े काम करने में हमेशा दुनिया को चौंकाता आया है।

एसएलवी 3

ISRO ने ना केवल एक बार बल्कि बार बार भारत का नाम सबसे ऊंचा किया है। संगठन (इसरो) द्वारा 18 जुलाई 1980 में प्रथम स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण की शुरुआत की गयी। ए पी जे अब्दुल कलाम एसएलवी -3 इस परियोजना के निदेशक थे।

एसएलवी -3 का प्रक्षेपण भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर था। इस ही परियोजना कार्यक्रम के कारण भारत को भारी तकनीक वाले प्रक्षेपण यान बनाने का मार्ग प्रदर्शित हुआ।

चंद्रयान 1

भारत का पहला चंद्रयान मिशन ISRO ने ही भारत को दिया। चंद्रयान 1 को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C11 के द्वारा सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया। यह लम्हा भारत को काफी ज्यादा गौरवान्वित करने वाला था। अंतरिक्ष यान भारत, अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी, स्वीडन और बुल्गारिया में निर्मित 11 वैज्ञानिक उपकरणों को ले गया था।

मंगलयान – Mars Orbiter Mission ( MOM)

मंगलयान मिशन भारत के ऐतिहासिक पलों में से एक है। ISRO ने पहली बार में ही मंगलयान को सफलतापूर्वक मंगल ग्रह पर पहुंचाने में इतिहास रच दिया था। भारत ही एक ऐसा पहला देश है जिसने पहले ही बार में मंगल ग्रह पर पहुंचने में सफलता पाई है।

और तो और मंगलयान मिशन की लागत केवल 450 करोड रुपए ही है, जो कि पूरे विश्व में सबसे कम लागत वाला मंगल मिशन माना जाता है। 5 नवंबर 2013 को लांच हुआ मंगलयान 6660 लाख किलोमीटर की यात्रा करके 24 सितम्बर 2014 को सफलतापूर्वक मंगल गृह में प्रवेश कर गया था। जो कि वाकई में हैरान कर देने वाला था।

इसके अलावा इसरो ने भारत का अपना खुद का जीपीएस सिस्टम स्थापित करने के लिए अप्रैल 2016 में सफलतापूर्वक अपने GPS Satellite NAVIK (Navigation with Indian Constellation) को लांच किया।

Reusable Launch Vehicle – पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान (RLV-TD), जून 2016 में ISRO ने एक ही राकेट से 20 सैटेलाइट्स लांच करके एक नया कीर्तिमान रच दिया और आदि मिशन में भी सफलता पाकर दुनिया को हैरान कर दिया है।

निष्कर्ष

ISRO ने हमेशा से दुनिया में अपनी छाप छोड़ना कायम रखा है। इसरो ने हर बार हर मिशन को सफलता की सीढ़ी चढ़कर दुनिया को यह बताया है कि भारत किसी से भी पीछे नहीं है। इसरो के वैज्ञानिक मिशन पर दिन रात मेहनत करते हैं और उनकी यह मेहनत सराहनीय है।

भारत के नागरिक होने पर हमें इस बात पर अत्यंत गर्व होना चाहिए कि हमारे देश में इसरो जैसा संगठन है। जिसमें की कई सारे प्रतिभाशाली वैज्ञानिक काम करते हैं और जो भारत के बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरणा बन मेहनत करने का और सपनों को साकार करने का जज्बा देते हैं।


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तो यह था इसरो पर निबंध, आशा करता हूं कि इसरो पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On ISRO) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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