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चंद्रयान 2 पर निबंध (Chandrayaan 2 Essay In Hindi)
प्रस्तावना
भारत अंतरिक्ष विज्ञान में भी तरक्की कर रहा है, इसके लिए निरंतर अनुसंधान तथा नई तकनीकी खोज कर रहा है। भारत की भी अंतरिक्ष एजेंसी विदेशों के साथ मिलकर अच्छे से काम कर रही हैं तथा रूस, अमेरिका इन शक्तिशाली देशों को भी टक्कर दे रही हैं। हमारे वैज्ञानिक अंतरिक्ष यान के डिजाइन तथा नई तकनीकों पर गहराई से अध्ययन कर रहे हैं।
हमारे भारतीय अंतरिक्ष यान में वह सभी हल्की तथा अच्छे कार्य करने वाली तकनीक डाली जाती है, जिससे अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा सके।इसी तरह भारत चंद्रयान पर कार्य कर चूका है।
चंद्रयान-1 में विदेशी तकनीकों के माध्यम से सफलता प्राप्त की गई थी, परंतु चंद्रयान 2 को पूर्ण तथा स्वदेशी तकनीकों द्वारा तैयार किया गया था। यह अभियान चंद्रयान-1 के बाद भारत का दूसरा महत्वपूर्ण चंद्र अन्वेषण अभियान था।
जिसको भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने विकसित किया था। इस अभियान की शुरुआत 2019 में की गई थी, यह चंद्रयान -1 के तर्ज पर ही बनाया गया था। परंतु इसको बनाने के लिए पूर्णता स्वदेशी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया था। इस मिशन को इसरो के चेयरमैन Mr. के. सिवन द्वारा संचालित किया गया था।
यह भारत की शक्ति का प्रदर्शन करने वाला था, इसके अंतर्गत भारत उन सभी देशों में शामिल हो जाता जिन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान तथा एजेंसियों के माध्यम से अपने आप को दुनिया में विख्यात किया है।
उसी तर्ज में भारत भी कार्य कर रहा है और चंद्रयान एक का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर भारत ने चांद पर झंडा लहराया था। परंतु चंद्रयान -2 को बनाने का उद्देश्य दूसरा था। यह यान ऐसा डिजाइन किया गया है था, जिसे लैंड करने के लिए बहुत ही कम समय लगे। यदि हम यह कहे कि यह भारत की शक्ति का प्रदर्शन था जिसे पूरी दुनिया ने देखा।
चंद्रयान 2 की शुरुआत
इस अभियान की शुरुआत भारत के अंतरिक्ष एजेंसी ने की थी, जिसका नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) है। इसको जीएसएलवी संस्करण 3 के प्रक्षेपण यान द्वारा संचालित किया गया था।
तत्कालीन इसरो के चेयरमैन श्री के. सिवन इस अभियान के अध्यक्ष थे। भारत ने चंद्रयान -2 को 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा से भारतीय समय के अनुसार 2:43 दोपहर में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था।
चंद्रयान 2 लैंडर और रोवर चंद्रमा पर लगभग 70 डिग्री दक्षिण के अक्षांश पर एक उच्च मैदान पर उतारने का प्रयास किया गया। इस समय भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी श्रीहरिकोटा में उपस्थित थे।
चंद्रयान की शुरुआत 18 सितंबर 2008 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अध्यक्षा में की गई थी। तब इसके लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वीकृति प्रदान की थी, बाद में 2009 में चंद्रयान 2 के कार्यक्रम के अनुसार पेलोड को अंतिम रूप दिया गया।
2013 में इस अभियान को स्थगित कर दिया गया, परंतु 2016 में इस अभियान को पुनः निर्धारित किया गया। लेकिन जो इस यान में लैंडर की आवश्यकता थी उसको बनाने का कार्य रूस कर रहा था। परंतु वह समय पर विकसित नहीं कर पाया, बाद में भारत में स्वदेशी तकनीक से लैंडर विकसित कर लिया गया और स्वतंत्र रूप से इस मिशन को अंजाम दिया गया।
चंद्रयान 2 की विशेषता
इस अभियान के जरिए चंद्रयान 2 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर एक सॉफ्ट लैंडिंग का संचालन करने का पहला मौका प्राप्त हुआ था। यह भारतीय अंतरिक्ष एजेंसियों को पहला मौका मिला था, जिसके तहत सॉफ्ट लैंडिंग की जाने वाली थी।
यह चंद्रयान पूर्णता घरेलू तथा स्वदेशी तकनीकों के माध्यम से बनाया गया था, जो अपने आप में एक अलग पहचान रखता है। यह भारतीय मिशन ऐसा पहला मिशन था, जो घरेलू तकनीकी के माध्यम से चंद्रमा के सत्ता में होने वाले हलचल तथा अन्य गतिविधियों के बारे में पता लगाने का प्रयास करने वाला था।
यह अति महत्वपूर्ण मिशन था, भारत दुनिया का ऐसा चौथा देश बनने वाला था, जिसने चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की। इससे भारतीय अंतरिक्ष एजेंसियों के बारे में तथा भारत के वैज्ञानिकों के ज्ञान के बारे में दुनिया भर के लोग अच्छे से जानने वाले थे कि भारत हर क्षेत्र में आगे हैं।
चंद्रयान 2 को बनाने का कारण
दुनिया भर के देशों ने चंद्रयान बनाने की बहुत कोशिश की परंतु अभी तक चार ही देश इसे बनाने में सफलता हासिल कर पाए हैं। उसी तर्ज में भारत ने भी चंद्रयान-1 और चंद्रयान 2 बनाया था। दोनों के उद्देश्य अलग-अलग थे।
चंद्रयान बनाने का कारण यह था कि चंद्रमा में उपस्थित मिट्टी के बारे में पता लगाया जा सके, तथा चंद्रमा की सतह में उपस्थित व मृदा में मौजूद पोषक तत्व जो पौधे की वृद्धि में आवश्यक होते हैं, उन सारे तत्वों के बारे में विस्तार पूर्वक अध्ययन किया जा सके।
ताकि अगला चंद्रयान अभियान चालू करने के लिए हमें आसानी से चंद्रमा की सतह में मौजूद तत्व के बारे में ज्ञान हो। इसका यह भी उद्देश्य था कि चंद्रमा की सतह कितनी कठोर है तथा कितनी नरम है उसके बारे में पता लगाया जा सके।
वैज्ञानिकों के अध्ययन के लिए वहां की मिट्टी तथा चट्टानों के नमूने को एकत्रित करना भी इसका एक उदेश्य था, ताकि चंद्रमा से संबंधित अनुसंधान अच्छे से किया जा सके और आने वाली पीढ़ी को उसके बारे में ज्ञान प्राप्त हो सके।
चंद्रयान 2 से भारत को लाभ
- भारत का नाम अंतरिक्ष विज्ञान में भी दुनिया भर में विख्यात होता।
- अंतरिक्ष विज्ञान पर भारत को अमेरिका तथा रूस जैसे शक्तिशाली देशों पर निर्भर रहना पड़ता था, परंतु वह अब अपनी तकनीकों के माध्यम से अपने अनुसंधान को आगे बढ़ा सकते है।
- इसरो की शक्तिशाली रॉकेट बना कर पेलोड छोड़ने की क्षमता दुनिया को पता चली।
- भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान द्वारा 2022 में प्रस्तावित गगनयान मिशन का रास्ता साफ हुआ, इससे इस मिशन को बड़े आसानी से अंजाम दिया जा सकेगा।
- भारत उन सभी तीन ताकतवर देशों में शामिल हो गया, जिन्होंने चंद्रयान मिशन पर काम किया है और भारत व चौथा देश है।
- भारत को किसी भी अंतरिक्ष अभियान के लिए अन्य देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, वह अपने स्वदेशी तकनीकों के माध्यम से ही अपने रॉकेट पेलोड छोड़ने की क्षमता रखेगा।
- अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने का मौका मिलता, जिससे चंद्रमा में मानव जीवन संभव है या नहीं है इसका पता चल पाता।
चंद्रयान 2 के बारे में रोचक तथ्य
यह चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा में 16 दिनों तक घूमता रहने वाला था और फिर 21 दिनों के बाद चंद्रमा की कक्षा में पहुंचता तथा 27 वे दिन चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर वहां पर लैंड करने वाला था। यह चंद्रयान 3.84 लाख किलोमीटर की दूरी तय करने वाला था। पूरे चक्कर लगाने के बाद 7 सितंबर को यह चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला था।
यह सबसे कम बजट में तैयार किया गया यान था, जो दुनिया भर में सबसे कम लागत में तैयार किया गया था। यह सबसे सस्ता मिशन था, इसमें कुल लागत 978 करोड़ रुपए की आई थी। इसका वजन 3850 किलो था जो चंद्रयान-1 से करीब 3 गुना ज्यादा था।
चंद्रयान 2 का लैंडर
यह इसरो का पहला मिशन था जिसमें लेंडर भी गया। लेंडर से ऑर्बिट अलग होकर चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला था। इस तरह से विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला था।
जो चंद्रमा की सतह में उपस्थित तत्वों के बारे में खोजबीन करता तथा उसका नमूना भी प्राप्त करता। इसके अलावा इसमें लूनर क्रश की खुदाई भी करता। इसमें ऐसे सिस्टम डाल दिए गए थे। इस लैंडर का दूसरा नाम विक्रम भी है। इसका वजन 471 किलोग्राम था, इसकी अवधि 15 दिन की थी। यह चंद्रयान का महत्वपूर्ण अंग था।
चंद्रयान 2 का रोवर
इसका दूसरा नाम प्रज्ञान भी है। इसका वजन 27 किलोग्राम का था। इस मिशन की अवधि लगभग 15 दिन की थी जो चंद्रमा की दृष्टि से 1 दिन की है। यह प्रज्ञान, लैंडर से अलग होकर 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमता रहता और अपने आसपास की तस्वीर लेता रहता।
उस तस्वीर को इसरो भेज दिया जाता। यह रासायनिक शक्ति से चलता था, परंतु प्रज्ञान में किसी प्रकार की दिक्कत ना आए इसलिए इसमें उर्जा संचालन के लिए सोलर पॉवर उपकरण भी लगा दिए गए थे। जो लेंस के माध्यम से रोवर को उर्जा देंते और इस तरह से प्रज्ञान निरंतर कार्य करता रहता।
चंद्रयान 2 के विफलता का कारण
वैसे तो चंद्रयान की विफलता कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि चंद्रयान के पीछे अमेरिका 26 बार तथा रूस 14 बार फेल हो चुका है। एक बार तो यह यान चांद पर ही गिर गया और वहीं पर उठकर कार्य करने लगा था।
भारत ने जुलाई 2019 में चंद्रयान -2 को रवाना किया था। 7 सितंबर को इस मिशन में चांद की सतह से उतरने के पहले ही 2 किलोमीटर की दूरी पर लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया था। हालांकि इस मशीन का आर्बिट अभी भी चंद्रमा की कक्षा में मौजूद है, इसलिए हम कह सकते हैं कि 95% चंद्रयान 2 सफल रहा।
हर किसी को इस अभियान से बड़ी उम्मीद थी इसरो के चेयरमैन के. सिवन को इस अभियान का बहुत बड़ा धक्का लगा। उस समय वहां पर मौजूद देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कंधे पर सर रखकर वे रोए भी थे।
प्रधानमंत्री ने उन्हें सांत्वना दिया और यह भी आश्वासन दिया कि हम इस चंद्रयान -2 को जारी रखेंगे और इसकी सफलता के लिए इस पर कोशिश करते रहेंगे।
निष्कर्ष
चंद्रयान 2 भले ही विफल हुआ हो, लेकिन भारत उन देशो में से एक बन गया है जिसने चंद्रयान 2 को बनाया और 95% सफल रहा है। चंद्रयान 2 को चाँद के उस क्षेत्र में उतारा जाने वाला था, जहा तक कोई भी देश नहीं पहोच सका है। तो यह हमारे लिए गर्व की बात है की हमारे देश ने चंद्रयान 2 को लगभग चाँद के उस क्षेत्र में उतार ही दिया था, जहा दुनिया के किसी भी देश ने अपने यान को नहीं उतारा है।
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तो यह था चंद्रयान 2 पर निबंध, आशा करता हूं कि चंद्रयान 2 पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Chandrayaan 2) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।