मेला पर हिंदी निबंध (Mela Essay In Hindi)

आज हम मेला पर निबंध (Essay On Mela In Hindi) लिखेंगे। मेला पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

मेला पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Mela In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


मेला पर हिंदी निबंध (Mela Essay In Hindi)


प्रस्तावना

भारत में तकरीबन हर बड़े उत्सव पर मेला लगता है। गाँव और शहरों में भी आये दिन मेले लगते रहते है। मेला हमेशा एक बड़े मैदान पर आयोजित किया जाता है। उत्सवों पर ख़ास तौर पर हमारे देश में मेला लगता है। ज़्यादा से ज़्यादा लोग मेला देखने के लिए यहाँ सम्मिलित होते है।

सभी लोग अपने परिजनों के साथ मेला देखने आते है। यहाँ विभिन्न तरह के खेल आयोजित किये जाते है। बच्चो को मेले में जाना सबसे अधिक पसंद है। मेला उत्सवों की जान होती है।यहाँ विविध तरह के मनोरंजन से भरे कार्यक्रम आयोजित किये जाते है।

मेले से उत्सवों में चार चाँद लग जाते है। हमे मन को लुभाने वाले मनोरंजन दृश्य यहाँ देखने को मिलते है। मनुष्य प्रत्येक दिन अपने कार्य में व्यस्त रहता है। मनुष्य की थकान को मेला चुटकियों में दूर कर देता है।

थोड़े समय के लिए हम अपने परेशानियों को भूलकर एक अलग ही दुनिया में खो जाते है। कभी कभी तो हम अपने बचपन के दिनों को भी मेले द्वारा याद कर लेते है। मेले का हमारे देश में विशेष महत्व है।

मेले में सैकड़ों दुकानें होती हैं, जो विभिन्न उत्पादों को बेचती हैं। जो लोग मेला देखने के लिए एकत्रित होते हैं, वह अपने मनपसंद चीज़ो को खरीद सकते है। गाँव के मेले में आमतौर पर खिलौने, फेरीवालों की दुकाने, बच्चो के लिए खेल और मिठाई बेचने वाले जैसे चीज़ें आयोजित किये जाते है।

हमारे राज्यों में आमतौर पर त्योहारों के समय मेले का आयोजन किया जाता है। कुछ मेले जैसे पुस्तक मेला, यात्रा मेला, व्यापार मेला आदि त्योहारों के बिना भी हो सकते हैं। मेले को  हम दो प्रकारों में बांट सकते हैं, सिटी फेयर और विलेज फेयर।

शहरों का मेला यानी सिटी फेयर

शहरों का मेला आमतौर पर पूरे वर्ष में निर्धारित तिथि में आयोजित किया जाता है। भारत में कई व्यापार मेले यानी ट्रेड फेयर में अद्वितीय कलाकृतियों, शिल्प, गहने, फर्नीचर आदि बेचने के उद्देश्य से आयोजित किये जाते हैं।

यह व्यावसायिक और मनोरंजन गतिविधियों को ध्यान में रखकर आयोजित किये जाते है। नए साल के दौरान ट्रेड फेयर कुछ राज्यों में आयोजित किया जाता है। दूसरी ओर उत्सव मेला, उतसवो के दौरान आयोजित किये जाते है।

उदाहरण के लिए, एक शहर में दुर्गा पूजा मेला, दुर्गा पूजा उत्सव के समय आयोजित किया जाता है और दक्षिण भारत में पोंगल मेला, पोंगल त्योहार के समय आयोजित किया जाता है। होली के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में कई मेले भी लगते हैं। सभी लोग पूरे जोश के साथ उत्सवों के मेले में भाग लेते है।

शहरों में किताबो का मेला आयोजित किया जाता है। यहाँ हर विषय की किताबें मिलती है। जो लोग किताबें पढ़ने के शौक़ीन है और विद्यार्थी पुस्तकों के मेले में अवश्य शामिल होते है। कुछ किताबो की दुकानों पर डिस्काउंट इत्यादि दिए जाते है।

इतिहास, भूगोल, विज्ञान, कहानियां इत्यादि तरह के किताबो की दुकाने होती है। मेले में कई लोग शामिल होते है, इसलिए सुरक्षा का खास प्रबंध रखा जाता है।

शहर का मेला आमतौर पर शहर के अंदर एक खुले मैदान में आयोजित किया जाता है। मेले के लिए मैदान छोटा या बड़ा हो सकता है, जो मेले के ऊपर निर्भर करता है। शहर के मेले में लाउडस्पीकर का उपयोग किया जाता है।

मेले के बाहर कोई व्यक्ति लाउडस्पीकर के माध्यम से विभिन्न व्यावसायिक और मनोरंजन गतिविधियों को सुन सकता है। अपने उत्पादों को बेचने वाले विक्रेता, उत्सुक बच्चों को बुलाने वाले एक जादूगर, दर्शकों के लिए एक स्टंट प्रदर्शन और अन्य गतिविधियों को एक साथ लाउडस्पीकर द्वारा सुना जा सकता है।

मेरे गाँव का मेला

दशहरा और दीवाली जैसे त्योहारों के दौरान गाँव में मेला आयोजित किया जाता है। लोगों के धार्मिक विश्वासों को ध्यान में रखकर उत्सव के दौरान प्रतिवर्ष मेला आयोजित किया जा सकता है।

गाँव का मेला आमतौर पर शहरों के मेले से छोटा होता है। भारतीय स्थानीय ग्रामीण मेले में दुकानदार जो  दुकाने लगाते है, वो ज्यादातर खिलौने और मिठाइयाँ बेचते हैं। गांव के मेले के मुख्य आकर्षण है बच्चों के लिए मिठाई, विभिन्न प्रकार के झूले, खेल और घरेलु वस्तुओं और खिलौनों के दुकान।

एक विशिष्ट देसी गांव के मेले में विभिन्न मिठाइयों की खुशबू का वर्चस्व होता है, जो विक्रेताओं द्वारा ताज़ी बनाई जाती है। एक गांव के मेले का आकर्षण है समोसा, कचोरी, गोलगप्पे और नमकीन। मेले में जरुरत के घर के सामान, जैसे बर्तन, कपडे इत्यादि की दुकाने लगती है। ऐसे दुकानों पर लोगो की भीड़ लगी होती है और वह मोलभाव करके खरीदारी करते है।

मनोरंजक खेल

मेले में विभिन्न तरह के खेल आयोजित किये जाते है। मेले में जादूगर भी होते है, जो अलग अलग जादू दिखाते है। जिससे बच्चो को काफी मज़ा आता है। मेले में बड़े बच्चे अपने मित्रो के साथ आते है और इसका भरपूर आनंद उठाते है।

मेले में जो खेल आयोजित किये जाते है, अगर उसे हम जीतते है तो हमे इनाम मिलता है। मेले में कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। कुछ दुकानदार चिल्लाकर अपने वस्तुओं को बेचते है। ऐसा वह इसलिए करते है ताकि ग्राहक उनके पास आये। दुकानदार आइसक्रीम और खाने की चीज़ो को बेचते है और लोग उन्हें बड़े मन से खाते है।

रामलीला का मेला

गाँव और शहरों में भी रामलीला का मेला लगता है। गाँव में रामलीला के मेले बड़े ही चर्चित है। हमारे देश में हर त्योहार पर मेला लगता है। कई गाँव में रामलीला के मेले कई दिनों तक चलते है। लोग त्योहारों की ख़ुशी में नए कपड़े पहनते है। अपने परिवार के साथ मेला घूमकर सभी लोगो को ख़ुशी मिलती है।

मेले के वह खूबसूरत और खुशियों भरे दिन

मेला देखने के लिए गाँव में कई किलोमीटर तक लोगो को पैदल जाना पड़ता है। मेले में जाने की ख़ुशी में लोग सब कुछ भूल जाते है। बच्चे अपने अभिभावकों से थोड़े पैसे मांगते है, ताकि वह गोलगप्पे और समोसे खा सके, अपने पसंद के खिलौने खरीद सके।

मेले में लोग हर चीज़ का आनंद उठाते है। बच्चे गुब्बारे, गुड़िया, सीटी, चश्मे, बासुरी जैसे चीज़ें खरीद कर ले जाते है। इसके अलावा मेले में मदारी के खेल और पशुओं की शानदार सवारी लोग करते है।

कुछ लोग बन्दूकबाज़ी भी करते है। इन सभी कार्यक्रमों को लोग एक साथ एकत्रित होकर देखते है। सभी लोग मेले में जाकर इतने खुश होते है कि उन्हें लौटकर आने का मन नहीं करता है।

मेले में काफी अधिक लोग आते है, इसलिए भीड़ ज़्यादा होती है। राजस्तानी मेला भी बहुत खूबसूरत होता है। वहां विभिन्न प्रकार के भोजन इत्यादि का प्रबंध रहता है। ऐसे मेले शहरों में जब लगते है, तब जो भी व्यक्ति जाता है उसे प्रवेश शुल्क देना पड़ता है।

उसके बाद राजस्तान शहरों की खूबसूरत संस्कृति, नाच और गाने का आनंद लोग उठाते है। ऐसे मेले में लोग ऊंट पर चढ़कर भी वहां के रेगिस्तान से जुड़े भावनाओ का आनंद ले सकते है। मेले में अलग अलग तरह के झूले होते है, जिसका मज़ा सभी उठाते है।

मेले में पहुंचकर हमे शोरगुल का पता चलता है। मेले में जाकर पहले लोग एक चक्कर लगाकर सब कुछ देख लेते है। फिर कुछ समय के पश्चात लोगो को भूख लग जाती है। मेले में हमे चटपटे चाट और गोले खाने को मिलते है। बच्चो से लेकर बड़े सभी मेले में घूमकर और खरीदारी करके खुश होते है। शाम होते ही लोग अपने घर पर लौट आते है।

भारतीय संस्कृति का प्रदर्शन

विभिन्न राज्यों और उत्सवों पर जो भी मेले आयोजित किये जाते है, वह हमारी संस्कृति को दर्शाते है। सभी राज्य अपने उत्सवों के अनुसार मेले का आयोजन करते है। इससे विविध और गहन संस्कृति का पता चलता है।

कुम्भ का प्रसिद्ध मेला हर साल देश में लगता है। ऐसे मेले महीनो तक चलते है। देश में ऐसा कोई नहीं, जिसे इलाहाबाद के कुंभ मेले के बारे में ना पता हो। इस मेले का अपना धार्मिक महत्व है। यह बड़ा ही भव्य और सुन्दर मेला होता है। कुंभ मेले का आयोजन अंतराष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है। कुछ छोटे मेले कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाते है।

लोगो में मेले को लेकर उत्साह

मेले में जाने से पहले लोग काफी उत्साहित रहते है। मेले में जाने से पूर्व ही लोग काफी उत्साहित रहते है। मेले की तैयारियां लोग पहले से ही करने लग जाते है। काफी दूर से दुकानदार अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए मेले में अपने स्टाल लगाते है। उत्सवों के आखरी दिन, जैसे दुर्गा पूजा के दौरान विशाल मेले का आयोजन पश्चिम बंगाल में देखा जाता है।

मेले में लोगो का सतर्क होना आवश्यक

मेले में अक्सर हम इतने बेसुध हो जाते है और कुछ जेब कतरे इसी चीज़ का फायदा उठाते है। कुछ लोग अपना मोबाइल और पैसे का बैग खो बैठते है और बाद में अफ़सोस करते है। मेले में अगर चीज़ें खोती है, तो मेले को आयोजित करने वाले इसकी जानकारी लाउडस्पीकर पर देते है और खोये हुए सामान को वापस करते है।

सरकार द्वारा आयोजित किये जाने वाले मेले में इस तरह की जिम्मेदारी सरकार उठाती है। शाम को मेले में रंग बिरंगे लाइट जलती है, जो मन को मोह लेती है। जब शाम के वक़्त लोगो की तादाद बढ़ती है, तो पुलिस प्रशासन सुरक्षा के लिए तैनात रहते है।

निष्कर्ष

मेला मनोरंजन से भरी हुयी जगह है। मेले में जाकर हम मोल भाव करके छोटी बड़ी सामग्री लेते है। भाई, बहनो और परिवार के संग अच्छा समय व्यतीत करते है। सावन के मेले से लेकर पुष्कर के मेले तक सभी लोकप्रिय मेलो में लोग हिस्सा लेते है।

मेले में आनंद लेने के साथ हमे अपने नैतिक कर्तव्यों के बारें में भी जागरूक रहना चाहिए। हमारे देश में मेले इतने सुन्दर होते है कि उसकी याद हमारे दिलो में सदा के लिए बस जाती है।


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