चैत्र नवरात्रि पर निबंध (Navratri Festival Essay In Hindi)

आज हम चैत्र नवरात्रि पर निबंध (Essay On Navratri Festival In Hindi) लिखेंगे। चैत्र नवरात्रि पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

चैत्र नवरात्रि पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Navratri Festival In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


चैत्र नवरात्रि पर निबंध (Navratri Festival Essay In Hindi)


प्रस्तावना

हमारे हिन्दू धर्म मे नवरात्री का बहुत अधिक महत्व है। नवरात्रि माँ दुर्गा की उपासना के सबसे महत्वपूर्ण दिन है। जिस समय भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति से माँ दुर्गा की उपासना करते है। कहा जाता है कि माँ दुर्गा ही है, जिनकी उपासना उन्हें ही करनी चाहिए जो उनकी उपासना कर सकते है।

क्योंकि माँ अम्बे के दिन काफी कठिन होते है और नियमो का पालन करते हुए इनकी उपासना करनी होती है। नही तो माँ अम्बे नाराज हो जाती है। वैसे भगवान भक्त की उपासना से अधिक, उनके मन की श्रद्धा भक्ति देखते है। जो जिस प्रकार से करना चाहता है करें, भगवान अपने भक्तों से नाराज नहीँ होते।

भगवान तो कभी लाखो दिखावा देखकर भी प्रसन्न नहीँ होते और कभी तो केवल दर्शन मात्र से या एक फूल से भी प्रसन्न हो जाते है। मातारानी माँ अम्बे की उपासना ओर पूजा पाठ भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति से करते है। माँ अम्बे को भक्त अपनी ओर से प्रसन्न करने की कोशिश करते है। बाकी सब माँ अम्बे पर छोड़ देते है।

नवरात्रि कब मनाई जाती है?

हिन्दू धर्म मे नवरात्रि का पर्व साल में चार बार आता है। चेत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि, माघ नवरात्रि, आषाढ़ नवरात्रि जो माघ नवरात्रि के बाद आती है। चेत्र नवरात्रि का पर्व जिसे बहुत अधिक श्रद्धा के साथ ओर हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व है। चेत्र नवरात्रि में माँ दुर्गा के अलग – अलग स्वरूपों की पूजा करि जाती है। चैत्र नवरात्री को ज्यादातर अप्रैल के महीने में मनाया जाता है।

नौ रात नौ देवियों की पूजा

नवरात्रि के समय माता के नौ रूपो की उपासना करि जाती है। इसमें माँ दुर्गा, माँ सरस्वती और माँ लक्ष्मी का विशेष महत्व है। परंतु इस नौ दीन ओर दस दिन के दौरान माँ दुर्गा के नो रूपो की पूजा करि जाती है, जिसे नवदुर्गा कहा जाता है।

माँ दुर्गा का अर्थ होता है, जीवन के सभी दुःखों को हटाने वाली। इसलिए हमारे भारत देश मे इन नौ देवियों के उपासना के दिनों का विशेष महत्व है।

नौ देवियों के नाम और उनके नाम के अर्थ

माँ दुर्गा के नो रूपो के नाम और उनका अर्थ इस प्रकार है।

शैलपुत्री

इसका अर्थ है, पहाड़ो की पुत्री। देवी शैलपुत्री की नवरात्रि के पहले दीन पूजा अर्चना करि जाती है। माँ शैलपुत्री को पहाड़ो की पुत्री कहा जाता है। माँ शैलपुत्री की पूजा अर्चना करने से हमें एक प्रकार की ऊर्जा प्राप्त होती है। इस ऊर्जा का प्रयोग हम अपने मन के विकारों को दूर करने में करते है।

ब्रह्माचारणी

देवी ब्रह्माचारणी की नवरात्रि के दूसरे दिन उपासना करि जाती है। इस स्वरूप की पूजा अर्चना करके हम माँ के अंनत स्वरूप को जानने की इक्छा रखते है। ताकि इस अन्नंत संसार मे कोई भी ब्रह्मचारणी स्वरूप के समरूप बन सके ओर अपने जीवन को सफल बना सके।

चंद्रघंटा

इसका अर्थ है, चन्द्र के समान चमकने वाली माँ अम्बे। नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा के स्वरूप की उपासना करि जाती है। माँ चंद्रघंटा का स्वरुप चन्द्रमा के समान चमकता है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा के नाम से पुकारा जाता है।

कहते है कि माँ चंद्रघंटा की पूजा, आराधना से हमारे मन में उत्पन्न द्वेष, ईर्ष्या, घृणा और नकारात्मक शक्तियां हमसे दूर होती है और हमे इनसे लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है।

कुष्मांडा

इसका अर्थ है, पूरा जगत उनके पैरो में है। नवरात्रि में जिस देवी माँ को पूजा जाता है, उन्हें कुष्मांडा माँ के रूप में जाना जाता है। इनकी धीमी सी मुस्कराहट और ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कुष्मांडा नाम से जाना जाता है।

जब सृष्टि का निर्माण भी नही हुआ था और हर तरफ बस अंधकार ही अंधकार था। तब इस देवी माँ ने अपने इष्टतम हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी, इसलिए इन्हें सृष्टि की आदिस्वरूप और आदिशक्ति के रूप में जाना जाता है।

स्कंदमाता

इसका अर्थ है, कार्तिक स्वामी की माता। नवरात्रि पर जिस माँ की उपासना करि जाती है, उन्हें स्कंदमाता के रूप में भी जाना जाता है। यह देवी के नौ रूपों में से एक है, जिनकी इन नौ दिनों के दौरान पूजा की जाती है।

स्कंदमाता को भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में भी जाना जाता है। स्कंदमाता की पूजा अर्चना करने से हमारे अंदर के व्यवहारिक ज्ञान को बढाने का आशीर्वाद हमे प्राप्त होता है।और हम व्यवहारिक चीजो से निपटने में सक्षम होते है।

कात्यायनी

इसका अर्थ है, कात्यायन आश्रम में जन्मी माँ अम्बे। नवरात्रि के छठवें दिन को माँ कात्यायनी स्वरूप की पूजा अर्चना करि जाती है। माँ कात्यायनी देवी की उपासना से हमारे मन की निराशा और दुख दर्द से निपटने की शक्ति हमे प्राप्त होती है। साथ ही हमारे पास से सभी नकारात्मक ऊर्जाएं दूर होती है और सकारात्मक मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त होती है।

कालरात्रि

इसका अर्थ है, काल का अंत करने वाली माँ अम्बे। नवरात्रि के सातवें दिन को जिस माता रानी की उपासना का दिन रहता है, उन्हें मा कालरात्रि के नाम से जाना जाता है। माँ कालरात्रि को काल का नाश करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। माँ कालरात्रि की उपासना करने से हमे यश, वैभव और वैराग्य की प्राप्ति होती है।

महागौरी

इसका अर्थ है, सफेद रंग वाली माँ अम्बे। नवरात्रि के आठवें दिन माँ को महागौरी के नाम से जाना जाता है। इस दिन इनके सफेद रंग की तरह गोरे रूप को पूजते है और उनकी उपासना करते है। अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए माँ गोरी से वरदान मांगते है।

सिद्धिदात्री

इसका अर्थ है, सभी सिद्धि देने वाली माँ अम्बे। नवरात्रि के नवे दिन माँ सिद्धिदात्री की उपासना करि जाती है। माँ सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना से हमारे अंदर एक ऐसी क्षमता उत्पन्न होती है, जिससे हम अपने सभी कार्यो को आसानी से कर सकते है और उनको पूर्ण कर सकते है।

इस प्रकार चेत्र नवरात्री पर देवी माँ के इन नो स्वरूप की उपासना करके हम हमारे जीवन मे जो भी कष्ठ, परेशानी और दुख दर्द है, उससे छुटकारा प्राप्त कर सकते है और अपने जीवन को सुधार सकते है।

माँता रानी सभी पर अपनी कृपा दृष्टि बरसाती है और अपने भक्तों को कभी भी निराश नहीं होने देती। माँ की कठोर रूप से उपासना करें, तभी हम पर माँ की कृपा होंगी, ऐसा कुछ नहीँ है।

नवरात्रि कैसे मनाते है?

चेत्र नवरात्रि के समय स्वच्छता, पवित्रता का वातावरण बना रहता है। हर जगह सुद्धता ओर पवित्रता का एहसास होता है। माता रानी के मंदिर में तो रोज़ के भजन कीर्तन से सभी का मन प्रफुल्लित रहता है। माता रानी के नौ दिन माता के नौ रूपो की उपासना होती है।

भक्त पूरे नौ दीन व्रत रखते है। पहले दिन कलश की स्थापना की जाती हैं और अखण्ड ज्योति जलाई जाती है। उस अखण्डज्योति की पूरे नौ दिन तक बहुत ध्यान रखा जाता है। फिर अष्ठमी नवमी के दिन कुवांरी कन्याओं को भोजन कराया जाता है।

माना जाता है कि ये नौ कन्याएं माता रानी के स्वरूप कहलाती है। इसलिए बहुत ही श्रदा भक्ति से उनके चरण धोकर, प्रसाद के रूप में हलवा, पूरी और चने की सब्जी का प्रसाद परोसा जाता है।

चेत्र नवरात्रि के आखरी रोज़ नवमी के दिन को रामनवमी कहा जाता है। जिस दिन श्री राम जी की पूजा करि जाती है। इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी का जन्म हुआ था। इस दीन मंदिरों में मुख्य रूप से रामायण पाठ होता है और राम जी की पूजा करि जाती है।

माता रानी के मंदिरों में भंडारा कराया जाता है। जिसमे विशेष रूप से छोटी कन्याओं का भंडारे का महत्व अधिक रहता है। परंतु भंडारे में कोई जात – पात, उच्च – नीच, अमीर – गरीब इन सब बातों का कोई महत्व नहीं रहता। भण्डारे का भोजन सभी को प्रेम पूर्वक ओर उत्साह के साथ कराया जाता है।

नवरात्रि व्रत के नियम

नवरात्रि व्रत के बारे में एक बात का विशेष रूप से उल्लेख किया जाता है और माना भी जाता है कि माँ अम्बे के ये नौ दिन बहुत ही पवित्र होते है। और इनकी उपासना में भूल चुक नहीँ होनी चाहिए।

परंतु अगर ऐसा हो भी जाये तो माता रानी से अपनी गलती की क्षमा याचना कर लेनी चाहिए। वैसे भी माँ अम्बे अपने भक्तों से कभी नाराज नहीँ होती है। माँ अम्बे के व्रत के नियम इस प्रकार है।

पहले दिन घट स्टापना करके नौ दिन व्रत करने का संकल्प लिया जाता है। माँ अम्बे की पूजा अर्चना सुबह और शाम को करि जाती है। फिर प्रसाद को सभी मे वितरित किया जाता है।कई घरों में तो भजन कीर्तन के साथ ही माता का जागरण भी किया जाता है।

व्रत यदि रखा जाता है, तो फलाहार किया जाता है। अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओ को भोज कराया जाता है। नवरात्री में हवन भी किया जाता है। नवरात्रि के नौ दिन अखण्ड जोत जलाई जाती है।

ये जोत मन्नत मांग कर भी जलाई जाती है। अखण्ड जोत का पात्र मिट्टी का बना होता है। इसमें घी, सरसो का तेल आदि का दिया जलाया जाता है और पूरे नौ दिन तक इसका ध्यान रखा जाता है की बत्ती बुझने ना पाए।

उपसंहार

जगत जननी माँ अम्बे के नो रूप है और ये रूप हमें कुछ ना कुछ सिखाते है। यह नौ दिन हमारे मन मे रह रही माता रानी के श्रद्धा भक्ति को जागृत करते है। अगर हम हमेशा सकारात्मक सोच रखे, सभी का भला करें, अच्छे विचारों का पालन करें, तो चाहे महाराष्ट्र का गुड़ी पाड़वा हो या किसी ओर प्रान्त का कोई और रूप। माता रानी की कृपा सभी पर बरसती है। बस हमें माँ अम्बे पर विशवास ओर अपनी श्रदा बनाये रखनी चाहिए। क्योंकि चेत्र नवरात्रि के ये नौ दिन हम भक्तों के लिए अत्याधिक महत्वपूर्ण होते है।


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