दशहरा त्यौहार पर निबंध (Dussehra Festival Essay In Hindi)

आज के इस लेख में हम दशहरा त्यौहार पर निबंध (Essay On Dussehra In Hindi) लिखेंगे। दशहरा त्यौहार पर लिखा यह निबंध बच्चो और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

दशहरा त्यौहार पर लिखे हुए यह निबंध (Essay On Dussehra In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।

दशहरा पर निबंध (Dussehra Festival Essay In Hindi)


प्रस्तावना

दशहरा हिन्दू धर्म के लोगों का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। इसे पूरे उत्साह के साथ पूरे देश में हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा लगातार दस दिन तक मनाया जाता है। इसलिये इसे दशहरा कहते है। पहले नौ दिन तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है, दसवें दिन लोग असुर राजा रावण का पुतला जला कर मनाते है।

दशहरा का ये पर्व सितंबर और अक्तूबर के महीने में दीवाली के दो या तीन हफ्ते पहले पड़ता है। यह त्यौहार राक्षस रावण पर भगवान राम की विजय को याद करता है। इसलिए यह बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।

भगवान राम सच्चाई के प्रतीक है और रावण बुराई की शक्ति का। देवी दुर्गा के पूजा के साथ हिन्दू लोगों के द्वारा ये महान धार्मिक उत्सव और दस्तूर मनाया जाता है। दशहरा हमें संदेश देता है कि सही और गलत की लड़ाई में धार्मिकता हमेशा विजयी होती है। ये पर्व बच्चों के मन में काफी खुशियां लाता है।

यह एक धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार है जिसके बारे में सभी को जानना चाहिए। दशहरा के त्यौहार को विजयादशमी भी कहा जाता है।

दशहरा का अर्थ

दशहरा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द ‘दश- हर’ से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ दस बुराइयों से छुटकारा पाना है। दशहरा उत्सव, भगवान् श्रीराम का अपनी अपहृत पत्नी को रावण पर जीत प्राप्त कर छुड़ाने के उपलक्ष्य में तथा अच्छाई की बुराई पर विजय के प्रतीकात्मक रूप में मनाया जाता है।

हिन्दू देवी माता दुर्गा की पूजा के द्वारा इस त्यौहार को मनाया जाता है, तथा इसमें प्रभु राम और देवी दुर्गा के भक्त पहले या आखिरी दिन, या फिर पूरे नौ दिन तक पूजा-पाठ करते है तथा व्रत रखते है।

विजय पर्व

दशहरे का उत्सव शक्ति और शक्ति का समन्वय बताने वाला उत्सव है। नवरात्रि के नौ दिन जगदम्बा की उपासना करके शक्तिशाली बना हुआ मनुष्य विजय प्राप्ति के लिए तत्पर रहता है। इस दृष्टि से दशहरे अर्थात विजय के लिए प्रस्थान का उत्सव का उत्सव आवश्यक भी है।

रावण श्रीलंका का दस सिर वाला दानव राजा था, जिसने अपनी बहन सुपर्णखा का बदला लेने के लिए भगवान राम की पत्नी सीता का अपहरण कर लिया था। तब से जिस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया तब से उस दिन को दशहरा उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।

इन दिनों हर जगह रोशनी रहती है और पूरा वातावरण पटाखों की आवाज से भरा हुआ होता है। दशहरा का महत्व इस रूप में भी होता है कि मां दुर्गा ने दसवें दिन महिषासुर राक्षस का वध किया था।

महिषासुर असुरों को राजा था, जो लोगों पर अत्याचार करता था, उसके अत्याचारों को देखकर भगवान ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश ने शक्ति (माँ दुर्गा) का निर्माण किया। महिषासुर और शक्‍ति (माँ दुर्गा) के बीच 10 दिनों तक युद्ध हुआ और आखिरकार मां ने 10 वें दिन विजय हासिल कर ली।

ऐसी मान्यता है कि नवरात्र में देवी मां अपने मायके आती हैं और उनकी विदाई हेतु लोग नवरात्र के दसवें दिन उन्हें पानी में विसर्जित करते हैं। एक मान्यता यह भी है कि श्री राम ने रावण के दसों सिर यानी दस बुराइयाँ को ख़त्म किया, जो हमारे अंदर पाप, काम, क्रोध, मोह, लोभ, घमंड, स्वार्थ, जलन, अहंकार, अमानवता और अन्‍याय के रूप में विराजमान है।

ऐसा लोगों का मानना है की मैसूर के राजा के द्वारा 17 वीं शताब्दी में मैसूर में दशहरा मनाई गयी थी। मलेशिया में दशहरा पर राष्ट्रीय अवकाश होता है, यह त्योहार सिर्फ भारत ही नहीं बांग्लादेश और नेपाल में भी मनाया जाता है।

यह सीता माता के अपहरण, असुर राजा रावण, उसके पुत्र मेघनाथ और भाई कुंभकर्ण और राजा राम के विजय के अंत का पूरा इतिहास बताता है। अंत में, बुराई पर अच्छाई की जीत दिखाने के लिए रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं और पटाखों के बीच इस त्योहार को और अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है।

भारत के विभिन्न प्रदेशों का दशहरा 

हिमाचल प्रदेश :-

हिमाचल प्रदेश में कुल्लू का दशहरा बहुत प्रसिद्ध है। अन्य स्थानों की ही भाँति यहाँ भी दस दिन अथवा एक सप्ताह पूर्व इस पर्व की तैयारी आरंभ हो जाती है। स्त्रियाँ और पुरुष सभी सुंदर वस्त्रों से सज्जित होकर तुरही, बिगुल, ढोल, नगाड़े, बाँसुरी आदि जिसके पास जो वाद्य होता है, उसे लेकर बाहर निकलते हैं।

पहाड़ी लोग अपने ग्रामीण देवता का धूम धाम से जुलूस निकाल कर पूजन करते हैं।

पंजाब :-

पंजाब में दशहरा नवरात्रि के नौ दिन का उपवास रखकर मनाते हैं। इस दौरान यहां आगंतुकों का स्वागत पारंपरिक मिठाई और उपहारों से किया जाता है। यहां भी रावण-दहन के आयोजन होते हैं व मैदानों में मेले लगते हैं।

बस्तर :-

बस्तर में दशहरे के मुख्य कारण को राम की रावण पर विजय ना मानकर, लोग इसे मां दंतेश्वरी की आराधना को समर्पित एक पर्व मानते हैं।

बंगाल और ओडिसा :-

बंगाल, ओडिशा और असम में यह पर्व दुर्गा पूजा के रूप में ही मनाया जाता है। यह बंगालियों, ओडिआ और आसाम के लोगों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है।

तमिल नाडु, आंध्र प्रदेश और कर्णाटक :-

तमिल नाडु, आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक में दशहरा नौ दिनों तक चलता है, जिसमें तीन देवियां लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा की पूजा करते हैं।

गुजरात :-

गुजरात में मिट्टी सुशोभित रंगीन घड़ा देवी का प्रतीक माना जाता है और इसको कुंवारी लड़कियां सिर पर रखकर एक लोकप्रिय नृत्य करती हैं, जिसे गरबा कहा जाता है। गरबा नृत्य इस पर्व की शान है।

महाराष्ट्र :-

महाराष्ट्र में नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा को समर्पित रहते हैं, जबकि दसवें दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की वंदना की जाती है।

कश्मीर :-

कश्मीर के अल्पसंख्यक हिन्दू नवरात्रि के पर्व को श्रद्धा से मनाते हैं। परिवार के सारे वयस्क सदस्य नौ दिनों तक सिर्फ पानी पीकर उपवास करते हैं।

दशहरा का मेला

दशहरे से दस दिन पहले से रामलीलाओं का प्रदर्शन किया जाता है। दशहरे का महत्त्व रामलीलाओं के कारण सुविख्यात है। भारत के हर शहर एवं गाँव में रामलीला दिखाई जाती है। दिल्ली में तो हर कॉलोनी में रामलीला आयोजित होती है।

परंतु दिल्ली गेट के नज़दीक रामलीला ग्राउण्ड की रामलीला सर्वाधिक मशहूर है। वहाँ पर दशहरे वाले दिन प्रधानमंत्री स्वयं रामलीला देखने आते हैं। उनके साथ अन्य मंत्रीगण एवं अधिकारी भी होते हैं।

दशहरे के दिन भव्य मेले का आयोजन होता है। मेले में कई शहरों से आतिशबाज आते हैं और जिसकी आतिशबाजी सबसे अच्छी होती है, उसे ईनाम दिया जाता है। उस दिन असली लोग राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान की भूमिका निभाते हैं। जबकि रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले बनाए जाते हैं।

दरअसल अधिकांश लोग तो इन्हीं पुतलों को देखने आते हैं। रामलीला के अलावा दशहरे के दिन आतिशबाजी भी खूब होती है ,जो दर्शकों का मन मोह लेती है। आतिशबाजी दिखाने के बाद रामचंद्र जी रावण का वध करते हैं। फिर बारी-बारी से पुतलों में आग लगाई जाती है।

पहले कुंभकर्ण का पुतला जलाया जाता है। उसके बाद मेघनाद के पुतले में आग लगाई जाती है और सबसे बाद में रावण के पुतले में आग लगाई जाती है। रावण का पुतला सबसे बड़ा होता है। उसके दस सिर होते हैं और उसके दोनों हाथों में तलवार और ढाल होती है।

रावण के पुतले को श्रीराम अग्निबाण से जलाते हैं। ऐसे कई जगह है जहां दशहरा में मेला लगता है, कोटा में दशहरा का मेला, कोलकाता में दशहरा का मेला, वाराणसी में दशहरा का मेला लगता है।

जिसमें कई दुकानें लगती है और खाने पीने का आयोजन होता है। इस दिन बच्चे मेला घूमने जाते है और मैदान में रावण का वध देखने जाते है। इस दिन सड़कों पर बहुत भीड़ होती है। लोग गाँवों से शहरों में दशहरा मेला देखने आते है। जिसे दशहरा मेला के नाम से जाना जाता है।

इतिहास बताता है कि दशहरा का जश्न महारो दुर्जनशल सिंह हंडा के शासन काल में शुरू हुआ था। रावण के वध के बाद श्रद्धालु पंडाल घूमकर देवी माँ का दर्शन करते हुए मेले का आनंद उठाते है।

निष्कर्ष

हिन्दू धर्मग्रंथ रामायण के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि देवी दुर्गा को प्रसन्न करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये राजा राम ने चंडी होम कराया था। इसके अनुसार युद्ध के दसवें दिन रावण को मारने का राज जान कर उस पर विजय प्राप्त कर लिया था।

अंततः रावण को मारने के बाद राम ने सीता को वापस पाया। दशहरा को दुर्गोत्सव भी कहा जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उसी दसवें दिन माता दुर्गा ने भी महिषासुर नामक असुर का वध किया था।

हर क्षेत्र के रामलीला मैदान में एक बहुत बड़ा मेला आयोजित किया जाता है, जहाँ दूसरे क्षेत्र के लोग इस मेले के साथ ही रामलीला का नाटकीय मंचन देखने आते हैं। ये 10 दिन लंबा उत्सव होता है, जिसमें से नौ दिन देवी दुर्गा की पूजा के लिये और दसवाँ दिन विजयादशमी के रुप में मनाया जाता है।

इसके आने से पहले ही लोगों द्वारा बड़ी तैयारी शुरु हो जाती है। ये 10 दिनों का या एक महीने का उत्सव या मेले के रुप में होता है। जिसमें एक क्षेत्र के लोग दूसरे क्षेत्रों में जाकर दुकान और स्टॉल लगाते है।

हमारे हिन्दू समाज में दशहरे का दिन अत्यंत शुभ दिन माना जाता है। इस दिन मजदूर लोग अपने-अपने काम के यंत्रों की पूजा करते हैं और लड्डू बाँटकर खुशी जाहिर करते हैं।दशहरे का पर्व असत्य पर सत्य एवं बुराई पर अच्छाई की विजय को दर्शाता है।

इस दिन श्री राम ने बुराई के प्रतीक रावण का वध किया था। अतः हमें भी अपनी बुराइयों को त्यागकर अच्छाइयों को ग्रहण करना चाहिए तभी यह दिन सार्थक सिद्ध होगा।

इन्हे भी पढ़े :- 


दशहरा त्यौहार पर निबंध (Short Essay On Dussehra In Hindi)


दशहरा हमारे देश का और हिन्दुओ धर्म का एक महान त्योहार हैं। दशहरा का इंतजार हम लोग कितने दिन पहले से ही करते रहते हैं। यह त्योहार अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष के दशमी के दिन मनाया जाता हैं।

दशहरा, दिवाली के 20 दिन बाद आता हैं और दिवाली ख़त्म होते ही हम सभी दशहरा का बहुत उत्साह के साथ इंतजार करते रहते हैं। यह त्योहार हम सभी मानते और मनाते हैं, क्योकि इसी दिन भवान राम ने रावण का वध कर दिया था और माँ दुर्गा नौ रात और दश दिन लगातार युद्ध कर के महिसा सुर को मार कर विजयी हुई थी।

दशहरा को हम दुर्गा पूजा भी कहते हैं, इस दिन हमारे देश में अलग -अलग शहरो में मेला आयोजन किया जाता हैं। इस मेले की तयारी 2 , 3 महीना पहले से ही सुरु हो जाती हैं। दशहरा के दिन मेले में बड़ा सा मिटटी की मूर्ति बनायी जाती हैं और उस दुर्गा जी के मूर्ति को सजा कर सुन्दर बनाया जाता हैं।

दशहरा का मेला में हम सभी अपने परिवार और दोस्तों के साथ घूमने जाते हैं। मेले में बहुत सारे खाने की चीजे, झूला और खिलौनो के भी बहुत सारे दुकान होते हैं। यहाँ हम सब अपने -अपने पसंद से कुछ न कुछ खरीदते हैं।

दशहरा के समय खास कर हमारे गांव और मुहल्ले के सभी बचपन के दोस्त आये हुए होते हैं। हम सब दोस्त इस दिन इक्क्ता होकर काफी आनंद लेते हैं। दशहरा का मेला दस दिन तक होता हैं।

लेकिन सत्यमी की रात से मेले की रौनक ज्यादा बढ़ जाती हैं, उस दिन आस पास के सभी लोग मेले में आते हैं और पूजा होती हैं, आरती होती हैं। सत्यमी के इस दिन माँ दुर्गा का झका हुआ चेहरा पुजारी नारा लगा कर खोलता हैं।

सत्यमी, अष्टमी और नौमी को मेले में ज्यादा भीड़ होती हैं, इन तीन दिन लगभग सभी लोग भगवन की पूजा करने जरूर आते हैं। इसी लिए इन दिनों मे मेंले की रौनक ज्यादा होता हैं।

इस समय मेले के आस पास या मेले में ही रामलीला का भी आयोजन किया जाता है। इस रामलीला में बहुत सारे कलाकार आते हैं। वो माँ दुर्गा का दर्शन करने आये सभी लोगो का मनोरंजन कराते हैं।

इस रामलीला में दिखाया जाता हैं की कैसे युद्ध की देवी माँ दुर्गा का भक्त रावण, भगवन राम की पत्नी माँ सीता का अपहरण करके लंका में ले गया था और इसीलिए राम और रावण में युद्ध की नौवत आ गयी।

इस दौरान भगवन राम ने नौ दिन माँ दुर्गा की पूजा करके दसवे दिन रावण को मार गिराया। इसी लिए नवरात्र का भी आयोजन किया जाता हैं और दसवीं को हम सभी विजयदशमी मनाते है, क्योकि भगवन राम को इस दिन रावण पर विजय मिली थी।

हमारे पूर्वजो का कहना है की विजयदशमी को बुराई पर अच्छाई की विजय प्राप्त हुई थी, क्योकि रामायण में भी बताया गया हैं रावण बहुत ज्यादा शक्तिशाली था और वो तपस्या कर के वरदान लिए हुआ था।

वो एक महाशक्तिशाली आदमी था और भगवन राम एक साधारन मनुष्य थे, लेकिन रावण के अहंकार और घमंड के कारण उसे युद्ध में जान गवानी पड़ी। इसीलिए दशहरा को शक्ति (ताकत) की पूजा भी कहा जाता हैं।

पहले राजा महाराजा और क्षत्रिय इस दिन अपने -अपने शस्त्र की पूजा करते थे और उसमे शक्ति कायम रहने की कामना करते थे। इस दिन रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के बहुत बड़ा पुतला बनाया जाता हैं।

यह सभी पुतले कागज और जलने वाले सामान से बनाए जाते हैं। इसने खास कर के रावण का पुतला होता है जिसमे सभी जगह पटाखे लगाए जाते हैं और इस पुतले को जलाने के कार्यक्रम का आयोजन बहुत धूम धाम से किया जाता हैं।

इसमें कुछ कलाकार राम, सीता और लक्ष्मण का रोल अदा करते हैं और राम बना व्यक्ति आग लगे हुए तीर को अपने धनुष से रावण के पुतले पर छोड़ता हैं। इससे पटाको में आग लग जाती है और इसी के साथ रावण का पुतला जलने लगता है और रावण का वध किया जाता है।

दशहरा के इस दिन पुतला जलाने और जलते देखने के लिए बहुत दूर -दूर से लोग आते हैं, क्योकि यह दिन दशहरा का अंतिम दिन होता हैं। रावण का पुतला जलने का मतलब होता है की हम इस दिन अपने अंदर के सभी बुराइयों को नष्ट कर दे, जो बुराइया कभी रावण में थी।

रावण के साथ साथ कुम्भकर्ण और मेघनाद को इसलिए जलाया जाता हैं। क्युकी कुम्भकर्ण जो की रावण का भाई और मेधनाद जो रावण का पुत्र था, इन दोनों ने युद्ध में बुराई का साथ निभाया था, इसी लिए उन्हें भी दशहरा के इस दिन बुराई का प्रतिक समाज कर जलाया जाता है और अंत कर दिया जाता हैं।

दशहरा के दिन मलेशिया में राष्ट्रीय अवकाश होता हैं। यह त्योहार सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के बहुत सारे देशो में भी मनाया जाता हैं, जैसे – बंगलादेश, नेपाल आदि। यह त्योहार बहुत महत्वपूर्ण हैं, ये माँ दुर्गा और भगवन राम का महत्व दर्शाता हैं और हमे इसको याद करने का मौका मिलता हैं।

दशहरा का त्योहार भारत में पूर्वजो के जमाने से मनाया जाने वाला त्योहार हैं और यह एक रीती रिवाज जैसा पर्व हैं। इस त्यौहार को परम्परागत तरीके से मनाया जाता हैं।

दशहरा के त्योहार में किसी को कष्ट नहीं पहुंचना चाहिए और हमेशा अच्छाई का साथ देना चाहिए। हमे दशहरा के मेले में साबधान रहना चाहिए, क्युकी ऐसे बड़े मेले में कुछ चोर और पॉकेट मारने वाले होते हैं। जो हमारे समाज को बदनाम करते हैं और इस महान दशहरा के त्योहार की छवि ख़राब करते हैं।


तो यह था दशहरा त्यौहार पर निबंध, आशा करता हूं कि दशहरा त्यौहार पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Dussehra Festival) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

Sharing is caring!