दादा दादी पर निबंध (My Grandparents Essay In Hindi)

आज हम दादा दादी पर निबंध (Essay On My Grandparents In Hindi) लिखेंगे। दादा दादी पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

दादा दादी पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On My Grandparents In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


दादा दादी पर निबंध (My Grandparents Essay In Hindi)


प्रस्तावना

जीवन में कई ऐसे मोड़ आते है जब लगता है कि काश हमें कोई सही राह दिखाने वाला होता और हम उदास होकर बैठ जाते है। परंतु वो लोग बहुत ही किस्मत वाले होते है, जिनके दादा दादी या नाना नानी (ग्रन्डपेरेंट) होते है।

जैसे हमारे दादा दादी, नाना नानी आदी जो हमेशा से ही हमें सही मार्गदर्शन करते है और उससे कहि अधिक प्यार भी करते है। इसलिए अपने बड़ो का प्यार और आशीर्वाद हमारे जीवन में अतिआवश्यक है। क्योंकि हमारे दादा और दादी जीवन की वो मजबूत नीव है, जो हमें कठिन से कठिन परिस्थिति में मजबूत बने रहने और उनसे लड़ने की ताकत देते है।

ग्रैंडपेरेंट का मतलब

ग्रैंडपेरेंट इसका मतलब है, हमारे माता पिता के भी माता पिता जो हमारे ग्रैंडपेरेंट कहलाते है। जिन्हें हम दादा दादी, नाना नानी इन नामों से जानते है। जो हमारे घर के सबसे बड़े और आदरणीय होते है। जिनकी राह और सलाह से हमारे घर के कई कार्य होते है।

इसलिए इनका हमें हमेशा सम्मान करना चाहिए। क्योंकि हम भले ही इनके साथ कुछ भी बुरा व्यवहार करें, पर ये कभी भी हमारे साथ बुरा व्यवहार नहीं करते है। इसलिए हम हमारे ग्रैंडपेरेंट को अगर भगवान का दर्जा दे तो इसमें कोई अतियुक्ति नहीं होंगी।

दादा और दादी से रिश्तों में मिठास

हमारे दादा दादी, नाना नानी हमेशा से ही अपने पोता पोती और नाती को बहुत प्यार करते है। ऐसे बच्चे बहुत किस्मत वाले होते है, जिनको उनके साथ रहने का मौका मिलता है।क्योंकि हमारे बड़े हमेशा अच्छे संस्कार ही प्रदान करते है।

कहते है ना कि बड़ो का आशीर्वाद अगर हमारे सिर पर हो तो बड़ी से बड़ी विपदा से निपटना आसान हो जाता है। हमारे लिए हमारे दादा दादी आदरणीय और सम्मानीय होते है और उनके फैसले हमेशा सही होते है। क्योंकि जीवन के अनुभव हमसे ज्यादा उनको होते है। इसलिए उनकी बातों का सम्मान और उनके बताये राह पर हमें हमेशा चलना चाहिए।

दादा और दादी के साथ गुणों का विकास

दादा और दादी के साथ रहने से बच्चों में कई गुणों का विकास होता है। जो उन्हें उनके जीवन मे बहुत काम आते है। जिनमे से कुछ गुण इस प्रकार है।

  • बच्चें संस्कारी बनते है।
  • सबके साथ मिलकर रहने की भावना जागृत होती है।
  • आज्ञाकारी बनते है।
  • बड़ो के साथ बच्चें अनुशासित बनते है।
  • सही प्रकार से पालन पोषण होता है।
  • जीवन को सही तरीके से जीने की राह मिलती है।
  • बच्चें शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप मे मजबूत बनते है।
  • बच्चों में प्रेम और सम्मान की भावना जागृत होती है।
  • बच्चों में अच्छे और बुरे को पहचानने का ज्ञान रहता है।
  • पढ़ाई लिखाई पर ध्यान देने का ज्ञान प्राप्त होता है।
  • बच्चे नकारात्मक से ज्यादा सकारात्मक बातो को अपनाते है।

दादा दादी से मजबूत रिश्ता

आजकल की आपाधापी यानी व्यस्त जीवन में जैसे किसी व्यापार के चलते या नोकरी के चलते बच्चें अपने माता पिता से ना चाहते हुए भी अलग रहते है। तो बच्चों के बच्चे यानी पोता पोती भी अपने दादा दादी से दूर रहते है।

लेकिन इसके बाबजूद बच्चे अपने दादा दादी से बात कर सकते है। उसका सबसे बड़ा साथ आजकल इंटरनेट और शोशल मीडिया ने दे रखा है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण है वीडियो कॉलिंग, जिसके चलते हम दुनिया के किसी भी कोने में बैठ कर आपस मे बात कर सकते है। एक दूसरे को मेसेज कर सकते है।

और भी तरीके है रिश्तों को मजबूत रखने के, जैसे कि हफ्ते में एक बार या महीने में एक बार ही सही पर एक दूसरे से जाकर मिल सकते है। दादा दादी को अपने घर बुलाया जा सकता है। या उन्हें अपने पोता पोती से मिलाने के लिए लाया जा सकता है।

आपस मे एक दुसरो को गिफ्ट पंहुचा कर रिश्तों में मजबूती लाई जा सकती है। त्यौहार में आपस मे मिल कर साथ मे त्यौहार की खुशियो को बांटा जा सकता है। भले ही मजबूरी या कोई भी परेशानी हो, अगर रिश्तों में मिठास रखनी है तो आपस मे मेलजोल हमेशा रखना जरूरी है।

क्योंकि दादा दादी को जितनी खुशी अपने पोता पोती से मिलकर होती है उतनी ही ख़ुशी पोता पोती को भी होती है। वो अपने दादा दादी से जितना प्यार स्नेह और आशीर्वाद पाते है उतना प्यार वो कहि और किसी से भी नहीँ पाते है।

दादा दादी के कर्तव्य

दादा दादी को हमेशा अपने पोता पोती के प्रति प्यार और स्नेह की भावना ही रखनी चाहिए। पर जँहा उनके साथ अगर सख्ती की जरूरत हो, तो उसका भी प्रयोग करना चाहिए।क्योंकि दादा दादी के गुस्से में भी प्यार और बच्चों के लिए भलाई ही छिपी रहती है।

दादा दादी को हमेशा अपने पोता पोती में अच्छे संस्कार ही डालना चाहिए, जो कि वो करते भी है। दादा दादी को अपने पोता पोती को हमेशा सही मार्गदर्शन करना चाहिए। दूर रहकर भी दादा दादी को अपने पोता पोती के संपर्क में रहना चाहिए। लेकिन ज्यादा सख्ती भी नहीँ बरतनी चाहिए।

बच्चों के साथ बच्चे बनकर ही उन्हें खुश रखना चाहिए। कभी भी बच्चों को ये एहसास नहीं होने देना चाहिए, कि जिस प्रकार उनके माता पिता अपने – अपने काम मे व्यस्त है। वैसे ही उनके दादा दादी भी व्यस्त है। दादा दादी को अपना व्यवहार अपने पोता पोती के साथ ऐसा रखना चाहिए कि बच्चे कोई भी बात करने में बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाएं।

पोता पोती के कर्तव्य

दादा दादी और नाना नानी का सम्मान करना पोते और पोती का कर्तव्य है। उनके दिए आदेशो और मार्गदर्शन का हमेशा पालन करना चाहिए। दादा दादी और नाना नानी के भावनाओ का ख्याल रखना चाहिए।

दादा दादी और नाना नानी की सेवा में हमेशा तत्पर रहना चाहिए। दादा दादी की जरूरतों को पूरा करने में उनकी मद्त करनी चाहिए। क्योंकि पोता और पोती भी अपने दादा दादी को अच्छे से जानते है, उनकी जरूरतों को वो समझते है।

उन्हें कभी कभार बहार घूमने फिराने ले जाना चाहिए, ताकि उनका मन भी प्रफुल्लित और खुश रहे। पोता पोती को अपने दादा दादी के दिये हुए राह या मार्गदर्शन का हमेशा सम्मान करना चाहिए।

जब कोई त्यौहार या कोई विशेष दीन रहे, जैसे शादी की सालगिरह या बर्थडे, तो उस समय उनको कोई गिफ्ट या पार्टी जरूर दे। प्रत्येक पोते पोती को चाहिए कि वो ज्यादा से ज्यादा समय अपने दादा और दादी के साथ बिताए।

कोई भी परेशानी, मजबूरी या तकलीफ ही क्यों ना आये किसी भी पोते या पोती को अपने दादा दादी का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि बड़ो का आशिर्वाद किसी भगवान से कम नहीं होता।

आज की युवा पीढ़ी और रिश्तो में दूरी

जिसके ऊप्पर बड़ो का हाथ है वो बहुत ही तकदीर वाला है, ऐसा हम सभी का मानना है। क्योंकि वो सभी ये बात जानते है, जिन्होंने अपना बचपन अपने दादा दादी के आंचल में बिताया है। कहते है ना हर किसी को नगद से ज्यादा ब्याज प्यारा होता है। इसलिए दादा दादी को भी अपने पोता पोती से बहुत प्यार रहता है।

उनके साथ खेलना, उनके साथ शरारत करना किसे नही भाता। बचपन की कहानियां जिसने अपने दादा दादी से सुनी है,उन्हें कौन भूल सकता है। पर आजकल की युवा पीढ़ी अपने बड़ो से अलग रहना ज्यादा पसंद करती है। जिससे बच्चों को उनके दादा दादी का प्यार नहीं मिल पाता।

उन्हें यही नहीं पता रहता कि आखिर दादा दादी होते क्या है। ऐसी आधुनिकता के चलते रिश्ते दूर से होते चले जा रहे है। अपना सब होते हुए भी लोग किराए के मकान में रहकर कहि दूसरे शहर में या दूसरे देश मे काम करते है।

पर क्या ये उचित है। जँहा तक हो सकता है सभी का जबाव नहीँ होंगा। परंतु आज कल की मंहगाई और आगे बढ़ने की चाह और कॉम्पिटिशन की भावना ने रिस्तो को कमजोर कर दिया है। जो कि सही नहीं है।

इसलिए प्रत्येक युवा पीढ़ी या उन व्यक्तियों को ये समझना होंगा। अपने बच्चों को उनके दादा दादी या नाना नानी से कतई दूर नहीँ रखना चाहिए। क्योंकि बच्चा बड़ा होकर भले ही कितनी भी अच्छी पुस्तको का ज्ञान प्राप्त करले, लेकिन जो ज्ञान व्यवहारिक होता है वो इन किताबी ज्ञान से कही अधिक मूल्यवान और कीमती होता है।

आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना जरूरी

सयुंक्त परिवार में बच्चे सभी का प्यार पाते है। उन्हें उनकी राह से कोई भी भटका नही सकता। बच्चे नकल करने में बहुत एक्सपर्ट होते है। जैसे उनके माता पिता अपने माता पिता से दूर रहते है, वैसे ही वो बड़े होकर करते है। वो भी अलग रहना पसंद करने लगते है।

जबकि संयुक्त परिवार में सभी रिश्तेदारों का आना जाना लगा रहता है। जिसमे दादा दादी, चाचा चाची, काका काकी, भईया भावी शामिल है। ऐसा संयुक्त परिवार हो और सब मिलकर रहते हो, तो बच्चो में अपने आप ही सबके साथ मिलकर रहने की भावना व्याप्त हो जाती है और उसमें बात करने का कॉन्फिडेंस और सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती हैं।

जबकि एकल परिवार के बच्चो में वो कॉन्फिडेंस नहीं रहता और सबके साथ खुलकर बात करने में थोड़ी हिचकिचाहट मौजूद रहती है, जो कि सही नही है। इसलिए युवा पीढ़ी को कभी भी उनकी राह से नही भटकना चाहिए।

अपने बड़ो की छत्रछाया में रहकर उनके प्यार और स्नेह में ही अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए। क्योंकि ये उनके लिए और उनके बच्चों के लिए बहुत जरूरी रहता है, जो कि उनके भविष्य की एक मजबूत नीव का काम करता है।

उपसंहार

इन सब बातों से यही साबित होता है कि दादा दादी का प्यार बच्चों के लिए बहुत जरूरी है। ये वो बरगद का बड़ा सा पेड़ होता है, जिसकी छांव तो प्यारी होती ही है साथ ही उसकी जड़े इतनी बजबूत होती है कि ना तो कोई उसे तोड़ सकता है और ना ही उस जड़ से पेड़ को अलग कर सकता है।

इसलिए दादा दादी के साथ रहना और संयुक्त परिवार में जीवन बिताना हमारे भारतीय समाज की परंपरा है। जिसे हमें हमेशा कायम रखना चाहिए। इसमे पड़ी आधुनिकता की धूल को साफ करने की बजह, इसे अपने से दूर ही रखना चाहिए। क्योंकि जो मिठास हम अपने दादा दादी के साथ पाते है, वो अकेले में भला कैसे प्राप्त कर सकते है।


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तो यह था दादा दादी पर निबंध (My Grandparents Essay In Hindi), आशा करता हूं कि दादा दादी पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On My Grandparents) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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