राष्ट्रिय एकता पर निबंध (National Unity Essay In Hindi)

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राष्ट्रिय एकता पर निबंध (National Unity Essay In Hindi)


प्रस्तावना

राष्ट्रिय एकता को विस्तार से समझने के लिए जरूरी है कि पहले हम जाने की एकता का अर्थ क्या होता है। एकता का सीधा साधा सा अर्थ होता है कि एकत्र होकर रहना, मिल – जुल कर रहना।

कई लोग राष्ट्रिय एकता को मनोवैज्ञानिक भावना समझते हैं। यह एक ऐसी भावना है, जो कि किसी राष्ट्र अथवा देश के लोगों में भाई-चारा अथवा राष्ट्र के प्रति प्रेम एवं अपनत्व का भाव प्रदर्शित करती है। हम आंतरिक रूप से चाहे कितने भी विभिन्न क्यों ना हो, लेकिन एक राष्ट्र के तौर पर हमें हमेशा एकत्र होना चाहिए और अपनी एकता का परिमाण देना चाहिए।

देशभर में विभिन्न प्रकार के लोग और विभिन्न प्रकार के विचार होने के बावजूद, आपसी भाईचारा, प्रेम और एकता होना ही राष्ट्रिय एकता है। राष्ट्रिय एकता दर्शाने के लिए यह जरूरी नहीं है कि हम शारीरिक रूप से प्रस्तुत होकर ही अपनी समिपता का प्रमाण दें।

बल्कि यह जरूरी है कि हम मानसिक, बौद्धिक, वैचारिक और भावात्मक रूप से एक-दूसरे के निकट हो। हर देश में अलग-अलग प्रकार के लोग रहते हैं और इसीलिए ही अलग-अलग विचार भी रहते हैं। लेकिन इन सबके बावजूद एक-दूसरे के विचारों का आदर सम्मान करना ही राष्ट्रिय एकता का प्रतीक होता है।

राष्ट्रिय एकता क्यों है जरूरी?

विकास की राह पर चलने के लिए हमें राष्ट्रिय एकता बनाना बहुत जरूरी होता है। राष्ट्रिय एकता देश में रहने वाले लोगों को संगठित करने का काम करती है। राष्ट्रिय एकता वह ताकत है, जो हमारे देश के लोगों को बांधती है और प्रेरित करती है।

भारत में अलग-अलग जाति, प्रदाय और समुदाय के लोग रहते हैं। इसलिए भारत में राष्ट्रिय एकता का महत्व और भी बढ़ जाता है। पूरे विश्व में भारत दूसरा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है। भारत विविधता में एकता के लिए जाना जाता है।

यहां पर लगभग 16००० भाषाएं बोली जाती हैं। इतना ही नहीं बल्कि पूरे विश्व भर के मुख्य धर्मों के लोग यहां पर रहते है। लेकिन तब भी आंतरिक भेदभाव तथा मतभेदों को भुलाकर एक साथ, एक दूसरे के लिए खड़े रहना ही एकता है।

भारत में अलगाव के कारण देशवासियों को कई सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा है। अलगाव के परिणाम स्वरूप भारत देश को 1947 में भारत का बँटवारा, 1992 में बाबरी मस्जिद का विध्वंस, हिन्दू और मुस्लिमों के बीच दंगे आदि का सामना करना पड़ा है।

लेकिन अगर हम विकास की ओर अग्रसर होना चाहते हैं, तो हमें राष्ट्रिय एकता को बढ़ावा देना होगा। हमें राष्ट्रिय एकता को करीब से समझने की जरूरत है। इसके बाद ही हम विकसित देशों में गिने जा सकेंगे।

भारत की विविधता में एकता

जैसा कि हम सभी जानते हैं भारत एक बहुत ही विविध व्यक्तियों वाला देश है। यहां पर अलग-अलग प्रकार के लोग रहते हैं। भारत देश में अलग-अलग प्रकार की भाषाएं बोली जाती है, तथा अलग-अलग समुदाय के लोग रहते हैं। भारत में कुल 1652 भाषाएं बोली जाती हैं। सभी धर्म के लोग यहां साथ मिलकर रहते हैं।

भारत एक ऐसा देश है, जो अपनी विविधता के कारण पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां पर अलग-अलग प्रकार के लोग रहते हैं, जिनके अपने प्रमुख त्यौहार और जीवनशैली होते हैं।विभिन्न धर्म, जाति, समुदाय के लोग यहां आपस में संबंध रखते हैं और मिलजुलकर प्रेम से रहते हैं।

यह कहना गलत नहीं होगा कि, भारत की सांस्कृतिक विरासत को विविध धर्म, जाति और पंथ ने समृद्ध बनाया हुआ है और यही कारण है कि यहां पर हमें एक मिश्रित संस्कृति देखने को मिलती है।

हालांकि यह बात भी किसी से छुपी नहीं है कि भारत में अक्सर राजनीतिक एकता की कमी रहती है। वैसे तो राजनीति का महत्व ही यही होता है कि वह एक राष्ट्र में एकता, स्थिरता, और समानता बनाए रखें।

लेकिन आज के समय में भारत की राजनीति का उद्देश्य उल्टा ही होता जा रहा है। भारत के राजनीतिज्ञ समाज को जोड़कर रखने की बजाय उल्टा इसको तोड़ने पर तुले रहते हैं। भारत को हर बार इसके परिणामों का भुगतान करना पड़ा है।

भारत में अभी राजनीतिक विकास होना बहुत बाकी है। भारत में हमें ऐसे नेताओं की जरूरत है, जो राष्ट्रिय एकता पर बल दे और इसे बड़े पैमाने पर जनता के बीच रखें। हालांकि भारत में कई बार एकता का प्रमाण देखने को मिला है। भारत देश की आजादी होना इसके लोगों की एकता का ही परिणाम है।

भारत के लोगों की एकता ने हीं अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया था। किसी भी राष्ट्र में एकता बनाए रखने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है कि वह भावनात्मक रूप से एक हो। अगर देश के निवासी भावनात्मक रूप से एक नहीं है, तो उनके शारीरिक रूप से निकटतम रहने का कोई भी महत्व नहीं है।

भारत की सरकार हमेशा से ही भारत के वासियों को भावनात्मक रूप से एक करने का प्रयास करती आई है। भारत के संविधान में भी इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण देखने को मिलता है। भारत के संविधान में स्पष्ट रूप से धर्म निरपेक्ष, समाजवाद समाज की परिकल्पना की गई है।

हमारे देश का संविधान सामान्य रूप से हर जाति, समुदाय और नस्ल का सम्मान करता है। राष्ट्र का संबंध भावनाओं से होता है, क्योंकि एक राष्ट्र का निर्माण देश के लोगों की भावनाओं से होता है।

जब तक किसी देश के वासियों की विचारधारा एक नहीं होती है, वह राष्ट्र कहलाने का हकदार नहीं होता है। हमें विकास में गति लाने के लिए बहुत आवश्यक है कि हम एकता की राह को चुने।

हमे एक दूसरे को नफरत का नहीं बल्कि प्रेम का संदेश देना चाहिए। हमें सभी के विचारों का सम्मान करना चाहिए और एक दूसरे के प्रति सकारात्मक भावनाएं रखनी चाहिए। अगर ऐसा हो पाया तो भारत देश और भी उन्नति करेगा।

निष्कर्ष

भारत एक ऐसा देश है जो अपने विभिन्नता के कारण पूरे विश्व भर में विख्यात है। लेकिन कई बार हमारी विभिन्नता शायद हम पर ही भारी पड़ जाती है। यहां कुछ लोग अपने विचारों और अपने धर्म को सबसे पहले रखते हैं। हमें स्थिति से निपटने के लिए कुछ ना कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए।

भारत एक बहुत ही समृद्ध देश है। यहां पर अधिकतर लोग मिल जुल कर रहते हैं और सभी धर्मों के त्योहारों को मिलजुल कर मनाते हैं। भारत के लोग भाईचारे पर पूर्णतः विश्वास रखते हैं और जब देश की बात आती है, तो सारे देशवासी एकजुट खड़े होकर मुसीबत का सामना करते हैं।


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तो यह था राष्ट्रिय एकता पर निबंध, आशा करता हूं कि राष्ट्रिय एकता पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On National Unity) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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