प्लास्टिक प्रतिबंध पर निबंध (Plastic Ban Essay In Hindi)

आज हम प्लास्टिक प्रतिबंध पर निबंध (Essay On Plastic Ban In Hindi) लिखेंगे। प्लास्टिक प्रतिबंध पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

प्लास्टिक प्रतिबंध पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Plastic Ban In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


प्लास्टिक प्रतिबंध पर निबंध (Plastic Ban Essay In Hindi)


प्रस्तावना

हमारे देश में प्रदूषण की समस्या दिनो दिन विकराल होती जा रही है। इससे निपटने के लिए हमे काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि लोगो मे जागरूकता की कमी है। हालाकि प्रदूषण कई कारणों से बढ़ रहा है। उन्ही में से एक कारण दैनिक जीवन में प्लास्टिक के बैग का इस्तेमाल करना शामिल है।

फल सब्जी या कोई अन्य सामान हो, साधारण तौर पर हम प्लास्टिक बैग का ही इस्तेमाल करते है। प्लास्टिक बैग और प्लास्टिक की बोतल को भूमि में फेके जाने से, जमीन की निचली सतह पर पहुंचकर यह भूमि प्रदूषण फैलाते है।

उसी तरह जल में फेके जाने पर जल प्रदूषण और जलाए जाने पर वायु प्रदूषण फैलता है। कुछ जानवर भूल से प्लास्टिक को खा जाते है, जिससे उनमें गंभीर बीमारियां पनपने लगती है।प्लास्टिक के बैग में खाने पीने के सेवन से प्लास्टिक का कुछ अंश हमारे शरीर में चले जाते है, जोकि हमारी सेहत को काफी नुकसान पहुंचाता है।

प्रदूषण की समस्या को बढ़ाने में प्लास्टिक की मुख्य भूमिका है। प्लास्टिक से कई प्रकार के प्रदूषण फैलते है। प्लास्टिक जिसे तेल और पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधन के जरिए प्राप्त किया जाता है। इसका सबसे अधिक उपयोग प्लास्टिक बैग, रसोई के मुख्य सामान के अलावा फर्नीचर और दरवाजे, यहां तक की चादर और पैकिंग के समान बनाने के लिए किया जाता है।

आमतौर पर लोगो को प्लास्टिक बैग में घरेलू सामान ले जाना काफी सुविधाजनक लगता है। इसके पीछे एक कारण प्लास्टिक के बैग का भार कम होना होता है। प्लास्टिक बैग का बहुत अधिक उपयोग किए जाने से उत्पन्न कचरे में काफी इजाफा हुआ है।

प्लास्टिक एक प्रकार का नॉन बायोडिग्रेडेबल पदार्थ होता है। यह कई टुकड़ों में टूट जाता है, सड़ने लगता है। लेकिन मिट्टी में समश्रित नही होता है। यह भूमि की निचली सतह पर सैकड़ो साल तक बना रहता है, जिससे भूमि को क्षति पहुंचती है।

वही अगर इसे जला दिया जाता है, तो इस जले हुए प्लास्टिक से जहरीली गैस निकलती है। जिससे न जाने कितनी बीमारियो का जन्म होता है। इस प्रकार से प्लास्टिक के कचरे को ठिकाना लगाना हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती का कार्य है।

प्लास्टिक बैग हमारे पर्यावरण के लिए बहुत ही घातक है यह तो आपको समझ ही आ गया होगा। यही कारण है कि कई देशों ने प्लास्टिक के बैग के इस्तेमाल किए जाने पर पाबंदी लगा दी है।

पाबंदी लगाए जाने पर कुछ हद तक इस समस्या का निवारण निकाला सकता है। लेकिन पूरी तरह से इस समस्या का हल निकालने के लिए आपको प्लास्टिक की वस्तुओं को उपयोग में लाने से बचना चाहिए। हमे मन में संकल्प लेना चाहिए की प्लास्टिक से हम पूरे देश को मुक्त करेगे।

भारत में प्लास्टिक पर प्रतिबंध की शुरुआत

प्लास्टिक से होने वाले नुकसान को देखते हुए बहुत से देशों में सिंगल यूज़ प्लास्टिक की मैन्युफैक्चरिंग और उसके इस्तेमाल किए जाने पर पाबंदी लगाई है। भारत में भी इसकी पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर की गई।

कई मुद्दों पर चर्चा के दौरान यह निश्चय किया गया की प्लास्टिक के उत्पाद, जिन्हे दोबारा इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता, उन पर पूरी तरह रोक लगा दी जाए। ऐसा लक्ष्य रखा गया है कि वर्ष 2022 में भारत एक बार उपयोग आने वाले प्लास्टिक रहित देशो में गिना जाए।

इसके बाद से भारत के बहुत से राज्यों ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक की मैन्युफैक्चरिंग पर पाबंदी लगा दी है, जिसमें 18 राज्य ऐसे हैं जिन्होंने इस महत्वपूर्ण पहल में भरपूर सहयोग दिया।

प्लास्टिक प्रतिबंध के फायदे

प्लास्टिक बैन कर देने पर हमारी पर्यावरण प्रदूषण की समस्या खत्म हो जाएगी। जिनमे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण शामिल है। समुद्र में प्लास्टिक की बोतल और प्लास्टिक के बैग फेके जाने से जलीय जंतुओं के जीवन में आए खतरे को कम किया जा सकता है।

प्लास्टिक पर पाबंदी लगा देने से, प्लास्टिक बैग और बोतल में पानी पीने से होने वाली हमारे सेहत से जुड़ी समस्यो से हमे निजात मिल जायेगा।

प्लास्टिक की आवश्यकता और परिणाम

प्लास्टिक की उपयोगिता सबसे अधिक इसलिए भी है, क्योंकि इसकी खरीद बेहद सस्ती है। आज की जरूरत के अनुसार लोगों को यूज एंड थ्रो वाली नीति काफी पसंद होती है। वह इस बात से बेखबर होते हैं कि उनकी इस नीति से पूरे देश में बर्बादी आ सकती है।

पर्यावरण ने दुनिया के 9 बिलियन टन प्लास्टिक का केवल 9% अब तक रीसाइकिल किया है। इससे आप अंदाजा लगा सकते है कि बाकी बचे प्लास्टिक को लोगो के यहां वहां फेंक देने से प्रकृति को बहुत अधिक नुकसान पहुंचता है।

जैसे प्लास्टिक का अधिकांश कचरा जलमार्ग के द्वारा समुद्री सागर में जाकर समुद्र को प्रभावित करता है। प्लास्टिक में स्वाभाविक रूप से सड़ने की विशेषता नहीं पाई जाती है। यह धीरे-धीरे प्रकृति में छोटे-छोटे टुकड़ों टूट जाते हैं। इसके बावजूद भी यह नष्ट नहीं होता है।

क्योंकि इसमें एक प्रकार का रसायनिक तत्व मौजूद होता है, जो की मिट्टी के साथ मिलकर जलमार्ग के द्वारा जलाशय में प्रवेश करता है और इससे वहां के जलीय जीव जंतु को काफी नुकसान पहुंचता है। प्लास्टिक ना तो मिट्टी में मिल पाता हैं और ना ही मिट्टी के अंदर सड़ता हैं। यही वजह है की प्लास्टिक पर्यावरण के लिए काफी खतरनाक माना जाता है।

दैनिक जीवन में प्लास्टिक

एक छोटे शिशु तक को दूध प्लास्टिक की बोतल में पिलाया जाता है। इसके बाद वह बच्चा आगे चल कर प्लास्टिक के टिफिन (डब्बे) में खाना और प्लास्टिक के बोतल में पानी का सेवन करने लग जाता है और आगे चलकर उसे छोटी बड़ी सभी जरूरती चीजे प्लास्टिक की ही बनी मिलती है।

मनुष्य को चाहिए की वह समय रहते इसका उपयोग बंद कर दे। नही तो वह अपने पतन के लिए खुद ही जिम्मेदार है। यह हमारे ऊपर निर्भर है कि हम प्लास्टिक के स्थान पर प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल करे।

जैसे की पुराने समय में शादी विवाह के मौके पर लोग बड़े बड़े पत्तो से बने पत्तल का उपयोग भोजन को परोसने में किया करते थे। ये पत्तो में परसा गया भोजन हमारी सेहत के लिए अच्छा था। लेकिन आज के समय में पत्तल के जगह लोग फाइबर या प्लास्टिक का इस्तेमाल करते है। जोकि हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनो के लिए नुकसानदेह है।

प्लास्टिक बैग के स्थान पर उपयोग में लाए जाने वाले बैग

बढ़ते हुए प्रदूषण की समस्या को देखते हुए पॉलिथीन बैग पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई जा चुकी है। ऐसे में लोगों के पास कुछ अन्य बेहतर विकल्प मौजूद है, जिनका उपयोग वह पॉलिथीन बैग के स्थान पर कर सकते हैं। यह बैग इको फ्रेंडली भी होगा और आपका काम भी इससे चल जाएगा।

कॉटन बैग – आप कॉटन बैग का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका वजन कम होता है और यह फैशन की दृष्टि से भी अच्छा माना जाता है।

जूट बैग – जुट से बना बैग काफी इको फ्रेंडली होता है। कॉटन की अपेक्षा यह थोड़ा मजबूत होता है। यह जल्दी फटता नहीं है और देखने में काफी अच्छा होता है। आप इसे बेहद ही आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं।

बंबू बैग – जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह बंबू की लकड़ियों से निर्मित किया जाता है। एक प्रकार से यह पूरी तरह इको फ्रेंडली होता है। यह देखने में काफी आकर्षक होता है और इसे आप लंबे समय तक इस्तेमाल कर सकते हैं।

हेम्प बैग – इस बैग की विशेषता यह होती है कि आप इसमें लिक्विड को भी आसानी से ले जा सकते हैं। इसमें भारी से भारी सामान आप बेहद सहज तरीके से ले जा सकते हैं। देखने में यह काफी खूबसूरत और टिकाऊ होता है। इस बैग को रेशन और कॉटन की सहायता से निर्मित किया जाता है।

प्लास्टिक के स्थान पर अन्य विकल्प

प्लास्टिक स्ट्रॉ के स्थान पर आप पेपर से निर्मित स्ट्रॉ को अपने उपयोग में ला सकते है। इसके अलावा आप प्लास्टिक से निर्मित बोतल की जगह के स्थान पर धातु, कॉपर और सेरामिक की निर्मित बोतल का उपयोग कर सकते है।

वही आप प्लास्टिक के कप के जगह पर मिटटी के बने कप का इस्तेमाल कर सकते है। इसके अलावा आप पेपर की प्याली का उपयोग कर सकते है। प्लास्टिक की थैली के जगह आप जूट की थैली का इस्तेमाल कर सकते है। प्लास्टिक के चाकू, चम्मच के स्थान पर आप स्टेनलेस स्टील के चाकू का उपयोग कर सकते है।

प्लास्टिक से पशुओं को हानि

हर वर्ष लगभग एक लाख पशुओं की मौत प्लास्टिक के बैंग को खाने के कारण होती है। इससे आप अंदाजा लगा सकते है कि प्लास्टिक पशुओं के लिए कितना खतरनाक होता है।भारत में प्लास्टिक की उपयोगिता का जिक्र करे तो यहां हर साल प्रत्येक व्यक्ति द्वारा लगभग 9.7 किलो का प्लास्टिक इस्तेमाल होता है।

प्लास्टिक का उपयोग करके इसे सबसे अधिक समुद्र में फेका जाता है। इससे आप समझ सकते है कि भविष्य में हमे इससे कितनी दिक्कतें आ सकती है।

प्लास्टिक के दुष्प्रभाव को लेकर लोगो में जागरूकता

किसी भी खराब चीज का अंत करने के लिए लोगो मे जागरूकता काफी जरूरी होती है और इसकी शुरुआत बचपन से ही करनी चाहिए। हमे बचपन से ही बच्चो को बताना चाहिए कि प्लास्टिक का अधिक इस्तेमाल करने से हमारी सेहत और पर्यावरण पर कितना खतरनाक प्रभाव पड़ता है।

स्कूल से लेकर अन्य शिक्षा संस्थानों में प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के विषय में विद्यार्थियों को परिचित कराना चाहिए। जिससे की उनमें इसके प्रति जागरूकता आए और समय रहते वह सचेत हो जाए।

प्लास्टिक के दुष्प्रभाव को रोकने के कुछ उपाय

मनुष्य को चाहिए की वह प्लास्टिक से बनी वस्तुओ का कम से कम उपयोग करे, तभी प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण पर लगाम लगाई जा सकती है। हमारे छोटे छोटे प्रयास से हम प्लास्टिक की उपयोगिता को खत्म कर सकते है।

जैसे की आप कागज और जुट के बैग का इस्तेमाल प्लास्टिक के थैले के स्थान पर कर सकते है। दुकान में समान खरीदते समय कागज या फिर कपडे के थैले का इस्तेमाल करे। चाय पीने के लिए प्लास्टिक के ग्लास के स्थान पर मिट्टी के कुल्हड़ में चाय पीए। यात्रा करते समय अपने पास पानी रखे। प्लास्टिक के बोतल में पानी या बंद खाना न खाएं।

निष्कर्ष

बढ़ते हुए प्रदूषण को देखते हुए हमे प्लास्टिक का उपयोग करने से बचना चाहिए। प्लास्टिक से हमारे पर्यावरण को ही नुकसान नहीं पहुंचता, बल्कि इससे पेड़ पौधों, जीव जंतुओं के अलावा समुद्री जल जीवो तथा पूरी मानव जाति पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

प्लास्टिक का उपयोग करके जब हम उसे भूमि में फेक देते है, तो वह भूमि की परत में पहुंचकर मिट्टी की उर्वरा शक्ति तक को नष्ट कर देता है। प्लास्टिक को जलाए जाने पर इसमें से निकलता धुंआ हमारे स्वास्थ के लिए काफी जहरीला साबित होता है। इस प्रकार हमारे लिए बेहद जरूरी है कि हम प्लास्टिक का उपयोग करना पूरी तरह से बंद कर दे।


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तो यह था प्लास्टिक प्रतिबंध पर निबंध (Plastic Ban Essay In Hindi), आशा करता हूं कि प्लास्टिक प्रतिबंध पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Plastic Ban) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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