आज के इस लेख में हम वर्षा ऋतु पर निबंध (Essay On Rainy Season In Hindi) लिखेंगे। वर्षा ऋतु पर लिखा यह निबंध बच्चो और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।
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वर्षा ऋतु पर निबंध (Rainy Season Essay In Hindi)
प्रस्तावना
प्रकृति को चिर सहचरी रही है। सृष्टि के आरम्भ से मानव प्रकृति की शुद्ध, सात्विक ममतामयी क्रोड में आन्द्भूति करता रहा है। प्रकृति ने इसे मस्त हवाओं के पालने में झुलाया है।पक्षियों का मधुर संगीत सुनाया है, चंद्रिका सुधा में स्नान कराया है।
प्रकृति का क्षेत्र सीमातीत है प्रातः काल का सूर्य, शाम का चंद्रमा, आकाश में घुमड़ते काले-काले बादल, नीला अम्बर, ऊँचे-ऊँचे पहाड़, खाईंया, झरने, लहराते खेत, व्रक्ष की शाखाओ पर बैठकर चह चहाते पक्षी हर पल हमे नया-नया संदेश देते है।
कुछ “चुपके से समझा जाता यह मस्त फिजा का सुना पन” प्रकृति का सौंदर्य का स्वरूप अवर्णनीय है। विश्व मे पग-पग पर प्रकृति अपना रुप लुटाती रहती है। पर इसी सभी मोसम में वर्षा ऋतु एक ऐसा मौसम है जो हमारे मन को प्रफुलित किये बिना नही मानता।
वर्षा ऋतु का दृश्य
वर्षा ऋतु सुधा-वर्ष्टि करती हुई आती है। सर्वत्र उल्लास छा जाता है और खेत लहलहाने लगते है। पेड़ झूम झूम के गाने लगते है, बन्द कलिया खुल उठती है। ओंस की बूंदे मोती की तरह चमकने लगती है। वर्षा ऋतु में आकाश में दमकती बिजली कितनी सुंदर लगती है। वर्षा ऋतु किं प्रकृति की सुंदरता का चित्रण करते हुए तुलसीदास जी ने कह है।
वर्षा काल मेघ नभ छाए,
गरजत लागत परम् सुहाए
दामनी दमक रही धन माही,
खल की प्रीति जथा थिर नाहीं।।
वर्षा ऋतु में इंद्रधनुष का सुंदर दृश्य
दोस्तो मौसम कोई भी हो पर वर्षा ऋतु ही एक ऐसा मोसम है जिसमे आपको इंद्रधनुष के भी दर्शन हो जाते है।और सच मानिए इसको देखकर ऐसा लगता है, मानो प्रकृति का वो सुंदर दृश्य है जिसे देखने के लिए ही हम इस मौसम का इंतजार कर रहे थे।
हमारे देश भारत मे वर्षा ऋतु जुलाई महीने से सितंबर महीने के अंत तक रहता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्रावण से अश्विन महीने के अंत तक रहता है। ये असहनीय गर्मी के बाद सभी को जीवन मे उम्मीद ओर राहत की फुहार लेकर आता है।
इन्सानो के साथ-साथ पेड़ पौधे, पक्षी, जानवर सभी उत्सुकता के साथ इस वर्षा ऋतु के मौसम का इंतजार करते है। इसके स्वागत के लिए ढेर सारी तैयारियां करते है। इस मौसम के आते ही सभी राहत की सांस लेते है।
आकाश बहुत ही सुंदर चमकदार साफ और हल्के नीले रंग का दिखाई देने लगता है। कई बार तो सात रंगों का इंद्रधनुष भी दिखाई देता है। पूरा वातावरण सुंदर और आकर्षक दिखाई देता है, मानो जैसे की मनमोहक तस्वीर हो जिसकी पिक्चर लेने का मन हर किसी का करेगा। ओर वाकई वर्षा ऋतु की ऐसे अद्भुत दृश्य तो देखते ही बनता है।
वर्षा ऋतु का आगमन काल
वसंत ऋतु के बाद सूर्य बिल्कुल उत्तरायण हो जाता है। इसके कारण भीषण गर्मी पड़ती है। उस समय पृथ्वी जलने लगती है, पेड़ पौधे झुलस जाते है, पशु-पक्षी आदि सब चराचर व्याकुल हो जाते है।
गर्मि की भीषणता से नदी नाले, झील, पोखरे ओर समुद्र सूखने लगते है। यही जलवाष्प का रूप धारण कर लेते है ओर आकाश में उस जाता है और गिर ठंडक मिलने से यह वाष्प बादल बन कर बारिश के रूप में बरसने लगते है।
जब नीले-नीले मेघ गर्जन करते हुए अपने जीवन (जल) द्वारा सब जंतुओं को नया जीवन देने लगते है, तो वर्षा ऋतु आरम्भ हो जाता है और जीवन शब्द का जल सार्थक हो जाता है। वर्षा ऋतु में मेघो से जो वर्षा गिरती है, वह पहली बारिश होती है।
उसकी महक कहे या सुगंध मन को प्रफुलित कर देती है। सूखे पेड़ -पौधे मैदानी क्षेत्र सभी जगह पर घास ओर पेड़-पौधे लग जाते है। हर जगह पानी-ही पानी हो जाता है। सूखे नदी, तालाब, कुएं आदि में पानी भर जाता है।
खेती के लिए तो जल अतिआवश्यक होते है और वर्षा अपना जल भरपूर इस मौसम में लाती है। वातावरण साफ सुथरा हो जाता है, कई जगह पर तो वर्षा के आगमन पर लोकगीत गाने की परम्परा है। घरों के किचन गार्डन हरे भरे हो जाते है। जिससे सब्जियां घर मे ही आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
वर्षा ऋतु के साथ ही अन्य ऋतुएं की जानकारी
सर्वप्रथम तो हमे वर्षा ऋतु की जानकारी के साथ ही ये भी पता होना चाहिए, कि ऋतुएं क्या होती है। वर्षा ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, शरद ऋतु यह मुख्यतः तीन ऋतु या मोसम होते है। पतझड़ ओर अन्य हिन्दू कलेंडर के अनुसार ऋतुओं के नाम महीनों के नाम पर ही आधारित होते है, जो इस प्रकार है।
- चैत्र (मार्च-अप्रेल)
- वैशाख (अप्रेल -मई)
- ज्येष्ठ (मई-जून)
- आषाढ़ (जून-जुलाई)
- श्रावण (जुलाई-अगस्त)
- पदर्पक्ष (अगस्त-सितम्बर)
- आश्विन (सितम्बर-अक्टूबर)
- कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर)
- मार्गशीर्ष (नवंबर-दिसम्बर)
- पोषमास (दिसम्बर-जनवरी)
- माघमास (जनवरी-फ़रवरी)
- फाल्गुनमास (फरवरी-मार्च)
इस प्रकार हमारे भारत देश मे छः ऋतुएं क्रमशः बसन्त, ग्रीष्म,वर्षा, शरद, हेमंत ओर शिशिर आकर भारत के वातावरण को उल्लासमय बनाती है। प्रचंड गर्मी, प्रबल शीत अधिक वर्षा, मनोहर शरद,ओर बसन्त जैसे ऋतुओं की बाते ही निराली है।
भारत मे ग्रीष्म ऋतु की प्रचंड गर्मी से व्याकुल होकर समस्त प्राणी आपसी वैर भाव भूलकर निर्भय होकर एक साथ रहते है और ग्रीष्म ऋतु के बाद वर्षा ऋतु का आगमन होता है।
वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु आता है। शरद ऋतु में चारों ओर धुन्ध – कोहरा छा जाता है। रूह को भी ठंडा करदेने वाली वायु चलती है। सूर्य की किरणें अत्यंत सुखद प्रतीत होती है।चकोरी सूर्य को ही चन्द्रमा मानकर दिन में भी रात्रि जैसा आनंद लेती है।
शरद ऋतु में पुष्प खिलने लगते है, प्रकृति रूपसी बनकर ऋतुचक्र को घुमाती हैं, तब थिरकती हुई हेमंत ऋतु के दर्शन होते है। वह भी अपनी पूर्ण लीलाएं प्रस्तुत करती है। इस प्रकार ऋतुचक्र उप्परलिखे महीनों के अनुसार चलता रहता है।
बारिश के मौसम से हानिया
यधपि वर्षा ऋतु हमारे लिए बडा उपयोगी है। इस समय वायु के प्रकोप से हैजा, मलेरिया, चिकनगुनिया, मौसमी बुखार आदि भयंकर रोग पैदा होते है। जिनमे अनेको मनुष्य काल के मुँह में चले जाते है।
कभी-कभी भीषण वर्षा से बाढ़ आ जाती है और गांव, घर और चोपय बह जाते है। सड़के कट जाती है, रेलों के पल टूट जाते है और बहुत से कार्य स्थगित हो जाते है। कभी कभी अत्यधिक वर्षा से खेती मारी जाती है, मकान गिर जाते है।
बिजली के प्रकोप से कभी-कभी अनेक मनुष्य की अकाल मृतु हो जाती है। सड़को पर जल और कीचड़ होने के कारण घर से बाहर निकलना या एक स्थान से दूसरे स्थान जाना बड़ा कठिन हो जाता है। बच्चे खेल कूद भी नही कर पाते है। रातों मद मच्छरों के कारण नींद भी नहीं आती है। सच तो यह हैं कि जहां वर्षा से सुख है वही दुख भी है।
बारिश के मौसम से लाभ
वर्षा ऋतु से अनेको लाभ भी है। हमारा देश भारत तो कृषि प्रधान देश है और कृषि ही हमारे देश का आधार है। वर्षा से मनुष्यो के लिए अन्न ही पैदा नही होता, वर्ण पशुओं के लिए चारे की इतनी अधिकता हो जाती है कि वर्ष भर के लिए चारा बहुत हो जाता है।
कहि-कहि वर्षा के पानी को बांध इत्यादि से रोककर उपयुक्त लाभ उठाया जाता है। पानी को ऐसे स्थानों पर इकट्ठा कर लेते हैं कि बाद में इसका उपयोग पीने के काम आ सके। गर्मी के भीषण ताप से लोगो मे जो सुस्ती समा जाती है। वह वर्षा के आगमन से दूर हो जाती हैं। वर्षा के मनभावन दृश्य मन को खुश कर देते है।
वर्षा ऋतु में रोज़गार में व्रद्धि
वर्षा ऋतु में जब सही समय मे वर्षा का आगमन होता है। तो खेत ओर कई अन्य कार्यों में धन का आगमन होता है। जंगल हरे भरे हो जाते है जिससे लकड़ी के कई फर्नीचर ओर भी घरेलू चीज़ो का निर्माण कार्य होता है। फैक्ट्रियों में वस्त्रों का निर्माण होता है। खाने पीने की चीज़ो को बेचा जाता है। इस प्रकार रोजगार के कई राह खुलते है।
किसानों के लिए वर्षा ऋतु का महत्व
सभी के लिए वर्षा ऋतु का महत्व है। परंतु सबसे अधिक महत्व किसानों के लिए है। क्योंकि खेती के लिए पानी की अत्यधिक आवश्यकता होती है, ताकि फसलों को पानी की कमी न हो।
इसलिए समान्यतः किसान कई सारे गढ़े ओर तालाब बनाकर रखते है। जिससे वर्षा के जल का जरूरत के समय उपयोग कर सकें। वास्तव में वर्षा ऋतु किसानों के लिए ईशवर के द्वारा दिया गया एक वरदान है।
बारिस न होने पर वे इन्द्र देव से वर्षा के लिए प्राथनां करते है और अंतः उन्हें वर्षा का आशीर्वाद मिल ही जाता है। आसमान में बादल छाये रहते है, क्योंकि आकाश में यहाँ वहाँ काले, सफेद बादल भृमण करते है। यही बादल अपने साथ पानी लाते है और जब मानसून आता है, तो बारिश का अगम्न होता है।
बारिश के मौसम का आनन्द
वर्षा ऋतु के आने से आप सब को पता ही है कि वर्षा ऋतु ीय सुंदरता बाद जाती है। और इस मौसम में बाहर ऐसी जगह घूमने का आनंद ही कुछ और है जहाँ हरियाली हर जगह हरी चादर ओढे हुए हो।
अक्सर नैनीताल, कश्मीर और वो सभी पहाड़ी इलाके जहां वर्षा ऋतु में मोसम एक मनमोहक दृश्य तुल्य हो ऐसे जगह घूमने का आनंद ही कुछ और है। ऐसे मोसम में नोकायन का भी अपना एक अलग ही मज़ा होता है।
उपसंहार
किसी ने कहा है कि “तारो से भरी चाँदनी रात रोगी को नर्स से अधिक सुख दे सकती है, यदि वो उसकी भाषा समझने लगे। “कहने का तातपर्य प्रकृति द्वारा दिए गए मौसम में वर्षा ऋतु अत्यधिक मन को मोह लेता है।
वर्षा ऋतु से वातावरण स्वच्छ होता है और हर जगह हरियाली छा जाती है। इसलिए हमें अधिक से अधिक वृक्ष लगाने चाहिए और वर्षा ऋतु जैसे मौसम का आनंद लेना चाहिए।
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तो यह था वर्षा ऋतु पर निबंध, आशा करता हूं कि वर्षा ऋतु पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Varsha Ritu) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।