सरस्वती पूजा पर निबंध (Saraswati Puja Essay In Hindi)

आज हम सरस्वती पूजा पर निबंध (Essay On Saraswati Puja In Hindi) लिखेंगे। सरस्वती पूजा पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

सरस्वती पूजा पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Saraswati Puja In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


सरस्वती पूजा पर निबंध (Saraswati Puja Essay In Hindi)


प्रस्तावना

भारतीय संस्कृति में देवी देवताओं का विशेष महत्व होता है, जहां पर हम किसी भी खास काम को शुरू करने से पहले उनका नाम जरूर लेते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ऐसे में हमारे संस्कृति में सभी देवी देवताओं के लिए एक विशेष दिन है, जब हम उन्हें याद कर सकते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते है।

सरस्वती पूजा की शुरुआत

प्राचीन समय से ही सरस्वती पूजा का विशेष प्रावधान रखा गया है, जब छह मौसम में से बसंत के मौसम को सबसे अहम माना जाता था। बसंत के मौसम में फूलों में बाहर आ जाती है और खेतों में भी कई प्रकार की फसलें लहलहाने लगती है। साथ ही साथ तितलियां भी फसलों पर मंडराती हुई नजर आने लगती है।

बसंत ऋतु के महीने के पांचवें दिन बसंत पंचमी मनाई जाती है और इसी दिन को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। सरस्वती पूजा का पवन त्यौहार माघ मास के शुक्ल पक्ष के दिन मनायी जाती है।

मां सरस्वती का जन्म दिवस

ऐसा माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन ही सरस्वती मां का जन्मदिन आता है और इसीलिए इस दिन सरस्वती पूजा करते हुए मां सरस्वती का आशीर्वाद लिया जाता है। इस दिन  स्कूलों में पूजा अर्चना करते हुए मां सरस्वती को याद किया जाता है और सरस्वती वंदना कि जाती है।

ऐसी मान्यता है कि जो भी विद्यार्थी सच्चे मन से सरस्वती पूजा के दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं, उन्हें हमेशा मां सरस्वती का आशीर्वाद मिलता है। जो उन्हें अपने भविष्य में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहता है। किसी भी शिक्षा संबंधित जगह पर हमे मां सरस्वती की प्रतिमा विराजमान देखने को मिलती है। जिसे खुशहाली का प्रतीक भी माना जाता है।

सरस्वती पूजा के पीछे पौराणिक कथा

जब भी किसी पौराणिक कथा की बात की जाती है तो हमेशा उसके पीछे एक रहस्य छुपा होता है। जो हमें असलियत तक ले जाता है। ऐसा माना जाता है कि संसार के निर्माण के समय भगवान ब्रह्मा इस दुनिया को देखने के लिए स्वयं ही धरती पर भ्रमण के लिए निकले थे।

लेकिन जैसे ही उन्होंने धरती पर कदम रखा, तो उन्होंने पाया कि धरती काफी शांत और उदास मालूम हो रही है। ऐसे में उन्होंने अपने कमंडल से जल की कुछ बूंदे हवा में फेंक कर सामने खड़े पेड़ से मां सरस्वती की उत्पत्ति कर दी।

मां सरस्वती हाथों में वीणा लिए हुए और सफेद वस्त्रों में नजर आने लगी, माँ सरस्वती के विणा बजाने के बाद हर व्यक्ति वीणा के धुन में मंत्रमुग्ध हो गया और उसी दिन के बाद से सरस्वती पूजा का शुभ अवसर मनाया जाने लगा। जिसे हर विद्यार्थी अपने पाठशाला में जरूर मनाता है।

मां सरस्वती के अनेकों नाम

मां सरस्वती को कई नामों से जाना जाता है। वही अलग-अलग जगहों पर उन्हें अलग-अलग तरीके से पूजा भी जाता है। उनके मुख्य नामों में बागेश्वरी, भगवती, शारदा, वीणा वादिनी शामिल है। लेकिन सबसे ज्यादा प्रचलित वे सरस्वती मां के नाम से ही जानी जाती है, जिनकी पूजा अर्चना समूचे भारतवर्ष में कि जाती है।

विद्यार्थियों के लिए माना जाता है खास त्यौहार

सरस्वती मां को बुद्धि की देवी माना जाता है और इसीलिए विद्यार्थियों के लिए सरस्वती मां की पूजा करना अच्छा माना जाता है। इस दिन विद्यार्थी पीले वस्त्र पहनकर पीले फूल सरस्वती मां पर चढ़ाते हैं।

इस दिन विद्यालयों में कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि सरस्वती पूजा के बाद से ही गर्मी का आगमन हो जाता है और विद्यार्थी पढ़ाई में अपना ध्यान लगाते हैं। अपनी पढ़ाई शुरू करने से पहले अगर सरस्वती मां का ध्यान विद्यार्थी अपने मन में लगाते हैं, तो इससे विद्यार्थियों का पढ़ाई में मन लगता है।

सरस्वती पूजा के दिन पीले रंग का भोजन भी किया जाता है और साथ ही साथ पीले वस्त्रों को पहनना शुभ माना जाता है।

सरस्वती पूजा व्रत के कुछ नियम

सरस्वती पूजा के दिन लोग व्रत भी रखते हैं और उस व्रत के कुछ नियम भी है। सरस्वती पूजा के व्रत के नियम कुछ इस प्रकार है –

  1. जब भी सरस्वती पूजा का व्रत रखा जाता है, तो हमेशा सात्विक भोजन करने का ही नियम बनाया गया है।
  2. इस दिन मांस, मदिरा का सेवन वर्जित है।
  3. सुबह सवेरे नहा धोकर पीले वस्त्र पहनना उचित माना गया है।
  4. सरस्वती पूजा के दिन कोई नई विद्या की वस्तु लाकर उसकी पूजा करना अच्छा माना जाता है।

उत्तर भारत में सरस्वती पूजा

वैसे तो सरस्वती पूजा पूरे भारत में ही मनाई जाती है। लेकिन उत्तर भारत में इसे बड़े ही अच्छे तरीके से मनाया जाता है और सरस्वती मां को खुश किया जाता है। सभी के जीवन में आ रही रुकावट को दूर करने के लिए सरस्वती मां से गुजारिश की जाती है।

साथ ही साथ में नए जन्मे बच्चे को उनका आशीर्वाद दिलाया जाता है। अगर कोई बच्चा विद्यालय में प्रवेश करने वाला हो, तो उसे भी उत्तर भारत में आशीर्वाद दिलाने का प्रावधान है। जिसके माध्यम से सरस्वती मां उस बच्चे को अपना आशीर्वाद देती हैं।

सरस्वती मां को शांति का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसे में उनकी पूजा करने से मन में शांति आती है और किसी भी प्रकार की समस्याओं से लड़ने में आसानी हो जाती है।

उपसंहार

इस प्रकार से आज हमने जाना कि सरस्वती पूजा हमारे लिए बहुत ही अहम है। जिसके माध्यम से विद्यार्थी अपने जीवन में नया प्रकाश कर सकते हैं और सही तरीके से विद्या का संचय कर सकते हैं।

इस दिन सच्ची श्रद्धा भक्ति के साथ कार्य करते हुए आगे बढ़ने से मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है और राह में आने वाले सारे विघ्न दूर हो जाते हैं। अगर पढ़ाई करने के पूर्व सरस्वती मां को नमन किया जाए, तो इससे भी सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। जो हम सभी के भविष्य के लिए अच्छी मानी गई है।


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तो यह था सरस्वती पूजा पर निबंध (Saraswati Puja Essay In Hindi), आशा करता हूं कि सरस्वती पूजा पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Saraswati Puja) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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