विजयादशमी पर निबंध (Vijaya Dashami Essay In Hindi)

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विजयादशमी पर निबंध (Vijaya Dashami Essay In Hindi)


भारत उत्सवों का देश है। भारत की परंपरा और संस्कृति विश्वभर में मशहूर है। उत्सव किसी भी समाज को नया उत्साह, प्रेरणा और नयी उमंग प्रदान करता है। हिन्दुओं का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारो में से एक विजयादशमी है। यह पारम्परिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण त्यौहार है। सभी भारतवासी इस त्यौहार को धूम धाम से मनाते है।

विजयादशमी त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत पर आधारित है। सारे हिन्दू लोग इस उत्सव में व्रत रखते है। उनका विश्वास है कि व्रत रखने पर उन्हें देवी दुर्गा का आशीर्वाद मिलेगा।दशहरा को दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। भारत के पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा धूम धाम से मनाई जाती है।

पूरे भारत में अनेक जगह पर दुर्गा पूजा होती है, मगर पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा की बात ही कुछ और है। यहाँ के लोग कई महीनो पहले से इस पूजा की तैयारी करते है और लोग बहुत श्रद्धा से देवी दुर्गा की पूजा और आराधना करते है।

इन दिनों नौ दिनों तक देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है और दसवे दिन विजयादशमी यानी दशहरा का पर्व मनाया जाता है। विजयादशमी सितम्बर या अक्टूबर के अंत में मनाया जाता है। यह उत्सव दिवाली के कुछ सफ्ताह पहले मनाया जाता है।

दशहरा दुनिया भर में अश्विन महीने के उज्जवल पखवाड़े के दसवे दिन मनाया जाता है। श्रीराम ने नौ दिनों की लड़ाई के पश्चात रावण का वध किया था। रावण ने श्रीराम जी की पत्नी सीता मैईया का अपहरण किया था।

भगवन श्रीराम ने सुग्रीव और हनुमान जी की मदद ली और लंका में गए। श्रीराम जी ने लंका के राजा रावण का वध किया था। श्रीराम ने रावण का संहार किया और सीता माता को कैद से छुड़ा लिया, इसलिए विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व का उद्देश्य है अन्याय पर न्याय की जीत।

विजयादशमी का पर्व इसलिए भी मनाया जाता है, क्यों कि देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर को मारा था। ऐसी मान्यता है कि श्रीराम ने देवी दुर्गा की शक्ति के लिए बेहद प्रार्थना की थी।भगवन श्री राम ने इस शक्ति के लिए १०८ कमलो से प्रार्थना की थी।

उन कमलो में से अचानक एक कमल गायब हो गया। जैसे ही उनको एहसास  हुआ कि एक कमल नहीं है, तब उनके आँखों ने कमल की जगह ले ली। भगवन श्री राम को कमलनायन कहा जाता है।

ऐसा उन्होंने देवी दुर्गा के आशीर्वाद को पाने के लिए किया था, जिसके पश्चात भगवान श्री राम ने रावण का वध कर विजय हासिल कि थी। माँ दुर्गा ने भगवान राम की इस पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें विजयी होने का वरदान दिया था। भगवान राम ने रावण को मारने से पूर्व समुद्र तट पर तकरीबन नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की थी।

रावण पर रामजी की इस विजय को पूरे देश में मनाया जाता है। भारत के विभिन्न जगहों पर विजयादशमी अलग अलग तरीको से मनायी जाती है। पंजाब राज्य में यह त्यौहार दस दिनों तक मनाया जाता है। दिल्ली समेत कई शहरों में राम लीला आयोजित की जाती है। हज़ारो लोग इस प्रकार के कार्यक्रमों में सम्मिलित होते है और इसका भरपूर आनंद उठाते है।

रावण दहन पूरे देश में सावधानी और सतर्कता के साथ मनाया जाता है, क्यूंकि यहाँ आतिशबाजियां होती है और रावण के पुतले को आग के हवाले कर दिया जाता है। पहले कई दुर्घटना इस शुभ मौके पर हो चुकी है, इसलिए ध्यान रखना आवश्यक है। विजयादशमी और दशहरे की शुरुआत के पहले से ही राम लीला का आयोजन आरम्भ हो जाता है।

दिल्ली के हर स्थान में राम लीला का प्रदर्शन होता है। रामलीला ग्राउंड की रामलीला बेहद लोकप्रिय है। यहाँ पर देश के प्रधानमंत्री समेत सभी लोग रामलीला देखने के लिए उपस्थित रहते है। लाखो लोग यहाँ राम लीला देखने के लिए अपने परिवार के संग आते है।

दशहरे के दिन यहाँ बहुत बड़ा मेला लगता है। यहाँ का नज़ारा बेहद सुन्दर होता है और कई तरह की आतिशबाज़ी भी होती है। कई जगहों पर आतिशबाज़ी की प्रतियोगिता रखी जाती है और जीतने वाले को इनाम दिया जाता है। आतिशबाज़ी के पश्चात रावण दहन होता है, जिसे देखने का उत्साह सभी में होता है।

रावण के पुतले को आग के हवाले करने के पश्चात, समारोह का समापन होता है। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा छह दिनों तक मनाया जाता है। पंचमी, षष्टी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी। देवी दुर्गा ने दस दिन के युद्ध के पश्चात महिषासुर का वध किया था।

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार महिषासुर नाम का एक खूंखार राक्षस था। उसने ब्रह्मा का वरदान प्राप्त किया था जिससे कि वह सैदव अमर रहेगा, अर्थात उसे कोई मार नहीं सकता था।इसी वजह से चारो और हाहाकार मचा हुआ था। वह एक भयंकर राक्षस था और उसके पाप बढ़ते चले जा रहे थे।

उसके बढ़ते पापो पर अंकुश लगाना ज़रूरी था। इसलिए ब्रह्मा, शिव और विष्णु जी ने अपने ताकत को मिलाकर देवी दुर्गा को बनाया था। देवी दुर्गा को हर प्रकार के अस्त्र शस्त्र दिए गए थे, ताकि वह इस राक्षस का वध कर सके।

देवी दुर्गा ने लगभग नौ दिनों तक महिषासुर का मुकाबला किया। आखिर में दसवे दिन में उसका वध कर, अपने पराक्रम का परिचय दिया। लोगो को इस निर्दयी और खूंखार राक्षस से छुटकारा मिल गया। लोगो ने देवी दुर्गा की जय जयकार की।

इस दसवे दिन में देवी दुर्गा ने विजय प्राप्त की और इसी ख़ुशी में विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल में औरतें माँ दुर्गा को सिंदूर और मिठाई खिलाकर विजय दशमी के पर्व को खुशियों से रंगीन कर देती है।

कोलकाता में दशहरे के दिन देवी दुर्गा की निष्ठा से पूजा करते है। कई दिनों की दुर्गा पूजा होती है। हर दिन लोग व्रत करके दुर्गा माता के समक्ष पुष्पांजलि देते है। पुरोहितो को दान दक्षिणा दिया जाता है। बच्चो से लेकर वयस्क सब में इस उत्सव को लेकर उमंग रहती है।

अक्सर लोगो की दशहरे यानी विजय दशमी के दिन छुट्टी रहती है। सब परिवार संग इस उत्सव को मनाते है। पश्चिम बंगाल में विजयादशमी के दिन औरतें एक दूसरे को सिंदूर और मिठाई खिलाकर विजय दशमी की मुबारक बाद देती है। लोगो के आँखों में ख़ुशी और आंसू दोनों होते है, क्यूंकि देवी दुर्गा को इस वर्ष के लिए अलविदा कहना होता है। इस दिन देवी दुर्गा की मूर्ति को विसर्जित किया जाता है।

दशमी का दिन राम के विजय और दुर्गा पूजा, दोनों अर्थो के अनुसार देश भर में मनाया जाता है। अलग अलग राज्यों में लोग अपने अनुसार हर्ष और उल्लास के साथ इस त्यौहार को मनाते है। मैसूर का दशहरा भारत में लोकप्रिय है। मैसूर के गली मोहल्ले दशहरे के दिन प्रकाश से सुसज्जित हो जाते है।

वहां पर लोग हाथियों को सुन्दर तरीके से सजाते है। भव्य और सुन्दर जुलुस निकाले जाते है। इस शहर में लोग टोर्च लाइट के साथ नाच गाना करते है और दर्शक इस आनंद का मज़ा उठाते है। दशहरा के महीने में ठण्ड का आभास हो जाता है और देखा जाए तो त्योहारों का आगमन भी शुरू हो जाता है।

यह महीना बड़ा सुहावना होता है और इस महीने में ना ज़्यादा गर्मी ना अधिक ठण्ड पड़ती है। माँ दुर्गा की पूजा लोग शक्ति अर्जन करने के लिए करते है। देवी दुर्गा की आराधना से उन्हें शक्ति मिलती है। उनकी पूजा करने से मनुष्य के मन में पनप रहे नकारात्मक विचार समाप्त हो जाते है और मनुष्य उन्नति की राह पर अपने कदम आगे बढ़ाते है।

राम लीला का आयोजन किसी किसी जगह पर पूरे दस दिन के लिए किया जाता है। यहाँ श्रीराम चंद्रजी की महत्वपूर्ण घटनाओ को नाटक द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरित मानस की कई घटनाओ को राम लीला द्वारा लोगो को दिखाया जाता है। सीता माता के अपहरण से लेकर श्री राम द्वारा रावण को मारने तक सभी घटनाएँ राम लीला में दिखायी जाती है।

इस कलयुग में हर जगह हमे रावण देखने को मिल जाएंगे। लोगो को अपने अंदर के इस रावण नामक बुराई को ख़त्म करना होगा। यही इस पर्व का मकसद है। जिस प्रकार हमे अन्धकार कमरे में अँधेरे को दूर करने के लिए प्रकाश की ज़रूरत होती है, उसी प्रकार बुराई को समाप्त करने के लिए अच्छाई की ज़रूरत होती है।

रावण को श्रीराम ने कई युगो पहले मारा था। लेकिन विडंबना तो यह है, कि ऐसे रावण आज भी हमारे समाज में जीवित है। उसके लिए साल में सिर्फ एक दिन नहीं बल्कि रोज़ाना ऐसे रावण रूपी असत्य और बुराई को समाज से दूर करना होगा, तभी समाज पाप और बुराई मुक्त हो पायेगा।

आजकल कई लोगो ने अपने सभ्य चेहरे के पीछे रावण को छुपा रखा है। हमे दशहरे के इस महत्व को समझते हुए अपने सूझ बुझ और शक्ति से रावण रूपी छल कपट को खत्म करना होगा।

निष्कर्ष

भारत में धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक तौर पर कई उत्सव हर्ष और उल्लास के साथ मनाये जाते है। दशहरे पर समाज में हर जगह उमंग भरा होता है। इस दिन को सत्य के विजय के दिन के रूप में मनाने की प्रथा है।

इस उत्सव के दिन समस्त नगर एक बड़े मैदान में एकत्र होता है, जहां अत्याचारी रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण के पुतले को आग के हवाले कर दिया जाता है। यह उत्साह वाला दिन लोगो के लिए हमेशा यादगार रहता है और समाज में एक सन्देश का संचार होता है, कि चाहे जो भी हो, सत्य परेशान हो सकता है, मगर सत्य को पराजित नहीं किया जा सकता।


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तो यह था विजयादशमी पर निबंध, आशा करता हूं कि विजयादशमी पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Vijaya Dashami) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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