आज के इस लेख में हम दिवाली त्यौहार पर निबंध (Essay On Diwali In Hindi) लिखेंगे। दीपावली का यह निबंध Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।
आज हमने दिवाली पर पुरे दो निबंध लिखे है जो आपको १००० और १५०० शब्द में मिलेंगे, दिवाली पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Deepawali In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।
दिवाली त्यौहार पर निबंध (Diwali Festival Essay In Hindi)
प्रस्तावना
हमारा देश भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर औसतन हर महीने कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है। इसमे छोटे बड़े सभी त्योहार आते हैं। लगभग सभी त्योहारों में महिलाओं की प्रतिभागिता शत प्रतिशत होती है।
जो कि उनके उपवास से ही शुरू होता है और समाप्त होता है। त्योहार मनाने का मुख्य उद्देश्य खुश रहना और खुशी बाटना है। दिवाली का त्योहार भी इनमे से एक बड़ा त्योहार है, जो पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
यह त्योहार साल में एक बार मनाया जाता है, जोकि अक्टूबर/नवंबर को अमावस्या की तिथि में मनाया जाता है। दिवाली के त्योहार का लोगों में बहुत इंतजार रहता है। सभी चाहे वो बूढ़े हो या जवान, लड़के हो या लड़कियां त्योहार मनाने को उत्सुक रहते हैं। हों भी क्यों न यह त्योहार तो है ही खुशियों का त्योहार।
दिवाली क्यों मनाते हैं?
जैसा कि सभी जानते हैं कि अयोध्या के राजा दशरथ की पत्नी कैकयी को राजा ने दो वरदान मांगने को कहा था। जिसमें से एक था भगवान राम को 14 वर्षों का वनवास, जिसे पूरा करने के बाद जब श्री राम अपने पत्नी सीता और अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वापिस आ रहे थे।
तो लोगों ने उनके स्वागत में अपने मकानों, गालियों, सड़कों में दिये जला कर उनका स्वागत किया था। उस दिन अमावस्या की रात थी और तब से आज तक इसे दिवाली के रूप में हम मनाते आ रहे हैं।
इस त्योहार को ना केवल हम घर पर मनाते हैं, बल्कि इस त्योहार को मनाने का उत्साह सभी कार्यालयों, दफ्तरों, दुकानों वा अपने अपने प्रतिष्ठानों में देखा जाता है। सभी लोग अपनी खुशियो का इजहार अपने अपने तरीके से करते हैं। इसीलिए इस त्योहार को दीयों का त्योहार भी कहा जाता हैं।
दिवाली कैसे मनाते हैं?
वैसे तो हमारे देश में बहुत से त्योहार ऐसे हैं जो अलग अलग नामों से जाने जाते हैं। लेकिन उनको मनाने का तरीका लगभग एक जैसा होता है। उदाहरण के लिए मकर संक्रांति, लोहड़ी, पोंगल।
इसी तरह से बहुत से त्योहार ऐेसे भी हैं जिनका प्रचलन एक क्षेत्र विशेष में होता है या समुदाय विशेष में होता है। वह समुदाय जहां जहां जाता है त्योहार भी उनके साथ साथ चला जाता है।
लेकिन कुछ पर्व ऐेसे भी हैं जिनमे एकरूपता है, जो लगभग सभी क्षेत्रों में एक तरह से ही मनाएं जाते हैं। हमारा दिवाली त्योहार भी कुछ ऐसा ही है। हमारे देश में तो हिन्दू संस्कृति को मानने वाले मनाते ही है साथ ही विदेशों में भी इस समुदाय के लोग बड़े ही धूमधाम से एक जगह एकत्रित हो कर दिवाली मनाते हैं।
दिवाली त्योहार का इतना उत्साह होता है कि लोग तैयारियां बहुत पहले से ही शुरू कर देते हैं। अपने अपने घरों की पुताई, पेंटिंग, रंग रोगन लोग अपने बजट के अनुसार पहले से ही प्लान करने लगते हैं और करवाना शुरू कर देते हैं, ताकि त्योहार आने के पहले घर साफ़ सुथरा हो जाये।
यह साफ़ सफाई सिर्फ घरों तक ही नहीं सीमित है बल्कि लोग अपनी दुकान, ऑफिस, कार्यालय, प्रतिष्ठान आदि की भी साफ़ सफ़ाई कराना प्रारम्भ कर देते हैं। अधिकतर व्यापारी भाई दिवाली के दिन से ही अपना नया वर्ष प्रारंभ करते हैं। अपने बहीखाते, सारे रिकार्ड, सारे बही नए प्रारंभ करते हैं। बाजार सज जाते हैं दुकानें दुल्हन की तरह सज जाती है।
दुकानों में नया स्टॉक लाकर ग्राहकों को आकर्षित किया जाता है। कपड़े की दुकान हो या मिठाई की या फिर जूते की, सभी का अपना आकर्षण होता है। बाजार में भिन्न भिन्न प्रकार की दुकानें सजने लगती हैं।
दूकानदार अपनी दुकानें फुटपाथ पर, सड़क के किनारे सजा लेते हैं। पटाखों की दुकानें, अगरबत्ती और मोमबत्तियों की दुकानें, लायी, खील इत्यादि की अस्थाई रूप से दुकानें सज जाती हैं। यहां तक कि ट्राफिक को रोकना पड़ जाता है गणेश जी की और लक्ष्मी जी की मूर्तियों की दुकानें, फूल पत्तियों की दुकानें अलग अलग सज जाती हैं।
दिवाली का त्योहार इतना उत्साह से भरा हुआ होता है कि लोग इस त्योहार को पांच दिन अलग अलग मनाते हैं। प्रत्येक दिन अलग अलग देवी देवताओं की पूजा उपासना करते हैं। इन सभी पांच दिनों में भिन्न भिन्न खाद्य पदार्थ, विशेष रूप से बनायी गयी खाद्य सामाग्री, मिठाइयाँ, स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं।
कुछ लोग पांसा खेलते हैं या फिर ताश या फिर जुआ। ये सब त्योहार के प्रतीक हैं। मेरे अनुसार तो यह अंधविश्वास है, जहां तक हो सके अच्छाइयों को ग्रहण करना चाहिए और बुराइयों से दूर रहना चाहिए। खैर यह तो अपना अपना सोचना है।
धनतेरस
दिवाली के त्योहार को मान्यता के अनुसार पांच अलग अलग दिन भिन्न भिन्न देवी देवताओं की पूजा, उपासना शास्त्रों के अनुसार लोग करते हैं। यह मानना है कि इस तरह से हमारी इच्छायें देवी देवता पूरी करते हैं।
पहला दिन हम धनतेरस या धनत्रवदशी के रूप में मनाते हैं। इस में हम देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं। देवी को खुश करने के लिए लोग लक्ष्मी जी की आरती, भक्ति गीत वा मंत्र का जप भी करते हैं।
यह भी मान्यता है कि धनतेरस के दिन गणेश, लक्ष्मी की मूर्तियों की खरीददारी भी की जाती है। इसके साथ साथ दिवाली की पूजा में जिन जिन चीजों की जरूरत होती है वो भी इसी समय खरीदी जाती है।
लायी, खील, रुई, मोमबत्ती, पटाखे इत्यादि भी शगुन के तौर पर खरीद लिये जाते हैं। मूर्तियों के परिधान, माला, हार भी इसी दिन खरीद लिये जाते है।
नरक चतुरदर्शी
पांच दिनों के इस त्योहार में दूसरा बड़ा पर्व नरक चतुरदशी का होता है। इसे छोटी दिवाली भी कहते हैं। इस छोटी दिवाली में भगवान कृष्ण ने राक्षस राजा नरकासुर का बध किया था, इसीलिए इस तिथि में भगवान् कृष्ण की पूजा होती है।
एक मान्यता यह भी है कि छोटी दिवाली पर सिर्फ दो दियाली जलाई जाती हैं, जो आनेवाले दीपावली के त्योहार का प्रतीक होती हैं।
दीपावली का दिन
तीसरे दिन मुख्य दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सुबह से ही त्योहार जैसा लगना प्रतीत होने लगता है। लोग अपने अपने घरों को पानी से धोकर एक बार पुनः साफ़ करते हैं।
विशेष रूप से उस जगह को जहां पूजा करनी होती है। एक लकड़ी के सपाट टुकड़े या बैठने वाले पाट को धोकर पूजा वाले स्थान पर रख देते हैं। जिस पर गणेश जी और लक्ष्मी जी के मूर्तियों का पूजन होना है।
जितने दिए जलाने हैं उन्हें धों कर रख दिया जाता है। मूर्तियों के लिए कपड़े, माला, फूल, पत्ती, अगरबत्ती, धूप-बत्ती इत्यादि पहले से ही सजो कर रख ली जाती है।
एक और मान्यता है कि एक मिट्टी का पक्का दिया काजल बनाने के लिए भी लिया जाता है। उस काजल को सभी लोग आंख में पूजा के बाद लगाते हैं। देशी घी और सरसों का तेल भी पहले से तैयार रखा जाता है।
गणेश और लक्ष्मी जी की मूर्तियों के साथ कुछ लोग चौकडा, ग्वालन की मूर्तियां भी रखते हैं। ये सारी तैयारी करके रख ली जाती है ताकि पूजन के समय सब तुरंत मिल जाये ।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार गणेश लक्ष्मी के पूजन का समय प्राय: सूर्यास्त के बाद होता है। वास्तविक समय तो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पता चलता है और उसी के अनुसार पूजा विधान संपूर्ण किया जाता है।
निर्धारित समय पर पाट को अपने घर के मंदिर के समीप या किसी भी उचित स्थान पर रख कर गणेश और लक्ष्मी की मूर्ति को उस पाट पर रख देते हैं। जितने दिए जलाने हैं उनमे से सात दीयों में देशी घी डाल कर रुई की बनी बत्तियां डुबो कर रख लेते हैं और शेष बचे दीयों में रुई की बत्तियां लगा कर सरसों का तेल डाल दिया जाता है।
अब सब दीयों को जला कर रख लेते हैं। चौकड़े को लायी खील से भर देते हैं। उसके बाद गणेश और लक्ष्मी जी का फूल माला से और लाई खील से पूजा कर यथोचित आरती गाकर पहले घी के दिये विशिष्ट स्थानों पर रख दिया जाते है।
उसके बाद सरसों के तेल के दिये घर पर सभी स्थानों पर जला देते हैं। अब बच्चों की बारी आती है, उन्हें तो पटाखे चलाने का इंतजार रहता है। घर की छत पर या किसी सुरक्षित स्थान पर अपनी निगरानी में पटाखे चला कर खुशी का वातावरण बनाने में घरके बड़े सहयोग करते है। इसके बाद घर पर सब लोग एकत्रित होकर पूजा का प्रसाद ग्रहण करते हैं।
दिवाली का चौथा दिन
पांच दिनों के इस त्योहार में चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस में घर के मुख्य द्वार पर गोबर के गोवर्धन जी बनाए जाते हैं, जो कि भगवान श्रीकृष्ण के प्रतीक हैं। और फिर गोबर से बनाये गए गोवधन दी की पूजा की जाती है।
दिवाली का पांचवा दिन
द्विज के तिथि में भाई बहन का भैया द्विज का त्योहार आता है, जिसमें बहनें अपने भाई को बुलाकर उनके मस्तक में तिलक लगा कर उनके स्वस्थ जीवन की कामना करती है। और इसी के साथ दिवाली त्योहार का समापन हो जाता है।
उपसंहार
वैसे तो दीपावली का त्योहार खुशियों का त्योहार है, पर कुछ लोग इसमें मनाने वाली कृतियों का दुरुपयोग करते हैं। लोग बड़े पैमाने पर जुआ खेलते हैं, जिसमें पैसे की बर्बादी होती है। पटाखे छुड़ाने से पर्यावरण पर प्रदूषण बढ़ जाता है और बच्चों या पटाखे छुड़ाने वालों के लापरवाही के कारण पशु पक्षी और जानवरो के साथ साथ हमारे घायल होने का डर रहता है।
यही नहीं दिवाली के दिनों में पटाखों के वजह से आग लगने का भी अंदेशा रहता है। इसलिए हमे दिवाली में पटाखों का इस्तेमाल बंद करके दिवाली को मनाना चाहिए।
इन्हे भी पढ़े :-
- 10 Lines On Diwali / Deepawali In Hindi Language
- होली त्यौहार पर निबंध (Holi Festival Essay In Hindi Language)
- दशहरा त्यौहार पर निबंध (Dussehra Festival Essay In Hindi)
- 10 Lines On Pollution Free Or Safe Diwali In Hindi Language
- रक्षा बंधन त्यौहार पर निबंध (Raksha Bandhan Festival Essay In Hindi)
- भारत के त्यौहार पर निबंध (Indian Festivals Essay In Hindi)
- विजयादशमी पर निबंध (Vijaya Dashami Essay In Hindi)
दीपावली पर निबंध (Deepawali Essay In Hindi)
प्रस्तावना
दिवाली को दिप का त्यौहार भी कहा जाता है, दिवाली हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार हैं। दीपावली त्यौहार के आने का इंतजार बच्चे, नौजवान और बूढ़े सभी करते है और इस त्यौहार को सभी बहुत ही हर्षो उल्लास से मानते है।
दिवाली आने से कुछ दिन पहले से ही सभी लोग इस त्यौहार के आने की तैयारियां करने लगते है और अपने घरो की और घर के सामानो की साफ सफाई करने को जुट जाते है। यही नहीं दिवाली के त्यौहार से पहले लोग घर पर नए रंग चढ़ाते है।
दिवाली में हम सभी नए – नए कपड़े पहनते है और इस दिन सभी अपने अपने घरो में दिया, मोमबत्ती जलाते है। सभी के घरो में अच्छे – अच्छे पकवान बनाये जाते है। इस दिन सभी स्कूल , कॉलेज और कंपनी आदि में छुट्टी रहती है।
इस दिन छुट्टी इसलिए होती है ताकि सभी लोग अपने -अपने घर में दिवाली मन सके। दिवाली के दिनों में बाजार में बहुत भीड़ होने लगती है, सभी लोग दिवाली का सामान खरीदने अपने परिवार के साथ बाजार जाते है।
दिवाली के दिनों सभी अपने अपने पसंद से कुछ न कुछ नया खरीद लेते हैं, कोई अपने लिए नए कपडे खरीदता है तो कोई घर के लिए सामान। इन दिनो में सबसे ज्यादा मिट्टी का बना हुआ दिया सब खरीदते है।
दिवाली त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
दिवाली मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसके तहत दिवाली के दिन भगवान राम अपना 14 साल का बनवास पूरा होने के बाद और रावण से विजय प्राप्त करने के बाद अपने घर अयोध्या लौटे थे।
और अयोध्या के निवासीयो ने भगवन राम का दिये जलाकर और रंगोली बना कर स्वागत किया था। इसी ख़ुशी में हम लोग आज तक दिवाली मनाते आ रहे है और इसी लिए आज भी हम लोग दिवाली में अपने घरो को दिये, मोमबत्तिया और रंगीन लाइट से सजाते है।
दिवाली हिन्दू धर्म का बहुत पुराना त्यौहार है, यह त्यौहार हमेसा साल में एक बार ऑक्टूबर या नवम्बर के महीने में दशहरा के ठीक 20 दिन बाद आता है। इसी लिए काहा जाता है की भगवन राम रावण का वध करने के 20 दिन बाद अयोध्या लौटे थे।
साथ ही में इस दिन महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनके शिष्य गौतम को सीक्षा प्राप्ति हुई थी। इसी लिए सिख धर्म के सभी लोग भी दिया जला कर दिवाली को मनाते है।
दिवाली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
दिवाली के दिन सभी लोग सुबह से ही अपने घरो के बहार अच्छी – अच्छी रंगोलीया बनाते है और अच्छे अच्छे खेल की तैयारियां करते है और रात को सभी परिवार, दोस्त और रिस्तेदार मिल कर एक साथ खूब सारे खेल खेलते और मस्ती करते है।
दिवाली के दिन हम सभी के घरो में शाम को माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, हम सभी इस दिन अपने धन में बढ़ोतरी होने के लिए माता लक्ष्मी से प्रार्थना करते है।
इस दिन बहोत से लोग गरीब लोगो को भी कपड़े और खाना देते है, ताकि दिवाली के दिन वो भी खुश हो कर दिवाली मनाये। दिवाली के दिनों में सब लोग अपने सभी रिस्तेदार को भी बुलाते है और एक साथ घर में सभी मिलते है।
दिवाली के दिन हमारे घरो में खुशियाँ का माहौल होता है, इस दिन परिवार के जो भी सदस्य बहार रहते है वो सभी घर में आये होते है। जिस वजह से घर में सभी के साथ मिल कर खाना बनाते और खाया जाता है। सभी लोगो को साथ खाना खाते देख ऐसा लगता है की काश ये हर दिन होता।
दिवाली त्यौहार को पुरे पाँच दिन तक मनाया जाता है। जिसमे से पहले दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है, इस दिन हम सभी के घरो में कुछ न कुछ बाजार से नया खरीद कर लाया जाते है।
दिवाली के दूसरे दिन को नारक चतुर्थी मनाते है और इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। दिवाली का तीसरा दिन जो की सबसे खास दिन होता है, इस दिन गणेश जी और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।
दिवाली के चौथा दिन गोबर्धन पूजा की जाती है, जिसमे घर की महिला गोबर से पारम्परिक तरह से पूजा करती हैं। दिवाली का पाँचवे और आखरी दिन भाई दूज मनाया जाता है, इस दिन बहन भाई को रक्षा का धागा बांधती है और भाई बहन को रक्षा का वचन देता है और भाई बहन एक दूसरे को मिठाई खिलाते है।
उपसंहार
दिवाली त्योहार से बहुत सारे लाभ हैं, दिवाली के बहाने सभी परिवार के लोगो से एक साथ मिलने का मौका मिल जाता है। मिटटी के दिए बनाने वाले को उसका खर्च चलाने भर की कमाई हो जाती है।
दिवाली त्यौहार के इसी बहाने हमारे घर की और घर के सभी सामान की साफ सफाई हो जाती है। इस दिन सब एक दूसरे को खुशियाँ बाटता है और खुश रहता है।
तो यह था दिवाली/दीपावली पर निबंध, आशा करता हूं कि दिवाली पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Diwali) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।