सड़क की आत्मकथा पर निबंध (Autobiography Of Road Essay In Hindi)

आज हम सड़क की आत्मकथा पर निबंध (Essay On Autobiography Of Road In Hindi) लिखेंगे। सड़क की आत्मकथा पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

सड़क की आत्मकथा पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Autobiography Of Road In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


सड़क की आत्मकथा पर निबंध (Autobiography Of Road Essay In Hindi)


प्रस्तावना

सड़कें एक नगर को दूसरे नगर, गाँव को शहर से जोड़ती है। सड़कें ना हो तो जीवन के सारे सफर असंभव हो जाएंगे। दैनिक जीवन में हमे एक जगह से दूसरे जगह तक पहुँचने के लिए यातायात के साधनो की आवश्यकता होती है।

सड़को का निर्माण उन्नति की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। सड़कों को बनाने के लिए कई मज़दूर दिन रात परिश्रम करते है। सड़कें अगर पक्की और अच्छी हो तो सफर बड़ा आसान हो जाता है। मैं एक सड़क हूँ। आज मैं अपनी आपबीती सुनाने जा रहा हूँ।

मैं एक सड़क हूँ

मैं एक सड़क हूँ। कई बस, कार इत्यादि वाहन मेरे ऊपर चलते है। सभी वाहन जब मेरे ऊपर चलते है, तो मैं उन्हें महसूस कर सकता हूँ। लोग सोचते है कि मुझ में कोई जीवन नहीं है। असलियत में मुझे मालूम पड़ता है जब लोग मेरे ऊपर चलते है। मैं हर व्यक्ति को उसके गंतव्य स्थान तक पहुंचाता हूँ।

मैं सभी को दफ्तर, विद्यालय, घर इत्यादि जगहों पर ले जाने का जरिया हूँ। मुझे हर मनुष्य ने अपने बचपन से देखा होगा। मैं हर दिन चौब्बिसो घंटे अपना काम करता हूँ। मुझे बहुत बुरा लगता है, जब लोग शिक्षित होकर भी मेरे ऊपर कूड़ा कचरा फेंक देते है।

छोटे बच्चो का अनुभव

छोटे बच्चे जब मुझ पर चलकर जाते है। कभी कभी वह ख़ुशी से झूमते हुए जाते है, तो मुझे बेहद ख़ुशी होती है।

लोगो को मंज़िल तक पहुंचाना

मैं एक रास्ता हूँ, जो लोगो को उनके मंज़िल तक पहुंचाता है। कई लोगो को गाँव से शहर तक पहुंचाने में हम सड़कें ही मदद करते है। अगर सड़कें कच्ची हो तो बहुत मुश्किलें होती है। सरकार बहुत सारे योजनाएं बनाती है, जिनमे सड़को का अच्छे से निर्माण किया जाता है।

अपने दोस्तों और परिवार से मिलने जाते

मेरे ऊपर से गुजरकर लोग अपने गाड़ियों में सवार होकर अपने प्रियजनों से मिलने जाते है। इंसानो के संग सभी पशुएं भी मेरे ऊपर चलते है। मुझे ख़ुशी मिलती है जब मैं सभी महत्वपूर्ण जगहों को जोड़ सकता हूँ, ताकि मनुष्य जब चाहे जहां चाहे पहुँच सके।

कभी कभी गाय, भैस और बकरी बहुत समय तक मेरे ऊपर बैठते है। तब गाड़ियों को आवाजाही में दिक्कतें होती है। पशुएं थक कर कई दफा विश्राम के लिए मेरे ऊपर बैठते है।

मुझे ख़ुशी मिलती है

जब लोग मेरा इस्तेमाल करते है और सुकून से अपने घर और कार्यस्थल पर पहुँच जाते है, तो मुझे बेहद ख़ुशी होती है। बच्चे कभी खुले खाली सड़क पर आकर खेलते है। उनकी किलकारियों से मुझे बेहद प्रसन्नता होती है।

सड़क सिर्फ बस, कार, ट्रको के लिए ही नहीं, बल्कि हवाई जहाज शुरुआत में मेरे ऊपर चलकर ही उड़ान भरते है। मुझे बनाने के लिए लोग पहाड़ो के चट्टानों को काटते है, ताकि गाड़ियों और लोगो के आवाजाही के लिए सड़क बना सके।

वाहनो की अधिक संख्या

मनुष्यो ने काफी उन्नति कर ली है। सड़को के लगातार निर्माण होने के संग वाहनों की संख्या अत्यधिक बढ़ गयी है। प्रदूषण भी काफी बढ़ गया है। मुझे बहुत दुःख होता है, जब अत्यधिक प्रदूषण के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता है।

इतने अधिक बस, कार और ट्रक इत्यादि की संख्या बढ़ गयी है कि अशांति छा जाती है। ध्वनि प्रदूषण अधिक हो जाता है, जब लोग अनगिनत वाहनों के साथ सड़को पर उतर आते है।

दुर्घटनाएं

अधिक वाहनों के चलने की वजह से कभी मैं टूट जाता हूँ। दरारें पड़ जाती है। मरम्मत करने के लिए कई दफा सरकार को काफी वक़्त लग जाता है। इन्ही सब अवहेलनाओं की वजह से सड़को पर आये दिन कार और बसों की दुर्घटनाओं की खबर आती है, जिससे मुझे बेहद दुःख होता है।

लोगो को आजकल अपने गंतव्य स्थान तक पहुँचने के लिए बहुत जल्दी मची रहती है। इसी जल्दी की वजह से दुर्घटनाएं जन्म लेती है। मुझे बहुत दुःख होता है, जब सड़क दुर्घटनाओं में लोग अपनी जान गवा देते है। कई परिवारों को अपने सदस्य खोने पड़ते है। लोगो की यह जिम्मेदारी है कि वह ट्रैफिक नियमो का अनुकरण करे और सावधानी से गाड़ी चलाये।

मेरे अनेको रूप

मेरे अनेको रूप है। कभी मैं पगडंडी बन जाता हूँ, तो कभी चौड़ा रास्ता। मैं सभी को एक दूसरे से मिलवाने का माध्यम हूँ। मेरे ऊपर हर तरह के प्राणी आसानी से चल सकते है। मनुष्यो की भाँती पशु पक्षी भी मेरे ऊपर चलते है और मेरा इस्तेमाल करते है।

मैं सभी गाँवों, नगरों और महानगरों को जोड़कर एक भावनात्मक रिश्ता बना देता हूँ। मेरी एक ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है लोगो को उनके मंज़िल तक सही से पहुंचाना। मैं पहाड़ो के बीच से भी अपनी राह ढूंढ लेता हूँ और लोगो को उनके मंज़िल तक पहुंचाता हूँ।

सड़को को गन्दा करना

कुछ मनचले सड़को पर जानबूझकर थूकते है और सड़को को गन्दा करते है। मुझे यह देखकर बड़ा दुःख होता है। हम सड़को का उपयोग तो मनुष्य करते है, लेकिन साफ़ सफाई पर ज़्यादा ध्यान नहीं देते है।

सरकार को इस पर रोक लगानी चाहिए। हम सड़को का उपयोग करने के साथ साथ उसे साफ़ रखना भी मनुष्य का कर्त्तव्य है। जो भी सड़को को गन्दा करते है उनके विरुद्ध कड़े नियम लागू करने चाहिए।

सड़को पर कूड़ा, प्लास्टिक नहीं फेंकना चाहिए

सड़को पर बहुत सारी गाड़ियां चलती है। लोग सफर का आनंद लेते है और उन्ही में से कुछ गैर जिम्मेदार लोग हम सड़को को गन्दा करते है। वे प्लास्टिक के बोतल, चिप्स के पैकेट्स फेंक देते है। उन्हें इस बात का इल्म तक नहीं है कि वह खुद अपना नुकसान कर रहे है, गन्दगी को फैलाकर।

कूड़े और ऐसी चीज़ें जो मिटटी में आसानी से नहीं मिल पाती है, उन्हें सड़को पर नहीं फेंकना चाहिए। सड़को पर पशुएं भी घूमते है। वह बेजुबान और भोले होते है और कई बार प्लास्टिक जैसी चीज़ो को निगल जाते है, जिससे उनकी मौत हो जाती है।

नागरिको को अपने जिम्मदारियों के प्रति जागरूक रहना चाहिए और इन सब चीज़ो पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए। नागरिको को हम सड़को को सदैव साफ़ रखना चाहिए।

लोग गाड़ी तेज़ ना चलाये

कई बार लोग जल्दी पहुँचने के लिए गाड़ी तेज़ चलाते है, जो कि बिलकुल गलत है। अपने निर्धारित स्थान पर पहुँचने के लिए गाड़ी तेज़ नहीं चलानी चाहिए। ट्रैफिक सुरक्षा नियमो का पालन करना चाहिए। नियमो की अनदेखी बिलकुल नहीं करनी चाहिए।

मेरे कई नाम

लोगो ने हम जैसे कई सड़को को नाम दिए है। जैसे महात्मा गाँधी रोड, नेताजी सुभाष चंद्र बोस रोड इत्यादि। मुझे मनुष्यो ने बनाया है और यह उसी की जिम्मेदारी है कि वह हमारी समय समय पर मरम्मत करे और साफ़ सुथरा रखे। मेरे वजह से इस संसार में कहीं भी पहुंचना सरल हो गया है।

अच्छी और साफ़ सड़के

जब अच्छी और साफ़ सड़कें होती है, तो हमे यात्रा करने में ख़ुशी होती है। मनुष्यो ने बड़े बड़े सुन्दर हाईवे का निर्माण किया है। जिसकी वजह से सफर सरल और आनंदमय  हो गया है। मुझे सीमेंट और पत्थरो से बनाया जाता है।

अगर मनुष्य वक़्त के साथ मेरी मरम्म्मत करवाए तो दुर्घटनाएं नहीं होगी और मैं अच्छा भी दिखूंगा। सिर्फ लोगो से निवेदन है कि मेरे ऊपर कचरा ना फेंके। मेरे आस पास कुछ पेड़ पौधे लगाए, तो वातावरण भी अच्छा रहेगा।

निष्कर्ष

देश के विकास की पहचान वहाँ के अच्छी और मजबूत सड़को से भी होती है। मैं प्रत्येक किलोमीटर दर किलोमीटर तक चलता हूँ। लोगो को मंज़िल तक मैं ले जाता हूँ। मैंने अपने जीवनकाल में कई मुसाफिरों से मुलाकातें की है।

वह सभी यादें हमारे दिलो में बस जाती है। जैसे सड़को में जब गड्ढे हो जाते है, तो उनकी मरम्मत की जाती है। उसी तरह मनुष्यो के जीवन में भी कई मुश्किलें आती है, उससे उन्हें मुकाबला करना चाहिए। जैसे मनुष्य सड़को के गड्ढे भरते है, उसी प्रकार जीवन में मुश्किलों का हल निकालना हमारा दायित्व है।


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तो यह था सड़क की आत्मकथा पर निबंध (Sadak Ki Atmakatha Essay In Hindi), आशा करता हूं कि सड़क की आत्मकथा पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Autobiography Of Road) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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