पेड़ की आत्मकथा पर निबंध (Ped Ki Atmakatha Essay In Hindi)

आज हम पेड़ की आत्मकथा पर निबंध (Essay On Ped Ki Atmakatha In Hindi) लिखेंगे। पेड़ की आत्मकथा पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

पेड़ की आत्मकथा पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Ped Ki Atmakatha In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


पेड़ की आत्मकथा पर निबंध (Ped Ki Atmakatha Essay In Hindi)


प्रस्तावना

पेड़ो के बिना पर्यावरण और जीव जंतुओं का कोई अस्तित्व नहीं है। मैं प्रकृति द्वारा दिया गया एक अनमोल तोहफा हूँ। जब मैं बीज था, तो मैं सोचता था कब मैं बड़ा हो जाऊँगा। जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ और मैं एक नन्हा सा पौधा था, तो हमेशा यह डर सताता था कि कोई मुझे जमीन से अलग ना कर दे।

अब मैं बड़ा और मज़बूत पेड़ बन चूका हूँ और मेरी टहनियां मज़बूत हो गयी है। पहले जब मैं छोटा था तो कुछ लोग जानबूझकर मेरे पत्ते और मेरी शाखाओ को तोड़ लेते थे। इससे मुझे तकलीफ होती थी। अब मेरे विशाल और अधिक मज़बूत शाखाओ को तोड़ना आसान नहीं है।

मुझे इस बात का दुःख है कि हम पेड़ लोगो को इतना लाभ पहुंचाते है, फिर भी वह हमे काट रहे है। मनुष्य उन्नति के शिखर पर पहुँच तो गया है, लेकिन मुझ जैसे पेड़ो को काट कर वह खुद ही प्रकृति का संतुलन बिगाड़ रहे है।

मनुष्य को हम पेड़ो से बहुत फायदेमंद सामग्री प्राप्त होती है। जनसंख्या वृद्धि एक प्रमुख कारण है। मनुष्य बड़ी बड़ी इमारतें और स्कूलों के निर्माण के लिए वनो और पेड़ो को काट रहे  है।

मैं एक पेड़ हूँ। मुझे बहुत पीड़ा होती है जब मैं अपने मित्र वृक्षों को कटते हुए देखता हूँ। मुझे समझ नहीं आता कि इंसानो को क्या हो गया है, वह अपनी ही बसी बसाई प्रकृति को मुश्किल में डाल रहा है।

पेड़ो से लाभ

मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है, जब बच्चे और बड़े मेरे छाए में बैठते है। जब कोई राही सफर करते हुए थक जाता है, तो मेरे छाव के नीचे बैठता है। मेरे फल खाकर बच्चो को आनंद मिलता है। व्यस्क लोग भी मेरे छाव के नीचे बैठकर बात करते है।

मेरे फूलो को भी लोग तोड़ते है, ताकि भगवन के चरणों में चढ़ा सके। मुझसे मनुष्य को औषधि मिलती है, जिससे उनकी कई तरह की बीमारियां दूर हो जाती है। हम पेड़ो से उन्हें चन्दन इत्यादि सामग्रियां प्राप्त होती है।

झूले झूलना

मेरे शाखाएं इतने मज़बूत है कि बच्चे झूले झूलते और मेरे फल खाते है। मुझे बड़ी प्रसन्नता होती है जब बच्चे इतने खुश होते है। मैं अपने आपको भाग्यशाली मानता हूँ कि मैं सभी के काम आ पा रहा हूँ।

बचपन में पशुओं से डर

जब मैं छोटा पौधा था, तो मुझे हमेशा यह डर रहता था कि मुझे जानवर आकर कुचल ना दे। मुझे मेरे जड़ो से अलग ना कर दे। तब मुझे तूफानों से भी डर लगता था। कहीं मैं टूट के बिखर ना जाऊं।

प्रकाश संश्लेषण

मैं अपना भोजन स्वंग बना सकता हूँ। मुझे दूसरो पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है। इस प्रक्रिया में सूरज की रोशनी, जल और कार्बन डाइऑक्साइड की ज़रूरत होती है। इसके बाद मैं अपना खाना खुद बना लेता हूँ। पत्ते दरसल खाना बनाते है और उसके बाद यह भोजन शरीर के सभी हिस्सों में चला जाता है।

ऑक्सीजन का निर्माण

प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया से मैं ऑक्सीजन का निर्माण करता हूँ। मैं हूँ तो वातावरण में ऑक्सीजन मौजूद है। ऑक्सीजन के बिना मनुष्य और पशु- पक्षी जीवित नहीं रह सकते है। हम जैसे पेड़ो को काटकर वह पर्यावरण में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर रहे है।

वृक्षों को काटने के दुष्प्रभाव

मनुष्य सब कुछ समझकर भी हम वृक्षों को काट रहे है। वह दिन दूर नहीं कि समस्त वृक्षों को काट दिया जाएगा और पृथ्वी भयानक तरीके से खत्म हो जायेगी। अत्याधिक वृक्षों की कटाई के कारण मनुष्य प्राकृतिक आपदाओं को न्यौता दे रहा है।

इसी प्रकार से वृक्ष काटे गए तो हवा में ऑक्सीजन नहीं रहेगा और बाढ़, सूखा जैसे विपदाओं को झेलना पड़ेगा। हर वर्ष प्राकृतिक आपदाओं के कारण कई शहर और राज्य नष्ट हो जाते है।

हम वृक्षों ने हमेशा प्रकृति और मनुष्य का भला चाहा है। अगर हम जैसे वृक्षों को काट दिए गए तो क्या पशु पक्षी जीवित रह पाएंगे? अगर पशु पक्षी नहीं तो मनुष्य कैसे जीवित रहेगा। सांस लेने के लिए ऑक्सीजन चाहिए, कैसे जीएगा हम पेड़ो के बिना? मनुष्य के पास अब भी वक़्त है वरना देखते ही देखते प्रकृति भस्म हो जायेगी।

अपने आप पर गर्व महसूस

मुझे अपने आप पर गर्व महसूस होता है। ऐसा इसलिए कि मैं लोगो के काम आ पाता हूँ। जब पक्षी सुबह- सुबह मेरे टहनियों पर बैठती है और चहचाती है, तो मेरा मन प्रफुल्लित हो जाता है। बच्चे आस पास खेलते है और मेरे फलो को तोड़ते है, इससे मुझे बेपनाह ख़ुशी होती है। मैं सबके काम आ पाता हूँ। मुझे ईश्वर ने सबकी सेवा के लिए प्रकृति का हिस्सा बनाया है।

मंदिर के पास स्थित

मैं मंदिर के पास स्थित पेड़ हूँ। जैसे-जैसे मैं बड़ा होने लगा, मंदिर के अधिकारियों ने मेरे तने के चारों ओर एक फीट की दीवार लगा दी। यह मुझे भीड़ द्वारा नष्ट किए जाने से बचाने के लिए किया गया था। क्यूंकि मैं एक मंदिर के पास हूँ, मुझे बहुत सारे लोगो का साथ मिला। मंदिर के सामने और जंगल के पास ही मैं स्थित हूँ। मेरे नीचे बैठकर श्रद्धालु अपने मन की बात करते है।

लोगो की बातें

मेरा जीवन रोमांच से भरा हुआ है और लोग मेरे छाँव तले बैठकर अपने बातों की चर्चा करते है। मेरे जीवन को सुखद बनाने के लिए मनुष्य अपने परिजनों और मित्रो के साथ गपशप करते है और मैं उनकी बातों को सुन सकता हूँ। इससे मुझे बड़ी प्रसन्नता होती है।

मुश्किलों का सामना

मैंने हर तरह के विषम परिस्थितियों का सामना किया है। मैंने तपती सूरज की किरणों को सहा है। सर्दियों में पड़ने वाली कड़ाके की ठंड से जुझा हूँ। आँधियों की हवा और तेज़ तूफ़ान भी मुझे मेरे धरती माँ से अलग नहीं कर पाए है। पहले मैं जब पौधा था, तो इन परिस्थितियों से डरता था। अब मुझे किसी बात का भय नहीं लगता है। मैं मुश्किलों से घबराता नहीं हूँ।

प्रकृति का संतुलन

मैं प्रकृति का संतुलन बनाये रखने में मदद करता हूँ। हम जैसे वृक्षों को काटकर मनुष्य खुद का नुकसान कर रहे है। वृक्षों के कारण वातावरण में नमी बनी रहती है। वृक्षों के कारण वर्षा होती है। आजकल जिस तरह और जिस रफ़्तार से वृक्षों को काटा जा रहा है, वह दिन दूर नहीं जब प्राकृतिक विपदाओं का कहर टूट पड़ेगा और पूरा संसार इसकी चपेट में आ जाएगा।

मुझे बेहद तकलीफ होती है जब मेरे आस पास के साथी मित्रो को मनुष्य काट कर ले जाते है और उनके स्वार्थ सिद्धि के लिए वृक्षों को बेच देते है। प्रकृति और पर्यावरण का संतुलन प्राकृतिक संसाधनों से होता है। हम वृक्ष इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। बहुत तकलीफ होती है जब वृक्षों को जड़ से अलग कर दिया जाता है।

प्रदूषण पर नियंत्रण

हम वृक्षों को लगातार काटने से प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है। जनसंख्या वृद्धि के कारण सड़को पर ट्रैफिक जैम लगा रहता है। गाड़ियों और कारो इत्यादि वाहनों से निकलने वाली गैस वायु को प्रदूषित कर देती है।

वायु प्रदूषित होने के कारण कई तरह की बीमारियां हो रही है। लोगो को सांस लेने में दिक्कत होती है। वृक्ष इन जहरीली गैसों को अवशोषित कर लेते है। अगर हम वृक्षों को काट दिया जाएगा तो प्रदूषण की समस्या बढ़ती चली जायेगी।

ग्लोबल वार्मिंग की समस्या

हम वृक्षों को लगातार काटने से पृथ्वी पर अत्यधिक गर्मी पड़ रही है। गर्मियों के समय तापमान का पारा कुछ जगहों पर पच्चास तक जा रहा है। हिमालय के बर्फ पिघल रहे है। बर्फ पिघलने से नदियों का जल स्तर बढ़ रहा है।

नदियों के जल स्तर बढ़ने से बाढ़ जैसी समस्या उतपन्न हो रही है। हर वर्ष कई देशो में बाढ़ जैसे हालत पैदा हो रहे है। इसके कारण लाखो लोग अपना घर बार खो देते है। तूफ़ान के कारण भी कई राज्य और कसबे बर्बाद हो जाते है।

हम पेड़ इस पर्यावरण को संरक्षित करने की कोशिश कर रहे है। काश मनुष्य यह जल्दी समझे वरना आगे चलकर पछताने के लिए भी कुछ नहीं बचेगा।

मनुष्यो द्वारा काटे जाने का दुःख

वक़्त के साथ साथ अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ। मैंने जीवन पर्यन्त पशु -पक्षी और मनुष्यो के ज़रूरतों को पूरा करने में सक्षम रहा। अब मेरे कुछ शाखाओ को मनुष्य अपने आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए काट रहे है। अब वह दिन दूर नहीं मनुष्य मुझे काट देंगे और मेरे टहनियों, शरीर के अंगो का उपयोग करेंगे।

ज़्यादातर वृक्षों के साथ यही हो रहा है। पृथ्वी को बनाये रखने में मैंने अपनी जिन्दगी न्यौछावर कर दी है और सम्पूर्ण संसार को विषाक्त, प्रदूषित वातावरण से सुरक्षा प्रदान की है।  अफ़सोस सब कुछ जानकर भी मनुष्य वृक्षों की यह दुर्दशा कर रहा है। मनुष्य से यही विनती है कि हमारे महत्त्व को समझे और हमे ना काटे।

निष्कर्ष

इतना सब कुछ समझकर भी मनुष्य कामयाबी के नशे में चूर होकर हम वृक्षों को प्रकृति का हिस्सा नहीं समझ रहे है। हम वृक्षों को काटकर उन्हें बड़ी बड़ी बिल्डिंग बनानी है और गाँवों, वनो को भी शहरों में बदलना है। जहाँ प्रदूषण चरम सीमा पर पहुँच चूका है। अब वक़्त आ गया है मनुष्य वृक्षों की अहमियत को समझे और अपने घर बनाने के लिए हमे ना काटे।


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तो यह था पेड़ की आत्मकथा पर निबंध (Autobiography Of Tree Essay In Hindi), आशा करता हूं कि पेड़ की आत्मकथा पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Ped Ki Atmakatha) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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