क्रिसमस त्यौहार पर निबंध (Christmas Day Festival Essay In Hindi)

आज के इस लेख में हम क्रिसमस त्यौहार पर निबंध (Essay On Christmas Festival In Hindi) लिखेंगे। क्रिसमस त्यौहार पर लिखा यह निबंध बच्चो और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

क्रिसमस त्यौहार पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Christmas Festival In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।

क्रिसमस डे पर निबंध (Christmas Day Essay In Hindi)


प्रस्तावना 

भारत में हर धर्म के लोग रहते है, जैसे की हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि और सभी धर्म के लोगों के अपने अपने त्योहार होते हैं। हर धर्म के लोग अपने अपने त्योहारों को बड़े धूमधाम से मनाते हैं।

क्रिसमस त्यौहार हर साल में एक बार आता है, जैसे हिंदू धर्म का होली, दिवाली, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी आदि साल में एक बार आते है। इसी प्रकार ईद भी आती है जो मुस्लिम धर्म के लोगों का त्योहार है। ऐसा ही ईसाई धर्म के लोगों का एक दिन आता है जिसे हम सभी क्रिसमस डे के नाम से जानते हैं।

क्रिसमस ईसाई धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। जिस तरह हर धर्म के लोग अपने अपने इष्ट देवताओं की पूजा करते हैं, उसी प्रकार ईसाई धर्म के लोग अपने यीशु की पूजा करते हैं। क्रिसमस डे 25 दिसंबर को आता है।

इस दिन ईसाई धर्म के लोगों के अलावा हिंदुस्तान के सभी लोग बड़े सम्मान के साथ इस त्यौहार को मनाते हैं। क्रिसमस हमें ईसा मसीह के बलिदानों के बारे में बताता है और उनके द्वारा दिए गए उद्देश्य को बताता है।

क्रिसमस के एक दिन पहले

क्रिसमस 25 दिसंबर को आता है, ईसाई धर्म के लोग इस दिन का बहुत बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह साल के अंत में आता है, इस दिन की शुरुआत 12 दिन पहले से हो जाती है। 12 दिन पहले क्रिसमस को क्रिसमस टाइम कहते हैं।

क्रिसमस के आने पर चर्च को बड़े साज सज्जा के साथ सजाया जाता है। क्रिसमस के दिन छुट्टी रखी जाती है क्योंकि सभी लोग यीशु का जन्म दिन मनाते हैं। क्रिसमस के 1 दिन पहले से ही चर्च को बदला जाता है और वहां पर क्रिसमस ट्री को लाइटिंग के साथ सजाया जाता है।

क्रिसमस डे

माना जाता है कि ईसा मसीह का जन्म 7 से 2 ईसा पूर्व में हुआ था। परंतु यह भी माना जाता है कि 25 दिसंबर ईसा मसीह की जन्म दिनांक नहीं है, क्योंकि वास्तविक दिनांक पता नहीं है। फिर भी इस तिथि के दिन रोमन पर्व के आधार पर क्रिसमस डे मनाया जाता है।

क्रिसमस के दिन सभी लोग चर्च के अंदर जाते हैं और यीशु मसीह को याद करते हैं। चर्च के अंदर यीशु मसीह की प्रतिमा होती है। जैसा कि 1 प्लस चिन्ह पर उन्हें लटकाया गया हो। उस दिन ईसा मसीह के बताए गए उपदेश को चर्च में पादरी द्वारा बताया जाता है और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है।

आजकल क्रिसमस के दिन एक दूसरे को उपहार देना चर्च के अंदर समारोह करना और बहुत से कार्यक्रम करना शामिल होता हैं। क्रिसमस डे के दिन क्रिसमस ट्री को सजाया जाता है। चारों तरफ रंगने की रोशनी होती है।

यीशु की झांकी निकाली जाती है, बहुत से लोग सैंटा क्लॉस बनते हैं और बच्चों को गिफ्ट बाटते हैं। सैंटा क्लॉस को क्रिसमस का पिता भी कहा जाता है। इस खुशी में सैंटा क्लॉस बच्चों को चॉकलेट और छोटे-मोटे उपहार बांटते हैं।

क्रिसमस के दिन सभी लोग एक दूसरे को उपहार देते हैं। घरों में खुशी का माहौल होता है, मिठाईयां और बहुत सी चीजें बनाई जाती है। अपने रिश्तेदारों को दावत पर बुलाया जाता है और उनके लिए गिफ्ट भी मंगवाए जाते हैं।

जब लोग एक दूसरे के घर जाते हैं तो एक दूसरे को उपहार देकर क्रिसमस डे विश करते हैं। जिस तरह ईद मनाई जाती है और हिंदू धर्म दिवाली उसी प्रकार क्रिसमस डे के दिन भी लोग आपस में एक दूसरे के घर जाते हैं और एक-दूसरे को क्रिसमस डे की शुभकामनाएं देते हैं।

इतिहास

क्रिसमस ईसाई धर्म के लोगों का त्योहार है। आज सभी जाति धर्म के लोग जिस तरह अपना त्योहार मिलजुलकर मनाते हैं, उसी तरह से ईसाई धर्म के लोग क्रिसमस के त्योहार को बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं।

यह एक बड़ा दिन होता है इस दिन ईसाई धर्म के प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था और इस दिन ईसा मसीह के जन्म की कथा को बताया जाता है। साथ ही साथ ईसा मसीह के उपदेशों को भी बताया जाता है। माना जाता है कि आज के लगभग 2000 साल पहले गैलरी के एक छोटे से कस्बे नजरथ में एक जोड़ा हुआ करता था।

यह खूबसूरत जोड़ा जोसेफ और मेरी का था। माना जाता है कि एक रात गेबरियल नामक देवदूत ने मेरी से कहा कि उन्हें ईश्वर के बेटे की मां बन्ने के लिए चुना गया है। तब मेरी और जोसेफ बेथलेहम के लिए निकलना पड़ा।

जब दोनों वहां पहुंचे तब एक बच्चे का जन्म होने का समय आ चुका था। यह दोनों रात में किसी भेड़ों के बाड़े में रुके थे और उस समय भगवान यीशु का जन्म हुआ था। भगवान यीशु भी बच्चों की तरह ही बड़े हुए थे जैसे सामान्य बच्चे होते हैं।

परंतु इनमें पैगंबर की दिव्य गुण थे और कुछु गुण ऐसे थे कि जिसके कारण लोगों को यह प्रभावित करते थे। धीरे-धीरे उन्होंने लोगों को प्रभावित किया और बाद में एक ईसाई धर्म की स्थापना करने में लग गए।

इन्होंने जल्द ही ईसाई धर्म की स्थापना की और तब से इन्हें ईसाई धर्म के प्रभु कहा जाता है और हर साल उनके जन्मदिन के अवसर पर क्रिसमस डे मनाया जाता है।

सैंटा क्लॉस

क्रिसमस के दिन हम सभी एक ऐसे युवा को देखते हैं जो लाल रंग की पोशाक पहना हुआ होता है। सर पर लाल टोपी होती है, बड़ी सी सफेद दाढ़ी होती है, उसे हम सैंटा क्लॉस कहते हैं।

हम सभी मानते हैं कि यह भगवान का दूत है जो बच्चों के लिए उपहार लेकर आता है। सैंटा क्लॉस बच्चों के लिए उपहार लेकर आता है और साथ ही साथ बहुत सारी खुशियां लेकर आता है।

सैंटा क्लॉस को क्रिसमस का फादर कहा जाता है। क्रिसमस के दिन बस अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और एक याक से बनी रथ में आता है और बच्चों को हसाता है और चॉकलेट, गिफ्ट देता है। बच्चे बहुत खुश हो जाते है, यह सैंटा क्लॉस क्रिसमस की खुशी में ऐसा करता है।

सेंटा क्लोज को आमतौर पर एक मोटा सा हंसमुख सफेद दाढ़ी वाला आदमी के रूप में दिखाया जाता है। इसकी ड्रेस पर सफेद कलर और लाल कोट होता है और यह साथ में चमड़े की काली बेल्ट और जूते पहने हुए रहता है।

लोक कथा के अनुसार माना जाता है कि सैंटा क्लॉस उत्तर में बर्फीले देशों में रहता है और बर्फीले ध्रुव में इनके घर बने होते हैं। बच्चों को सैंटा क्लॉस क्रिसमस डे के दिन घर घर जाकर उपहार देते हैं। यह ट्रॉली में बैठ कर आते हैं और झूमते हुए, नाचते हुए, गाते हुए आते हैं। इनका पसंदीदा गाना जिंगल बेल जिंगल बेल जिंगल ऑल द वेल होता है।

क्रिसमस ट्री

क्रिसमस के दिन क्रिसमस ट्री का बहुत महत्व होता है यह एक सदाबहार पेड़ होता है, जिसे डग्लस और बलसम या फर का पौधा कहा जाता है। क्रिसमस के दिन इसे सजाया जाता है। क्रिसमस ट्री को सजाना प्राचीन काल से चला आ रहा है।

प्राचीन काल से ही चीनी लोग, मिश्र वासी और हिबुर के लोग ऐसा करते थे। यूरोप में रहने वाले लोग इस सदाबहार पेड़ को घर में सजाते हैं। इस दिन इस पेड़ को मालाओं फूलों और लाइटों से सजाते हैं और माना जाता है कि यह निरंतरता का प्रतीक है। उनका विश्वास था कि ऐसा करने से बुरी आत्माओं को घर से दूर रखा जाता है।

क्रिसमस की शुरुआत पश्चिमी जर्मनी में हुई थी, तब एक लोकप्रिय नाटक के मंच के समय इसे गार्डन में दिखाया गया था और इस पेड़ को स्वर्ग का पेड़ भी बताया गया। उसके बाद से ही जर्मनी में 24 दिसंबर से इस पेड़ को घर में सजाया जाने लगा।

इसे बहुत सारी रंगीन पत्रिकाओं से और लकड़ी के छोटे-मोटे खिलौनों से और पेड़ की टहनियों पर चॉकलेट, मोमबत्तियां, रिबेल, कागज की पट्टियां बहुत सी चीजें बांधी जाती है।

उपसंहार 

भारत देश त्योहारों का देश है, यहां पर हर साल बहुत से त्यौहार ईद, दिवाली, राखी, जन्माष्टमी, शिवरात्रि, होली, क्रिसमस डे मनाया जाता है। यह भारत देश के अलावा अन्य देशों में मनाया जाता है।

क्योंकि ईसाई धर्म के लोग यूरोप, अमेरिका, चाइना, जापान सब जगह है और इस दिन इन सभी देशों में रहने वाले ईसाई धर्म के लोग इस त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। क्योंकि यह इनके यीशु भगवान का त्यौहार होता है।

ईसाई धर्म की स्थापना यीशु भगवान ने की थी। जिस के उपलक्ष में यह क्रिसमस डे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। हर साल आने वाला यह त्यौहार चर्च मैं मनाया जाता है जिस प्रकार से हिंदू धर्म का मंदिर होता है, मुस्लिम धर्म का मस्जिद होता है उसी प्रकार ईसाई धर्म का चर्च होता है।

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क्रिसमस त्यौहार पर निबंध (Short Essay On Christmas Festival In Hindi)


क्रिसमस ईसाइयो का महत्वपूर्ण त्योहार हैं, यह त्योहार ईसाई धर्म के लोगो के लिए खास होता हैं। ईसाई धर्म के गुरु ईसामसीह का जन्म 25 दिसम्बर को बारह बजे रात को हुआ था।

आज -कल क्रिसमस पुरे दुनिया के सभी लोग मनाते हैं, क्योकि ईसा मसीह किसी भी जाती धर्मो को उच्च -नीच नहीं समझते थे और दुनिया के सभी लोगो को प्रेम और भाईचारे के साथ रहना सिखाते थे। उन्होंने सभी को एक सन्देश दिया और कहा की किसी के साथ भी भेद भाव नहीं करना चाहिए।

क्रिसमस ईसाइयो का सबसे बड़ा त्योहार हैं, इस त्योहारा का खास कर ईसाई धर्म के सभी लोग बेसब्री से इंतजार कतरे रहते हैं। क्रिसमस से कुछ दिन पहले से ही अपने ऑफिस , स्कूल सभी से छुट्टियाँ ले लेते हैं।

इस दिन बाजार में भी अलग सी रौकान आ जाती है। सभी अपने परिवार के साथ बाजार जाते हैं और अनेक तरह के सजावट की सामग्री लाते हैं। क्रिसमस से कुछ दिन पहले से ही अपने घरो को स्टार, लाइट और बहुत सारे चीजों से सजाने लगते हैं।

क्रिसमस के दिन क्रिसमस ट्री भी सजाये जाते हैं, इस ट्री को खुद से और बहुत सिद्दत से सभी लोग सजाते हैं और इसे आकर्षक बनाते हैं। इस दिन ईसाई धर्म के सभी लोग चर्च में जाते हैं और और वो ईसामसीह को याद करते हैं और केक खिला कर एक दूसरे को क्रिसमस की बधाई देते हैं।

क्रिसमस के दिन सभी नए -नए कपड़े पहनते हैं, अपने -अपने दोस्तों के यहाँ जाते हैं और बुलाते हैं और साथ में मिल कर इस दिन को और भी खास बनाते हैं। इस दिन घर में अच्छे – अच्छे पकवान बनाये जाते हैं।

इस दिन मसीह समाज द्वारा कई जगहों पे कार्यक्रम का आयोजन किया जाता हैं। जिसमे नाटक से बहुत सारे कलाकार ईसामसी की कथा को दर्शाते हैं। कई जगह रैली और झाखियॉं से भी प्रदर्शन किया जाता हैं।

क्रिसमस के दिन बड़ो से ज्यादा छोटे खुश होते हैं और वो सांता क्लॉस का इंतजार करते हैं। सांता क्लॉस लाल टोपी और कपड़ा पहन कर आते हैं और बच्चो को टॉफी और उपहार बाटते हैं। इस दिन सांता क्लॉस के ड्रेस बाजार में बहुत ज्यादा बिकते हैं, सभी बड़े वो ड्रेस खरीदते हैं और छोटे बच्चो को खुशियाँ बाटते हैं।

ईसाई समुदाय के लोगो का मानना हैं, ईसामसीह एक महान व्यक्ति थे। उन्होंने जो समाज को एक दूसरे से प्यार करना सिखाया था और इंसानियत, भाईचारा का सन्देश दिया था, उस समय के शासक को ईसामसिह का यह संदेश अच्छा नहीं लगा था।

उस शासक ने ईसामसिह को सूली पे चढ़ा कर मार दिया था, इसी लिए ईसाइयो का मानना हैं की ईसामसिह भगवान के एकलौते पुत्र थे। आज कल भारत के भी सभी जाती धर्म के लोग बिना भेद -भाव किये क्रिसमस का त्योहार मनाते हैं।

हम सभी देखते हैं की 25 दिसंबर से पहले बाजार में कितनी ज्यादा भीड़ होने लगती हैं। हम सब भी बाजार से गुब्बारे और फूल और तरह -तरह के रंग बीरंगी कागज खरीद कर लाते हैं और क्रिसमस ट्री को सजाते हैं। साथ ही क्रिसमस ट्री में बहुत सारे लाइट भी लगाते हैं।

क्रिसमस के दिन बाजर का नजारा भी कुछ अलग ही होता हैं, इस दिन पुरा बाजार जगमगाता रहता है। सभी दुकानों की सजावट कि जाती हैं। क्रिसमस के दिन बाजार के सभी मॉल और शो रूम में जगमगाता हुआ क्रिसमस ट्री जरूर दिखाई देता हैं।

क्रिसमस डे को गिरजाघरों में खास सजावट होती हैं और सभी प्रार्थना भी करते हैं। 25 दिसम्बर को बड़ा दिन के नाम से भी जाना जाता हैं।

क्रिसमस डे को कैसे मनाया जाता है?

सबसे पहले क्रिसमस के दिन अपने घरो के तथा घर में आये हुए अपने से बड़ो का आश्रीवाद लेना चाहिए, क्योकि हम सभी को पता हैं बड़ो का आश्रीवाद हमारे लिए हमेशा महत्वपूर्ण होता हैं। इस दिन बड़ो के द्वारा बताये गए बातो को भी मानना चाहिए, क्योकि इस त्योहार को वो हमसे पहले से जानते हैं।

क्रिसमस के दिन होने वाले साफ -सफाई में अपने माता -पिता और भाई -बहन के कामो में अपना हाथ बटा कर उनको सहायता करे। इससे वो परेशान नहीं होंगे जिससे उन्हें थकावट नहीं होगी और वो भी क्रिसमस के त्यौहार का आनंद लें सकेंगे।

इस दिन घर की सजावट और क्रिसमस ट्री के सजावट में घर के सभी सदस्य से विचार ले और उनके द्वारा भी बताये गए बातो पर अमल करे। इससे घर के सभी सदस्य खुश रहेंगे और क्रिसमस ट्री भी आकर्षक दिखेंगा।

क्रिसमस के दिन  अपने घर में कुछ पारिवारिक खेल या कार्यकर्म का आयोजन करना चाहिए। जिसमे परिवार के सभी लोगो को शामिल करना चाइये, इससे हमारे परिवार में खुशियो का माहौल बनता हैं और परिवार के सभी सदस्य के साथ कुछ ख़ुशी के पल बिताने का मौका मिलता हैं।

इस दिन अपने आस पास के गरीब लोगो को कपड़े, मिठाई या पकवान जरूर बाटना चाहिए। जिससे उनको भी क्रिसमस का दिन याद रहे और उनका भी यह दिन खुशी से निकले क्युकी जब आस -पास के सभी लोग खुश होते हैं, तो आपको भी खुशी मिलती हैं।

क्रिसमस के दिन अपने दोस्तों से मिले, अपने घर पे बुलाये और साथ में खाना खाये और इस दिन अपने से छोटे को भी बहुत सारा प्यार और आशीर्वाद दे। क्रिसमस के दिन ईसामसिह की कथा और झाकियो में जरूर हिस्सा ले, इससे हमे इस दिन का महत्व अच्छे से पता चलेगा और इससे आपको गर्व महसूस होगा।

क्रिसमस डे का त्योहार खुशियाँ बाटने और भाईचारा बढ़ाने का दिन हैं। इस त्योहार को खुशियाँ बाटते हुए और शांति पूर्वक तरीके से मनाये, इसमें कोई भेद -भाव न करे। इससे इस त्योहार का महत्त्व और बढ़ेगा।

इस त्यौहार को हम सब को शामिल हो कर मनाना चाहिए और बढ़ाबा देना चाहिए, क्योकि त्योहार खुशियाँ लाता है और गरीब आमिर के बिच के अंतर को मिटाता है।


तो यह था क्रिसमस त्यौहार पर निबंध, आशा करता हूं कि क्रिसमस त्यौहार पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Christmas Festival ) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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