राष्ट्रीय खेल हॉकी पर निबंध (National Game Hockey Essay In Hindi)

आज हम राष्ट्रीय खेल हॉकी पर निबंध (Essay On National Game Hockey In Hindi) लिखेंगे। राष्ट्रीय खेल हॉकी पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

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राष्ट्रीय खेल हॉकी पर निबंध (National Game Hockey Essay In Hindi)


प्रस्तावना

बहुत से देशो की तरह भारत में भी हॉकी खेल ज़्यादातर लोग खेलते है। स्कूल, कॉलेज और कई शिक्षा संस्थानों में हॉकी खेल को खेला जाता है। हॉकी एक अंतराष्ट्रीय खेल है। हॉकी खेल की शुरुआत ब्रिटिश लोगो ने की थी।

क्रिकेट की तरह भारत और अन्य देशो में हॉकी खेल को खेला जाता है। हॉकी को पूरे संसार में खेला जाता है। यह एक मनोरंजक खेल है, जिसे खुले मैदान में खेला जाता है। भारत में खेलों से संबंधित हॉकी का एक उज्ज्वल और बड़ा गहरा इतिहास है।

भारत में कई शानदार खिलाड़ी हैं, जो देश के लिए हॉकी खेले हैं। हॉकी खेल देश का सबसे पुराना खेल है। हॉकी एक घुमावदार छड़ी के साथ खेला जाता है। छड़ी का मकसद है, गेंद को आगे बढ़ाना और गोल करना।

स्ट्राइकर को लक्ष्य को मारने में कुशल होना चाहिए, ताकि उनके शॉट्स सफलतापूर्वक गोल पोस्ट में प्रवेश कर सकें। गोलकीपर के पास उन गोल्स को रोकने की जिम्मेदारी होती है, ताकि वह विपरीत टीम को गोल ना करने दे सके।

हॉकी के खेल को बड़े और छोटे बच्चे समान रूप से खेलना पसंद करते है। हॉकी हमें एक साथ एकजुट होकर खेलना और एक दूसरे के सहयोग का महत्व सिखाता है। हॉकी खेल को खेलने के लिए कड़ी परिश्रम की ज़रूरत होती है। हॉकी खेल इतना प्रसिद्ध हो गया कि पूरे दुनिया में हॉकी खेल को खेला जाने लगा।

खिलाड़ी और हॉकी खेलने का समय

इस खेल में दो टीमें होती है। एक टीम में ग्यारह खिलाड़ी होते है। यह खेल तकरीबन 60 मिनट के लिए खेला जाता है। हॉकी का खेल चार क्वाटर में खेला जाता है। इस खेल को खेलने के लिए एक गेंद और एक स्टिक यानी छड़ी का इस्तेमाल किया जाता है।

गोल की विशेषता

जो टीम अधिक गोल करती है, वह विजयी कहलाती है। हॉकी खेल को वर्ष 1908 में ओलिंपिक खेलो में मान्यता दी गयी थी। सबसे पहले हॉकी खेल यूनान और आयरलैंड में खेला गया था।

ध्यानचंद हॉकी के जादूगर

मेजर ध्यानचंद ने हॉकी खेल को लोकप्रिय बनाया था। उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता है। उन्होंने भारत को हॉकी खेल में छह स्वर्ण पदक जितवाए है। उन्होंने हॉकी खेल को अपने देश भारत में लोकप्रिय बना दिया था।

आज भी जब हॉकी का नाम आता है, तो साथ ही उनका नाम भी लिया जाता है। हॉकी के उस सुनहरे युग को आज भी देश के लोग याद करते है।

हॉकी के विभिन्न प्रकार

हॉकी खेल के विभिन्न प्रकार है। जैसे मैदानी हॉकी, स्लेज, रोलर और आइस हॉकी। ज़्यादातर स्थानों में मैदानी हॉकी खेल खेला जाता है। कई तरह की हॉकी लोगो द्वारा खेली जाती है। जैसे एयर हॉकी, बॉक्स हॉकी, डेक हॉकी, फ्लोर हॉकी, फुट हॉकी, टेबल हॉकी, जिम हॉकी, मिनी हॉकी, अंडर वाटर हॉकी, रॉक हॉकी, पौंड हॉकी इत्यादि।

खेल में अंतराल

इस खेल में एक मज़बूत गेंद होता है और घुमावदार छड़ी होती है। इस छड़ी के सहारे गेंद को मारकर गोल किया जाता है। इस खेल में पांच मिनट का अंतराल समय दिया जाता है, ताकि खिलाड़ियों को थोड़ा आराम करने का मौका मिले और वह फिर से जोश के साथ खेले।

पुराने जमाने की हॉकी

पहले जब हॉकी खेल खेलने की शुरुआत हुयी थी, तब एक छड़ी होती थी। जो लकड़ी की बनी हुयी होती थी। गेंद बहुत ही औसत दर्जे का होता था। पहले हॉकी की छड़ी मुड़ी हुयी नहीं होती थी। अब हॉकी स्टिक मुड़ी हुयी होती है।

नियमो में बदलाव और विकास

हॉकी खेल के नियमो में परिवर्तन और विकास इंग्लैंड में हुआ था। पहले जब खिलाड़ी चौदह मीटर दूर से गोल करते, तो उसे मान्यता नहीं दी जाती थी। अभी नियमो में काफी परिवर्तन लाया गया है।

हॉकी खेल के आवश्यक नियम

एक बदलाव किया गया है, जिसके अनुसार हॉकी खेल अब 60 मिनट का होता हैं। जो प्रत्येक 20 मिनट में तीन-चौथाई में विभाजित किया गया हैं। मैच का उद्देश्य प्रतिद्वंद्वी टीम के गोल पोस्ट में ज़्यादा से ज़्यादा गोल मारना है।

जो टीम सफलतापूर्वक अधिक गोल स्कोर करती है, वह मैच जीत जाती है। इसके अलावा स्टिक के आयाम और गेंद के वजन के नियमो का उल्लेख किताबों में पहले से ही निर्धारित  है।

यदि मैदान पर उन्होंने आयाम और वजन को गलत पाया, तो उस खिलाड़ी को मैच से बाहर कर दिया जाता है। खेल के अधिकांश नियम फुटबॉल की तरह हैं और नियम के उल्लंघन के लिए कुछ दंड हैं।

हॉकी एसोसिएशन की स्थापना

हॉकी एसोसिएशन की स्थापना वर्ष 1886 में हुयी थी। उसके बाद हॉकी खेल की तरफ लोगो की दिलचस्पी बढ़ने लगी। हॉकी खेल को हर देश में प्राथमिकता दी गयी और इसे हर देश में खेला जाने लगा।

भारत में हॉकी खेल

जिस प्रकार क्रिकेट खेल के चाहने वाले है, उसी प्रकार हॉकी खेल के चाहने वाले भी है। हॉकी के खिलाड़ियों को भी उतनी ही प्रशंसा और सम्मान मिलता है, जितना की क्रिकेट के खिलाड़ियों को मिलता है।

देश में हॉकी खेल उस समय प्रसिद्ध होने लगा था। इसलिए हॉकी क्लब का निर्माण कोलकाता शहर में करवाया गया था। सन 1928 में भारतीय हॉकी टीम ने तीन स्वर्ण पदक जीते थे। सबसे पहली दफा भारतीय हॉकी टीम वर्ष 1928 में एम्स्टर्डम जाकर खेली थी।

हॉकी खेल में भारत का बेहतरीन प्रदर्शन

उस समय भारत ने हॉकी खेल के जगत में बेहतरीन प्रदर्शन किया। इस वजह से अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खेल में भारत ने अपनी जगह बना ली और पूरी दुनिया में भारत के हॉकी खिलाड़ियों के प्रति सम्मान बढ़ गया।

मेजर ध्यानचंद के नेतृत्व में देश छह बार स्वर्ण पदक जीत चूका था। यह 1928 से 1956 के बीच हुआ था। उस समय भारत ने इतने अधिक स्वर्ण पदक हॉकी में जीते थे और यही कारण है कि इस युग को स्वर्ण युग कहा जाता है।

हॉकी खेलने के लिए आवश्यक उपकरण

हॉकी खेल को सुरक्षित तरीके से खेलने के लिए विभिन्न तरह के उपकरण हैं, जो एक खिलाड़ी को गंभीर चोटों से बचाते हैं। उनके उपकरण में हेलमेट, पैड, गर्दन गार्ड, जॉकस्ट्रैप, कोहनी पैड, हॉकी स्टिक और एक गेंद शामिल हैं।

हॉकी की लोकप्रियता

भारत कई सालो तक हॉकी खेल में विश्व विजयी रहा। हॉकी खेल अन्य देशो जैसे हॉलैंड, जर्मनी, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया इत्यादि देशो में भी काफी लोकप्रिय हो गया है। हॉकी खेल में गोल कीपर, राइट बैक, सेंट्रल फॉरवर्ड और लेफ्ट बैक जैसे ज़रूरी स्थान होते है, जिन्हे खिलाड़ियों को संभालना पड़ता है।

स्वर्ण युग के कुछ बेहतरीन खिलाड़ी

अजीत पाल, धनराज पिल्लै, अशोक कुमार, ऊधम सिंह, गगन अजीत सिंह, बलबीर सिंह इत्यादि बेहतरीन हॉकी खिलाड़ी थे, जिन्होंने हॉकी में योगदान दिया। भारतीय हॉकी को मांट्रियल ओलिंपिक में सातवा स्थान प्राप्त हुआ।

भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी

अंतरष्ट्रीय हॉकी खेलो में भारत के खिलाड़ियों ने अपना लाजवाब प्रदर्शन दिया। यही वजह है कि हॉकी को भारत ने राष्ट्रिय खेल के रूप में चुना। सन 1928 से सन 1956 तक भारत ने हॉकी में निरंतर जीत हासिल की थी।

उस स्वर्ण युग को आज भी गर्व से याद किया जाता है। टोक्यो ओलिंपिक और मॉस्को ओलिंपिक में भारत ने अपनी जीत का डंका बजाया था और स्वर्ण पदक जीता था।

हॉकी का आने वाला भविष्य

स्वर्णयुग में हॉकी खेल के बेहतरीन प्रदर्शन के बाद भारत ने बहुत अच्छा समय देखा था। आज योग्य खिलाड़ियों की कमी और सठिक सुविधाओं के ना होने के कारण अच्छे खिलाड़ी नहीं मिल पा रहे है।

लोगो का हॉकी के प्रति प्यार होने के कारण यह विश्वास है कि हॉकी का स्वर्णयुग फिर से वापस आएगा। भारतीय हॉकी लीग हॉकी खेल को प्रोत्साहित करने के लिए अच्छी योजनाएं बना रही है।

हॉकी खेल की अहमियत

हॉकी खेल सबसे पुराने और जाने माने खेलो में से एक है। हॉकी का इतिहास भारत में बड़ा और विस्तृत है। इसे पहले विभिन्न तरीको से खेला जाता था। मैदानी हॉकी लोग ज़्यादातर जगहों पर खेलते है।

बर्फीले जगहों पर आइस हॉकी भी खेली जाती है। हॉकी पहले अंग्रेजी स्कूलों में खेला जाता था। यह ब्रिटिश द्वारा अधिकतर खेला जाता था। इसके बाद लंदन हॉकी एसोसिएशन का निर्माण किया गया, ताकि हॉकी के नियमो का मानकीकरण हो।

हॉकी खेल को बढ़ावा

विद्यालयों में हॉकी खेल को बढ़ावा मिलना चाहिए। अच्छे हॉकी कोच नियुक्त किये जाने चाहिए, जो बच्चो को अच्छे तरीके से हॉकी के नियमो को सीखा सके। जो बच्चे हॉकी अच्छा खेलते है, उन्हें स्कूल स्तर पर हॉकी टूर्नामेंट में भाग लेना चाहिए।

सरकार को उन विद्यार्थियों का समर्थन करना चाहिए जो हॉकी अच्छा खेलते है और वित्तीय मदद सरकार द्वारा विद्यार्थियों को मिलनी चाहिए।

निष्कर्ष

हॉकी युवाओ को खेलना बहुत पसंद है। हॉकी और क्रिकेट जैसे लोकप्रिय खेल युवाओं को खेलना बड़ा पसंद है। हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल कहा जाता है, मगर आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुयी है। आज हॉकी के खिलाड़ियों को एक बार फिर से उस स्वर्ण युग को जिन्दा करना होगा।

ऐसा करने से हॉकी को फिर से उस स्थान पर पहुंचाया जाएगा, जिससे देश का सर ऊंचा हो गया था। ऐसा करने से निश्चित तौर पर हॉकी को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय खेल घोषित किया जाएगा। सरकार को हॉकी के खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि वह और अधिक जोश के साथ खेल सके।


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तो यह था राष्ट्रीय खेल हॉकी पर निबंध (National Game Hockey Essay In Hindi), आशा करता हूं कि राष्ट्रीय खेल हॉकी पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On National Game Hockey) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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