स्त्री पुरुष समानता पर निबंध (Stri Purush Samanta Essay In Hindi)

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स्त्री पुरुष समानता पर निबंध (Stri Purush Samanta Essay In Hindi)


प्रस्तावना

स्त्री और पुरुष एक ही गाड़ी के दो ऐसे पहिये है, जिसमे से यदि एक पहिया थोड़ा भी डगमगाया तो उसका असर दूसरे पहिये पर दिख जाता है। स्त्री पुरुष एक दूसरे के पूरक है। एक के बिना दूसरे का काम नहीं चलता।

पर यही समानता में अगर स्त्री जरा भी आगे बढ़ी की पुरुष जाती को ये तनिक भी नहीं भाता। कहने को तो स्त्री पुरुष एक दूसरे के पूरक है, परंतु समानता केवल पुरुष को तब तक ही अच्छी लगती है, जब तक कि स्त्री उसके साथ चले पर उससे आगे ना रहे।

क्रिस्टीन डी पिज़ान (1364 से 1430), इटली के वेनिस में पैदा हुए, एक लेखक और राजनीतिक और नैतिक विचारक थे। जिन्होंने मध्ययुगीन काल के दौरान स्त्री पुरुष की समानता पर अपनी परिभाषा प्रदान करि, जो कि उनकी ही प्रसिद्ध पुस्तक द बुक ऑफ़ लेडीज में दी गयी है।

स्त्री पुरुष समानता का अर्थ

समानता का अर्थ होता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी प्रगति, अपने विकास और व्यक्तित्व के विकास के लिए एक अवसर प्राप्त हो। तथा प्रत्येक व्यक्ति के साथ समान व्यवहार किया जाए, इसमे कोई वर्ग विशेष का अधिकार नहीं आता। उसी आधार पर एक स्त्री ओर पुरुष को भी समानता की श्रेणी में ही लाया जाता है।

परंतु हमारे देश की सभ्यता और संस्क्रति में स्त्री पुरुष समानता पर विशेष रूप से हमारा समाज अपनी भागीदारी का प्रदर्शन देता है। जिस के कारण हमारे समाज की एक सोच बन गयी गई है कि स्त्री हमेशा कमजोर और पुरुष वर्ग हमेशा ताकतवर होता है। और ये मतभेद सदियों से चला आ रहा है।

स्त्री पुरुष के प्रत्येक विकास में समानता

प्रत्येक बच्चे का ये अधिकार है कि उसके विकास में कोई मतभेद नहीं किया जाए। लेकिन लड़के लड़की के मतभेद की बजह से, आज भी बच्चो को अच्छे से बढ़ते हुए नही देखा जाता। आज भी लड़के के जन्म में मिठाईयां बांटी जाती है और लड़की के जन्म में उसे मार दिया जाता है।

उनमें भेदभाव सदियों से चला आ रहा है और वही परम्परा आज तक निभायी जा रही है। जबकि आज के आधुनिक युग मे स्त्री पुरुष की अपेक्षा प्रत्येक क्षेत्र में आगे आ रही है। उनसे कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही है।

फिर भी जन्म के समय के आकड़ो में विश्व में लड़कियों का स्तर जीवित रहने में अधिक है। जबकि केवल एकमात्र हमारा भारत देश ही है, जँहा लड़कियों का मृतु दर अधिक है और उनको शिक्षा ना ग्रहण करने देना, या उनका स्कूल छोड़ देना ये सभी कुरुतिया हमारे भारत देश मे पाई जाती है।

स्त्री पुरुष समानता क्या है?

स्त्री पुरुष समानता वह अवस्था होती है, जब सभी मनुष्य अपने जैविक अंतरों के बावजूद सभी अवसरों, संसाधनों आदि के लिए आसान और समान पहुच प्राप्त कर सके। उन्हें अपने भविष्य को विकसित करने में, आर्थिक भागीदारी में, समाजिक कार्य मे, जीवन शैली के जीने के तरीके में, निर्णय लेने में, शिक्षा में, किसी भी पद या कोई भी क्षेत्र हो उसमे एक दूसरे को प्रत्येक कार्य मे अनुमति देना, कोई भी मतभेद ना रखना स्त्री पुरुष समानता कहलाती है।

बचपन से ही स्त्री पुरुष समानता में मतभेद

हमारे भारत देश मे स्त्री पुरुष में समानता की कमी उनके बालपन में ही देखी जा सकती है। बचपन मे लड़के बहार जाकर खेल सकते है। उन्हें लड़की की अपेक्षा अत्यधिक लाड़ प्यार दिया जाता है।

वही लड़कियों के साथ उपेक्षा की जाती है। लड़कियों के मन मे डाल दिया जाता है कि तुम एक स्त्री जाति की हो और तुम्हे घर के कामकाज पहले आने चाहिए और इसलिये भी उन्हें घर के काम जैसे झाड़ू लगाना, खाना बनाना, बर्तन मांजना, कपड़े धोना ये सब तो बचपन मे ही करना सीखा दिया जाता है।

वही अगर ये काम कोई लड़का करे तो उसे डांट दिया जाता है कि तुम इस काम के लिए नहीँ बने हो, तुम्हारा काम तो बैठ कर घर मे बस खाना और स्त्री जाति से ये सब काम करवाना है। क्योंकि तुम पुरुष हो और तुमपर ये सब सोभा नहीँ देता ओर ऐसी मानसिकता हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्र में अधिक दिखाई देती है।

हालांकि कुछ वर्षों से इस तरह की मानसिकता में कमी देखने को मिल रही है। पुराने लोगो की सोच थी की पुरुष को बहार काम करके परिवार का पेट भरना है और लडकियों को घर की देखभाल करनी है।

शिक्षा के क्षेत्र में स्त्री पुरुष समानता

स्त्री पुरुष समानता को यदि देखना है, तो शिक्षा के क्षेत्र में देख सकते है। आज के समय के अनुसार एक ओईसीडी विकास संगठन है, जिसका एक मात्र उद्देश्य है कि व्यक्ति को एक नजर में शिक्षा प्रदान की जाए।

1960 के दशक में गठित संगठन ओईसीडी के जरिये उन्होंने पूरे देश मे गौर किया कि शिक्षा में निवेश किये गए वित्तीय ओर मानव संसाधन, स्कूल के सीखने के माहौल को बेहतर करने में सरकार की मद्त करनी चाहिए, ताकि स्त्री पुरुष में कोई असमानताये उत्पन्न ना हो सके।

ओर ऐसा हुआ भी है। उनके अनुसार शिक्षा के क्षेत्र में स्तर काफी बड़ा है और लगातर शिक्षा में स्तर बढ़ ही रहा है। ये स्तर प्रत्येक क्षेत्र में देखा जा सकता है। आज केवल एक पुरुष समाज में अकेले नही अपितु एक स्त्री भी विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग ओर गणित, सांख्यकी क्षेत्र में अपना भी एक अच्छा स्थान बना रही है।

जँहा स्त्री हवाईजहाज़ चला रही है, तो आसमान की बुलंदियों को छू रही है। प्रत्येक क्षेत्र में स्त्री पुरुष समान है। आज अगर पुरुष कमा कर घर मे लाता है, तो स्त्री भी कुछ कम नही है।वो जँहा घर के काम करती है, बच्चों को सम्भालती है, यहां तक कि घर के अन्य सदस्यों को भी सम्भालती है वही वह घर भी चलाती है।

अर्थव्यवस्था में स्त्री पुरुष समानता

हमारे देश मे स्त्री पुरुष समानता में कार्यस्थल वो जगह जँहा वो घर से बहार निकल कर अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए कार्य करती है। उस जगह भी भेदभाव देखने को मिल जाता है। पुरुष समाज आज भी स्त्री को अपने से निम्नस्तर ही देखना चाहता है।

चाहे हमारा देश हो या विश्व का कोई भी देश, यह मानसिकता तो सभी जगह देखने को मिल जाती है कि स्त्री को हमेशा पुरुष से कम ही आका जाना है। भले ही वो अपने सहकर्मी से अत्याधिक योग्य ही क्यों ना हो, उसे आगे नही निकलने दिया जाता।

अगर स्त्री ने आगे बढ़ने की कोशीश भी की, तो उसके पीठ पीछे कटाछ कसा जाता है, या अनाप शनाप बाते करके उसे बदनाम भी किया जाता है। आज स्त्री जब प्रत्येक क्षेत्र में पुरुष के बराबर है, तो ऐसी मानसिकता क्यों?

पुरुष जाती को उसकी काबलियत पर कोई सवाल नहीं उठाना चाहिए और अपने विचारों में स्पष्ठवादिता लाना चाहिए। स्त्रियों की नियुक्ति ओर प्रमोशन पर कभी उन्हें प्रोत्साहित करके तो देखे या उनके लिए मिलकर एक बार तालिया तो बजा कर देखिए।

उनके ओर हमारे में कोई भेद नहीं है, ऐसा सोच कर तो देखिए। तब जाकर अनुभव होंगा की हा आज समाज मे स्त्री पुरुष असमानता का अंत हो जायेगा। इससे ना केवल एक घर, एक परिवार बल्कि पूरे देश मे प्रगति इतनी तेजी से बढ़ेगी की गरीबी, लाचारी ओर भुखमरी जैसी कोई कुरुतिया ही नही रहेंगी।

घर की चार दिवारी मे स्त्री पुरुष समानता

आज की स्त्री जँहा घर के बहार निकल कर देश का नाम रोशन कर रही है। वही पुरुष ने ये सोच आज भी बना रखी है कि घर के काम स्त्री के लिए ओर घर के बहार के काम पुरुषों के लिए बनाए गए है।

ऐसा इसलिए है, क्योंकि अगर उन्होंने घर के काम कर दिये तो लोग उनका मज़ाक उड़ाएंगे, समाज वाले उन पर हंसेंगे। क्यों जब स्त्री घर के बहार निकल कर काम कर सकती है, तो पुरुष समाज क्यों घर के काम नही कर सकता।

जब एक स्त्री बच्चे सम्भाल सकती है, तो पुरुष क्यों नहीं। जितने हाथ पैर एक पुरुष के है, उतने ही एक नारी या स्त्री के होते है। फिर भी नारी ही क्यों सब जगह पिसी जाती है। इसका कारण हमारे देश की पुरानी कुछ लोगो के वजह से बनी परंपरा, रीतिरिवाज ओर दकियानूसी सोच है, जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है।

पर इसका हल भी निकाला जा सकता है। अगर एक शिक्षित पुरुष आगे होकर समाज मे ये सोच पैदा करे कि स्त्री पुरुष सब जगह ही समान होते है तो इस असमानता को बदला जा सकता है। वैसे आधुनिकता की इस दौड़ में स्त्री पुरुष समानता दिखाई देने लगी है, जो कि समाज और देश की प्रगति के लिए बहुत ही उत्तम है।

अत्याधिक स्त्री पुरुष समानता नुकसानदायक

स्त्री पुरुष की समानता उसके जीवन की अत्याधिक महत्वपूर्ण आधारशिला हो सकती है। जो कि समाज के लिए जरूरी है। पितृसत्तात्मक सोच को अब खत्म करने की जरूरत है। परंतु जँहा जरूरी हो वहाँ पर ही, क्योंकि अत्याधिक समानता में कभी -कभी मतभेद की स्थिति उतपन्न हो जाती है, जो कि ज्यादा आघात देने वाली होती हैं।

क्योंकि समानता का तातपर्य ये भी नही होता कि पच्छिमी सभ्यता को अपना कर अपनी संस्कृति और सभ्यता को भुला दिया जाए। क्योंकि अत्याधिक छूट भी काफी नुकसान दायक हो सकती है, जो की हम हमारे आधुनिकता की दौड़ में जी रहे लड़के लड़कियों को देख कर अंदाजा लगा सकते है। इसकी जानकारी सभी स्त्री पुरुष और समाज को है।

उपसंहार

स्त्री पुरुष समानता जरूरी है और ये समानता सभी जगह दिख भी रही है। चाहे वो शिक्षा का क्षेत्र हो या घर या हमारा कार्यस्थल। जँहा आधुनिकता हो या नई सोच, जँहा जो जरूरी है वही होना चाहिए।

कहा जाता है ना कि बहुत ज्यादा हर चीज की अति नुकसानदायक होती है। मेरा मतलब ये नही की स्त्री आगे ना बड़े, अपना अपने देश का नाम रोशन ना करें। स्त्री आगे बढे परंतु बस एक स्त्री हो या पुरुष उन्हें इतना जरूर ध्यान रखना चाहिए कि समानता के चक्कर मे कहि अपनी संस्कृति, अपने रीतिरिवाज, आदर, सम्मान आदि को खो ना दे। इसलिए समानता जरूरी है पर स्त्री हो या पुरुष उनके बीच मे एक लक्ष्मण रेखा का भी होना जरूरी है।


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तो यह था स्त्री पुरुष समानता पर निबंध (Stri Purush Samanta Essay In Hindi), आशा करता हूं कि स्त्री पुरुष समानता पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Stri Purush Samanta) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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