आज हम यदि परीक्षा ना होती तो पर निबंध (Essay On If There Were No Exams In Hindi) लिखेंगे। यदि परीक्षा ना होती तो पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।
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यदि परीक्षा ना होती तो पर निबंध (If There Were No Exams Essay In Hindi)
प्रस्तावना
परीक्षाएं विद्यार्थियों के जीवन का एक अहम हिस्सा है। बच्चे विद्यालय जाते है, वहाँ दैनिक हर विषय की पढ़ाई करनी पड़ती है। इसके साथ ही खेल कूद और फिर घर आकर कक्षा मे दिए गए गृहकार्य को पूरा करना पड़ता है।
समय समय पर आ जाती है परीक्षाएं। परीक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा यह जाना जाता है कि विद्यार्थियों को प्रत्येक विषय में कितना ज्ञान प्राप्त हुआ है। वे हर विषय में कितने सक्षम है। यदि परीक्षा ना होती तो विद्यालय, शिक्षा की महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को कोई भी गंभीरता से नहीं लेता। परीक्षा होना ज़रूरी है, वरना विद्यालय और पढ़ाई को कोई अहमियत नहीं देता।
बहुत से विद्यार्थियों को समय समय पर इन आयोजित परीक्षाओ से चीड़ महसूस होती है। विद्यालय द्वारा परीक्षाओ के तारीखे घोषित किये जाते है। परीक्षा हर विद्यार्थी को देनी पड़ती है।यह अनिवार्य है। यदि परीक्षा ना होती तो बच्चे खेल कूद और दूसरे कार्यो में अधिक मन लगाते और पढ़ाई को महत्व ना देते।
यदि परीक्षाएं आयोजित ना होती तो बच्चे अपने आपका आकलन नहीं कर पाते और वह अपने आने वाले जीवन को संजीदगी से ना लेते। यदि परीक्षाएं ना होती तो शिक्षा की अहमियत कम हो जाती। जीवन के हर क्षेत्र में हम कुछ सीखते है और जिन्दगी के मुश्किल दौर में वह सीख काम आती है। यह मुश्किल दौर ही परीक्षा है, जिससे हम अपने आपको बेहतर बना सकते है।
बच्चे अनुशासित ढंग से ना पढ़ते
यदि परीक्षा ना होती तो बच्चे अपना आत्मविश्लेषण ना कर पाते। वह कहाँ सही कर रहे है और कहाँ गलत वह उन्हें पता नहीं चलता। यदि परीक्षा ना होती तो बच्चे हर दिन अनुशासित तरीके से शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते।
बच्चो की मौज होती
यदि परीक्षाएं ना होती तो बच्चो की दिन भर की मौज होती। वह कोई भी कार्य को समय पर ना करते। पढ़ाई को सिर्फ एक औपचारिकता के तौर पर लेते। उन्हें किसी भी विषय को तैयार करने की इच्छा ना होती। उनका मन हमेशा मोबाइल और खेल कूद में रहता।
परीक्षा की तारीखे
बच्चो को परीक्षा का टाइम टेबल दे दिया जाता है। इससे वह रसायन विज्ञान, भौतिक और जीव विज्ञान, गणित और अंग्रेजी इत्यादि विषयो की तैयारी में वह जुट जाते है। कुछ बच्चो को समय समय पर दैनिक रूप से परीक्षाएं देना पसंद नहीं आता है।
वार्षिक परीक्षा की वजह से हर कक्षा के विद्यार्थी तनाव में रहते है। उन्हें यह चिंता खायी जाती है कि यदि वह परीक्षा में अच्छे अंको से उत्तीर्ण नहीं होंगे, तो उनके अभिभावक और आस पड़ोस के लोग क्या कहेंगे।
कुछ बच्चो को यह फ़िक्र रहती है कि वह पास होंगे या फेल। हर विद्यार्थी अगले श्रेणी में पास होकर पहुंचना चाहता है, इसलिए वह परीक्षा को पास करने के लिए परिश्रम करता है। यदि परीक्षा ना होती तो परीक्षा की तारीखे नहीं मिलती।
परीक्षा एक महत्वपूर्ण पड़ाव
परीक्षा जीवन में हर मनुष्य के लिए ज़रूरी है। बिना परीक्षा दिए वह साबित नहीं कर पायेगा कि वह कितना काबिल है। परीक्षाएं हमारी कमज़ोरियों को भी दर्शाती है, जिससे हम उस विषय में या उस विभाग में अपने आपको सही करने की चेष्टा करते है। हमे परीक्षा में हमेशा अच्छी कोशिश करनी चाहिए। यदि परीक्षाएं ना होती तो हम अपने अंदर गुणों और प्रतिभाओ का विकास नहीं कर पाते।
परिश्रम का महत्व समझना
यदि परीक्षा ना होती तो बच्चे परिश्रम का महत्व ना समझ पाते। परिश्रम किये बिना मनुष्य को किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिलती है। जब परीक्षाएं सर पर आती है, तो विद्यार्थी के मन में हलचल उतपन्न होती है। विद्यार्थी दुगनी मेहनत करते है, ताकि परीक्षा में अच्छे अंक आये।
वह रात भर जागकर पढ़ाई करते है। ज़िन्दगी में सफल बनने के लिए मनुष्य को हर क्षेत्र में परीक्षा देनी पड़ती है। कुछ बच्चो को यह लगता कि अगर परीक्षाएं नहीं होगी तो उनकी जिन्दगी में मौजूद तनाव समाप्त हो जाएगा। ज़्यादा परीक्षाओं के कारण वह चीड़ चिड़े हो जाते है। ऐसे में बच्चो को परीक्षा का असली महत्व समझाने की ज़रूरत है।
आत्मविश्वास का बढ़ना
परिश्रम करने के बाद जब विद्यार्थी को अच्छे अंक आते है, तो उसे प्रशंसा और शाबाशी मिलती है। इससे विद्यार्थी का आत्मविश्वास बढ़ता है और हर परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने की चेष्टा करता है। यदि परीक्षाएं ना होती तो व्यक्ति का आत्मविश्वास ना बढ़ता और ज़िन्दगी में कुछ कर दिखाने का जज़्बा भी विकसित ना होता। इसलिए परीक्षाएं आवश्यक है।
परीक्षाओ को पास करने के लिए बच्चो की मेहनत
परीक्षा को पास करने के लिए विद्यार्थी पूरे वर्ष मेहनत करते है। हर विद्यार्थी परीक्षा में अच्छे नम्बरो से पास होने के लिए अपनी जान लगा देते है। पुस्तक और परीक्षा एक दूसरे से जुड़े हुए होते है।
बच्चो के मन में परीक्षा का डर होता है, इसलिए वे किताबो के हर पृष्ट के अध्ययन में जुट जाते है। बच्चे परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन के लिए कोचिंग क्लासेज में दाखिला लेते है। वहां पर भी कई परीक्षाएं होती है। परीक्षा से विद्यार्थियों का गहरा नाता है। वह कभी छूट नहीं सकता है।
अच्छा प्रदर्शन करने की चेष्टा
अगर एक परीक्षा में प्रदर्शन खराब हो जाए, तो विद्यार्थी दूसरे परीक्षाओ में अच्छा प्रदर्शन करने का प्रयत्न करता है। परीक्षाएं हमे सिखाती है कि हम अपने आपको सर्वश्रेष्ठ कैसे बनाये। विद्यार्थी अपने तरफ से पूरी कोशिश करते है कि वह प्रत्येक विषय में अच्छे प्रतिशत लाये। ऐसा वह अपने लिए और अपने परिवार के लिए भी करते है। क्यूंकि अभिभावक इससे बहुत खुश होते है।
परीक्षा ना हुयी तो बच्चो पर पड़ेगा बुरा प्रभाव
यदि परीक्षा ना होती तो बच्चे अपने जिन्दगी के किसी भी कार्य में गंभीर नहीं होते। उन्हें अगले कक्षा तक पहुँचने में कोई चिंता नहीं होती। शिक्षा व्यवस्था को कोई गंभीरता से नहीं लेता और बच्चो की शिक्षा पर गलत प्रभाव पड़ता।
उनका भविष्य कभी उज्जवल नहीं हो पाता। बच्चे समय पर कोई काम नहीं करते। ना कक्षा कार्य और ना ही गृहकार्य करते। यदि परीक्षा ना होती तो अधिकतर बच्चे विद्यालय जाना ही छोड़ देते। परीक्षाएं विद्यार्थियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
देश पीछे रह जाता
यदि परीक्षा ना होती तो पढ़े लिखे नौजवान देश की उन्नति में योगदान नहीं कर पाते। यदि परीक्षा ना होती तो बच्चे मोबाइल और खेल कूद में अधिक समय व्यतीत करते। अगर परीक्षाएं नहीं होगी तो बच्चे दिन रात खेलेंगे और किताबो में मौजूद ज्ञान को प्राप्त नहीं कर पाएंगे। शिक्षकों से कुछ सीख नहीं पाएंगे और अपना आने वाला भविष्य डूबा देंगे। परीक्षा विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद है।
प्रतियोगिताओ में पीछे रह जायेंगे
यदि परीक्षा ना होती तो विद्यार्थी जीवन में हर प्रतियोगिताओ में पीछे रह जाएंगे। विश्व के कई देशो के विद्यार्थियों के सामने अपने आपको साबित नहीं कर पाएंगे। परीक्षाओ को लेकर बच्चे अक्सर चिंता और तनाव में रहते है।
अत्याधिक तनाव भी अच्छा नहीं होता है। विद्यार्थियों को यह समझना चाहिए कि परीक्षा उन्हें परेशानी में डालने के लिए नहीं बल्कि उनको हर क्षेत्र में बेहतर बनाने के लिए होती है।
विद्यार्थियों पर ही देश का भविष्य टिका है
देश की प्रगति विद्याथियों पर निर्भर करती है। यदि परीक्षा नही होगी तो जिन्दगी में बच्चे किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने की इच्छा नहीं रखेंगे। वह ज़िन्दगी में बेरोक टोक जीएंगे और अपनी मनमानी भी करेंगे।
इससे विद्याथियों का मानसिक तौर पर विकास नहीं होता। परीक्षा ना होती तो हम कई पहलुओं को समझ नहीं पाते। हमारे देश के सुनहरे भविष्य के लिए सभी नागरिको का शिक्षित होना ज़रूरी है।
इसके लिए समय समय पर परीक्षा का शिक्षा संस्थान द्वारा आयोजित होना आवश्यक है। यदि परीक्षा ना होती तो विद्याथियों को यह समझ न आता कि वह किस विषय में मज़बूत और किस विषय में कमज़ोर है। परीक्षाओ की वजह से विद्यार्थियों को यह भली भाँती समझ आ जाता है और उसी के अनुसार वह परीक्षा की तैयारी करते है।
नौकरी स्तर पर परीक्षा का महत्व
हर व्यक्ति को नौकरी हासिल करने के लिए मौखिक और लिखित इंटरव्यू अर्थात परीक्षा देनी पड़ती है। ऐसा सभी कंपनियां करती है। वह जिस भी पोस्ट पर नौकरी करने का प्रस्ताव रखते है, वह उसमे कितने माहिर और काबिल है यह परीक्षा लेने से पता चलता है।
जो उम्मीदवार बेहतर प्रदर्शन देता है, उसे नौकरी मिल जाती है। अगर इंटरव्यू नहीं होगा तो कैसे पता चलेगा किसे क्या काम आता है। इसलिए इंटरव्यू में परीक्षा निर्धारित करती है कि व्यक्ति अथवा विद्यार्थी में कितनी काबलियत है।
निष्कर्ष
परीक्षा शिक्षा का महत्वपूर्ण स्तम्भ है। परीक्षाएं हमेशा होनी चाहिए। परीक्षा के कारण बच्चो में चिंता लगी रहती है और वह और अच्छा करने की कोशिश करते रहते है। परीक्षा होने से माता पिता को अपने बच्चो की योग्यता का पता चलता है और बच्चो को किस क्षेत्र या विषय में रूचि है वह परीक्षा के प्रदर्शन से मालुम पड़ता है।
परीक्षा बच्चो को उम्मीद देती है कि वह अपने आपको इम्तिहान में और अच्छा कैसे बना सकते है। अच्छे अंक आने से बच्चो में हौसला बढ़ता है और कम अंक आने से और बेहतर करने की उम्मीद जगती है। यदि परीक्षा ना होती तो विद्यार्थियों को सफलता और असफलता का महत्व पता ना चलता।
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तो यह था अगर परीक्षा ना होती तो पर निबंध (If There Were No Exams Essay In Hindi), आशा करता हूं कि यदि परीक्षा ना होती तो पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On If There Were No Exams) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।