राष्ट्रिय पक्षी मोर पर निबंध (National Bird Peacock Essay In Hindi)

आज के इस लेख में हम राष्ट्रिय पक्षी मोर पर निबंध (Essay On Peacock In Hindi) लिखेंगे। मोर पर लिखा यह निबंध बच्चो और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

मोर पर लिखे हुए यह निबंध (Essay On Peacock In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।

राष्ट्रिय पक्षी मोर पर निबंध (National Bird Peacock Essay In Hindi)


प्रस्तावना

भारत में बहुत से पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है, जिसमें चिड़िया, ततैया, तोता जैसे बहुत सारे पक्षी शामिल है। इसके अलावा पक्षियों का राजा कहां जाने वाला मोर भी आता है। मोर तो भारत का राष्ट्रीय पक्षी भी हैं। यह तितर प्रजाति का सबसे बड़ा पक्षी है।

भारत में मोर दो तरह के हैं, एक मोर दूसरा मोरनी, यह नर और मादा है। मोर नीले रंग के होते हैं और मोरनी भूरे रंग की। मोर की खास बातें होती है कि उसके लंबे पंख होते हैं और सुनहरी सी पंखों वाली पूछ होती है।

जब सावन के महीने में बारिश के समय मोर अपने पंखों को फैलाता है और नाचता है, तो बड़ा सुहाना लगता है। मानो सारी घटाएं उसे झूमने को बोल रही हो। मादा मोर की पूछ नहीं होती, इनकी गर्दन भूरे रंग की होती है।

यह खुले जंगल और खेतों में आसानी से देखने को मिल जाते है। मोर की चोच मोटी होती है जिसके कारण सांप और चूहे को आसानी से मारकर खा सकता है।

मोर का इतिहास

पक्षी की प्रजाति में मोर लंबा और बड़ा होता है, इसकी लंबाई 100 सेंटीमीटर से 115 सेंटीमीटर तक होती है। इसकी पूछ का भाग 195 से 225 मिलीमीटर लंबा होता है और वजन 7 किलो तक होता है।

मोर का रंग नीला होता है जो बड़ा ही प्यारा लगता है। मोर के सर पर ताज होता है जिसे मोर मुकुट कहते हैं। मुकुट पंख घुंघराले और छोटे होते हैं। मोर मुकुट पर काले तीर जैसे और लाल पंख होते हैं।

मोर की आंखों पर सफेद धारी जैसा बना होता है। शुरुआत में इनके पंखों का रंग भूरे रंग का होता है परंतु बाद में उनका रंग बादामी सा होता है या फिर कभी कभी काले रंग का हो जाता है।

मोरनी के सर पर भी एक छोटा सा ताज होता है, जो हल्के भूरे रंग का होता है। मोरनी की लंबाई ज्यादा नहीं होती है क्योंकि इनकी पूछ कम होती है। यह भूरे रंग का सुनहरे रंग के साथ दिखाई देते हैं। इनकी गर्दन भूरे रंग की होती है और मोर के गर्दन का रंग नीले रंग का होता है। जिसके कारण व्यक्ति मोर की तरफ आकर्षित होता है।

इनकी आवाज अलग ही होती है, जैसे यह किसी को पुकार रहे हो। यह पक्षियों से अलग आवाज निकालता है, आवाज जैसे पियो पियो। भारतीय मोर अलग-अलग रंग के होते हैं, परंतु यहा सबसे ज्यादा नीले रंग के मोर ही पाए जाते हैं।

बहुत सी जगह पर सफेद रंग के मोर भी देखने को मिलते हैं, परंतु यह बड़ी मुश्किल से दिखाई देते हैं। सफ़ेद रंग के मोर की प्रजाति ना के बराबर है।

मोर का निवास

भारत के मोर एक प्रजनक निवासी हैं जो श्रीलंका जैसे शुष्क वातावरण में रहते हैं। यह ज्यादातर ऊंचाइयों पर पाए जाते हैं। यह कम से कम 18 मीटर या 2000 मीटर पहाड़ियों पर अपना निवास बनाते हैं।

बहुत से मोर सुखी जगह पर रहना पसंद करते हैं, जैसे खेती वाले क्षेत्रों में या मानव बस्ती के क्षेत्र में कुछ मोर पानी के आसपास के क्षेत्रों में अपना निवास बनाते हैं। अक्सर हमने अपने आसपास के इलाकों में मोर को देखा है। मोर मानव के आदी हो जाते हैं और उनके साथ घुलमिल कर रहते हैं।

बहुत से मोर आपको धार्मिक जगहों पर दिख जाएंगे क्योंकि वहां पर लोगों द्वारा खाने-पीने की सामग्री मिल जाती है। ज्यादातर मोर गांव में पाए जाते हैं, यह जंगलों में सांप, चूहा, गिलहरियों आदि को खाते हैं।

इनकी चोंच मोटी और लंबी होती है, जिसके कारण यह किसी भी जानवर को मारकर खा लेते हैं। हालांकि यह धान को भी खाते हैं परंतु कभी कबार जंगलों में छोटे-मोटे जानवरों को खा लेते हैं।

मोर का स्वभाव

मोर ज्यादातर शांत स्वभाव के होते हैं। यह लंबे होते हैं और इनकी रेल जैसी लंबी पूछ होती है जिसके अंदर बहुत से पंख होते हैं। जब यह मदमस्त होते हैं तो अपने पंखों को फैलाकर नृत्य करते हैं।

इसी प्रकार मोरनी भूरे रंग की होती है परंतु यह छोटी होती है। जिसे ज्यादातर लोग पसंद नहीं करते हैं परंतु एक नर मोर को देखने के लिए जितना लोग पसंद करते हैं उतना मोरनी को नहीं करते।

ज्यादातर मोर अकेले में रहता है परंतु मादा मोर झुंड में दिख जाती है। यह मोर झुंड में प्रजनन के समय दिखाई देती है, उसके बाद सिर्फ मोर और मोरनी ही रह जाते हैं। हर सुबह मोर खुले में मिल जाते हैं परंतु दिन में गर्मी के समय यह छाया वाले स्थान पर रहना पसंद करते हैं।

मोर को बारिश के मौसम में स्नान करना बहुत पसंद है। यह पंख फैलाकर नृत्य करते हैं और बारिश का आनंद लेते हैं। ज्यादातर सभी मोर जल स्थल पर जाने के लिए एक लाइन में चलते है। मोर अपनी उड़ान एक ही स्थान पर रहकर ही भरते हैं।

यह जब परेशान होते हैं तो इन्हें भाग कर उड़ान भरने का शौक नहीं होता। ज्यादातर मोर भागते हुए उड़ान भरते है। मोर के स्वभाव में पाया गया है कि मोर प्रजनन के समय जोर से आवाज करते हैं।

जब पड़ोसी पक्षियों की आवाज निकालते हुए सुनते हैं, तो परेशान होकर यह उनकी तरह आवाज निकालना शुरू कर देते हैं। मोर की आवाज अलार्म की तरह प्रतीत होती है।

मोरो को ऊंचे पेड़ों पर रहना पसंद है, यह पेड़ों पर जन बना कर बैठते हैं। मोर को अक्सर चट्टानों पर और भावनाओं और खंभों पर बैठे हुए देखा जा सकता है। नदी के किनारे पर भीम और ऊंचे पेड़ों को ही चुनते हैं और यह ज्यादातर गोधूलि, बेल के पेड़ों पर अपना बसेरा बनाते हैं।

मोर का खान पान

मोर को मासाहारी पक्षी कहां जाता है, क्योंकि यह कीड़े मकोड़े छोटे स्तनपाई जीव, सांप, गिलहरी, चूहे आदि को खा जाता है। हालांकि मोर बीज, फल, सब्जियां भी खाते हैं। परंतु इन्हें जंगलों में कीड़ो और छोटे जीवों को खाना पड़ता है।

यह बड़े सांप से दूर रहते हैं क्योंकि यह बड़े सांप को नहीं मार पाते हैं। वह मोर जो खेतों के आसपास के क्षेत्रों में पाए जाते हैं वह थान, मूंगफली, मटर, टमाटर, केले सभी शाकाहारी सब्जियां खाते हैं। परंतु मानव बस्तियों में यह फेंके हुए भोजन पर निर्भर रहते हैं।

मोर की आबादी कम होने का कारण

मोर एक सुंदर पक्षी है और साथ ही साथ यह राष्ट्रीय पक्षी भी है। कहीं बार इन्हें शिकारियों का सामना करना पड़ता है। यह शिकारियों से बचने के लिए ज्यादातर पेड़ों पर बैठ जाता है। परंतु पेड़ों पर तेंदुए इनका शिकार कर लेते हैं।

मोर बचने के लिए अक्सर समूह में रहते हैं और समूह में ही दाना पानी झुकते हैं। बहुत से शिकारियों की नजर इनके ऊपर टिकी रहती है, कहीं बार बड़े पक्षी जैसे चील और ईगल इनका शिकार कर लेते है।

जंगलों में यह शिकारियों और शिकारी पक्षियों के कारण मारे जाते हैं। जिसके कारण इनकी आबादी धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है और मानव क्षेत्रों में रहने के कारण या तो शिकारी कुत्तों के कारन यह जंगल में आ जाते हैं। या फिर लोगों द्वारा मार दिए जाते है।

लोगों द्वारा मोर को मारने का कारण है कि मोर के तेल का उपयोग उपचार के लिए किया जाता है। मोर की उम्र ज्यादा तर 23 साल तक है, परंतु जंगलों में यह 15 साल तक ही जीवित रह सकता है।

लोगों की पसंद

मोर अपने सुनहरे पंखों के लिए प्रसिद्ध है। लोगों को उसके सुनहरे पंख बहुत ही अच्छे लगते हैं, लोग इनके पंखों को अपने घरों में सजाते हैं। जब सावन के महीने में मोर पंख फैलाकर नाचता है तो लोग इसे देखकर आनंद से झूम उठते हैं।

मोर का नाच एक सुनहरा नाच होता है। जब यह नाचता है तो अपने पंखों को पूरे गोलाकार में फैला लेता है। मोर का रंग नीला होता है और पंखों पर अर्धचंद्राकार गोले बने होते हैं जो अत्यधिक सुंदर दिखते हैं।

पुरानी सभ्यता के अनुसार मोर को पुराने चित्रकला में दर्शाया गया है और बहुत से मंदिर में मोर की चित्रकला और बहुत सी जगह पर मोरों की कलाकृति बनी हुई है।

उपसंहार 

भारत में मोर की प्रजाति धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। परंतु सरकार द्वारा समूह के बचाव के लिए बड़े-बड़े अभयारण्य मैं इनकी सुरक्षा का ध्यान दिया जाता है। सरकार द्वारा मोर के बचाव के लिए कानून भी निकाला है।

यदि कोई व्यक्ति मोर को मार देता है तो उसे कानूनी तौर पर सजा मिलती है, क्योंकि मोर को एक राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया है। मोर की संख्या बहुत ही कम होती जा रही है। जिस तरह मोर ने लोगों को अपनी तरफ आकर्षित किया है उसी तरह लोगो ने भी उनको प्यार देना चाहिए।

बहुत से मानव क्षेत्र में मोर और इंसान दोनों को एक साथ देखा गया है। इन्हें बचाने का जिम्मा हमारा भी है, यदि यह पक्षी रहेंगे तो हम इन्हें कई सालो तक देख सकेंगे और हमारी आने वाली पीढ़ी भी इन्हें देखने का आनंद ले सकेगी।

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मेरा प्रिय पक्षी मोर पर निबंध (Short Essay On My Favorite Bird Peacock In Hindi)


मोर जँगल के पक्षियों में राजा माना जाता हैं, मोर देश -विदेश के लगभग सभी हिस्से में पाए जाते हैं। ज्यादा तर ये दक्षिणी और दक्षिणी पूर्वी एशिया में पाये जाते हैं।

मोर देखने में बहुत सुन्दर होता हैं, यह सभी पक्षियों में सबसे खास और सुन्दर दीखता हैं। इसका पँख भी कुछ अतरंगी होता हैं। एक ही पँख में बहुत सारे रंग होते हैं। जब आकाश में बर्षा से पहले बादलो की काली घटा छाये हुए होती हैं, तब मोर अपने पँख फैला कर नाचता हैं।

इससे मोर का फैलया हुआ पँख और आकर्षक दिखने लगता हैं। यह उड़ने वाला पक्षी हैं। मोर का पँख ही उसकी खूबसूरती बढ़ता हैं। ऐसा इसलिए क्योकि इसके पंख काफी बड़े होते हैं और उसमे दो -तीन चमकीले रँग पाए जाते हैं।

जिससे जब मोर पंख खोलता हैं तो लगता हैं की उसको हिरे से या पेंटिंग कर के सजाया गया हैं, इसीलिए इसे पक्षीओ का राजा बोला जाता है। मोर की आकृति  बहुत ही आकर्षक होती हैं।

इसकी आकृति थोड़ी बहुत हंस से मिलती  जुलती होती है, लेकिन इसके पँख हंस से बहुत अलग होते हैं। मोर के आँखों के निचे सफेद रंग का एक घेरा होता हैं। उससे उसकी आँखे भी आकर्षक दीखता हैं।

मादा मोरनी का आकर छोटा और रंग हल्का भूरा होता हैं। मादा मोरनी की लम्बाई लगभग 50 CM होती है, तथा नर मोर के गर्दन पे चमकीले छोटे छोटे पंख होते हैं और गहरे हरे रंग के बहुत सारे बड़े पंख होते हैं।

इसकी लम्बाई लगभग 125 CM होती हैं, इसीलिए नर मोर – मादा मोर से ज्यादा अच्छा और आकर्षक दीखता हैं।

मोर की मादा जाती (मोरनी) साल में दो बार अंडा देती हैं और एक बार में लगभग 8 से 10 अंडे देती हैं। इस अंडे को लगभग 25 से 30 दिन देख भाल करने के बाद उसमे से बच्चे निकलते है।

मोर अपने अंडे और बच्चो को बहुत कम बचा पाता हैं, क्योकि जंगल के मांसहारी जानवर जैसे शेर, कुत्ते को पता चलने पे वे उसके बच्चे को खा जाते हैं। मोर के विशेष रूप से दो प्रजातियाँ होती हैं।

नीला मोर जिसे भारतीय मोर भी कहाँ जाता हैं और एक हरा मोर होता हैं, जिसे जावा मोर भी कहते हैं। सभी मोर अपने दुश्मन से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा ऊंचा उड़ने का प्रयास करते हैं और मोर ऊचाई तक उड़ते भी हैं।

मोर को बहुत सारे ग्रन्थ में शुभ माना गया है और हिंदु धर्म में मोर को खाना बहुत बड़ा पाप समझा जाता हैं। क्योकि हिन्दू ग्रन्थ में मानना हैं की मोर को नाचते देख कर हमें भी नाचने की प्रेरणा मिली थी। और जब आकाश में बादल लगता था और मोर पैर हिला कर नाचने लगता था तब उसी मोर को नाचते देख कर हम सभी लोग नाचना सीखे हैं।

मोर वन में रहने वाला एक पक्षी हैं, यह मुख्य रूप से चना, गेहू, मकई और टमाटर, बैगन, अमरुद, पपीता ये सब खा कर अपना पेट भरता हैं। मोर खेत में रहने वाले कुछ कीड़े और साँप, छिपकली ये सब भी खाता हैं, इसीलिए इसे सर्वाहारी पक्षी भी कहते हैं।

मोर के सबसे सुन्दर और आकर्षित प्रजाति हमारे भारत देश में पाये जाते हैं और इसकी सुंदरता के कारण ही हमारे भारत सरकार ने 26 जनवरी 1963 को मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोशित कर दिया। मोर भारत के साथ -साथ कई और देशो का राष्ट्रीय पक्षी भी हैं।

मोर को राष्ट्रीय पक्षी और जंगल के पक्षियों का राजा कहा जाता है जो उसपर शोभा भी देता हैं। क्योकि उसकी आकृति भगवन ने ऐसी बनायी हैं की उसके सर के ऊपर मुकुट जैसा बना होता हैं।

नर मोर के सर के ऊपर बने मुकुट जैसा आकर बड़ा होता हैं और मादा मोरनी की सर के ऊपर का बना हुआ आकर छोटा होता हैं, इससे नर – मादा को पहचानना आसान होता हैं।पूर्वजो के समय से ही मोर को महत्त्व बहुत ज्यादा दिया गया हैं। पहले के पुराने राजा – महाराजा भी मोर को पालना शुभ समझते थे और मोर पालते भी थे।

आज कल हमारे देश में आस – पास के जंगल में मोर को देखना बहुत ही मुश्किल हैं, क्योकि इसकी संख्या धीरे धिरे लुप्त होते जा रही हैं। इसी को देखते हुए हमारे भारत सरकार ने मोर की संख्या बचाये रखने के लिए 1972 में मोर संरक्षक कानून बनाया, जिससे मोर का शिकार करने वाले को सजा दी जाती है और इससे मोर के शिकार में काफी कमी आई है।

हमें मोर का शिकार नहीं करना चाहिए, इससे हमारे आस – पास के वन की शोभा बढ़ेगी और जब भी उस जंगल या वन में कोई जाये तो मोर जैसे पक्षी को देख कर उसे खुसी मिलेगी। आज कल इस पक्षी की संख्या इतनी ज्यादा कमी आ गयी हैं की हमें बहुत ढूंढ़ने के बाद भी जंगल में मोर दिखाई नहीं देता हैं।

हमें इसे देखने के लिए चिड़िया घर जाना पडता हैं। जैसा हम सभी जानते हैं की भगवन कृष्ण के मुकुट में भी मोर का पंख लगा हुआ रहता है। वही साम्राज्य चन्द्रगुप्त मौर्य के शासन काल में उनके राज्य चलाने वाले सिक्को के एक तरफ मोर का चित्र रहता था। इस बात से हम इस पक्षी का महत्त्व समझ सकते हैं।

जितना हो सके हमे इस सभी पशु पक्षी को बचाना चाइये और अगर किसी को इसके महत्त्व की जानकारी नहीं हैं, तो उसे समझाना और बताना चाहिए। क्युकी यह हमारे राष्ट्र के लिए अच्छा हैं, हमारे आस पास के वन में जितने ज्यादा पक्षी होते हैं उतना ज्यादा जंगल की रौनक बढ़ी रहती हैं।

जब कभी हम टहलने जाते हैं, तो तरह – तरह के रंग विरंगी पक्षी को देखने में एक अलग ही आनंद महसूस करते हैं।


तो यह था राष्ट्रिय पक्षी मोर पर निबंध, आशा करता हूं कि राष्ट्रिय पक्षी मोर पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On National Bird Peacock) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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