रामनवमी पर निबंध (Ram Navami Essay In Hindi)

आज हम रामनवमी पर निबंध (Essay On Ram Navami In Hindi) लिखेंगे। रामनवमी पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

रामनवमी पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Ram Navami In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


रामनवमी पर निबंध (Ram Navami Essay In Hindi)


प्रस्तावना

रामनवमी जैसा कि नाम से समझ मे आ जाता है, कि राम जी का जन्म दिवस, जिस दिन श्री राम जी ने जन्म लिया था। राम जी जिन्हें हम मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी के नाम से जानते है। राम जी को भगवान विष्णु के अवतार माना जाता है।

भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में श्रीराम के रूप में अवतार लिया था। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी ने अपने जीवन मे बहुत से कष्ट और तकलीफों को सहकार मर्यादा में रहकर जीवन का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया। चाहे कैसी भी तकलीफे हो उन्होंने अपने आदर्शों को कभी नही त्यागा और अपने जीवन को बिताया।

रामनवमी का महत्व

रावण के अत्याचार से त्रेता युग मे हाहाकार मचा हुआ था। सभी साधु संतों का जीना मुश्किल हो गया था। रावण ने सभी नव ग्रहों को ओर काल को भी बन्दी बना कर रख लिया था।किसी भी देवता या असुर की हिम्मत नहीं थी कि वो रावण से युद्ध कर सकें।

पूरी पृथ्वी पर रावण का राज्य स्थापित हो चुका था। रावण को ये घमंड हो गया कि वो अजेय ओर अमर है। रावण को शिव जी ने अम्रता का वरदान भी दिया था, क्योंकि रावण शिव जी का बहुत बड़ा भक्त था। उसी के तहत शिव जी ने उससे प्रसन्न हो कर ये वरदान दिया था।

उसका कोई कुछ बिगाड़ नहीँ सकता है उसके इस घमंड का अंत करने के लिए ही राम जी ने धरती पर जन्म लिया और रावण का वध करके धरती को मर्यादा ओर धर्मनिष्ठा पर चलने की सिख प्रदान करी।

रामनवमी कब मनाई जाती है?

रामनवमी के त्योहार चैत्रमास के शुक्ल पक्ष की चेत्र शुक्ल नवमी के दिन, सूर्य पुनर्वसु कर्कलग्न में जब पांच ग्रहों की शुभदृष्टि के साथ मेषराशि में विराजमान था, तब धरती के पालनकर्ता श्री विष्णु भगवान ने कौशल्या जी की कोख से राम जी के रुप मे जन्म लिया था। और श्री राम जी के जन्म के उपलक्ष्य में ही इस दिन को रामनवमी के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

रामनवमी कैसे मनाई जाती है?

रामनवमी का दिन धार्मिक और पारंपरिक हिन्दू त्यौहार में से एक है। इस त्योहार को पूरे भारत मे बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। श्री राम जी को विष्णु जी के 10 अवतारों में से 7 वा अवतार माना जाता है। कहि – कहि तो लोग अपने घरों में श्री राम जी की मूर्ति बनाकर इनकी पूजा करते है और सुख शांति की कामना करते है।

दक्षिण भारत मे रामनवमी के दिन लोग श्री राम और माता सीता के विवाह की सालगिराह के रूप में मनाते है। इस दिन दक्षिण भारत के मंदिरों को फूल और लाइट की सजावट की जाती है।

अयोध्या और मिथिला में श्री राम और सीता मा की पंचमी के दीन को उनके विवाह की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है। इस दिन अयोध्या में लोग पूरे देश से आकर श्रीराम जी के दर्शन करते है। वाराणसी में तो लोग गंगा जी मे स्नान करके राम जी, सीता जी और लक्ष्मण जी ओर हनुमान जी की रथ यात्रा निकालते है।

रामनवमी की व्रत विधि

रामनवमी के दिन प्रातःकाल स्नान करके पीले वस्त्र धारण किये जाते है और व्रत करने का संकल्प लेकर पूजा स्थल पर पूजा की सभी सामग्री, जैसे कमल का फूल, फल, तुलसी, चौकी, लाल कपड़ा और एक छोटा सा पलना लेकर, गंगाजल ओर तांबे का कलश रखकर राम जी के राम दरबार की मूर्ति की पूजा करि जाती है।

रामनवमी के व्रत के लाभ

रामनवमी के व्रत को करने से माना जाता है कि सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। व्यक्ति के सभी दुख दर्द का अंत होता है। मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम की तरह एक श्रेठ जीवन जीने का लाभ इस व्रत से प्राप्त होता है।

राम जी का जन्म

राम जी के जन्म को लेकर हम सामान्य तौर से मानते है कि राम जी ने अयोध्या में जन्म लिया था। उन्हें जन्म देने वाली माँ भले ही कौशल्या हो, पर वो कैकई जिसने राम जी को 14 वर्ष का वनवास दिलवाया था, उन्हें भी माँ से कम नहीं मानते थे। राम जी की एक माँ सुमित्रा भी थी।

पुराणों में लेकिन इस बात को लेकर कई मतभेद है कि श्रीराम जी का आखिर जन्म कब हुआ था। प्रचलित कथाओं के अनुसार श्रीराम जी का जन्म चैत्रमास की शुक्लपक्ष के नवमी को हुआ था। जिसे हमारे पूरे भारत वर्ष में रामनवमी के रूप में मनाया जाता है, जो श्रीराम जी के जन्म की घोतक मानी जाती है।

परंतु युग आये और बदलते चले गए, फिर भी सभ्यता के साथ ये सवाल आज तक असंभव सा प्रतीत होने लगा कि आखिर श्री राम जी ने जन्म कब लिया था। किस काल खण्ड और वर्ष में, उनके जन्म की तारीख और स्थान पर भी मतभेद होते आये है। फिर भी इस बात को प्रमाणित नही किया जा सका कि राम जी का जन्म आखिर कब हुआ।

तुलसीदास जी की रामचरितमानस के अनुसार श्री राम जी का जन्म

तुलसीदास जी की रामचरितमानस के बालकाण्ड 190 के दोहे की पहली चौपाई के अनुसार तुलसीदास जी ने भी राम जी के जीवन की विभिन्न्न अवस्थाओ का जिक्र किया है। जिसमे श्री राम जी के जन्म का भी जिक्र है।

यूनिक एक्जीबिशन ऑन कल्चरल कॉन्टिनीयूटी फ्रॉम ऋग्वेद टू रोबॉटिक्स नामनकी इस एक्जीबिशन में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार श्री राम जी का जन्म 10 जनवरी 5114 ईसापूर्व सुबह बारह बजकर पाँच मिनिट पर हुआ था।

कम्प्यूटर द्वारा निकली तिथि अनुसार श्री राम जी का जन्म

वाल्मीकि रामायण द्वारा बताई गई ग्रह नक्षत्रों का जब प्लेनेटेरियम सॉफ्टवेयर के अनुसार विश्लेषण किया गया, तो श्री राम जी के जन्म की तिथि 4 दिसम्बर ईसापूर्व यानी 9349 वर्ष पहले प्रतीत हुई।

वाल्मीकि जी के अनुसार श्री राम जी का जन्म

वाल्मीकि जी के अनुसार श्री राम जी का जन्म चैत्रमास के शुक्लपक्ष की नवमी को, पुनवरसू नक्षत्र और कर्क लग्न में, कौशल्या देवी ने दिव्य लक्षणों से युक्त श्री राम जी को जन्म दिया था।वाल्मीकि जी कहते है कि श्री राम जी का जब जन्म हुआ, उस समय पाँचग्रह अपनी उच्चतम स्तिथि में थे।

इस प्रकार श्रीराम जी की जन्म की कई मान्यताएं है और कुछ उनके जन्म की तिथि भी सही तय नहीं कर पाते है। परंतु हम तो श्रीराम जी के रामनवमी को उनके जन्म के रूप में मनाते है और बहुत ही हर्षोउल्लास के साथ मनाते है।

वैसे भी जन्म तो धरती पर रहने वाले प्रत्येक जीव, जंतु और प्रत्येक अंश का हुआ है। परंतु हर कोई तो श्री राम जी के समान मर्यादा पुरुषोत्तम नहीँ हो सकता। इसलिए श्री राम जी के समान अगर हर व्यक्ति हो जाए, तो समझ लीजिए आप अपने जीवन मे तर गए।

क्योंकि श्री राम जी जैसा ना कोई इस धरती पर हुआ है और ना ही कोई होंगा। पर उनके समान गुण जरूर अपना सकते है।

रामनवमी का इतिहास

हमारे हिन्दू ग्रन्थ में रामायण का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है। रामायण में श्री राम जी के जीवन व्रतांत का वर्णन किया गया है। रामायण के अनुसार त्रेता युग मे अयोध्या में दशरथ नाम के राजा रहते थे। उनकी तीन पत्नियां थी, कौशल्या, कैकई और सुमित्रा। उनकी कोई संतान नहीं थी।

वो इसी बात से दुखी थे। फिर वो ऋषि वशिष्ठ के पास गए ओर अपनी परेशानी बताकर उनसे संतान प्राप्ति का कोई रास्ता पूछा। ऋषि वशिष्ठ ने संतान प्राप्ति के लिए कामेष्टि यज्ञ कराने की सलाह दी। तब राजा दशरथ ने ऋषि ऋष्यस्रिंग को यज्ञ कराने के लिए बुलाया।

यज्ञ कराने के बाद यज्ञनेश्वर जी ने प्रसन्न हो कर राजा दशरथ को एक खीर से भरा कटोरा दिया और दशरथ जी से तीनों पत्नियों को खिलाने के लिए कहा। ऋषि यज्ञनेश्वर के आशीर्वाद से नवमी के दिन कौशल्या जी ने श्री राम जी को, सुवित्रा जी ने लक्ष्मण और शत्रु को, कैकई जी ने भरत को जन्म दिया।

राम जी को विष्णु जी का अवतार माना जाता है। जिन्होंने अधर्म को समाप्त करने के लिए ओर मर्यादा में रह कर जीने का ज्ञान प्रदान करने के लिए इस घरती पर जन्म लिया था। राम जी जब बड़े हुए, तो राजा जनक की पुत्री सीता जी से स्वयंवर पर, पंचाग के अनुसार मार्गशीर्ष मास की शुक्लपक्ष की पंचमी की तिथि पर, राम जी और सीता जी का विवाह हुआ था।

साथ ही राम जी के अन्य भाईयो का विवाह भी सीता जी की बहनों से हुआ था। जब राम जी और सीता जी अयोध्या आये, तो उनका भव्य रूप से स्वागत हुआ था। कुछ समय बाद जब राजा दशरथ ने राम जी को अपना सिंहासन दें कर उन्हें उस राज्य का राजा बनाने की घोषणा करनी चाही, तो कैकई ने अपना पुराना वचन याद दिला कर भरत को राजगद्दी देने का वचन तो लिया ही, साथ ही राम जी को 14 वर्ष का वनवास भी दिलवाया।

राम जी जब वन जाने लगे, तो सभी बहुत दुखी हुए। तब उनके साथ सीता माता और उनका भाई लक्ष्मण जी भी चले गए। इस बात की खबर भरत को नही थी, क्योंकि भरत उस समय आने ननिहाल गए हुए थे।

राम जी वन को चले गए। वहाँ उन्होंने वन – वन भटककर अपना जीवन बिताया। अहिल्या का उद्धार किया। परंतु वन में ही लंका के राजा रावण ने सीता जी का धोखे से अपहरण कर लिया था।

सीता जी को ढूढने में राम जी की मद्त हनुमान जी ने की, जो कि राम जी के बहुत बड़े भक्त थे। जामवंत, सुघ्रिव सभी ने राम जी की सहायता करि थी। अंत मे राम जी ने लंका के राजा रावण को हराकर सीता जी को वापस लेकर आ गए थे।

राम जी जब अयोध्या वापस लौटकर के गए, तो अयोध्या नगरी को एक दुल्हन की तरह सजा दिया गया था। हर जगह दिए और रोशनी जगमगा रही थी। इस दिन को आज भी हम दिवाली के त्यौहार के रूप में मानते है।

तो इस तरह भगवन श्री राम जी का जन्म हुआ और उसी दिन से लोग भगवन राम के जन्म दिवस को रामनवमी का त्यौहार मनाते है।

राम जी के जीवन से सीखे

भगवान श्री राम जो कि विष्णु भगवान के अवतार थे। चाहे तो वो अपने जीवन को आराम और बिना कोई परेशानि बिता सकते थे। परंतु उन्होंने एक आम इंसानों के अनुसार अपना जीवन बिताया और 14 वर्ष तक वन में रहे। फिर भी उन्होंने अपने धर्म का पालन किया। हमे उनके जीवन से कुछ सीखना चाहिए। जैसे –

  • भगवान पर विश्वास रखना चाहिए।
  • सभी के प्रति प्यार और दया की भावना रखना।
  • क्षमा करना।
  • सच्ची मित्रता
  • अच्छी संगति का असर अच्छा
  • सबसे समान व्यवहार
  • हर परिस्थिति को मुश्कराकर निपटाना।
  • ऊँचनीच का कोई भेदभाव नहीँ रखना।
  • माता पिता का आदर करना।
  • सच्ची भक्ति।
  • ऐश्वर्य से बढ़कर रिश्तों को महत्व देना।
  • प्यार और स्नेह को हमेशा बरकरार रखना।

श्री राम जी ने अपने पूरे जीवन मे कई तकलीफ़े देखी और सही, फिर भी उन्होंने अपनी मर्यादा ओर धर्म की राह पर जीने की राह को नहीँ छोड़ा।

उपसंहार

राम नवमी के त्योहार बस खुशियां या हर्षोउल्लास से मनाने का त्योहार नहीं है, अपितु ये सिखाता है कि राम जी के गुणो को अपनाए ओर अपने जीवन को श्री राम जैसे ही सफल बनायें। भले ही शुरुआत का जीवन कांटो से भरा हुआ हो, परंतु अंत मे हमेशा खुशियां ओर हर्षोउल्लास से भरा जीवन ही विताने को मिलता है और हमेशा अच्छे मित्र और अपनों का साथ मिलता है।


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तो यह था रामनवमी पर निबंध (Ram Navami Essay In Hindi), आशा करता हूं कि रामनवमी पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Ram Navami) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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