एक किसान की आत्मकथा पर निबंध (Autobiography Of Farmer Essay In Hindi)

आज हम एक किसान की आत्मकथा पर निबंध (Essay On Autobiography Of Farmer In Hindi) लिखेंगे। एक किसान की आत्मकथा पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

एक किसान की आत्मकथा पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Autobiography Of Farmer In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।


एक किसान की आत्मकथा पर निबंध (Autobiography Of Farmer Essay In Hindi)


प्रस्तावना

जैसा कि हम सब जानते है भारत एक कृषि प्रधान देश है। किसानो के बैगर हमारे घर में अनाज नहीं आएगा। किसान दिन रात परिश्रम करते है ताकि हमे भोजन प्राप्त हो सके। देश के तकरीबन सत्तर फीसदी लोग किसान है। किसान तेज़ धूप में हल चलाते है और हमारे लिए फसल उगाते है।

किसान के परिश्रम की तुलना किसी से नहीं की जा सकती है। हमारे देश की उन्नति भी कृषि पर टिकी हुयी है। मैं एक किसान हूँ और मुझे अपने आप पर गर्व है। भले ही मैं इतना धनवान नहीं हूँ मगर असली ख़ुशी सिर्फ पैसे कमाने में नहीं बल्कि देशवासियों के लिए अनाज पैदा करने में है।

मैं एक किसान हूँ। मेरी जिन्दगी इतनी आसान नहीं है। मेरी जिन्दगी खेतो से शुरू होकर खेतो पर ही खत्म हो जाती है। जैसे माँ और पिता मिलकर अपने बच्चो का पालन पोषण करते है, उसी तरह मैं भी दिन रात खेतो पर काम करता हूँ।

मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि मैं बंजर भूमि को उपजाऊ बना दूँ। मैं इतना परिश्रम करता हूँ कि बंजर भूमि को उपजाऊ बना दूँ। मुझे दिन भर खेतो में काम करना पड़ता है। गर्मियों में नंगे पैर में खेतों में काम करता हूँ। इससे मेरे पाँव पर छाले पड़ जाते है। चाहे तपती धूप हो या कड़ाके की ठण्ड, परिश्रम करना मैं कभी नहीं भूलता।

फसलों की रखवाली

मैंने किसान परिवार में ही जन्म लिया है। मेरे कार्य में कोई छुट्टी नहीं होती है। मैं कष्टपूर्ण और कर्मठ जीवनयापन करता हूँ। मैं हर दिन फसलों की रखवाली करता हूँ। मेरे लिए मेरे खेत सिर्फ धरती के टुकड़े नहीं है, बल्कि मेरी जिन्दगी है।

इन धरती के टुकड़ो में मेरी जिन्दगी समायी हुयी है। सर्दियों के सुबह जब सब आलस करते है तो मैं खेतों पर हल चलाता हूँ। मैं अपने खेतो को पशुओं से बचाता हूँ। कभी कभी जब सूखा पड़ता है तो मुझे फसलों की बेहद चिंता हो जाती है।

अनावृष्टि

जब पर्याप्त मात्रा में वर्षा नहीं होती है, तो मुझे चिंता सताती है। अगर फसल बर्बाद हो गयी तो दो वक़्त की रोटी भी नसीब नहीं होगी और घर का गुजारा कैसे चलेगा। बढ़ते प्रदूषण के कारण प्राकृतिक आपदाओं ने हम किसानो को परेशान कर दिया है। प्राकृतिक आपदाओं के आगे मुझे झुकना पड़ता है। निराशा के बादल हम किसानो को घेर लेते है। कठिनाईयों से लड़कर फिर से नयी शुरुआत करनी पड़ती है।

फसलों की देखभाल

मैं दिन रात फसलों की एक टक देख रख करता हूँ। फसलों की सिंचाई से लेकर खेतो को जोतने तक हर कार्य पूरे लगन के संग करता हूँ। गर्मियों में सर से लेकर पाँव तक पसीने से लथ पथ हो जाता हूँ। मगर मिटटी से वह जुड़ाव हमेशा रहता है।

मैं कभी नहीं घबराता और निरंतर फसलों का बखूभी देखभाल करता हूँ। सारी जिन्दगी मेरा समय फसलों की देखभाल में ही निकल गया। जैसे माँ अपने बच्चो को पालन पोषण करती है, उसी तरह मैं भी फसलों के देखभाल और बंजर भूमि को उपजाऊ भूमि में बदलने की ताकत रखता हूँ।

मेरे बैल खेत झोतने में मेरी सहायता करते है। फिर मैं अच्छी गुणवत्ता के कीटनाशक दवाईयों का उपयोग करता हूँ। मैं हर मौसम में अपने फसलों की नियमित देखभाल करता हूँ। आज के कई किसान सफल है और खेती करने के लिए नए उपकरणों का इस्तेमाल करते है।

लेकिन सब किसानो के पास इतनी पूंजी नहीं होती कि वह अच्छे उपकरण खरीद सके। सरकार अपने तरफ से सम्पूर्ण प्रयास कर रही है कि वह किसानो के लिए बेहतर योजनाएं लाये। किसानो के दर्द और बेबसी को दूर करने के लिए सरकार को मज़बूत कदम उठाने होंगे।

वर्त्तमान में चीज़ों की महंगाई

आज कल इस महंगाई के युग में बीज की कीमतें बहुत ज़्यादा हो गयी है। अच्छी गुणवत्ता के खाद और बीज खरीदने के लिए कभी कभी मुझे पैसे उधार लेने पड़ते है। फिर इन्ही सामग्रियों से मैं खेतों को उपजाऊ बनाने की चेष्टा करता हूँ।

वर्षा ऋतू का आगमन

मेरे लिए मेरे खेत मेरे संतान जैसे है। जब वर्षा ऋतू का आगमन होता है, तब नए बीज बोता हूँ। कुछ दिन पश्चात जब वह नविन बीज अंकुरित हो जाते है, तो मैं उनकी अपने बच्चे की तरह देखभाल करता हूँ। इससे मुझे बहुत प्रसन्नता मिलती है।

जब मानसून समय पर आता है और वर्षा संतुलित मात्रा में होती है, तो मैं निश्चिंत हो जाता हूँ। लेकिन बारिश कभी अत्यधिक हो जाती है तो बाढ़ जैसी समस्या हो जाती है। कम वर्षा के कारण सूखे का संकट टूट पड़ता है।

लहलहाते फसल

जब मैं अपने लहलहाते फसल देखता हूँ, तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता है। गाँव में रहने वाले लोग अधिकतर कृषि करते है। हम किसानो को बहुत कठोर परिश्रम करना पड़ता है। अच्छे फसल की पैदावार हम किसानो के जीवन में सुकून लाती है।

अच्छी फसल होने पर हम इसे बाजार में बेचते है और इससे हमारा घर चलता है। हमे खेतो की जुताई से लेकर फसलों की कटाई तक करनी पड़ती है। हम हर परिस्थिति में मज़बूत रहने की कोशिश करते है। लेकिन कभी – कभी हालात के आगे मज़बूर भी हो जाते है। जितनी ख़ुशी किसी व्यक्ति को ख़ज़ाने को देखकर होती है, उससे कई अधिक ख़ुशी तब होती है जब मैं लहलहाते फसलों को देखता हूँ।

फसल बर्बाद होने पर जिन्दगी कठिन

अगर किसी भी प्राकृतिक विपदा के आगे फसल बर्बाद हो जाती है, तो मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है। फसल अगर बाढ़ या वर्षा के कमी के कारण खराब हो जाये तो हमे बहुत नुकसान झेलना पड़ता है। परिवार की देखभाल के लिए पैसे नहीं बचते। ऐसी कठिन परिस्थिति में हमारे हालात दर्दनाक हो जाते है।

कोई सहायता नहीं मिलती

दुनिया में लोग हम किसानो को अन्नदाता कहते है। जब मेरे फसल तबाह हो जाते है, तो अफ़सोस मेरा कोई साथ नहीं देता है। मुझे महाजनो से कर्ज लेना पड़ता है। जब फसलें बर्बाद हो जाती है तो कोई मुआवजा भी नहीं मिलता है।

उसके बाद कर्ज चुकाने का दबाव मेरे जीवन को परेशान कर देता है। दुर्भाग्यवश कहीं से भी मदद नहीं मिलती है। जब फसलें अच्छी नहीं होती है तो दुःख का समय शुरू हो जाता है।

राजनीतिक पार्टियों से कोई सहायता नहीं मिलती

जब फसले बर्बाद हो जाती है, तो राजनितिक पार्टियां भी अपने वादे से मुंह फेर लेते है। राजनितिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए हम किसानो का साथ देने की बात करते है। जब ज़रूरत होती है तो वह अपने वादों से मुकर जाते है। हमारे तकलीफो को अनदेखा कर देते है। जब हम किसान उनके पास अपना अधिकार मांगने जाते है तो हमें भगा देते है।

किसानो की जमीन हड़प लेना

बहुत सारे बिल्डरो की नज़र हमारे उपजाऊ जमीन पर रहती है। वैसे मेरी जमीन तो हड़पी नहीं गयी, लेकिन बहुत सारे बिल्डरो ने मेरे किसान भाईयों की जमीन हड़प कर उस पर फैक्ट्रियों और बड़े इमारतों का निर्माण किया है। इमारतों का निर्माण एक साधारण जमीन पर भी हो सकता है, उसके लिए खेतो का उपयोग क्यों करते है।

परिश्रम पर यकीन

मैं हमेशा अपने आत्मविश्वास और परिश्रम पर यकीन रखता हूँ। जिन्दगी में मुश्किलें आती है, लेकिन बहुत सारे जगहों पर हम किसानो को वह अधिकार नहीं मिलते जो हमे मिलने चाहिए। मैं अपना कर्त्तव्य निष्ठा के साथ निभाउंगा आगे भगवान् संभाल लेंगे।

निष्कर्ष

हम किसानो के कठिन वक़्त में देशवासियों को साथ देना चाहिए। देशवासी अगर हम किसानो का साथ ना दे तो उन्हें भी अनाज, फल इत्यादि खाद्य पदार्थों के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा और दुगने कीमत पर खरीदना पड़ेगा। किसानो के कठोर परिश्रम जीवन से हमे प्रेरणा मिलती है कि कठिन से कठिन परिस्थिति में हमें कभी घबराना नहीं चाहिए।


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तो यह था एक किसान की आत्मकथा पर निबंध (Ek Kisan Ki Atmakatha Essay In Hindi), आशा करता हूं कि एक किसान की आत्मकथा पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Autobiography Of Farmer) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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