निबंध लिखना हर किसी के लिए जरुरी हो गया है। आज स्कूल हो या कॉलेज, हर जगह हमे निबंध लिखने की कभी ना कभी जरूरत पड़ती है। इसी जरूरत को ध्यान में रखते हुए हमने आपके लिए कही हिंदी निबंध (Hindi Essay) लिखे है। आपको जिस भी विषय से जुड़ा निबंध चाहिए, उसे आपको देने की हमने पूरी कोशिश की है।
हमने class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थीयो को ध्यान में रखकर निबंध लिखे है। इस लेख में हमने 100 से भी अभिक विषयो पर लिखे निबंध की लिस्ट बनाई है, जिसे आप निचे देख सकते है। हमने हमारे वेबसाइट पर लिखे निबंध की कोई विशेष शब्दों की सिमा नहीं रखी है। लेकिन हमने सभी निबंध को points में लिखा है।
जिससे अगर आप सिर्फ 200, 500 या 1000 शब्दों में निबंध लिखना चाहे, तो आप निबंध से अपने मन मुताबिक पॉइंट्स को चुन कर अपने इच्छा के शब्द सिमा का निबंध लिख सकते है। इससे आपको निबंध के शब्द सिमा का चयन और निबंध के विषय से सम्बंधित पॉइंट्स का चयन करने में आसानी होगी।
अगर आपको निचे दिए निबंध के लिस्ट में आपका मनचाहा निबंध नहीं मिले, तो आप हमारे वेबसाइट के search फीचर का इस्तेमाल करके निबंध ढूंढ सकते है।
हिंदी निबंध (Hindi Essays) | List Of 300+ Essays Topics In Hindi
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गाय पर निबंध (Cow Essay In Hindi Language) | राष्ट्रिय पक्षी मोर पर निबंध (National Bird Peacock Essay In Hindi) |
कुत्ते पर हिंदी निबंध (Dog Essay In Hindi) | बंदर पर हिंदी निबंध (Monkey Essay In Hindi) |
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स्वास्थ और तंदुरुस्ती पर निबंध (Essay On Health & Fitness In Hindi) | |
योग पर निबंध (Yoga Essay In Hindi) |
स्मारकों पर निबंध (Essay On Monuments In Hindi) | |
ताजमहल पर निबंध (Taj Mahal Essay In Hindi) |
निबंध का अर्थ क्या है?
निबंध को हम बहुत छोटे अर्थ में कहेंगे विचारपूर्ण लेख। जिसका तात्प्रय है की किसी विषय पर गम्भीरता से सोच विचार कर लेखक के मन की सटीक बातो का तालमेल निबंध कहलाता है। निबंध शब्द नि + बंध शब्द से मिलकर बना होता है। जिसका अर्थ है अच्छी तरह से बंधा हुआ।
इसकी भाषा विषय के अनुकूल होती है और अच्छी भाषा के प्रयोग से ही विषय को ओर अधिक रुचिपूर्ण ओर प्रभावशाली बनाया जा सकता है। अच्छी भाषा के प्रयोग से ही अपने भावों, विचारों ओर अपने अनुभव को प्रभावशाली तरीके से पड़ने वाले के दिमाग मे एक अमीठ छाप छोड़ता है।
निबंध की परिभाषा
निबंध गद्ध रचना होती है। किसी भी विषय की एक छोटी सी क्रमबद्ध सरचना को निबंध कहते है। इस परिभाषा से यही सिद्ध होता हैं कि निबंध छोटा और सरल होना चाहिए। निबंध पड़ने में सरल और समझने में आसान होना चाहिए।
अर्थात इसमे जो बात कहि गयी हो, वो विषय से हट कर नहीँ होनी चाहिए और उसमें ना ही बेतुकी बाते लिखी होनी चाहिए, जिसका निबंध से कोई तालमेल नहीँ बैठता।
निबंध के अंग और संरचना
निबंध के मुख्य रूप से तीन महत्वपूर्ण अंग होते है। जिसमे पहला है भूमिका, दूसरा अंग है विस्तार और तीसरा अंग है उपसंहार।
(1) भूमिका
किसी भी निबंध को लिहने से पहले हमे उसके पहले अंग यानि उसकी भूमिका लिखनी होती है। आप इसे प्रस्तावना भी कह सकते है। इसमें सबसे पहले आपको अपने निबंध के विषय पर कुछ जानकारी देनी होती है। भूमिका में आपको निबंध के विषय का परिचय देना होता है। आप जो भी विषय पर निबंध लिख रहे है उसका छोटा सा परिचय आपको इस अंग में देना होगा।
(2) विस्तार
यह किसी भी निबंध को लिखने का दूसरा अंग है। यहाँ आपको निबंध से जुड़े महत्वपूर्ण जानकारी लिखनी है। इस अंग में आपको निबंध के विषय से जुडी बातो को विस्तार से लिखना होता है। जैसे उदहारण के लिए अगर आप प्रदुषण पर निबंध लिखे तो आपको यहाँ उसकी परिभाषा, प्रकार, नुकसान, कारन और उपाय के बारे में लिख सकते है।
(3) उपसंहार
निबंध का आखरी अंग होता है उपसंहार। इसे आप निष्कर्ष भी कह सकते है। इस अंग में आपको अपने विचारो को और निबंध से मिली सिख को लिखना होता है। इस अंग में हम निबंध का अंत करते है। यहाँ आपको अपने विचार कुछ शब्दों में लिखना होता है जो निबंध के विषय को सम्बंधित हो।
निबंध के प्रकार
- वर्णात्मक निबंध
- विचरात्मक निबंध
- भावात्मक निबंध
- साहित्यक निबंध
वर्णात्मक निबंध
वस्तुओ और द्र्श्यो के वर्णन को घटनाओ के विवरण से प्रस्तुत समझना चाहिए। घटनाओ का विवरण विवरणात्मक निबंधों में होता है। वर्णात्मक निबंध की भाषा सरल होती है और इसके लिखने की शैली सरल होती है। ऐसे निबंध को पढ़कर उस निबंध की वस्तु, घटना और स्थान आखो के सामने आ जाते है।
उदाहरण :- दीपावली, होली, क्रिसमस, गणतंत्र दिवस की परेड, ताजमहल आदि पर लिखे गए निबंध वर्णात्मक निबंध कहलाते है।
विचारात्मक निबंध
जैसा की नाम से ही ज्ञात हो रहा है की जिस विषय का विचार, चिंतन किया जाता है, उसे विचरात्मक निबंध कहा जाता है। इस प्रकार के निबंध लिखना कठिन होते है।
उदाहरण :- अहिंसा परमो धर्म, विधवा विवाह, राष्टीय एकता, राजनितिक तथा ईश्वर आत्मा जैसे दर्शनिक निबंध जिसको लिखने से पहले हमे कई बार सोचना समझना पड़ता है। ऐसे निबंध को विचारात्मक निबंध कहा जाता है।
भावात्मक निबंध
भावनात्मक निबंध उसे कहते है, जिसमे अपनी भावनाओ को प्रस्तुत किया जाता है। जैसे वसंतोत्सव, चांदनी रात, बुढ़ापा, बरसात का पहला दिन, मेरे सपनो का भारत आदि इन्हे कलात्मक निबंध भी कहते है। जो कल्पना के सरोकार रहे ओर जिसमे विषय से समन्धित भावनाओ का समावेश होता हैं।
उदाहरण :- यदि में प्रधान मंत्री होता हैं, नदी की आत्मकथा ये सभी भावनात्मक निबंध है।
साहित्यक निबंध
इसमे बुद्धि तत्व की अपेक्षा भाव पक्ष का महत्व अधिक होता है। क्योंकि इसका सम्बन्ध भावना अर्थात हमारे ह्रदय से होता है। इसमे तीन प्रकार कि शैलियों का उपयोग किया जाता है।धारा शैली, तरंग शैली, विशेष शैली।
धारा शैली में भावों की धारा प्रवाह रहती है। तरंग शैली में भाव लहराते प्रतीत होते है ओर विशेष शैली में साहित्य कुछ उखड़े उखड़े रहते है। जिस प्रकार मुंशी प्रेमचंद और तुलसीदासजी की लेखन शैली इसी प्रकार की है।
निबंध के फायदे (लाभ)
कोई भी व्यक्ति अपनी बातों को ओर अपने विचारों को मौखिक या लिखत रूप में ही सबके सामने पेश करता हैं। जिस बात को बोलकर अभिव्यक्त करते हैं उसे मौखिक अभिव्यक्ति कहते हैं। जबकि अपने विचारों को लिखकर व्यक्त करने की कला को लेखन कौशल कहा जाता है।
इन्ही कला की बजह से ही व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान होती है। ये जरूरी नहीं होता कि कोई व्यक्ति मौखिक अभिव्यक्ति में माहिर हो। क्योंकि एक वक्ता भी बहुत अच्छा लेखक हो सकता है। इसलिए निबंध एक तरह से वो कला है, जिसमे व्यक्ति लिखित ओर मौखिक दोनों ही रूप में माहिर हो सकता है।
बस इससे बोलना ओर समझना दोनों में ही वक्ता की काबलियत झलकती है। इसलिए ये जरूरी नही की एक लेखक अच्छा वक्ता भी हो, यह कोई जरूरी नही है मगर सामान्य तौर पर एक व्यक्ति से यही अपेक्षा की जाती है कि वो भले ही एक अच्छा वक्ता या लेखक ना हो, पर मौखिक ही नहीं अपितु लिखित रूप में भी अपने विचारो को अभिव्यक्त कर सके।
निबंध को लिखने से किसी भी व्यक्ति के ज्ञान, अनुभव, सोच और भावना का पता लगाया जा सकता है। बल्कि साथ साथ उनके लेखन कौशल के बारे में भी जानकारी प्राप्त हो जाती है।इस प्रकार निबंध लिखने से निबंध लिखने वाले के व्यक्तित्व के बारे में पता कर सकते है।
क्योंकि लिखने वाले कि शैली में ही उसके व्यक्तित्व का अंदाजा लगाना कोई बड़ी बात नहीं है। निबंध से ज्ञान तो बढ़ता ही है। साथ ही निबंध स्कूल, प्रतियोगिता परीक्षा, आदि में बहुत काम आता है। निबंध तो विद्यार्थी की परीक्षा में मूल्यांकन करने में काफी मद्त करता है।
निबंध से व्यक्ति को एक ही विषय की सभी जानकारी उस निबंध में मिल जाती है। उसे इधर-उधर उस विषय की खोज करने की जरूरत नहीं पड़ती। निबंध समझने में भी सरल होता है, क्योंकि उसकी भाषा सरल और सामान्य होती है।
एक अच्छे निबंध की विशेषता
एक अच्छे निबंध में निम्नलिखित विशेषता होनी चाहिए।
- निबंध सरल और सुबोध होना चाहिए, जो आसानी से समझ आये ऐसी भाषा मे होना चाहिए।
- निबंध की भाषा विषय के अनुकूल होनी चाहिए।
- विचारों में परस्पर समानता होनी चाहिए।
- विषय से सम्बंधित सभी पहलुओं पर चर्चा होनी चाहिए।
- निबंध की वर्तनी शुद्ध होनी चाहिए तथा उनमें विराम चिन्हों का ध्यान रखना चाहिए।
- निबंध में शब्दसीमा का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए।
- निबंध का जो अंतिम अनुच्छेद हो, उसमे निबंध के सभी बातों का सारांश होना चाहिए।
- निबंध बहुत अधिक बड़ा नहीँ होंना चाहिए।
- निबंध लिखने वाले लेखक का व्यक्तिव प्रतिफल होना चाहिए।
- प्रत्येक निबंध एक धारा में होना चाहिए। अतः निबंध का एक अच्छा और निश्चित परिणाम होना चाहिए।
प्रमुख हिंदी निबंधकार
- भरतेन्दु हरिश्चन्द्र
- बालकृष्ण भट्ट
- प्रतापनारायण मिश्र
- सरदार पुर्ण सिंह
- बालमुकुंद गुप्त
इस प्रकार अन्य बहुत से निबंधकार है, जिनकी निबंध कला अविश्वशनिय है। जिसे पड़ कर मन उनके विषय की सम्पूर्ण जानकारी लेने के लिए बाध्य हो जाता है।
निष्कर्ष
इस प्रकार हम देखते है कि निबन्धकला अत्यधिक अविश्वसनीय कला हैं। जिसकी जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को नहीँ होती। इसके जानकार अपने बौद्धिक ज्ञान की झलक एक निबंध में दिखा देते है, जो एक विषय मे सम्पूर्ण ज्ञान देते है।